मिखाइल
बुल्गाकव
इवान
वसिल्येविच
(तीन अंकों का प्रहसन)
हिन्दी अनुवाद
आ. चारुमति
रामदास
पात्र
ज़िनाइदा मिखाइलव्ना
– सिने अभिनेत्री.
उल्याना अन्द्रेएव्ना – मैनेजर बुन्शा की पत्नी
रानी
तिमाफ़ेयेव – आविष्कारक
मिलास्लाव्स्की जॉर्ज
बुन्शा करेत्स्की – मैनेजर
श्पाक अन्तोन सिमेनविच
इवान ग्रोज़्नी
याकिन – फिल्म निर्देशक
लिपिक
स्वीडिश राजदूत
मठाधिपति
सुरक्षा कर्मी
दरबारी
वादक
पुलिस
भाग – १
मॉस्को का फ्लैट. तिमाफ़ेयेव का कमरा, बगल में – श्पाक का कमरा,
जिस पर ताला लगा हुआ है. इसके अलावा,
प्रवेश कक्ष,
जिसमें रेडियो सेन्सर है. तिमाफ़ेयेव के
कमरे में अव्यवस्था है. परदे. विशाल आकार और असामान्य डिज़ाइन का डिवाइस है, शायद, रेडियोसेट, जिस पर तिमाफ़ेयेव
काम कर रहा है. इस डिवाइस में अनेक बल्ब
हैं, जिनमें कभी प्रकाश दिखाई
देता है, तो कभी बुझ जाता है. तिमाफ़ेयेव
के बाल उलझे हुए हैं, और उसकी आंखें
अनिद्रा से लाल हैं. वह परेशान है. वह डिवाइस का बटन दबाता है. प्यारी, संगीतमय
धुन सुनाई देती है.
तिमाफ़ेयेव :
फिर उसी पिच की आवाज़...
प्रकाश बदलता है.
पांचवे लैम्प में प्रकाश गायब हो जाता है... प्रकाश
क्यों नहीं है?
कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है. देखता हूँ. (गिनता है.) और दो, और तीन...पॉजिटिव
अक्षों के बीच का कोण।। मैं कुछ भी समझ नहीं पा रहा हूँ. कोसाईन, कोसाईन ...राईट.
(अचानक प्रवेश कक्ष में रेडियोसेट में एक प्रसन्न आवाज़
गूंजती है, जो कहती है: “सुनिए
स्कावित्यान्का का अगला भाग! और उसके बाद रेडियोसेट में घंटियाँ बजने लगीं और
कर्कश संगीत बजने लगा.)
“मैं घंटियों वाले इवान से ‘बोर’ हो गया हूँ! और इसके अलावा, मैं उस आदमी के सिर को हटा
दूंगा, जिसके पास ऐसा रिसीवर है.
मैंने तो उससे कहा था,
कि वह उसे निकाल दे,
मैं दुरुस्त कर दूँगा. मेरे पास समय नहीं है! (भाग कर प्रवेशकक्ष में जाता है और
रेडियो बंद कर देता है और मेगाफ़ोन, चीखकर खामोश हो जाता है. वापस अपने कमरे में
आता है.) मैं कहाँ रुका था?...कोसाईन...हाँ, नहीं, मैनेजर! ( खिड़की खोलता है, बाहर झांकता है, चिल्लाता है.) उल्याना
अन्द्रेएव्ना! आपका बहुमूल्य शौहर कहाँ है? सुनाई नहीं दे रहा! उल्याना अन्द्रेएव्ना, मैंने तो उससे कहा था,
कि मेगाफ़ोन हटा ले! सुनाई नहीं दे रहा. कहा था, कि मेगाफ़ोन निकाल ले! उससे कहिये कि थोड़ा सब्र करे, मैं उसके लिए रेडियो लगा
दूंगा! वह ओस्ट्रेलिया सुन सकेगा! कहिये, कि उसने अपने इवान ग्रोज़्नी (‘भयंकर’)
से मुझे बेज़ार कर दिया है! और फिर,
वह तो घरघराता भरता है! हाँ, मेगाफ़ोन भरभराता है! मेरे पास समय नहीं है! मेरे
दिमाग़ में घंटियाँ बज रही हैं. सुनाई नहीं दे रहा है! खैर, ठीक है. (खिड़की बंद कर देता
है.) मैं कहाँ रुका था?...कोसाईन...मेरी
कनपटी में दर्द हो रहा है...ज़ीना कहाँ है? अब चाय पीना चाहिए. (खिड़की के पास जाता है.) कैसा अजीब आदमी है...काले
दस्तानों में...उसे क्या चाहिए?
(बैठ जाता है.) नहीं,
फिर से कोशिश करता हूँ. (डिवाईस में बटन दबाता है, जिससे दूर की संगीतमय आवाज़ सुनाई देती है और लैम्प्स का प्रकाश बदल जाता
है.) कोसाईन और घंटियाँ...(कागज़ पर लिखता है.) कोसाईन और घंटियाँ...और
घंटियाँ...मतलब कोसाईन...(उबासी लेता है.) घंटी बजाता है, घरघराता है...ये है संगीतमय
मैनेजर...(सिर लटकाता है और वहीं डिवाईस के पास सो जाता है.)
(लैम्प्स का प्रकाश बदल जाता है. उसके बाद रोशनी बुझ
जाती है. तिमाफ़ेयेव का कमरा अँधेरे में डूब जाता है, और सिर्फ दूर की संगीतमय आवाज़ सुनाई देती है. प्रवेश कक्ष में रोशनी होती
है. प्रवेश कक्ष में ज़िनाइदा प्रकट होती है.)
ज़िनैदा (प्रवेश कक्ष में संगीतमय आवाज़ सुनाती है). घर
में है. मैं सचमुच में डरने लगी हूँ, कि इस डिवाइस के कारण वह पागल हो जाएगा. गरीब
बेचारा! ...और अब दूसरी मुसीबत उसका इंतज़ार कर रही है...मैं तीन बार तलाक ले चुकी
हूँ...हूँ, हाँ, तीन बार, ज़ूज़िन को तो मैं गिनती नहीं
हूँ...मगर ऐसी परेशानी मैंने कभी महसूस नहीं की. कल्पना कर सकती हूँ< कि अब क्या होगा! सिर्फ कोई
लफड़ा न हो जाए! इतना बेज़ार कर देते हैं ये लफड़े...(पाउडर लगाती है.) ठीक है, आगे बढ़ो! इस गॉर्डियन गांठ
को फ़ौरन खोलना होगा...(दरवाज़ा खटखटाती है.) कोका, खोलो!
तिमाफ़ेयेव (अँधेरे में). शैतान ले जाए! अब और कौन है?
ज़िनाइदा. ये मैं हूँ, कोका.
(तिमाफ़ेयेव के कमरे में रोशनी हो जाती है. तिमाफ़ेयेव
दरवाज़ा खोलता है. रेडिओ रिसीवर के स्थान पर – विचित्र, अभूतपूर्व उपकरण है.)
कोका, तो तुम सोये ही नहीं? कोका,
तुम्हारी ये मशीन तुम्हें मार डालेगी. ऐसा नहीं करना चाहिए! और तुम मुझे माफ़ करो, कोका, मेरे परिचित ज़ोर देकर कहते
हैं, की भूत और भविष्य को देखना
संभव है. ये पागलपन है, कोकच्का. यूटोपिया.
तिमाफ़ेयेव. मुझे विश्वास नहीं है, ज़ीनच्का, कि तुम्हारे परिचित
इन सवालों को अच्छी तरह समझते हैं. इसके लिए विशेषज्ञ होना पड़ता है.
ज़िनाइदा : माफ़ करना, कोका,
उनके बीच गज़ब के विशेषज्ञ हैं.
तिमाफेयेव: समझने की कोशिश करो, कहीं एक छोटी सी गलती है, नन्ही सी! मैं उसे महसूस
करता हूँ, उसका अनुभव करता हूँ, वो, बस यहीं कहीं है...बस, भटक रही है! और मैं उसे पकड़
लूंगा.
ज़िनाइदा : नहीं, वह पाक-साफ़ है!
विराम. तिमाफेयेव गणना में व्यस्त है.
तुम मुझे माफ़ करो, कि मैं तुम्हें परेशान कर रही हूँ, मगर मुझे तुम्हें एक भयानक खबर देना होगा...नहीं, फैसला नहीं कर पा रही
हूँ...आज कैफ़े में मेरे दस्ताने उड़ा लिए गए. कितनी अजीब बात है! मैंने उन्हें छोटी
सी मेज़ पर रखा था और...मुझे किसी और से प्यार हो गया. कोका...नहीं, नहीं बता सकती...मुझे शक है
कि ये बगल वाली मेज़ से हुआ था...तुम मुझे समझ रहे हो?
तिमाफेयेव: नहीं...कैसी मेज़?
ज़िनाइदा: आह, मेरे खुदा,
इस मशीन के कारण तुम पूरी तरह से पगला गए हो!
तिमाफेयेव: अच्छा, दस्ताने...दस्तानों का क्या?
ज़िनाइदा : दस्ताने नहीं, बल्कि मैं किसी और से प्यार करने लगी हूँ. हो गया!...
तिमाफेयेव धुंधलाई आंखों से ज़िनाइदा को देखता
है.
सिर्फ मेरी बात का विरोध मत करो...और ड्रामा करने की
ज़रुरत नहीं. लोगों को ड्रामा करके ही क्यों जुदा होना पड़ता है? तुम भी मानोगे, की ये ज़रूरी नहीं है. ये
वास्तविक भावना है,
और मेरी ज़िंदगी में बाकी सब भ्रम था...तुम पूछ रहे हो, कि वह कौन है? और, बेशक, सोच रहे हो, कि वो मल्चानाव्स्की है? नहीं, अपने आप को तैयार कर लो: वह सिने
डाइरेक्टर है, बहुत
प्रतिभाशाली...अब और ज़्यादा लुका-छिपी नहीं, वो याकिन है. तिमाफेयेव. तो...
विराम
ज़िनाइदा : हांलाकि, ये बड़ी अजीब बात है! मेरी ज़िंदगी
में ऐसा पहली बार हुआ है. उससे कह रहे हैं, कि बीबी ने उसे धोखा दिया है,
क्योंकि मैंने वाकई में आपको धोखा दिया है, और वह – इस तरह! बल्कि, कुछ असभ्यता से!
तिमाफेयेव: वो...इसे...उसका क्या...गोरा, ऊंचा?
ज़िनाइदा: ओह, ये सरासर जंगलीपन है! इस हद तक बीबी में दिलचस्पी न रखना! गोरा वाला
मल्चानव्स्की है, ये याद रखना! और याकिन – वह बहुत प्रतिभाशाली है!
विराम
तुम पूछोगे कि हम कहाँ रहेंगे? पांच बजे मैं उसके साथ गग्रा
जा रही हूँ, शूटिंग के लिए जगह चुनने, और
जब हम वापस लौटेंगे,
तब उसे नई बिल्डिंग में क्वार्टर देने वाले हैं, बेशक, अगर वह झूठ नहीं बोल रहा हो
तो...
तिमाफेयेव – (उनींदेपन से): शायद, झूठ बोल रहा है.
ज़िनाइदा: कैसी बेवकूफी है, ईर्ष्या के कारण किसी आदमी का अपमान करना! हर मिनट तो वह झूठ नहीं बोल
सकता.
विराम
मैंने पिछली कुछ निद्राहीन रातों में काफी विचार किया
और इस नतीजे पर पहुँची हूँ<
की हम एक-दूसरे के लायक नहीं हैं. मैं पूरी तरह सिनेमा में...कला में, और तुम इस मशीन में...मगर, फिर भी तुम्हारे धीरज पर मैं
चकित हूँ! और कोई तमाशा भी करने को जी चाहता है. खैर, जाने दो...(परदे के पीछे जाती है और सूटकेस लाती है.) मैंने पैकिंग भी कर
ली है, ताकि तुम्हें परेशान न करून.
प्लीज़, मुझे सफ़र के लिए पैसे दो, मैं कव्काज़ से तुम्हें वापस
लौटा दूंगी.
तिमाफेयेव : ये रहे एक सौ चालीस...एक सौ त्रेपन
रुबल्स...इससे ज़्यादा नहीं हैं.
ज़िनाइदा : और तुम अपने जैकेट की जेब में देखो.
तिमाफेयेव : (देखकर). जैकेट में नहीं हैं.
ज़िनाइदा : तो, मेरा चुम्बन लो. अलबिदा,
कोका. फिर भी,
कुछ अफसोस तो हो रहा है...हमने एक साथ पूरे ग्यारह महीने बिताये हैं!...हैरान हूँ, वाकई में हैरान हूँ!
तिमाफेयेव ज़िनाइदा का चुम्बन लेता है.
मगर तुम अभी मेरा नाम न हटाना. होने को कुछ भी हो सकता
है. खैर, तुम ऐसा कमीनापन कभी भी नहीं
करोगे, (प्रवेश कक्ष में जाती है, अपने पीछे मुख्य द्वार बंद करती है.)
तिमाफेयेव ( किंकर्तव्यविमूढ़ सा उसे देखते हुए) :
अकेला...मैंने शादी कैसे कर ली?
किसे? किसलिए? ये कैसी औरत है? (मशीन के पास.) अकेला...मगर, मैं उसे दोष नहीं देता. सचमुच,
कोई मेरे साथ कैसे रह सकता है?
चलो, अकेला, तो अकेला! कोई भी परेशान
नहीं करेगा मगर...पंद्रह...सोलह...
संगीतमय आवाज़. प्रवेश कक्ष में घंटी है. फिर
घंटी की कर्कश ध्वनि.
ओह,
ऐसे हालात में कोई कैसे काम कर सकता है!...(प्रवेश कक्ष में जाता है, प्रवेश द्वार खोलता है.)
उल्याना अन्द्रेएव्ना भीतर आती है.
उल्याना :नमस्ते, कॉम्रेड तिमाफेयेव. आपके पास इवान वसिल्येविच तो नहीं आये?
तिमाफेयेव : नहीं.
उल्याना: ज़िनाइदा मिखाइलव्ना से कहिये, कि मारिया स्तिपानव्ना ने
कहा है:
मैनिक्यूरिस्ट ने आन्ना इवानव्ना को विदेशी कपड़ा देने
को तैयार है,
तो अगर ज़िनाइदा...
तिमाफेयेव: मैं ज़िनाइदा मिखाइलव्ना को कुछ नहीं बता
सकता, क्योंकि वह चली गयी है.
उल्याना: कहाँ चली गयी?
तिमाफेयेव: प्रेमी के साथ कव्काज़ चली गयी, और बाद में वे नए घर में
रहेंगे, बेशक, अगर वह झूठ न बोल रहा हो
तो...
उल्याना: ऐसे कैसे प्रेमी के साथ?! तो ये बात है! और आप
इत्मीनान से इस बारे में बता रहे हैं! आप बिलकुल नमूने हैं!
तिमाफेयेव: उल्याना अन्द्रेएव्ना, आप मुझे परेशान कर
रही हैं.
उल्याना: आह, माफ़ कीजिये! मगर आप भी गज़ब के इंसान हैं, कॉम्रेड तिमाफेयेव! अगर मैं ज़िनाइदा मिखाइलव्ना की जगह होती, तो मैं भी चली गई होती.
तिमाफेयेव: अगर आप ज़िनाइदा मिखाइलव्ना की जगह होतीं, तो मैं फांसी लगा लेता.
उल्याना: आप किसी महिला के सामने धडाम से दरवाज़ा बंद
करने की हिम्मत न करें,
जंगली!
(चली जाती है)
तिमाफेयेव: (अपने कमरे में लौटते हुए) : शैतानी
गुडिया!
मशीन के बटन दबाता है, और उसका कमरा घनघोर अंधेरे में गायब हो जाता है. प्रवेश द्वार हौले से
खुलता है और उसमें मिलास्लाव्स्की प्रकट होता है, अजीब तरह की वेशभूषा में, कलात्मक ढंग से दाढी वाले चेहरे का आदमी, काले दस्तानों में.
तिमाफेयेव के दरवाज़े पर कान लगाकर सुनता है.
मिलास्लाव्स्की: पूरी दुनिया काम पर गयी है, और ये घर में है. ग्रामोफोन
दुरुस्त कर रहा है. (श्पाक के दरवाज़े पर लिखी इबारत पढ़ता है.) श्पाक अन्तोन
सिम्योंअविच. खैर,
श्पाक के पास चलता हूँ...कैसा अनोखा ताला है. मुझे काफ़ी दिनों से ऐसा दिखाई नहीं
दिया. आह नहीं,
मिस्नित्स्काया वाली बेवा के पास ऐसा ही था. उसे छः नंबर से खोलना चाहिए. (ताला
तोड़ने की चिमटी निकालता है.) शायद,
दफ़्तर में बैठा है और सोचा रहा है :आह,
कैसा गज़ब का ताला लगाया है मैंने अपने दरवाज़े पर! मगर असल में तो ताले का सिर्फ एक
कि ताले का सिर्फ एक ही मक़सद होता है : ये दिखाना कि मालिक घर में नहीं
हैं...(ताला खोलता है,
श्पाक के कमरे में प्रवेश करता है, अपने पीछे दरवाज़ा इस तरह बंद करता है कि ताला
अपनी जगह पर ही रहता है.) एह,
क्या बढ़िया ‘सेटिंग’ है!... ये मैं बिलकुल सही जगह पर पहुंचा... एह, और उसके पास स्वतन्त्र
टेलीफोन है. महान सुविधा! और कितना सलीकेदार है, अपना ऑफिस का नंबर भी लिख दिया है. और जब लिखा ही है, तो सबसे पहले उसे फोन करना
चाहिए, ताकि कोई गलतफ़हमी न रहे.
(फोन पर.) इंटरसिटी परिवहन विभाग. मेहेरबानी.
एक्सटेंशन पांच सौ एक. मेहेरबानी. कॉम्रेड श्पाक को.
मेहेरबानी. कॉम्रेड श्पाक? नमस्ते. कॉम्रेड श्पाक, क्या आप आज पूरे दिन ऑफिस में
रहें,,(अलमारी गे?...
एक आर्टिस्ट बोल रही है. परिचित नहीं हूँ, मगर शिद्दत से चाहती हूँ आपसे मिलना. तो, क्या आप चार बजे तक रहेंगे?
मैं आपको फिर से फोन करूंगी, मैं बहुत जिद्दी हूँ...नहीं, गोरी हूँ. भारी आवाज़. अच्छा, नमस्त.(रिसीवर रखता है.)
खतरनाक रूप से हैरान हो गया. अच्छा,
शुरू करते हैं, अलमारी
तोडा देता है,
सूट निकालता है.) चेविओट...,
ओह!...(अपना सूट उतारता है,
उसे अखबार में लपेटता है,
श्पाक का सूट पहनता है.) जैसे मेरे लिए ही सिया गया है...(लिखने की मेज़ तोड़ता है, पट्टे के साथ घड़ी निकालता है, जेब में पोर्टसिगार रख लेता
है.) तीन साल, जब मैं मॉस्को में नहीं था, इन्होने कैसी-कैसी चीज़ें जमा कर ली हैं! काम करने में प्रसन्नता होती है.
ख़ूबसूरत ग्रामोफोन...और हैट...मेरा नंबर...शुभ दिन!...फु, थक गया! (खाने-पीने की
चीज़ों की अलमारी तोड़ता है, वोद्का,
स्नैक्स निकालता है, पीता है.) वह वोद्का ही की जिद क्यों करता है?गज़ब की वोद्का है!...नहीं, ये नागदौन नहीं है...मगर
उसका कमरा बेहद आरामदेह है...उसे पढ़ना भी अच्छा लगता है ...(किताब लेता है, पढ़ता है.) “बिना आराम किये
दावतें उडाता है साहसी दस्ते के साथ इवान वसिल्येविच ग्रोज़्नी माँ मॉस्को के
पास...
सुनहरी बाल्टियों से चमकती है कतार मेज़ों की, उद्दाम
रक्षक बैठे हैं उनके पीछे...”
शानदार कविता है!...
“सलामत रहो, मेरे सेवकों,
मेरे रक्षकों! आप ज़ोर से बजाएं तार,
एकॉर्डियन-बुलबुलों...” यह कविता मुझे अच्छी लगती है. (टेलिफ़ोन पर.) इंटरसिटी
परिवहन विभाग. माफ़ कीजिये. एक्सटेंशन पांच सौ एक...माफ़ कीजिये. प्लीज़ कॉम्रेड
श्पाक को. माफ़ कीजिये. कॉम्रेड श्पाक? ये फिर से मैं हूँ...बताइये, आप वोद्का के साथ क्या पसंद
करते हैं?...मेरा कुलनाम रहस्यमय
है...बल्शोय थियेटर से...आपको आज कैसा अचरज होने वाला है!... “ “बिना आराम किये
दावतें उडाता है साहसी दस्ते के साथ इवान वसिल्येविच ग्रोज़्नी माँ मॉस्को के
पास...” रिसीवर रख देता है.) भयानक आश्चर्य होगा. (पीता है.) “ सुनहरी बाल्टियों
से चमकती है कतार मेज़ों की...”
श्पाक का कमरा अँधेरे में डूब जाता है, और तिमाफेयेव के कमरे में
रोशनी हो रही है. अब मशीन बार-बार संगीतमय आवाजें प्रस्तुत कर रही है, और मशीन के चारों ओर समय-समय
पर प्रकाश बदल रहा है.
तिमाफेयेव: चमक रहा है! चमक रहा है! ये और ही बात
है...
प्रवेश द्वार खुलता है, और बुन्शा भीतर आता है. सबसे
पहले वह रेडिओ पर ध्यान देता है.
बुन्शा : हमारे घर में संस्कृति लाने के लिए मैं
अविश्वसनीय प्रयास करता हूँ. मैंने रेडिओ लगवाया, मगर वह जिद से रेडिओ का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.
(वह सॉकेट में प्लग लगाता है, मगर रेडिओ चुप है.)
(मध्यांतर)
(तिमाफेयेव के दरवाज़ा खटखटाता है.)
तिमाफेयेव: कौन है? अन्दर आ जाइए...आपका बेड़ा गर्क हो जाए!...
(बुन्शा प्रवेश करता है.)
बस,
इन्हीं की कमी रह गई थी!...
बुन्शा: ये मैं हूँ, निकलाय इवानविच.
तिमाफेयेव : मैं देख रहा हूँ, इवान वसिल्येविच. मुझे आप पर
अचरज होता है,
इवान वसिल्येविच! आपकी उम्र में आपको घर बैठना चाहिए, पोतों की देखभाल करना चाहिए,
मगर आप पूरे-पूरे दिन बिल्डिंग में भटकते
रहते हैं, चीकट किताब के साथ...मैं
बहुत व्यस्त हूँ,
इवान वसिल्येविच,
माफ़ कीजिये.
बुन्शा: ये बिल्डिंग की किताब है. मेरे कोई पोते नहीं
हैं. और अगर मैं घूमना बंद कर दूँ , तो भयानक परिस्थिति हो जायेगी.
तिमाफेयेव: क्या सरकार गिर जायेगी?
बुन्शा : गिर जायेगी, अगर लोग क्वार्टर का किराया नहीं देंगे तो. हमारी बिल्डिंग में लोग सोचते
हैं, कि किराया दिए बिना भी काम
चल सकता है, मगर असल में ऐसा नहीं करना चाहिए. वैसे हमारी बिल्डिंग भी गज़ब की है.
मैं आँगन से गुज़रता हूँ और काँप जाता हूँ. सारी खिड़कियाँ खुली हैं, सब खिड़कियों की सिलों पर
लेटे हैं और ऐसी बेवकूफी भरी बातें सुनाते हैं, जिन्हें बताना अच्छा नहीं है.
तिमाफेयेव: ऐ, ख़ुदा,
मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है! आपको अपना इलाज करवाना चाहिए, राजकुमार!
बुन्शा: निकलाय इवानाविच, आप मुझे राजकुमार न कहें, कागज़ात प्रस्तुत करके मैं पहले ही साबित कर चुका
हूँ, कि मेरे जन्म से साल भर पहले मेरे पापा विदेश चले गए थे, और इस तरह ये स्पष्ट हो जाता
है, कि मैं हमारे कोचवान
पन्तेलेय का बेटा हूँ. मैं देखने में भी पन्तेलेय जैसा हूँ.
तिमोफेयेव: अच्छा, अगर आप कोचवान के बेटे हैं,
तो और ज़्यादा अच्छा है. मगर मेरे पास पैसे नहीं हैं, इवान पन्तेलेयेविच.
बुन्शा: नहीं आप मुझे कागज़ात के अनुसार ही बुलाएं –
इवान वसिल्येविच.
तिमाफेयेव: अच्छा, अच्छा.
बुन्शा: आपसे विनती करता हूँ, क्वार्टर का किराया दीजिये.
तिमाफेयेव: मैं आपसे कह रहा हूँ, अभी मेरे पास पैसे
नहीं हैं...बीबी मुझे छोड़कर चली गयी है, और आप मुझे यातना दे रहे है.
बुन्शा: माफ़ कीजिये, आपने मुझे सूचित क्यों नहीं किया?
तिमाफेयेव : मगर इससे आपको क्या मतलब है.
बुन्शा: मतलब ये है, कि मुझे फ़ौरन उसका नाम हटाना पडेगा.
तिमाफेयेव: उसने विनती की है, कि नाम न हटायें.
बुन्शा: एक ही बात है, मुझे अपनी नोटबुक में इस घटना को दर्ज करना होगा. (नोटबुक में लिखता है.)
मैं बैठ जाता हूँ.
तिमाफेयेव: कोई ज़रुरत नहीं है बैठने की. मैं आपको कैसे
समझाऊँ, कि जब मैं यह काम कर रहा
हूँ, तो मुझे कोई परेशान न करे?
बुन्शा: नहीं, आप समझाईये. मैं प्रगतिशील इंसान हूँ. कल बिल्डिंग के प्रबंधकों के लिए
लेक्चर था, और मुझे बेहद फ़ायदा हुआ.
करीब-करीब सब कुछ समझ गया. स्ट्रेटोस्फेर के बारे में. वैसे हमारा जीवन बेहद
दिलचस्प और उपयोगी है,
मगर हमारी बिल्डिंग में यह बात नहीं समझते है.
तिमाफेयेव: इवान वसिल्येविच, जब आप बोलते हैं, तो ऐसा लगता है, कि आप किसी भ्रम में बड़बड़ा
रहे हैं!
बुन्शा: वैसे हमारी बिल्डिंग बही अजीब है. श्पाक हमेशा
महोगनी खरीदता है,
मगर क्वार्टर के लिए कंजूसी से पैसे देता है. और आपने एक अनजान मशीन बनाई है.
तिमाफेयेव: “ये यातना है, ईमानदारी से!”
बुन्शा: आपसे विनती करता हूँ, कि आप अपनी मशीन के बारे में
ज़ाहिर करें. उसका रजिस्ट्रेशन करना चाहिए, वर्ना विंग में महिलाएँ कहने लगी हैं, कि आप ऐसा यंत्र बना रहे हैं, जिससे हमारी पूरी बिल्डिंग
गिर जायेगी. और,
एक बात जान लीजिये...आप भी मर जायेंगे और आपका साथ देने के लिए मैं भी.
तिमाफेयेव: कौन कमीना ये बकवास कर रहा था?
बुन्शा : माफ़ी चाहता हूँ, मेरी बीबी उल्याना अन्द्रेयेव्ना कह रही थी. मैं -
तिमाफेयेव: गलती हो गयी. ये महिलाएं बकवास क्यों करती
हैं? आप तो पुराने पाखंडी हैं, पूरी बिल्डिंग के आसपास
डोलते रहते हो,
ताक-झांक करते हो,
चुगली करते हो,
और ख़ास बात – झूठ बोलते हो!
बुन्शा: इतने खतरनाक अपमान के बाद मैं क्वार्टर छोड़
देता हूँ और पुलिस स्टेशन जाता हूँ. मैं – बिल्डिंग के ज़िम्मेदार पद पर हूँ, और मुझे देखरेख करनी पड़ती
है.
तिमाफेयेव: रुको!... मुझे माफ़ कीजिये, मैं गुस्से में आ गया. चलो, ठीक है, यहाँ आइये. मैं सिर्फ समय में प्रवेश करने पर प्रयोग कर रहा हूँ... हां, वैसे, मैं आपको कैसे समझाऊँ, कि समय क्या है? आखिर, आप तो नहीं जानते, कि चार आयामों वाला अंतरिक्ष, गति क्या है...और वैसे, संक्षेप में, समझ लीजिये, कि इसका विस्फोट तो नहीं होगा, बल्कि इससे देश को अभूतपूर्व लाभ होगा..तो, आपको आसान शब्दों में समझाऊँ, तो मैं, उदाहरण के लिए, अंतरिक्ष में प्रवेश कर रहा हूँ, और अतीत में जाना चाहता हूँ...
बुन्शा: अंतरिक्ष में प्रवेश? इस तरह का प्रयोग तो सिर्फ पुलिस की इजाज़त से किया जाना चाहिए. बिल्डिंग के प्रबंधक की हैसियत से, जिसकी ज़िम्मेदारी मुझे दी गयी है, ऐसे प्रयोगों से मुझमें चिंता की भावना जागती है. एक रहस्यमय मशीन है, जो चाभी से बंद है...
तिमाफेयेव: क्या? चाभी? इवान वसिल्येविच, धन्वावाद! धन्यवाद! आप जीनियस है! आह, मैं भुलक्कड़ बेवकूफ़... चाभी से बंद मशीन पर काम किये जा रहा था...ठहर जाइए! देखिये! देखिये, अब क्या होगा...पास ही में कोशिश करते है...छोटा सा कोना...(चाभी घुमाता है, बटन दबाता है.) देखिये, अब हम अवकाश से होकर काल में जाते हैं...पीछे...
(घंटी. अंधेरा. फिर रोशनी.
कमरों के बीच की दीवार गायब हो गयी है, और श्पाक के कमरे में वाईन पीता हुआ मिलास्लाव्स्की बैठा है हाथों में, किताब लिए.
(तैश में) आपने देखा?
मिलास्लाव्स्की : तुझे शैतान...ये सब क्या है?
बुन्शा: निकलाय इवानाविच, दीवार कहाँ गई?!
तिमाफेयेव: कामयाबी! कामयाबी! मैं अपने आप में नहीं हूँ! ये हुई न बात? ये हुई बात!...
बुन्शा: अनजान नागरिक श्पाक के कमरे में!
मिलास्लाव्स्की: मैं माफ़ी चाहता हूँ, बात क्या है? क्या हुआ है?
(वह ग्रामोफोन उठाता है, अपमा बण्डल लेता है और तिमाफेयेव के कमरे में निकलता है.)
अभी-अभी तो यहाँ दीवार थी!
बुन्शा: निकालाय इवानाविच, दीवार के बारे में क़ानून के मुताबिक़ आपको जवाब देना होगा. आपने कैसी मशीन तैयार की है! आधा क्वार्टर ग़ायब हो गया!
तिमाफेयेव: आप और आपकी दीवार शैतान ले जाए! उसे कुछ नहीं होगा!..
(यंत्र का बटन दबाता है.)
अन्धेरा. उजाला. दीवार अपनी जगह पर खडी हो जाती है, श्पाक के कमरे को बंद कर देती है.
मिलास्लाव्स्की: टेक्नोलॉजी के चमत्कार तो देखे हैं, मगर ऐसा कभी नहीं देखा!
तिमाफेयेव: ओह, गॉड, मेरा सिर चकरा रहा है!...यूरेका, यूरेका! ओ, मानवता, कैसा भविष्य तेरा इंतज़ार कर रहा है!...
बुन्शा: मैं माफी चाहता हूँ, आप कौन हैं?
मिलास्लाव्स्की: मैं कौन हूँ, आप कह रहे हैं? मैं अपने दोस्त श्पाक का इंतज़ार कर रहा हूँ.
बुन्शा: आप इंतज़ार कैसे कर रहे हैं, जब दरवाज़े पर बाहर से ताला लगा है?
मिलास्लाव्स्की: ये आप क्या कह रहे हैं? ताला? ओह, हाँ...वह ‘इज्वेस्तिया’ खरीदने नुक्कड़ तक गया है, और मुझे...वो...बंद कर गया...
तिमाफेयेव: अरे, तुम्हें शैतान ले जाए! ये कैसे ओछे सवाल हैं! (मिलास्लाव्स्की से)
समझ रहे हैं, मैंने समय को छेद दिया है! मुझे अपना लक्ष्य प्राप्त हो गया है!...
मिलास्लाव्स्की: बताइये, ये, मतलब, किसी भी दीवार को हटाया जा सकता है? आपका आविष्कार अनमोल है, नागरिक! आपको मुबारकबाद देता हूँ! (बुन्शा से) और आप मेरी तरफ ऐसे क्यों देख रहे हैं, मेरे बाप? मुझ पर कोई डिज़ाइन नहीं है और न ही फूल खिलते हैं.
बुन्शा: मुझे एक अस्पष्ट-सा शक है. आपका सूट भी वैसा ही है, जैसा श्पाक का है!
मिलास्लाव्स्की: आप क्या कह रहे हैं? सूट? क्या मॉस्को में अकेले श्पाक के पास धारियों वाला सूट है? हम दोस्त हैं, और हमेशा एक ही दुकान से कपड़े खरीदते हैं. क्या आप इससे संतुष्ट हैं?
बुन्शा : और टोपी भी वैसी ही है.
मिलास्लाव्स्की: और टोपी भी.
बुन्शा: और आपका कुलनाम क्या है?
मिलास्लाव्स्की: मैं राजकीय बड़े और छोटे थियेटरों का कलाकार हूँ. और आपको मेरे कुलनाम की क्या ज़रुरत है? वह काफ़ी मशहूर है, कि आपको बताऊँ.
बुन्शा: औए चेन भी वैसी ही है, जैसी श्पाक की है.
बुन्शा: ए, आप कितने खूसट हैं!...टोपी, चेन...ये घिनौनी बात है!...बिना रुके इवान वसिल्येविच ग्रोज्नी अपने दस्ते के साथ दावतें उड़ा रहा है...
तिमाफेयेव: आप, सचमुच में, नागरिक को अकेला छोड़ दें.
(मिलास्लाव्स्की से) शायद आप श्पाक के कमरे में वापस जाना चाहते हैं? मैं आपके लिए दीवार खोल दूंगा.
मिलास्लाव्स्की: किसी हालत में नहीं. इसने मेरा अपमान किया है. असल में, अखबार खरीदने गया, और ग़ायब हो गया. हो सकता है, वह दो घंटे घूमता रहेगा. बेहतर है, कि मैं ये प्रयोग देखता रहूँ, ये मुझे बहुत अच्छा लगा.
तिमाफेयेव (उससे हाथ मिलाता है). मैं बहुत खुश हूँ! आप पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिसने देखा है...आप, मतलब, पहले गवाह हैं.
मिलास्लाव्स्की: मुझे आज तक कभी भी गवाह बनने का मौक़ा नहीं मिला! बेहद, बेहद अच्छा है!...(बुन्शा से.) ये देखे जा रहा है. आप मेरे बदन में छेद कर देंगे!
तिमाफेयेव: ये हमारी बिल्डिंग का अधीक्षक है.
मिलास्लाव्स्की: आह, तब बात समझ में आती है!...टोपी, चेन...आह, कैसी घिनौनी ज़िम्मेदारी है! उनसे मुझे कितनी परेशानियां उठानी पडीं, काश, आप जानते, नागरिक वैज्ञानिक.
तिमाफेयेव: उसकी ओर ध्यान मत दीजिये.
मिलास्लाव्स्की: ये भी सही है.
तिमाफेयेव: आप समझ रहे हैं, नागरिक कलाकार...
मिलास्लाव्स्की: क्यों नहीं समझूंगा? बताइये, क्या दुकान में भी इसी तरह दीवार को उठाया जा सकता है? आह, कितना दिलचस्प प्रयोग है!
बुन्शा : क्या आप श्पाक के पास ग्रामोफोन के साथ आये थे?
मिलास्लाव्स्की: ये मुझे मार ही डाल रहा है! ये क्या बात है, आँ?
तिमाफेयेव (बुन्शा से): आप परेशान करना बंद करेंगे या नहीं? (मिलास्लाव्स्की से.):
समझने की कोशिश कीजिये, बात दीवार की नहीं है, यह तो सिर्फ पहली चाल है! बात ये है, कि, इन सारी दीवारों को पार करते हुए, मैं ‘समय’ में प्रवेश कर सकता हूँ! आप समझ रहे हैं, मैं दो सौ- तीन सौ साल आगे या पीछे जा सकता हूँ! हाँ, तीन सौ क्या बात है!...नहीं, इस तरह के आविष्कार से दुनिया अनभिज्ञ है!।। मैं परेशान हूं!...मुझे आज ही मेरी बीबी छोड़कर चली गयी है, मगर आप देखिये...आह!...
मिलास्लाव्स्की: नागरिक प्रोफ़ेसर, परेशान न हों, आपके साथ तो कोई भी लड़की शादी कर लेगी. आप इस बात पर थूकिये कि उसने आपको छोड़ दिया है!
बुन्शा: मैंने उसका नाम पहले ही हटा दिया है.
मिलास्लाव्स्की: (बुन्शा से) : आप पर थू है!...बिना आराम किये इवान वसिल्येविच दावतें कर रहा है...आह, कैसा आविष्कार है! (दीवार पर टकटक करता है.) ऊपर उठाया – अन्दर आया, बाहर गया – बंद कर दिया! आह, मेरे खुदा!...
तिमाफेयेव : मेरे हाथ थरथरा रहे हैं...मैं इंतज़ार नहीं कर सकता...अगर आप चाहें, तो क्या हम भूतकाल में प्रवेश करें?...प्राचीन मॉस्को को देखना चाहेंगे? क्या आपको डर नहीं लगता? आप परेशान नहीं हैं?
बुन्शा : निकलाय इवानाविच! एक जैकेट में इस तरह के प्रयोग करने से पहले अच्छी तरह सोच लीजिये!
मिलास्लाव्स्की:अगर तू फिर से नागरिक शिक्षाविद के प्रयोग में नाक घुसायेगा, तो मैं तुझे! क्या सज़ा है? (तिमाफेयेव से.) आगे बढिए!
(तिमाफेयेव यंत्र के बटन दबाता है. अन्धेरा. अचानक इवान ग्रोज़्नी का चैम्बर प्रकट होता है. इवान, हाथ में राजदंड लिए, शाही वस्त्रों में बैठा है, और इवान के सामने, मेज़ से चिपका हुआ, लिपिक लिख रहा है. इवान के कन्धों पर, पोशाक के ऊपर, अप्रिच्निन कैसोक है. दूर से आ रही चर्च-प्रार्थना सुनाई देती है, घंटियों की हल्की आवाज़.)
इवान: (लिखवाता है)....और प्रमुख को...
लिपिक (लिखता है): और प्रमुख को...
इवान: आदरणीय मठाधिपति के गाँव में डीकन कोज़्मा को...
लिपिक : कोज़्मा को...
इवान: त्सार और सम्पूर्ण रूस के महान राजकुमार...
लिपिक : सम्पूर्ण रूस के...
इवान :... शीश झुकाता हूँ.
तिमाफेयेव: ओह गॉड! देखिये! ये तो वाक़ई में इवान है!
मिलास्लाव्स्की: ग़ज़ब हो गया!...
आवाजें सुनकर इवान और लिपिक सिर घुमाते हैं. लिपिक चीखता है और चेम्बर से भाग जाता है . इवान उछलता है, सलीब का निशान बनाता है.
इवान : भाग जा! दफ़ा हो जा! धिक्कार है, मुझ पापी को! मुसीबत आने वाली है, मुझ शापित पर! खतरनाक हत्यारे पर, ओह!...भाग जा! (बाहर जाने का रास्ता तलाश करते हुए, उन्माद में तिमाफेयेव के कमरे में भागता है, दीवारों पर सलीब का निशान बनाता है, दौड़ता है, प्रवेश कक्ष में भागता है, छिप जाता है.)
तिमाफेयेव: ये इवान ग्रोज़्नी है! आप कहाँ जा रहे हैं?...रुक जाइए! माय गॉड, उसे देख लेंग!...उसे पकड़ो! (इवान के पीछे भागता है.)
(बुन्शा टेलिफ़ोन की तरफ़ लपकता है.)
मिलास्लाव्स्की: तू किसे फ़ोन करने चला है?!
बुन्शा: पुलिस को!
मिलास्लाव्स्की: फ़ोन नीचे रख, मैं तेरे हाथ उससे बांध दूंगा! एक सेकण्ड भी पुलिस के बिना नहीं रह सकता!
चैंबर में सशस्त्र अंगरक्षक घुसता है
अंगरक्षक : कहाँ हैं राक्षस? फ़ौरन! मार उन्हें! (बुन्शा से.) त्सार कहाँ है?
बुन्शा : मालूम नहीं!...गार्ड!...
मिलास्लाव्स्की: मशीन बंद कर! मशीन बंद कर!
अंगरक्षक: (अपने आप पर सलीब का निशान बनाते हुए). ओय, राक्षसों!...(बर्डीश फेंक देता है, चैम्बर से गायब हो जाता है.)
मिलास्लाव्स्की: बंद कर! चाभी घुमा! चाभी! क्या मशीन है!...
(बुन्शा बटन दबाता है, चाभी बाहर खींचता है. उसी पल – घंटी बजती है. खिड़की का परदा फूल जाता है, कागज़ उड़ जाते हैं, बुन्शा चैंबर में खींच लिया जाता है, वह अपना चश्मा गिरा देता है.)
बुन्शा : बचाओ! ये मुझे कहाँ खींच रहे हैं?!...
मिलास्लाव्स्की : तू मशीन को कहाँ ले गया, शैतान?!
(मिलास्लाव्स्की खीच लिया जाता है.
अन्धेरा. रोशनी. चैंबर नहीं है. दीवार अपनी जगह पर है. कमरे में न तो बुन्शा है, ना मिलास्लाव्स्की. शेष बचा है सिर्फ ग्रामोफोन, और पैकेट और चश्मा. तिमाफेयेव प्रकट होता है.)
तिमाफेयेव : उसने खुद को अटारी में बंद कर लिया है! मुझे उसे वहां से बाहर निकालने में मदद करो!...गॉड, वे कहाँ हैं? आ? (मशीन की ओर भागता है). उन्होंने तीर को विपरीत दिशा में घुमा दिया! वे उड़ गए?...अब क्या होगा?...बुन्शा! बुन्शा! इवान वसिल्येविच!
(दूर से इवान की चीख.)
ये अटारी में चिल्ला रहा है!...मगर चाभी? चाभी है कहाँ?...खुदा, उन्होंने चाभी बाहर खींच ली! क्या करूँ, फरमाइए!...करून क्या, आ?...चाभी नहीं है...हां, उन्होंने चाभी बाहर निकाल ली...इवान वसिल्येविच! आपने आखिर चाभी क्यों निकाल ली ?! वैसे, चिल्लाने से कोइ फ़ायदा नहीं है.
वे चाभी अपने साथ ले गए. उसे कमरे में वापस लाया जाए? (बाहर भागता है.)
(अंतराल)
सामने का दरवाज़ा खुलता है, और श्पाक प्रवेश करता है.
श्पाक : जब से बल्शोय थियेटर की उस गोरी ने फ़ोन किया है, मैं कुछ बेचैनी-सी महसूस कर रहा हूँ. दफ़्तर में भी नहीं बैठ पाया...(अपने दरवाज़े का ताला छूता है.) दोस्तों!
(श्पाक के कमरे में रोशनी है.)
भीतर जाता है, लिखने की मेज़ की तरफ़ लपकता है.) दोस्तों! (अलमारी की ओर लपकता है.) दोस्तों! (टेलीफोन पर) पुलिस!! पुलिस?! बान्नाया गली, दस में शानदार चोरी हुई है, कॉम्रेड! किसे लूटा गया है? बेशक, मुझे! श्पाक! श्पाक है मेरा कुलनाम! गोरी महिला ने लूट लिया!
(रेडिओ पर संगीत बजने लगता है.)
कॉम्रेड बॉस।। ये रेडिओ चल रहा है! ओवरकोट और सूट्स!...आप गुस्सा क्यों हो रहे हैं? सुन रहे हैं? अच्छा, मैं अभी भागकर आपके पास आता हूँ, खुद! मेरे दोस्तों, दोस्तों!...(हिचकियाँ लेते हुए, कमरे से बाहर लपकता है और सामने वाले दरवाज़े के पीछे छुप जाता हो.)
(रेडिओ पर संगीत गरजता है.)
(परदा गिरता है. )
भाग – 2
(तिमाफेयेव का कमरा. उसमें – इवान और तिमाफेयेव. दोनों परेशान हैं.)
इवान : ओह मेरे खुदा, ईश्वर सर्वशक्तिमान!
तिमाफेयेव : श्..धीरे, धीरे! सिर्फ चिल्लाइये नहीं, विनती करता हूँ! हम भयानक मुसीबत में और, हर हाल में किसी लफड़े में पड़ने वाले हैं. मैं खुद भी पागल हो रहा हूँ, मगर मैं खुद पर काबू रखने की कोशिश कर रहा हूँ.
इवान: ओह, मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही है! फ़िर से कहो, तुम राक्षस तो नहीं हो?
तिमाफेयेव: आह, ख़ुदा के लिए, मैंने तो अटारी में आपको समझाया था, कि मैं राक्षस नहीं हूँ.
इवान: ओय, झूठ मत बोल! त्सार से झूठ बोलता है! इन्सान के चाहने से नहीं, बल्कि खुदा की इजाज़त से मैं त्सार हूँ!
तिमाफेयेव: बहुत अच्छा. मैं समझता हूँ, कि आप त्सार हैं, मगर फिलहाल विनती करता हूँ, कि इस बारे में भूल जाएँ. मैं आपको त्सार नहीं, बल्कि सिर्फ इवान वसिल्येविच कहूंगा. यकीन कीजिये, ये आप ही के फ़ायदे के लिए है.
इवान: अफ़सोस की बात है, इवान वसिल्येविच के लिए, अफसोस, अफसोस!...
तिमाफेयेव: क्या कर सकते हैं? मैं आपकी निराशा को समझता हूँ. वाकई में ये घटना बहुत निराशाजनक है. मगर ऐसी आपदा की उम्मीद कौन कर सकता था? असल में वे चाभी अपने साथ ले गए! मैं अभी आपको वापस नहीँ भेज सकता...और आप समझ रहे हैं, की दे दोनों इस समय वहां हैं, आपके यहाँ! उनका क्या होगा?
इवान : कुत्ता ले जाए! उनके सिर काट देंगे, और किस्सा ख़तम!
तिमाफेयेव : ऐसे कैसे सिर काट देंगे?! माय गॉड, मैंने दो आदमियों को मार डाला! इसकी कल्पना नहीं की जा सकती! ये भयानक है!
(अंतराल)
क्या आप वोद्का पीते हैं?
इवान: ओह, मुसीबत!...सौंफ की.
तिमाफेयेव: सौंफ की शराब नहीं है मेरे पास. पहाडी दुब्न्याच्का पी लीजिये, आप तरोताज़ा हो जायेंगे और होश में आ जायेंगे. मैं भी. (वोद्का निकालता है, स्नैक्स भी,) पीजिये.
इवान: तुम मेरे जाम से थोड़ी से पियो.
तिमाफेयेव: ये किसलिए? आह, हाँ... आप समझ रहे हैं, की मैं आपको ज़हर देना चाह रहा हूँ? प्यारे इवान वसिल्येविच, हमारे यहाँ ऐसा नहीं होता. और हमारे ज़माने में वोद्का के मुकाबले, स्प्रैट से ज़हर देना काफ़ी आसान है. बेधड़क पी जाइए.
इवान: खैर, तंदुरुस्त रहो.(पीता है.)
तिमाफेयेव: नम्रता से धन्यवाद देता हूँ. (पीता है.)
इवान: तुम्हारा नाम क्या है, जादूगर?
तिमोफेयेव : मेरा नाम तिमाफेयेव है.
इवान: राजकुमार?
तिमाफेयेव : कहाँ का राजकुमार! हमारे यहाँ पूरे मॉस्को के लिए एक ही राजकुमार है, और वह ज़ोर देकर कहता है, कि वह गाड़ीवान का बेटा है.
इवान: आह, कमीना!
तिमाफेयेव: नहीं, जैसे ही सोचता हूँ, कि वे वहां हैं, पगला रहा हूँ!...पी लीजिये. हैम का टुकड़ा खाईये.
इवान: आज तो उपवास का दिन है...
तिमाफेयेव: अच्छा, स्प्रैट्स के साथ.
इवान: क्या हाउसकीपर ने वोद्का बनाई थी ?
तिमोफेयेव: खैर, चलो, हाउसकीपर ही सही...बड़ी देर तक समझाना पडेगा...
इवान: तो, लगता है, तुमने ऐसी मशीन बनाई है? ओह-हो-हो!...मेरे यहाँ भी एक था ऐसा ही...पंख बनाए थे...
तिमोफेयेव: तो फिर?...
इवान: मैंने उसे बारूद की बैरल पर बिठा दिया, उड़ने दो!...
तिमाफेयेव: मगर आप इतने शांत क्यों है?
इवान: तुम, शायद यहाँ रहते हो? इमारतें तो बहुत छोटी हैं.
तिमाफेयेव: हाँ, इमारतें महत्वपूर्ण नहीं हैं.
इवान: और तेरी राजकुमारी कहाँ है? क्या चर्च गई है?
तिमाफेयेव : मुझे ऐसा नहीं लगता. मेरी राजकुमारी अपने प्रेमी याकिन के साथ आज कव्काज़ भाग गयी.
इवान: झूठ बोलते है!
तिमाफेयेव: खुदा की कसम!
इवान: उन्हें पकड़ लेंगे? जैसे ही पकड़े जायेंगे, याकिन को खंभे से लटकाना होगा. ये है पहला काम...
तिमाफेयेव: नहीं, किसलिए? नहीं...वे एक दूसरे से प्यार करते हैं, तो चलो, खुश रहें.
इवान: ये भी सही है. तू दयालु आदमी है. आह, माय गॉड! मैं यहाँ बैठा हूँ...और श्वेदों ने क्येम पर कब्ज़ा कर लिया है! राजकुमार, चाभी ढूंढ! मुझे वापस भेज दे!
तिमाफेयेव: आप समझ रहे हैं, मैं खुद ही अभी भागकर बढ़ई के पास जाता, मगर घर में बिलकुल भी पैसे नहीं है, सब बीबी को दे दिए.
इवान: क्या? पैसे? (जेब से सोने का सिक्का निकालता है.)
तिमाफेयेव: सोना? बाख गए! मैं अभी ज्वेलर की दूकान पर जाता हूँ, फिर बढ़ई के पास, वह चाभी बना देगा, हम यंत्र को खोल देंगे.
इवान: मैं तुम्हारे साथ आऊँगा.
तिमाफेयेव: रास्ते पर? ओह, नहीं, इवान वसिल्येविच, ये नामुमकिन है! आप यहाँ रुकिए और किसी भी तरह खुद को ज़ाहिर न कीजिये. मैं आपको बंद भी कर दूँगा, और अगर कोई खटखटाए, तो दरवाज़ा मत खोलना. मगर कोई नहीं आ सकता। याकिन का शुक्रिया, कि बीबी को ले गया...मतलब, मेरा इंतज़ार कीजिये, चुपचाप बैठे रहिये.
इवान: ओह, गॉड!...
तिमाफेयेव: एक घंटे बाद मैं वापस आ जाऊंगा. चुपचाप बैठिये!
(तिमाफेयेव अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करके चला जाता है. इवान अकेला है, कमरे की चीज़ों का निरीक्षण करता है. रास्ते पर कार का शोर सुनाई देता है. इवान सावधानीपूर्वक खिड़की से बाहर झांकता है, उछल कर पीछे हटाता है. वोद्का पीता है.
इवान (हौले-हौले गुनगुनाता है). महान पाप किये हैं मैंने...माफ़ करना मुझे, खुदा...माफ़ करना मॉस्को के आश्चर्यजनक कार्यकर्ताओं...
(दरवाज़े पर खटखट होती है. इवान काँप जाता है, दरवाज़े पर सलीब का निशान बनाता है, खटखट रुक जाती है.)
उल्याना (दरवाज़े के पीछे से) कॉम्रेड तिमाफेयेव, माफ़ करना कि आपके पारिवारिक नाटक के बीच आपको परेशान करने की जुर्रत कर रही हूँ. ..इवान वसिल्येविच तो नहीं आये आपके पास? उसे पूरी बिल्डिंग में ढूंढ रहे हैं. कॉम्रेड तिमाफेयेव आपको चुप रहने का अधिकार नहीं है! आप, कॉम्रेड तिमाफेयेव, असभ्य व्यक्ति हैं!
( इवान दरवाज़े पर सलीब का निशान बनाता है, और उल्याना की आवाज़ गायब हो जाती है.)
इवान: जीवनदाता सलीब क्या-क्या करता है! (वोद्का पीता है.)
(अंतराल.
फिर दरवाज़े में चाभी घूमती है. इवान दरवाज़े पर सलीब का निशान बनाता है, मगर इससे फ़ायदा नहीं होता. तब इवान परदे के पीछे छुप जाता है. दरवाज़ा खुलता है और ज़िनाइदा अन्दर आती है. अपनी सूटकेस फेंकती है. वह परेशान है.)
जीनाइदा: कैसा कमीना है! सब कुछ बर्बाद हो गया! और मैंने...मैंने यह सब कुछ इस पवित्र इंसान को क्यों बता दिया?...(मेज़ की तरफ़ देखती है.) खैर, बेशक, दुःख के मारे पीता रहा!...खूब पीता रहा... और ग्रामोफ़ोन...ग्रामोफ़ोन कहाँ से आया? अच्छा ग्रामोफ़ोन है...कोका, क्या तुम नहीं हो? कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है!...यहाँ कोई हंगामा तो ज़रूर हुआ है...वह, शायदा, वोद्का लेने गया है...किसके साथ पी रहा था? (पैकेट खोलती है.) पतलून! कुछ भी समझ नहीं पा रही हूँ! (ग्रामोफ़ोन शुरू करती है, आह भरती है.)
(इवान परदे के पीछे, दरार की ओर झुकता है.)
और फ़िर से यहाँ...बेहद बेशर्म तरीके से धोखा खाई हुई...
(कुछ देर बाद सामने के दरवाज़े पर घंटी बजती है. ज़िनाइदा प्रवेश कक्ष में जाती है, दरवाज़ा खोलती है. याकिन अन्दर आता है, टोपी और घुटनों तक लम्बी पतलून में, दाढ़ी वाला, जो उसकी ठोढी के नीचे से निकल रही है.)
याकिन: जीना, ये मैं हूँ.
ज़िनाइदा: क्या? ये आप हैं? भाग जाओ! (तिमाफ़ेयेव के कमरे में चली जाती है.)
याकिन: (दरवाज़े के पास): ज़िनाइदा मिखैलाव्ना, क्या आप अकेली हैं? दरवाज़ा खोलिए, विनती करता हूँ!
ज़िनाइदा: मैं सिद्धांत रूप से बदमाशों के लिए दरवाज़ा नहीं खोलती.
याकिन: ज़ीना! विनती करता हूँ, जीना, मैं अभी तुम्हें सब कुछ समझाऊंगा. ज़ीना, मेरी बात सुनो.
(ज़िनाइदा दरवाज़ा खोलती है.)
(तिमाफेयेव के कमरे में आते हुए.) ज़ीनच्का, क्या हुआ? तुम भाग क्यों गईं? मैं समझ नहीं पा रहा हूँ...
ज़िनाइदा : कार्प सवेल्येविच, आप बदमाश हैं!
याकिन: गॉड, ये कैसे शब्द हैं! ज़ीनच्का, ये ग़लतफ़हमी हुई है, फिल्म इंडस्ट्री की कसम खाता हूँ!
ज़िनाइदा: ग़लतफ़हमी...वो समझायेगा!... मैं पति को छोड़ देती हूँ, ये पवित्र आदमी अब खतरनाक ढंग से पी रहा है, मैं ख़ूबसूरत घर छोड़ देती हूँ, उस आदमी से जुदा होती हूँ, जिसने मेरे लिए प्रार्थना की, मेरे ऐशोआराम का ख़याल रखा... शानदार आविष्कारक!...इस कमीने के पास जाती हूँ, और...
याकिन: ज़ीना, ये कैसे शब्द हैं!...
ज़िनाइदा: अभी तो आपने असली शब्द सुने ही नहीं हैं! और हमारे जाने से दो घंटे पहले, मुझे उसके घर में एक अनजान औरत मिलती है...
याकिन: ज़ीना!...
जिसका हाथ उसने नज़ाकत से पकड़ा हुआ है!...
याकिन: ज़ीनच्का, मैं उसके साथ दृश्य की रिहर्सल कर रहा था! ये मेरी व्यावसायिक ज़िम्मेदारी है!
ज़िनाइदा : कुहनियाँ पकड़ के? नहीं, कुहनियाँ पकड़ के, आप जवाब दीजिये!(याकिन को थप्पड़ मारती है.)
याकिन: ज़िनाइदा मिखाइलव्ना! दोस्तों, ये क्या हो रहा है?!
ज़िनाइदा : भाग जाओ!
याकिन: ज़िनाइदा, बात को समझो, ये तो एक प्रकरण है! वह तो चपटी नाक वाली है!
ज़िनाइदा: क्या? वह फिल्म में काम करेगी?
याकिन: छोटी सी भूमिका...बहुत छोटा, बेहद नन्हा प्रकरण! मैं चपटी नाक वाली के बिना शूटिंग नहीं कर सकता! और फ़िर, फरमाइये, आपने मुझे मारा! डाइरेक्टर को?!
ज़िनाइदा: आप शूटिंग कीजिए, चपटी नाक वालों की, बिना नाक वालों की, जिसकी चाहें उसकी!...मेरे साथ बहुत हो चुका! मैं कसोय के पास जा रही हूँ, ‘बरीस गदुनोव’ की प्रस्तुति में!
याकिन: कसोय – लापरवाह है! उसकी कोई प्रस्तुति-विस्तुति नहीं होने वाली!
ज़िनाइदा: माफ़ कीजिये, प्रस्तुति निश्चित हो चुकी है! मैं राजकुमारी की भूमिका करने वाली हूँ! मुझे अब गागरा में आपके ‘गोल्डन एपल्स’ में कोई दिलचस्पी नहीं है.
याकिन: समझने की कोशिश करो, की उसके पास ‘इवान ग्रोज़्नी’ की भूमिका के लिए कोइ कलाकार नहीं है. पूरी फिल्म डिब्बों में बंद हो जायेगी, और तब तुम मुझे याद करोगी, ज़िनाइदा!
ज़िनाइदा: इवान नहीं है? माफ़ कीजिये, मैंने उसके साथ रिहर्सल की है.
याकिन: आपने कहाँ रिहर्सल की थी?
ज़िनाइदा: यहीं, अपने क्वार्टर में...और जब हम उस दृश्य पर पहुंचे, जब बरीस को त्सार घोषित किया जाता है, कसोय, जो एक कठोर आदमी है, रोने लगा, बिल्कुल छोटे बच्चे की तरह!...
मेरी पीठ के पीछे रिहर्सल करना? ये गद्दारी है, ज़िनाइदा! सम्राट बरीस की भूमिका कौन कर रहा है? कौन?
इवान: परदे के पीछे से बाहर आते हुए): कौन से सम्राट-बरीस का? बरीस्का का?!
(ज़िनाइदा और याकिन स्तब्ध हो जाते हैं.)
यहाँ आओ, प्यारे!
ज़िनाइदा : या खुदा, ये क्या है?!
याकिन: क्या, आप सचमुच में रिहर्सल कर रही हैं? माय गॉड, कैसा नमूना है!
ज़िनैदा: ये आखिर है कौन?
इवान: बरीस को सम्राट के पद पर?...तो, उस बदमाश ने, त्सार को अच्छाई का बदला बेहद निकृष्ट तरीके से दिया! खुद ही शासन करना और हर चीज़ पर कब्ज़ा करना चाहता था!...सजाए मौत का दोषी!
याकिन: शाबाश!
ज़िनाइदा: माय गॉड...याकिन, मुझे समझाइये, याकिन, मुझे छुपा दो!...
इवान: खैर, ठीक है! बरीस जल्लाद से बाद में बात करेगा! (याकिन से). तूने राजकुमारी का अपमान क्यों किया, गंवार?
याकिन: लाजवाब! अद्भुत! अभूतपूर्व!...मैं आपको मेकअप में पहचान नहीं पाया. आप कौन हैं?
मुझे अपना परिचय कराने की इजाज़त दें: कारप याकिन. बीस हज़ार, और कल नौ बजे फैक्टरी आपके साथ कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत करेगी। पेश करूंगा मैं। आपका कुलनाम क्या है?
इवान: आह, तू आवारा! खतरनाक फोड़े!
याकिन: शाबाश! ज़िनाइदा, तुमने यह बात मुझसे छुपाई कैसे?
(इवान याकिन को डंडे से मारता है.)
माफ़ कीजिये!! आप, क्या पागल हो गए हैं?...बस हो गया!...
इवान: घुटनों के बल, कीड़े! (याकिन को दाढ़ी से पकड़ता है.)
याकिन: ये तो सारी हदें पार कर रहा है! ये गुंडागर्दी है!
ज़िनाइदा: ज़ाहिर है, मैं तो पागल हो गयी...आप हैं कौन? कौन हैं आप?
इवान : राजकुमार तिमाफेयेव, मेरे पास! गुनाहगार को पकड़ लिया है, कुत्ते के पिल्ले याकिन को!
याकिन: मदद करो!...नागरिकों!...कोई है...
ज़िनाइदा: मदद कीजिये! ये कौन है?! डाकू! क्वार्टर में डाकू है!
(प्रवेश कक्ष में श्पाक प्रकट होता है, ध्यान से चीखें सुनता है.)
आह, नहीं! माय गॉड, मैं समझ गयी! ये वास्तविक त्सार है! ये कोका अपने प्रयोग में सफल हो गया! (इवान से.) विनती करती हूँ, उसे छोड़ दीजिये!
इवान: (कफ़्तान के भीतर से चाकू निकालता है, चिल्लाकर याकिन से कहता है). प्रार्थना कर ले, पाईक की औलाद! (पाईक – एक तरह की मछली – अनु.)
(श्पाक दरवाज़े में झांकता है.)
ज़िंदगी या मौत, राजकुमारी से पूछ?
याकिन (भर्राता है). ज़िंदगी...
इवान : उठ, कमीने!
याकिन: ये सब क्या है, मैं आपसे पूछ सकता हूँ? (श्पाक से). नागरिक, मुझे डाकू से बचाइये!
श्पाक: क्या आप रिहर्सल कर रही हैं, ज़िनाइदा मिखाइलव्ना?
ज़िनाइदा ; रिह..रिहर्सल कर रहे हैं...
याकिन: ये कैसी रिह...नागरिक!
इवान: क्या?...हाथ चूम! तुझे सिखाया था, न, कमीने!
याकिन: हाथ? मैं नहीं चाह...अभी, अभी...(इवान का हाथ चूमता है.)
ज़िनाइदा: आपसे विनती करती हूँ, बैठ जाइए!
(इवान बैठ जाता है.)
श्पाक: कितना नैसर्गिक अभिनय है! कैसा ख़ास त्सार है, हमारे बुन्शा जैसा दीखता है. सिर्फ उसका चेहरा ज़्यादा बेवकूफ़ है. मुझे पूरी तरह लूट लिया, ज़िनाइदा मिखाइलव्ना!
(आंसुओं से नहा जाता है.)
(याकिन छुपने की कोशिश करता है.)
इवान: कहाँ?
याकिन: मैं यहीं हूँ, मैं यहीं हूँ...
ज़िनाइदा (श्पाक से). रुको, मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है. कैसे लूट लिया?
श्पाक: पूरी तरह, ज़िनाइदा मिखाइलव्ना! मैं माफ़ी चाहता हूँ, नागरिकों, क्या किसीने सीढ़ियों पर थैलियों के साथ बल्शोय थियेटर की गोरी महिला को देखा? उसीने यह सबी किया है...कैसी है हमारी बिल्डिंग, ज़िनाइदा मिखाइलव्ना!
इवान: क्या अफ़सोस कर रहे हो, भले अदामी?
श्पाक: कलाकार महोदय, अफ़सोस कैसे न करूँ ?...
इवान: क्या-क्या ले गए तुम्हारे घर से?
श्पाक: ग्रामोफोन, पोर्टसिगार, लाइटर, घड़ी, बंद गले का कोट, सूट, हैट...सब कुछ जो कड़ी मेहनत से कमाया था, सब ख़त्म हो गया!... (रोता है.)
इवान: तू किसका है?
श्पाक: माफ़ी चाहता हूँ, ये क्या है – किसका, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ?
इवान: किसका गुलाम है, पूछ रहा हूँ?
ज़िनाइदा : माय गॉड, अब क्या होगा!...
श्पाक: काफ़ी अजीब है!
इवान (सिक्का निकालकर): ये ले, गुलाम, और त्सार तथा महान राजकुमार इवान वसिल्येविच के गुण गा!...
ज़िनाइदा: इसकी ज़रुरत नहीं है, आप कर क्या रहे हैं?!
श्पाक: माफ़ी चाहता हूँ, ये आप गुलाम, गुलाम क्या कहे जा रहे हैं! मैं कैसे आपका गुलाम हो गया? ये कैसा लब्ज़ है?
ज़िनाइदा : वो मज़ाक कर रहा था!
श्पाक: ऐसे मजाकों के लिए लोक-अदालत में पहुँच जायेंगे. नहीं चाहिए मुझे आपका सिक्का, ये असली नहीं है.
इवान: तू, धूर्त कमीने, क्या त्सार के उपहार से इनकार कर रहा है?
इवान: ये वह भूमिका से, भूमिका से...
श्पाक: ये भूमिका अपमानजनक है, और मैं विनती करता हूँ, कि उसे मुझ पर न आज़माएँ. अच्छा, फिर मिलेंगे, ज़िनाइदा मिखाइलव्ना, और मैं यहाँ आकर खुश नहीं हूँ. इवान वसिल्येविच कहाँ है? मैं चाहता हूँ, की वो मेरे क्वार्टर में हुई भयानक चोरी का गवाह बने...
(चला जाता है.)
ज़िनाइदा : मेरी बात सुनिए. कार्प, विनती करती हूँ, कि शान्ति से सुनें. ये सचमुच का इवान ग्रोज़्नी है...आंखें मत झपकाओ....
याकिन: आपका घर, ज़िनाइदा, पागलखाना है!...
ज़िनाइदा : नहीं ये कोका का काम है. मैंने आपको उसकी मशीन के बारे में बताया था...कि वह या तो भूतकाल को, या भविष्य काल को जगाना चाहता है...ये उसने भूतकाल के तसार को बुलाया है.
याकिन: बकवास!
ज़िनाइदा: मैं खुद भी पागलपन की हद तक पहुँच चुकी हूँ.
याकिन: (गौर से इवान को देखने के बाद). कॉम्रेड्स , ये सब क्या है?...(ज़िनाइदा से.) क्या? क्या? आप सच कह रही हैं?
ज़िनाइदा : कसम खाती हूँ!
याकिन: माफ़ कीजिये! हमारे समय में, मॉस्को में!।। नहीं ये।। वह तो मर चुका है!
इवान: कौन मर गया है?
याकिन: मैं...मैं आपके बारे में नहीं कह रहा हूँ...ये दूसरा है, जो मर गया है...जो...डॉक्टर को बुलाओ! ...मैं, शायद, पागल हो गया हूँ...ये मुझे चाकू भी घोंप सकता था!
इवान: यहाँ आओ! यहाँ आओ और जवाब दो! अगर तू ...
याकिन: मैं हूँ...विनती करता हूँ, चाकू न पकडिये!...मैं सो रहा हूँ..ज़िनाइदा. कहीं फोन करो, मुझे बचाओ! ये मेरे पीछे क्यों पड़ा है? तुम्हारा पति कहाँ है? उससे कहो, कि इसे हटाये!
इवान: क्या तूने राजकुमारी को फुसलाया है?
याकिन: मैं...मैं...मेरी ज़िंदगी...
इवान: बदबूदार कुत्ते! कैसी ज़िंदगी है?! तुम ज़रा अपने आप को देखो! ओह, गुसैल आदमी! शैतान ने तुझे सिखाया है देर तक सोना, खुमार के साथ सोना, नशे की वजह से सिरदर्द और अन्य अनेक अथाह और अनदेखी!...
याकिन: गया काम से! ज़िनाइदा, मुझे स्लाविक में कुछ समझाओ!...आपके पति को ऐसे प्रयोग करने का कोई अधिकार नहीं है!! (इवान से). बार बार , बार बार...वे ही फ़रिश्ते! महामहिम, दया करो!
इवान: पश्चात्ताप कर, तू लंपट फोड़े!
ज़िनाइदा: सिर्फ उसे मत मारो! याकिन. मुझे अफ़सोस है!...
इवान: अपना कमीना सिर झुकाओ और फुसलाई हुई राजकुमारी के पवित्र चरणों पर रखो...
याकिन: खुशी से. आप मुझे समझे नहीं!!! नहीं समझे!...
इवान: कैसे तुझे समझूं, जब तुम कुछ कह ही नहीं रहे हो!
याकिन: भाषाओं में कमजोर हूँ, महानुभाव!...क्या ये सपना है या सच?...
इवान: तेरे पास वो कौन चपटी नाक वाली बैठी थी?
याकिन: ये फिल्म का एक प्रसंग था, फिल्म-फैक्ट्री की कसम खाता हूँ! ज़िनाइदा मिखाइलव्ना समझी नहीं!
इवान: क्या राजकुमारी से प्यार करते हो?
याकिन: पागलपन की हद तक प्यार करता हूँ!...
इवान: उससे कोई कैसे प्यार नहीं करेगा? राजकुमारी बेपनाह ख़ूबसूरत है, बहुत गोरी है, होंठ लाल-लाल, भौंहे जुड़ी हुई, जिस्म भरापूरा...तुझे और क्या चाहिए, कुत्ते?!
याकिन: कुछ नहीं चाहिए!...कुछ भी नहीं!
इवान: तू शादी कर, डरपोक! राजकुमार उसे आज़ाद करता है.
याकिन: आपका हाथ मांगता हूँ, ज़ीना!
ज़िनाइदा: इस बार तो तुम मुझे धोखा नहीं दोगे, कार्प? मुझे कितनी ही बार धोखा दिया गया...
याकिन: फिल्म फैक्ट्री की कसम खाता हूँ!
इवान: महान संत सिर्गेई रदानेझ्स्की की कसम खा!
याकिन: कसम खाता हूँ सिर्गेई महान रादानेझ्स्की की!
इवान: तो, सुन, पापी दढ़ियल! अगर मुझे तेरे बारे में कोई बुरी बात पता चली...तो मैं तुझे...मैं...
याकिन: सिर्गेई की कसम खाता हूँ...
इवान: त्सार की बात मत काट! क्योंकि तुम्हारे पास कोई जायदाद नहीं है, तो तुझे कस्त्रोमा में एक जायदाद देता हूँ.
याकिन: (ज़िनाइदा से.) एक और मिनट यहाँ, और मुझे पागलखाने ले जायेंगे!...
फ़ौरन यहाँ से जायेंगे?...कहीं भी!...मुझे ले चलो!...
ज़िनाइदा: प्रिय तसार, हमारी ट्रेन का समय हो गया है.
इवान: शुभ यात्रा!
ज़िनाइदा (इवान से): माफ़ कीजिये, कि आपको परेशान कर रही हूँ...मैं समझ नहीं पा रही हूँ, कि कोका ने कैसे अंदाज़ नहीं लगाया...आपको इस वेष में यहाँ नहीं रहना चाहिए...लोग आपको देख लेंगे...
इवान: ओह, खुदा, सर्वशक्तिमान!...मैं तो भूल ही गया कि मैं कहाँ हूँ...मैं भूल गया!...
ज़िनाइदा (मिलास्लाव्स्की का सूट लाती है): आप गुस्सा न करें. मैं आपको कपड़े बदलने की सलाह देती हूँ. समझ में नहीं आ रहा कि यह चीथड़े कहाँ से आते हैं? कार्प, इनकी मदद करो.
याकिन: इजाज़त दीजिये, मैं आपकी मदद करूंगा. परदे के पीछे आ जाइए.
इवान: ओह, शैतानी ड्रेस!...ओह, परीक्षा है!...
(इवान और याकिन परदे के पीछे जाते हैं.)
ज़िनाइदा : तब तक मैं निकलाय इवानाविच को एक ‘नोट’ लिख देती हूँ. (लिखती है.)
याकिन: (परदे के पीछे): क्या आपके पास पतलून बांधने के फ़ीते नहीं हैं?
इवान (परदे के पीछे): इससे बाहर रहो!
याकिन : जी, सुन रहा हूँ...
ज़िनाइदा (पढ़ती है): “कोका! मैं वापस आ गयी, मगर फिर से जा रही हूँ. उसने याकिन को करीब-करीब काट ही दिया था, उसने प्रस्ताव रखा है. मेरा नाम न हटाना...ज़ीना”.
(इवान मिलास्लाव्स्की के सूट में परदे के पीछे से बाहर आता है. उदास है.)
“ये बात ही और है! खुदा, हमारे बुन्शा से कितना मिलता जुलता है! सिर्फ चश्मे की कमी है...
याकिन: यहाँ चश्मे पड़े है...
ज़िनाइदा: मैं बेहद अनुरोध करती हूँ, कि चश्मा पहन लीजिये. (इवान को चश्मा पहना देती है.)
बिल्कुल वैसे ही!
इवान (आईने में देखकर): छि:
ज़िनाइदा : खैर, आपको धन्यवाद देने की इजाज़त दीजिये...आप बेहद तुनकमिज़ाज हैं!
इवान: क्या मुझे यहाँ रुकना है? ओह, खुदा!...ये कैसा तो मंत्रमुग्ध बाजा बज रहा है?
याकिन: ये, कृपया देखिये, ग्रामोफ़ोन है...
इवान: तुमसे कोई नहीं पूछ रहा है.
याकिन : ख़ामोश रहूँगा...सुन रहा हूँ...
ज़िनाइदा: बहुत आसान है, सुई यहाँ, और इसे घुमा दीजिये.
(ग्रामोफ़ोन बज रहा है.)
dएखिये...आप बैठे हैं और चला रहे हैं. और कोका वापस आयेगा, और वह आपकी मदद करेगा.
याकिन: ये सब क्या है?...मेरे विचार गड़बड़ा रहे हैं ...ग्रामोफ़ोन...कोका...इवान ग्रोज़्नी...
ज़िनाइदा: परेशान होना बंद करो! ठीक है, इवान, ठीक है, ग्रोज़्नी. तो, इसमें ख़ास बात क्या है?...अच्छा , फिर मिलेंगे!
याकिन: आपके सामने शीश झुकाने का सम्मान प्राप्त हुआ!
इवान: क्या दूर जाना है?
ज़िनाइदा: ओह, हाँ!
इवान (याकिन से): त्सार के कंधे से चोगा देता हूँ.
याकिन: आखिर किसलिए?
ज़िनाइदा : आह, उसका विरोध मत करो?
याकिन: अच्छा, अच्छा...( चोगा पहन लेता है.)
(ज़िनाइदा सूटकेस उठाती है और याकिन के साथ बाहर चली जाती है.)
ज़िनाइदा (प्रवेश कक्ष में) : फिर भी मैं खुशनसीब हूँ! मेरा चुम्बन लो!
याकिन: बकवास!! बकवास!! बकवास!! सिर्गेई रदानेझ्स्की की कसम खाता हूँ!...चोगा फेंक देता है एयर ज़िनाइदा के साथ चला जाता है.)
(इवान अकेला है, ग्रामोफोन के पास आता है, और उसे शुरू करता है. वोद्का पीता है. कुछ समय बाद टेलिफ़ोन बजता है. इवान फ़ोन के पास आता है, देर तक रिसीवर का निरीक्षण करता है, फिर उसे उठाता है. उसके चहरे पर भय है.)
इवान (रिसीवर में): तू कहाँ बैठा है? (मेज़ के नीचे झांकता है, सलीब का निशान बनाता है.)
उल्याना (प्रवेश कक्ष में): कोई है? इवान वसिल्येविच को तो नहीं देखा?
(तिमाफ़ेयेव के दरवाज़े पर दस्तक देती है, फिर अन्दर आती है.) आदाब अर्ज़ है, प्लीज़! उसे पूरी बिल्डिंग ढूंढ रही है, प्लंबर्स आये और चले गए...बीबी, बेवकूफ़ की तरह हैरिंग के लिए दूकान में गयी है, और वह दूसरों के कमरे में बैठा है और पी रहा है!...तू, क्या पगला गया है? श्पाक के यहाँ चोरी हो गयी. श्पाक आँगन में भटक रहा है, तुम्हें ढूंढ रहा है, और वो यहाँ है! तू चुप क्यों है? दोस्तों, ये तूने क्या पहना है?
(इवान, मुड़ कर ग्रामोफ़ोन चालू करता है.)
अरे, ये सब क्या है? क्या आपने कभी ऐसी बात देखी है? ये पगला गया है? दोस्तों, हाँ, उसकी पतलून में पीछे छेद है!...तूने क्या झगड़ा किया था, किससे? तू मुँह क्यों फेर रहा है? नहीं, तू अपनी ज़खम तो दिखा!
(इवान मुड़ता है.)
प्यारों, दुलारों!...ये तू किसके जैसा है? हाँ, तू नशे में धुत् हो गया है! तुझे तो पहचानना ही नामुमकिन है!
इवान: बेहतर है, तू यहाँ से चली जा. आँ?
उल्याना: ये क्या बात है – चली जा? तू आईने में अपनी सूरत तो देख!...आईने में तो देख!
इवान: मुझे अकेला छोड़ दे, बुढ़िया, मैं बड़ा दुखी हूँ...
उल्याना: बुढ़िया?! तेरी जुबान फिसली कैसे, बदमाश? मैं तुझसे पाँच साल छोटी हूँ!
इवान: ये तो तुम झूठ कह रही हो...मुझे बूझ कर बताओ, बुधिया, स्वेड्स (स्वीडनवासी) के बारे में बूझकर बताओ.
उल्याना: अरे, ये सब क्या है?
(श्पाक प्रवेशकक्ष में प्रकट होता है, फिर वह कमरे में आता है.)
श्पाक: वह है कहाँ? इवान वसिल्येविच, आप कैसे प्रबंधक झें? आप देखिये, मेरे कमरे का क्या हाल बना रखा है!
उल्याना: नहीं, आप इस प्यारे पर ज़रा नज़र डालिए!...वह नशे में धुत है, वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता!
श्पाक: क्या प्रबंधक है! आदमी का अंतिम धागा तक लूट लिया गया है, और वह ‘माउन्टेन दुब्न्याक’ पी रहा है!...आर्टिस्ट ने मुझे लूट लिया!...
इवान: तू फिर से यहाँ आ गया? तूने मुझे बेज़ार कर दिया है!
श्पाक: ये कैसे शब्द हैं – बेज़ार कर दिया? हमें ऐसे बिल्डिंग प्रबंधक की ज़रुरत नहीं है!...
उल्याना: होश में आ, डाकू! तुझे नौकरी से निकाल देंगे!
इवान: ऐ, तू चुड़ैल! (उल्याना से हैरिंग छीनता है और उन्हें प्रवेशकक्ष में फेंक देता है.)
उल्याना: गुण्डे, बदमाश!
इवान (छड़ी लेता है): ओह, अभी तुझे सबक सिखाता हूँ!
उल्याना: मदद कीजिये!...पति पढी लिखी महिला को मार रहा है!...(प्रवेश द्वार से बाहर भाग जाती है.)
(श्पाक हैरान है.)
श्पाक: इवान वसिल्येविच, आप शांत हो जाईये...खैर, एक उदास आदमी ने बहुत ज़्यादा पी ली...मैं पूरी तरह से समझता हूँ. मगर मुझे ये नहीं मालूम था कि आप ऐसे हैं! मैं सोचता था कि आप शांत स्वभाव के हैं..और, स्वीकार करता हूँ, उसके जूते की नोक के नीचे हैं...मगर आप – बाज़ हैं!
इवान: चुड़ैल!...
श्पाक : सच कहूं तो, हाँ. आप सही हैं. ये तो अच्छी बात है कि आप उसे इस तरह ... आप उससे ज़्यादा सख्ती से ...मैं आपके पास काम से आया हूँ, इवान वसिल्येविच.
इवान : तुझे क्या चाहिए?
श्पाक : ये रही चोरी की गई चीज़ों की लिस्ट, आदरणीय कॉम्रेड बुन्शा. विनती करता हूँ कि कृपया गवाही दें... चोरी हुए हैं दो सूट, दो ओवरकोट, दो घड़ियाँ, दो पोर्टसिगार, इसमें लिखा है...(कागज़ देता है.)
इवान: त्सार को याचिका कैसे पेश करता है? (कागज़ फाड़ देता है.)
श्पाक: इवान वसिल्येविच...आप नशे में धुत् हैं, मैं समझ रहा हूँ...आप सिर्फ गुंडागिरी न करें...
इवान: तूने मुझे बेज़ार कर दिया है! क्या चुराया है तेरा, बोल!
श्पाक : दो ग्रा...मतलब एक ग्रामोफोन...
इवान: चल, ये ग्रामोफोन उठा. अपना गला दबा ले. बेज़ार कर दिया.
श्पाक: माफ़ कीजिये, ऐसे कैसे...ये तो किसी और का है...बिल्कुल मेरे ग्रामोफोन जैसा...और वैसे, खैर, मेहेरबानी कीजिये!...और बाकी चीज़ों का क्या? दस्तखत तो करने होंगे...
इवान: अरे, मैंने तुझे सिक्का नहीं दिया क्या? तूने नहीं लिया? अस्सल बेवकूफ!...
श्पाक: कितना नशे में है! कैसा सिक्का? आपने मुझे कोई पैसे नहीं दिए. आप होश में आइये, इवान वसिल्येविच...हम आपके खिलाफ सामूहिक शिकायत दर्ज करेंगे!
इवान: देखता हूँ, कि तुम नहीं मानोगे...आपको क्या, वाकई में शैतानों ने दबोच लिया है?...(चाकू बाहर निकालता है.)
श्पाक: बचाओ!...प्रबंधक किरायेदार को काट रहा है!...
(तिमाफेयेव भागते हुए प्रवेश कक्ष में आता है, फिर कमरे में.)
तिमाफेयेव: ये क्या हो रहा है? वह कहाँ है? आपको किसने दूसरे कपड़े पहनाये? आपने इसे कैसे अन्दर आने दिया?...मैंने तो आपसे कहा था, की दरवाज़ा ना खोलें!...
श्पाक: आप देखिये, निकलाय इवानाविच, हमारी बिल्डिंग के प्रबंधक को!...चौकीदार!...मैं पुलिस में जाता हूँ!...
तिमाफेयेव (इवान से): रुक जाइए, नहीं तो हम दोनों मर जायेंगे!
(इवान चाकू छिपा लेता है.)
श्पाक (प्रवेश कक्ष की ओर लपकते हुए). मैं फ़ौरन पुलिस में जा रहा हूँ!...
इवान: राजकुमार!...तू उसे लात मार के सीढ़ियों से धकेल दे!...
तिमाफेयेव (श्पाक के पीछे प्रवेश कक्ष में भागता है). आपसे विनती करता हूँ, रुक जाइए!...ये बुन्शा नहीं है!...
श्पाक: कैसे बुन्शा नहीं है?
तिमाफेयेव: ये इवान ग्रोज़्नी है... सचमुच के तसार...रुको, रुको...मैं सामान्य हूँ...विनती करता हूँ, पुलिस में जा जाइए!...ये मेरा प्रयोग है, मेरी टाईम-मशीन! मैंने उसे बुलाया है...मैं आपसे भद खोलता हूँ, आप सलीके वाले आदमी हैं...मेरे प्रयोग को बर्बाद न करें. लफड़ा करने से सब कुछ ख़त्म हो जाएगा. मैं उसे अभी दूर करता हूँ...सिर्फ चाभी का नाप देख लूं, ये रही चाभी...खाओश रहने का वादा करते हैं? सम्मानजनक वादा कीजिये!
श्पाक: माफ़ कीजिये, तो ये त्सार है?
तिमाफेयेव: त्सार है...
श्पाक: क्या हो रहा है!
तिमाफेयेव: खामोश रहिये, बाद में सब कुछ समझ में आ जाएगा, बाद में...वादा कीजिये, कि एक भी आदमी को...
श्पाक: ईमानदारी का सम्मानजनक वादा.
तिमाफेयेव: अच्छा, धन्यवाद, धन्यवाद.(अपने कमरे में भाग जाता है. इवान से.) आपने दरवाज़ा क्यों खोला? मैंने तो आपसे विनती की थी, कि दरवाज़ा न खोलें!
(श्पाक चाभी के छेद से चिपक जाता है.)
इवान: तूने उसके थोबड़े पे मुक्का क्यों नहीं मारा?
तिमाफेयेव: आप भी ना, इवान वसिल्येविच, खुदा के लिए किसी के भी चहरे पर मुक्का नहीं मारना चाहिए!...धीरे, धीरे! ये रही चाभी. अभी नापते हैं. (चाभी घुसाने की कोशिश करता है. हाथ थरथराते हैं.) आह, शैतान ले जाए, थोड़ी बड़ी है...खैर, ठीक है, अभी घिसते हैं...
(यंत्र के बटन दबाता है.)
(तिमाफेयेव का कमरा अँधेरे में डूब जाता है. श्पाक का कमरा रोशन हो जाता है. श्पाक अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर लेता है.)
श्पाक: सिक्का तो, शायद, असली था!...एख-एख-एख!...
(फोन पर फुसफुसाते हुए बात करता है.)
पुलिस. क्या ये पुलिस है? आज जिसे लूट लिया गया, वो श्पाक बोल रहा हूँ.
श्पाक: नहीं, नाराज़ न होईये, मैं चोरी के बारे में नहीं कह रहा हूँ. हमारे यहाँ दूसरा ही गज़ब का काण्ड हो रहा है...इंजीनियर तिमाफेयेव ने इवान ग्रोज़्नी को अपने क्वार्टर में बुलाया है, त्सार को...मैं नशे में नहीं हूँ...डंडे के साथ...क्या हो रहा है! अपना सम्मानजनक शब्द देता हूँ! अच्छा, मैं खुद ही भाग कर आपके पास आता हूँ, खुद ही भागकर आता हूँ!...
अन्धेरा
परदा गिरता है.
अंक – 3
(घंटी. अन्धेरा. इवान के कमरे में रोशनी है. बुन्शा और मिलास्लाव्स्की उड़ते हुए कमरे में आते हैं.
मिलास्लाव्स्की : इन प्रयोगों के साथ शैतान तुम्हें ले जाए! ये ऐसा, ऐसा है!
बुन्शा (दीवार की तरफ़ उछलते हुए). कॉम्रेड तिमाफेयेव! कॉम्रेड तिमाफेयेव! बिल्डिंग के प्रबंधक की हैसियत से मैं मांग करता हूँ, कि इस प्रयोग को फ़ौरन रोक दिया जाए! मदद करो! ये हम कहाँ आ गये हैं?
मिलास्लाव्स्की: चिल्लाना बंद करो! ये हम इवान ग्रोज़्नी के पास पहुँच गए हैं.
बुन्शा : ऐसा नहीं हो सकता! मैं विरोध करता हूँ!
(खतरनाक शोर और घंटियों की आवाज़.)
मिलास्लाव्स्की (चाभी से दरवाज़ा बंद करता है, खिड़की से बाहर देखता है, जिससे शोर और भी तेज़ हो जाता है. उछल कर दूर हटता है). खैर, पहुँच गए, तो पहुँच गए!
बुन्शा: ये हमें भ्रम हो रहा है, ऐसा कुछ भी नहीं है, निकलाय इवानविच, आपको अपने इस सोवियत विरोधी प्रयोग का जवाब देना होगा!
मिलास्लाव्स्की: आप बेवकूफ़ हैं! ओय, वे कैसे चिल्ला रहे हैं!
बुन्शा : वे चिल्ला नहीं सकते, ये दृश्य और श्रव्य का धोखा है, अध्यात्मवाद जैसा. वे तो कब के मर चुके हैं. कृपया शांत रहें! वे मृत हैं.
(एक तीर उड़कर खिड़की के भीतर आता है.)
मिलास्लाव्स्की: देखा, मृतक कैसे तीर चलाते हैं?!
बुन्शा : मतलब...माफ़ कीजिये...क्या आप ऐसा सोचते हैं, कि वे हमारे ऊपर हिंसा का प्रयोग करेंगे?
मिलास्लाव्स्की: नहीं, मैं ऐसा नहीं सोचता. मैं समझता हूँ, कि वे हमें मार डालेंगे. ऐसा करेंगे, भाइयों, आ? भाइयों!...
बुन्शा : कहीं ये सच तो नहीं है? निकलाय इवानविच, क्या पुलिस को बुलाएंगे? बगैर नंबर आये! ज़िंदगी की बहार में मर जाना!...उल्याना अन्द्रेएव्ना भयभीत है!...मैंने उसे नहीं बताया कि कहाँ जा रहा हूँ...नसों में खून ठण्डा पड़ रहा है!...
(दरवाज़े पर ज़ोरदार धक्का, आवाज़: “खोल, कुत्ते!”)
ये वो किससे कह रहा है?
मिलास्लाव्स्की: आपसे.
बुन्शा: (दरवाज़े की दरार से). कृपया अपमान न करें! मैं कुत्ता नहीं हूँ! ऐसा समझिये, कि आप नहीं हैं! ये इंजीनियर तिमाफेयेव का प्रयोग है!
(शोर)
बिल्डिंग के निवासियों की ओर से विनती करता हूँ कि मुझे बचाइये.
(मिलास्लाव्स्की बगल वाले कमरे का दरवाज़ा खोलता है.)
मिलास्लाव्स्की: कपड़े! त्सार के कपड़े! हुर्रे, किस्मत वाले हो!
आवाज़: खोल! कमरे में आग लगा देंगे!
(लबादा पहनते हुए.). फ़ौरन त्सार का कनटोप पहनो, वर्ना गड़बड़ हो जायेगी!
बुन्शा : ये प्रयोग सीमा पार कर रहा है!
मिलास्लाव्स्की: पहन, मार डालूँगा!...
(बुन्शा त्सार की पोषाक पहनता है.)
हुर्रे! मिलता जुलता है! ओ गॉड, एकदम वैसा ही है! ओय, कम समानता है! रूपरेखा बिगड़ रही है!...टोपी पहन...त्सार बन जाएगा...
बुन्शा : किसी हालत में नहीं!
मिलास्लाव्स्की: क्या तू ये चाहता है, कि मुझे भी तेरी वजह से मार डालें? मेज़ के पास बैठ जा, राजदण्ड ले ले... चल, तेरे दांत बाँध देता हूँ, नहीं तो बहुत समानता नहीं है...ओय, कचरा! ये नहीं चलेगा! उसका चेहरा ज़्यादा बुद्धिमान है...
बुन्शा : कृपया, चेहरे को न छेड़ें!
मिलास्लाव्स्की: खामोश! बैठ जा, राज्य का काम कर. हम कहाँ रुके थे? त्सार और महान राजकुमार...दुहराओ...पूरे रूस का...
बुन्शा: त्सार और महान राजकुमार पूरे रूस का...
(दरवाज़ा खुलता है, रक्षक भागते हुए भीतर आते हैं, और उनके साथ लिपिक भी.
बुत बन जाते हैं.)
अंतराल
मिलास्लाव्स्की (बुन्शा से) : तो आप कह रहे हैं...त्सार और महान ड्यूक? लिख लिया. अल्पविराम...ये आपका सेक्रेटरी कहाँ गायब हो गया?
अंतराल
बात क्या है, कॉम्रेड्स? मैं आपसे पूछ रहा हूँ, मेरे बहुमूल्य साथियों, बात क्या है? ये किस परजीवी ने त्सार के कमरे के दरवाज़े तोड़ने की हिम्मत की है? क्या उन्हें इसलिए लगाया गया था, कि उन्हें तोड़ दिया जाए? (बुन्शा से.) जारी रखिये, महानुभाव...सिर पटकता हूँ...अर्ध विराम...(रक्षकों से.) मैं अपने सवाल के जवाब का इन्तजार कर रहा हूँ.
रक्षक (संभ्रम से) : त्सार यहाँ है...त्सार यहाँ है...
लिपिक : यहाँ त्सार है...
मिलास्लाव्स्की: और कहाँ होगा? तो, प्यारों, हथियार रख दो!...
मुझे ये अच्छा नहीं लगता.
रक्षक कुल्हाड़ियाँ फेंक देते हैं.
लिपिक (बुन्शा से) : मारने का हुक्म न दीजिये, महान सम्राट ...शैतानों ने आपको पकड़ लिया, हम भी लपके...पकड़ने के लिए, मगर शैतान तो थे ही नहीं!
मिलास्लाव्स्की: शैतान थे, इस बात से इनकार नहीं कर रहा हूँ, मगर वे ख़त्म हो गए. इस बेवकूफ़ी भरी उत्तेजना को रोकिये. (लिपिक से.) तू कौन है?
लिपिक: फेद्का...दूतावास का लिपिक...त्सार के साथ लिखता हूँ...
मिलास्लाव्स्की: यहाँ आओ. और बाकी लोगों से प्रार्थना करता हूँ की त्सार का कमरा साफ़ कर दें, संक्षेप में, सब भाग जाओ! देख रहे हो ना, त्सार को डरा दिया! भागो! (फुसफुसाकर बुन्शा से) उन पर चिल्लाओ, वर्ना वे सुनेंगे नहीं.
बुन्शा: बाहर!!
(रक्षक पैरों पर उछलते हैं, फिर तीर की तरह बाहर भाग जाते हैं. लिपिक कई बार पैरों पर उछलता है.)
मिलास्लाव्स्की: चल, बहुत हो गई उछल कूद. एक बार भागा, दो बार भागा, बस है.
लिपिक: मेरी तरफ़ ऐसे मत देख, जैसे भेड़िया मेमने को देखता है...हमने आपको गुस्सा दिला दिया, आदरणीय- सम्राट!...
मिलास्लाव्स्की : मैं सोचता हूँ, मगर हम तुम्हें माफ़ करते हैं.
लिपिक: ये आपको क्या हो गया है, मालिक, दांत क्यों बंधे हुए हैं? क्या कोई बीमारी हो गयी है?”
मिलास्लाव्स्की (हौले से, बुन्शा से): तो, तुम खामोश मत रहो, ठूंठ की तरह! मैं अकेला काम नहीं कर सकता!
बुन्शा : दांतों में दर्द है. पीप निकल रहा है.
मिलास्लाव्स्की: उसे पेरिओस्टाइटिस है, त्सार को परेशान मत करो.
लिपिक : जी, सुन रहा हूँ. (भागता है.)
मिलास्लाव्स्की: फेद्या, तू ये झुकना बंद कर...इस तरह से तो तू शाम तक गिरने लगेगा...चल, एक दूसरे का परिचय प्राप्त करते हैं. और तू मुझे आंखें फाड़े क्यों देख रहा था?
लिपिक : माफ़ करना, सरदार, मैं आपको पहचान नहीं पाया...क्या आप राजकुमार हैं?
मिलास्लाव्स्की: चलो, मैं राजकुमार ही हूँ. इसमें अचरज की क्या बात है?
लिपिक: मगर तू त्सार के कमरे में कैसे आया? तुम तो थे ही नहीं? (बुन्शा से) पिता-त्सार, ये आखिर कौन है? परेशान न हों!...
बुन्शा: ये अन्तोन सिमेनविच श्पाक का दोस्त है.
मिलास्लाव्स्की (धीरे से): ओय, बेवकूफ! ऐसे लोग तो बिल्डिंग प्रबंधकों के बीच भी बिरले ही मिलते हैं...(जोर से) ओह हाँ, दूसरे लब्जों में, मैं राजकुमार मिलास्लाव्स्की हूँ. क्या इससे आप संतुष्ट हैं?
लिपिक (भयभीत होते हुए): मुझे भाड़ में झोंक दो! भाग जाओ!...
मिलास्लाव्स्की: ये सब क्या है? खुदा की मेहेरबानी से, फिर से? बात क्या है?
लिपिक: तुम को तो अभी परसों ही मार डाला गया था...
मिलास्लाव्स्की: ये तो ख़बर है! बकवास बंद कर, ऐसे कैसे मार डाला?
बुन्शा (हौले से): ओय, हो गया शुरू!...
लिपिक: तुझे अपने ही गेट पर शयन कक्ष के सामने लटका दिया था, तीन दिन हो गए, त्सार के हुक्म से.
मिलास्लाव्स्की: आय, धन्यवाद! (बुन्शा से): कुलनाम के कारण गड़बड़ हो गयी. मुझे लटका दिया...मुझे इस परिस्थिति से निकालो, वर्ना हम बर्बाद हो जायेंगे. (हौले से) तू चुप क्यों है, कमीने? (ज़ोर से) हाँ, याद आया! ये मुझे नहीं लटकाया गया था! इस लटकाए गए का नाम क्या था?
लिपिक: वान्का – डाकू.
मिलास्लाव्स्की : अहा. और मैं, इसके विपरीत, जॉर्ज हूं. और इस डाकू का चचेरा भाई. मगर मैं उससे अलग हो गया. और इसके विपरीत त्सार का पसंदीदा और निकट व्यक्ति हूँ. अब तुम क्या कहते हो?
लिपिक: तो, ये बात है! तभी मैं देख रहा था, की मिलते-जुलते तो हो, मगर बहुत ज़्यादा नहीं. और तुम यहाँ कहाँ से टपक पड़े?
मिलास्लाव्स्की: एह, लिपिक फेद्या, तुम कितने उत्सुक हो! तुझे तो आपराधिक खोजबीन के विभाग में होना चाहिए! मैं अचानक ही, आश्चर्यजनक रूप से आया, ठीक उसी समय जब
दानवों वाली गड़बड़ चल रही थी...खैर, मैं, बेशक, कमरे में, त्सार के पास था, जहां उनकी रक्षा कर रहा था.
लिपिक: तुम्हें शुभकामनाएँ, राजकुमार!
मिलास्लाव्स्की: और सब कुछ ठीक है!
(स्टेज के पीछे से शोर सुनाई देता है.)
ये फिर से क्यों चिल्ला रहे हैं? भाग, फेद्यूशा, पता कर.
(लिपिक बाहर भागता है.)
बुन्शा: माय गॉड, मैं कहाँ हूँ? मैं कौन हूँ? निकलाय इवानविच!!
मिलास्लाव्स्की: बिना नखरों के!
(लिपिक वापस लौटता है.)
लिपिक : सुरक्षा गार्ड्स बचाए गए त्सार को देखना चाहते हैं. खुश हो रहे हैं.
मिलास्लाव्स्की: ऐ, नहीं. सवाल ही नहीं. समय नहीं है. समय बिल्कुल नहीं है. खुशी बाद में मनाएंगे. (बुन्शा से). उन्हें फ़ौरन कहीं भेजना होगा. खामोश है, पापी! (ज़ोर से.) और, फेदिन्का, क्या आजकल कहीं लड़ाई-वड़ाई नहीं हो रही है?
लिपिक: कैसे नहीं हो रही है, अन्नदाता? क्रीमिया का खान और स्वीडिश सीधे एक दूसरे से भिड़े हुए हैं. क्रीमिया का खान इज़्युम्स्की मार्ग पर हंगामा कर रहा है!...
मिलास्लाव्स्की: क्या कह रहे हो? आपने ऐसा कैसे होने दिया, आ?
(लिपिक उसके पैरों पर गिरता है.)
उठ. फ्योदर, मैं तुझे दोष नहीं दे रहा हूँ. तो, बात ये है...बैठ जा, त्सार की आज्ञा लिख. लिख. क्रीमिया के खान को इज़्युम्स्की मार्ग से हटाने के लिए रक्षक भेजे जाएं. पूर्ण विराम लगाओ.
लिपिक: पूर्ण विराम. (बुन्शा से.) हस्ताक्षर करें, महान सम्राट.
बुन्शा (फुसफुसाहट से)). बिल्डिंग प्रबंधक की हैसियत से मुझे ऐसे पत्रों पर हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं है.
मिलास्लाव्स्की: लिख. तूने क्या लिखा, ठस दिमाग? बिल्डिंग प्रबंधक? और सोसाइटी की मुहर लगा दी?... बिलकुल गधा है! लिख: इवान ग्रोज़्नी. (लिपिक से). ठीक है.
लिपिक: ये शब्द तो समझ में नहीं आ रहा है...
मिलास्लाव्स्की: कौनसा शब्द? अच्छा, गे...रे... ग्रोज़्नी.
लिपिक : ग्रोज़्नी?
मिलास्लाव्स्की: तू भी ना फेद्का, हर शब्द पर अटक रहा है! क्या वह भयानक नहीं है, तुम्हारे हिसाब से? भयानक नहीं है? खैर, तुम उस पर चिल्लाओ, महान सम्राट, पैर पटको! ये तुम्हारी बात सुन क्यों नहीं रहा है?
बुन्शा: आपकी हिम्मत कैसे हुई?! अरे आप!...मैं आपको!...
लिपिक (पैरों पर गिरते हुए) : अब पहचान गया! मैं तुमको पहचान गया, माई-बाप त्सार...
मिलास्लाव्स्की: अच्छा, अच्छा, ठीक है. और तुम उन से कह दो कि वापस लौटने की जल्दी न करें. उन्हें और कौन सी ज़िम्मेदारी दी जाए? शपथ-ग्रहण का मज़ाक गाने दो...प्राचीन युग की बातें...और कज़ान पर कब्ज़ा...तुम उनसे कहो कि वापस लौटते हुए कज़ान जीत कर आएँ, जिससे दो बार न जाना पड़े...
लिपिक: ये कैसे, माई-बाप...ताकि तुम्हें गुस्सा न आए...कज़ान तो हमारा है...हमने तो बहुत पहले उस पर कब्ज़ा कर लिया था...
मिलास्लाव्स्की: आ...ये तो आपने जल्दी कर दी... खैर, अगर कब्ज़ा कर ही लिया है, तो रहने दो. उसे वापस तो नहीं दिया जा सकता...खैर, चल, ताकि पांच मिनट बाद यहाँ तेरा नामोनिशान न रहे.
(लिपिक भागता है.)
चलो, किसी तरह काम तो बन गया. वैसे, आगे क्या होगा, पता नहीं. ये अपनी मशीन को पीछे की ओर क्यों नहीं घुमाता?
बुन्शा : मुझे एक भयानक भेद खोलना होगा. मैंने घबराहट में अपने साथ चाभी ले ली थी. ये रही वो.
मिलास्लाव्स्की: काश, तू ख़त्म हो जाए, शापित कहीं के! सब कुछ तेरी वजह से हुआ, बेवकूफ! अब हम क्या करेंगे? खैर, चल, धीरे, लिपिक आ रहा है.
लिपिक (अन्दर आता है) : चलें, महान सम्राट.
मिलास्लाव्स्की: अचरज नहीं हुआ? चलो, ये भी बढ़िया है. आगे कौन है?
लिपिक: स्वीडन के राजदूत हैं.
मिलास्लाव्स्की: उसे यहाँ भेजो.
(लिपिक स्वीडन के राजदूत को अन्दर भेजता है. वह बुन्शा की ओर देखकर थरथराने लगता है, फिर झुक कर अभिवादन करने लगता है.)
राजदूत: सबसे शानदार...सबसे महान...सम्राट...(झुक कर अभिवादन करता है.) स्वीडन के महान सम्राट ने मुझसे, उनके विश्वासपात्र सेवक से यह कहा है, कि त्सार और महान सम्राट इवान वसिल्येविच से विनती करूँ कि केम्स्की प्रांत दे दें, जिसे स्वीडन ने यूं ही जीत लिया था, ताकि वे इसका स्वतन्त्र रूप से संचालन कर सकें.
मिलास्लाव्स्की : अच्छा, अच्छा...ये विदेशी प्रवासी अच्छा बोलता है...मगर, काश उसका एक भी लब्ज़ समझ में आता! अनुवादक की ज़रुरत है, फ़ेदिन्का!
लिपिक: हमारे पास था तो एक दुभाषिया, मगर हमने बहुत पहले उसे खौलते पानी में उबाल दिया.
मिलास्लाव्स्की: फेद्या, ये अपमानजनक है! दुभाषियों के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए! (बुन्शा से) : उसे कुछ जवाब तो दे...वर्ना तू देख रहा है, कि आदमी मरा जा रहा है.
बुन्शा : विदेशी भाषाओं में मैं सिर्फ क्रांतिकारी शब्द जानता हूँ, और बाकी सब भूल गया.
मिलास्लाव्स्की: तो, कम से कम क्रांतिकारी शब्द ही बोल दे, वर्ना तो तू एक भी शब्द नहीं कह रहा है...जैसे सिंहासन पर मछली! (राजदूत से) कहते रहिये, मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ.
राजदूत: केम्स्की प्रांत ...जिसे स्वीडन ने ले लिया था, हमें लौटा दें, जिससे उसका उचित इंतज़ाम किया जा सके...केम्स्की प्रांत...
मिलास्लाव्स्की: सही है. एकदम सही है. (लिपिक से): मोटे तौर से जानना दिलचस्प होगा कि वह क्या चाहता है...मतलब, विचार...अर्थ...मैं इत्तेफाक से स्वीडिश भाषा अच्छी तरह नहीं जानता, और त्सार बीमार है...
लिपिक: वो, माई-बाप, जर्मन में बोल रहा है. और उसे समझना आसान है. वे केम्स्की प्रांत की मांग कर रहे हैं. कहते हैं कि उन्होंने युद्ध में उसे जीता था, अब वापस दे दें, कहते हैं...
मिलास्लाव्स्की : तो तू खामोश क्यों था? केम्स्की प्रांत?
राजदूत: ओह, मैं... ओह, मैं...
मिलास्लाव्स्की: ये किस बारे में बात हो रही है? उन्हें ले लेने दो आराम से!...खुदा, मैं सोच रहा था, कि!...
लिपिक: ऐसा कैसे, अन्नदाता?!
मिलास्लाव्स्की: अरे किसको ज़रुरत है? (राजदूत से). ले लीजिये, ले लीजिये, त्सार सहमत है. गुड.
लिपिक: ओ, गॉड, जीज़स क्राइस्ट!
राजदूत (खुशी से, झुक कर अभिवादन करता है): क्या अब मैं अपनी मातृभूमि जा सकता हूँ?
लिपिक: वो पूछ रहा है, कि क्या वह अपने घर जा सकता है?
मिलास्लाव्स्की: आह, बेशक! आज ही जाने दो, (राजदूत से) फिर मिलेंगे.
राजदूत (झुकाते हुए) : महान राजकुमार इवान वसिल्येविच, स्वीडन के सम्राट को क्या सन्देश देना है?
लिपिक : वह पूछ रहा है कि राजा को क्या सन्देश देना है?
मिलास्लाव्स्की: मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ.
बुन्शा: मैं राजा को हार्दिक शुभकामना भेजने के पक्ष में नहीं हूँ. जनता मुझे खा जायेगी.
मिलास्लाव्स्की: चुप रह, शराबी. (राजदूत को गले लगाता है, और उसके सीने से मूल्यवान पदक गायब हो जाता है.) अलबिदा. राजा को सलाम दीजिये और कहिये कि अभी किसी को न भेजें. ज़रुरत नहीं है. बिल्कुल नहीं.
(राजदूत झुककर अभिवादन करते हुए लिपिक के साथ चला जाता है.)
प्यारा आदमी है. उसकी जेब में, शायद, विदेशी मुद्रा है, मैं कल्पना कर सकता हूँ!
बुन्शा : मैं उन सरकारी अपराधों के बोझ तले दबा जा रहा हूँ, जो हमने किये हैं. ओ माय गॉड! इस समय अभागी उल्याना अन्द्रेयेव्ना क्या कर रही होगी? शायद, वह मिलिशिया में है. वह रोती है और कराहती है, और मैं अपनी इच्छा के विपरीत शासन कर रहा हूँ...मैं अपनी जनरल मीटिंग में क्या मुँह दिखाऊंगा?
(लिपिक अन्दर आता है और फर्श पर कुछ ढूँढता है.)
मिलास्लाव्स्की: बाप, तू क्यों रेंग रहा है?
लिपिक: जान से मारने का हुक्म न दो, साहब...शाही राजदूत ने अपने सीने से पदक खो दिया है...उस पर तराशे हुए हीरे हैं...
मिलास्लाव्स्की: इतना भुलक्कड़ नहीं होना चाहिए.
लिपिक: जब यहाँ आया – पदक था, और बाहर गया – नहीं था...
मिलास्लाव्स्की : हमेशा ऐसा ही होता है. थियेटर्स के बुफे में निरंतर होता रहता है. जब कमरे में प्रवेश करते हो, तो चीज़ों का ध्यान रखना पड़ता है. ये, तू मेरी तरफ़ ऐसे क्या देख रहा है? कहीं तुम ये तो नहीं सोच रहे हो, कि मैंने लिया है?
लिपिक: क्या कह रहे हो. क्या कह रहे हो?!
मिलास्लाव्स्की (बुन्शा से): तूने तो नहीं लिया?
बुन्शा : हो सकता है, सिंहासन के पीछे गिर गया हो? (ढूँढता है.)
मिलास्लाव्स्की: अरे, नहीं! मेज़ के नीचे फिर से देख लो. नहीं है, नहीं है.
लिपिक: दिमाग़ काम नहीं कर रहा है...अफ़सोस की बात है! (चला जाता है.)
बुन्शा : घटनाएं बद से बदतर हो रही हैं. मैं क्या-क्या नहीं देता, प्रत्यक्ष रूप से स्वयं प्रकट होने और यह ज़ाहिर करने के लिए कि मैं मिल गया हूँ. कैसी खुशी मनाई जाती!
लिपिक (भीतर आता है.) : कुलपति आपसे मिलना चाहते है, जनाब. प्रसन्न हैं.
बुन्शा: आगे-आगे हालात बदतर होते जा रहे हैं!
मिलास्लाव्स्की: उनसे कहो, कि हम उनसे फ़ौरन यहाँ आने की विनती करते हैं.
बुन्शा : ये आप क्या कर रहे हैं? किसी पंथ सदस्य की उपस्थिति में मैं कमरे में नहीं रह सकता, मैं तो समझो मर गया.
(घंटी की आवाज़. कुलपति प्रवेश करते हैं.)
कुलपति : नमस्ते , सम्राट, ये साल और आगे आने वाले साल! आइये, हम सुनहरी तुरहियाँ बजाएं! त्सार और महान सम्राट हमें प्रकाश और सुन्दर छबि दिखाएं! त्सार, जो शैतानों के हाथों में पड़ गए थे, हमारे पास वापस लौट रहे हैं. खुदा आपको, सैम्सन की ताक़त, अलेक्सान्द्र की बहादुरी, सलामोन की बुद्धि, और डेविड की नम्रता दे! सभी देश और मानव की हर सांस आज, और हमेशा और सदियों तक आपके गुण गाये!
मिलास्लाव्स्की: (तालियाँ बजाते हुए). शाबाश! आमीन! आपके शानदार भाषण में मैं कुछ और जोड़ने की हिम्मत नहीं कर सकता, सिवाय एक शब्द – आमीन!
(कोरस ने “चिरायु हो” गाना शुरू किया. मिलास्लाव्स्की सम्मान प्रकट करता है, कुछ आधुनिक और खुशनुमा गीत गाता है.)
(बुन्शा से) देख रहे हो, कैसे तुम्हारा स्वागत कर रहे हैं! और तुम रो रहे थे!...(कुलपति से) वह वास्तव में पुनर्जीवित हो गया है, फादर! (कुलपति को गले लगाता है, जिससे उसके सीने से पवित्र पेंडेंट गायब हो जाता है.) फिर से आपको धन्यवाद देता हूँ, फ़ादर, त्सार की ओर से और अपनी तरफ से भी, और इसके बाद आप चर्च लौट जाईये, आपके संतों के पास. आप बिलकुल पूरी तरह स्वतन्त्र है, और कोरस की भी ज़रुरत नहीं है. और किसी आपात स्थिति के उत्पन्न होने पर हम आपको आवाज़ देंगे.
(कुलपति को सम्मान सहित दरवाज़े तक बिदा करता है.)
(कुलपति लिपिक के साथ चला जाता है.
लिपिक फ़ौरन परेशानी से भागता हुआ अन्दर आता है.)
अब और क्या हुआ?
लिपिक: ओह, शर्मनाक! कुलपति के सीने से पवित्र पेंडेंट...
मिलास्लाव्स्की: क्या चुरा लिया?
लिपिक: चुरा लिया गया!
मिलास्लाव्स्की : ये तो कोई रहस्यमय बात है! आपके यहाँ ये क्या हो रहा है, हाँ?
लिपिक: पवित्र पेंडेंट – चारों कोनों पर सोना, आसमानी नौका, दो पन्ने...
मिलास्लाव्स्की: ये बेहूदगी है?
लिपिक: अब क्या करने का हुक्म देते हैं, राजकुमार? हम चोरों को पसलियों से लटका देते हैं, मगर उन्हें ख़तम नहीं कर सकते.
मिलास्लाव्स्की: अरे, पसलियों से क्यों लटकाना है? मैं तो साफ़-साफ़ कहूंगा, कि मैं इसके खिलाफ हूँ. ये बेहद खतरनाक है. चोरों के साथ, फेद्या, अगर जानना चाहते हो, तो नरमी से पेश आना चाहिए. तुम कुलपति के पास जाओ, और किसी तरह, उसके साथ प्यार से पेश आओ...उसे तसल्ली दो...वह क्या बहुत परेशान हो गया है?
लिपिक: खंभे की तरह खड़ा है.
मिलास्लाव्स्की: खैर, ये तो समझ में आता है. इससे बड़ा सदमा पहुँच सकता है. किसी को कुछ-किसी को कुछ, मगर मैंने थियेटरों में देखा है...
लिपिक बाहर भागता है.
बुन्शा : मुझे कुछ अस्पष्ट से संदेह होने लगे हैं. श्पाक का – सूट, राजदूत का मैडल, कुलपति का – पवित्र पेंडेंट...
मिलास्लाव्स्की: तू किस बात की तरफ़ इशारा कर रहा है? औरों के बारे में तो कुछ कह नहीं सकता, मगर मैं कुछ भी चुरा नहीं सकता. मेरे हाथ इस तरह से बने हैं...असामान्य. पांच शहरों में मेरी उँगलियों की तस्वीरें ली गयी हैं...वैज्ञानिक...और सारे अफसरों ने एक सुर में इस बात की पुष्टि की है, कि ऐसी उँगलियों से कोई आदमी पराई चीज़ नहीं हथिया सकता. मैं दस्तानों में भी घूमने लगा, इस कदर बेज़ार हो गया.
लिपिक (अन्दर आता है) : तातार राजकुमार एदिगेय सम्राट से मिलने आये हैं.
मिलास्लाव्स्की: ऐ, नहीं! इस तरह तो मैं पस्त हो जाऊंगा. मैं दोपहर के खाने की छुट्टी का ऐलान करता हूँ.
लिपिक: सम्राट खाना चाहते हैं.
(फ़ौरन बेयरे खाने-पीने का सामान लाते हैं, बेयरों के पीछे-पीछे वादक प्रवेश करते हैं.)
बुन्शा : ये तो कोई सपना है!...
मिलास्लाव्की (लिपिक से) : ये क्या है?
लिपिक: खरगोश के गुर्दे, लपेटे हुए, और पाईक मछली के सिर लहसुन के साथ...
कैवियार, अन्नदाता. वोद्का – सौंफ, पुदीना, इलायची वाली, जैसी चाहो.
मिलास्लाव्स्की: ख़ूबसूरत!...त्सार मेज़ पर गरम-गरम व्यंजनों के साथ!...(पीता है). मेरे पास, आओ, मेरे ट्यून्स (अफसर- अनु.), मेरे रक्षकों!...
(बुन्शा पीता है.)
लिपिक: माई-बाप – राजकुमार, रक्षकों को तो वापस भेज दिया है!
मिलास्लाव्स्की: अच्छा ही किया, कि भेज दिया, उन्हें जाने दो कीचड़ में. बिना नफ़रत के उनके बारे में सोच नहीं सकता. उनका काम सिर्फ काटना और कुचलना है! उनकी तलवारें...वे डाकू हैं, फेद्या. माफ़ कीजिये, महानुभाव, खुल्लम खुल्ला कहने के लिए, मगर आपके रक्षक सिर्फ डाकू हैं! आपकी सेहत के नाम!
बुन्शा: शायद शराब के प्रभाव से मेरी नसें कुछ शांत हो गईं हैं.
मिलास्लाव्स्की: तो, ये बात है. और तू, फेद्या, तुम वहां गुर्दों के आसपास क्या कर रहे हो? तुम पियो, फेदुन्या, शरमाओ नहीं. हमारे यहाँ सब कुछ सीधा-सादा है. तुम मुझे बहुत अच्छे लगे. तुम्हारे बिना मैं, मानता हूँ, कि बिना हाथों के होता. चल, तेरे साथ ब्रुदरशाफ्ट में पीते हैं. हम दोस्ती करेंगे, मैं तुझे थियेटर जाना सिखाऊंगा...हाँ, महामहिम, एक थियेटर बनाना होगा.
बुन्शा : मैंने पहले ही कुछ कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई है और ये फैसला किया है, कि शुरुआत कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी से होना चाहिए.
मिलासलावस्की : फांसी चढ़ाने का आदेश न दें, महामहिम, मगर, मेरी राय में थियेटर ज़्यादा ज़रूरी है. मैं कल्पना कर सकता हूँ कि इज़्यूम्स्की मार्ग पर कैसी लड़ाई हो रही होगी! तुम क्या सोचते हो, फेद्या? क्या आपके यहाँ दुकानों में रूबी स्वीकार करते हैं?
लिपिक: महान सम्राट, महारानी आपके पास आई हैं, मिलना चाहती हैं.
बुन्शा : लो हो गयी छुट्टी! इसकी मैंने कल्पना नहीं की थी. डरता हूँ, कि उल्याना अन्द्रेएव्ना के साथ कहीं गलतफ़हमी न हो जाए. उसका, हमारे बीच की बात है, इस सबके बारे में नकारात्मक रवैया है. मगर, जहन्नुम में जाए, मैं, क्या उससे डरता हूँ?
मिलास्लाव्स्की: ये भी सच है.
(बुन्शा पट्टी उतारता है.)
तुमने बेकार ही में पट्टी उतारी. साफ़-साफ़ कहूं तो आपका चेहरा त्सार जैसा नहीं है.
बुन्शा : क्या? आपसे पूछता हूँ?! किससे बात कर रहे हो?
मिलास्लाव्स्की: शाबाश! काश, तुम पहले इस तरह बात करते!
(त्सारित्सा (रानी-अनु.) प्रवेश करती है और बुन्शा चश्मा पहन लेता है.)
त्सारित्सा (अचरज से) : सबसे शानदार सम्राट, मेरे राजकुमार और मेरे मालिक! अपनी गुलाम को, जो आपकी दया से गर्माहट पाती है...
बुन्शा : बहुत खुश हूँ. (त्सारित्सा का हाथ चूमता है.) बहुत खुशी हुई आपसे मिलकर.
आपसे परिचय करवाने की इजाज़त दें, लिपिक...और नागरिक मिलास्लाव्स्की. कृपया हमारी मेज़ पर आइये.
मिलास्लाव्स्की: ये तू क्या बकवास कर रहा है? भले आदमी, अपना चष्मा उतार.
बुन्शा : मगर-मगर-मगर! आदमी! एक बार त्सारित्सा को गुर्दे दो! माफ़ कीजिये, क्या आपका नाम-कुलनाम यूलिया व्लादीमिरव्ना तो नहीं है?
त्सारित्सा : मैं मार्फा वसिल्येव्ना हूँ....
बुन्शा : अद्भुत, अद्भुत!
मिलास्लाव्स्की: बहक गया! ए-हे-हे? मैं देख रहा हूँ, कि तुम उस्ताद हो! वैसे तो खामोश तबियत लगते हो!
बुन्शा: इलायची की शराब, मार्फ़ा वसिल्येव्ना.
त्सारित्सा (खिलखिलाते हुए) : क्या कह रहे हैं, क्या कह रहे हैं...
बुन्शा : अभी हम एक बेहद दिलचस्प विषय पर बात कर रहे थे. कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के सवाल पर.
त्सारित्सा: आप हमेशा किसी न किसी काम में लगे ही रहते हैं, महान सम्राट, मधुमक्खी की तरह!
बुन्शा : एक और पैग, पाइक के सिर के साथ.
त्सारित्सा: ओय, आप कर क्या रहे हैं...
बुन्शा (लिपिक से): आप मेरी तरफ ऐसे क्यों देख रहे हैं? मैं जानता हूँ कि तुम्हारे दिमाग में क्या है! कहीं तुम ये तो नहीं सोच रहे हो, कि मैं किसी कोचवान का बेटा, या इसी तरह का कोई हूँ? कबूल करो!
लिपिक पैरों पर गिरता है.
नहीं, तू कबूल कर, बदमाश...कहाँ का कोचवान का बेटा? ये मेरी चालाकी थी. (त्सारित्सा से.) ये मैं, आदरणीय त्सारित्सा, उन्हें बुद्धू बना रहा था. क्या? खामोश! (लिपिक से). बताइये, क्या आपके पास कोई अलग कमरा है?
मिलास्लाव्स्की: प्यारों! इसे तो चढ़ गयी! इतनी जल्दी, इतनी आसानी से! हालात को संभालना है. (वादकों से.) नागरिकों, आप क्यों खामोश हैं? हमारे लिए कुछ बजाइए.
(संगीतकार गाने और बजाने लगे.)
वादक (गाते हैं) : न तो घना बादल काला हुआ...न ही जोर की गड़गड़ाहट हुई...कहाँ जा रहा है क्रीमिया का कुत्ता त्सार...
बुन्शा: ये कैसा कुत्ता है? मैं त्सार के बारे में ऐसे गीत गाने की इजाज़त नहीं दूंगा! वह चाहे क्रीमिया का हो, मगर कुत्ता नहीं है! (लिपिक से.): तू ये कैसे संगीतकारों को ले आया? यहाँ तो मेरी गैरमौजूदगी में बिगड़ गए हैं!
(लिपिक पैरों पर गिरता है.)
मिलास्लाव्स्की: क्या, फेद्यूशा, आपके पास नर्ज़ान (मिनरल वाटर – अनु.) नहीं है?
बुन्शा: उन्हें सिर्फ ‘रुम्बा’ बजाने दो! वादकों. तू, माई-बाप, सिर्फ इतना बता, कि कैसे...और हम पकड़ लेंगे...हम अभी...
(बुन्शा आधुनिक नृत्य की धुन गाता है. वादक उसे बजाते हैं.)
बुन्शा (त्सारित्सा से). आपसे एक राउंड का अनुरोध करने की इजाज़त दें, यूलिया वसिल्येव्ना.
त्सारित्सा: ओय, शर्म की बात है? आप क्या कह रहे हैं, त्सार महाशय...
बुन्शा : कोई बात नहीं, कोई बात नहीं. (त्सारित्सा के साथ नृत्य करता है.)
(लिपिक अपने बाल नोंचता है.)
मिलास्लाव्स्की: कोई बात नहीं, फेद्या, परेशान न हो! खैर, त्सार ने ज़रा ज़्यादा ही कर दिया, खैर, क्या बात है...ऐसा किसके साथ नहीं होता! चल, तेरे साथ! (लिपिक के साथ नृत्य करता है.)
(खतरे की घंटियाँ और शोर. वादक खामोश हो जाते हैं.)
मुझे ये अच्छा नहीं लगता, अब और क्या है?
(लिपिक बाहर भागता है, फिर वापस लौटता है.)
लिपिक: मुसीबत, मुसीबत! रक्षकों ने बगावत कर दी, यहाँ आ रहे हैं! चिल्ला रहे हैं, कि त्सार असली नहीं है. कह रहे हैं, कि बहुरूपिया है!
त्सारित्सा: ओह-तू, नौजवान! नकली त्सार के साथ नृत्य करती रही...ओह, मुझ पर काली रैंक लगायेंगे!...ओह, मेरा सत्यानाश!... (भाग जाती है.)
मिलास्लाव्स्की : क्या, रक्षकों ने? वे तो इज़्यूम्स्की मार्ग पर गए थे!
लिपिक: हाँ वहां तक गए थे, माई-बाप. उन्हें भ्रमित किया गया. वे चौकी से वापस लौट आये.
मिलास्लाव्स्की: किस कमीने ने ये घिनौनी अफवाह फैलाई है?
लिपिक: सम्राट ने, माई-बाप, सम्राट ने.
मिलास्लाव्स्की: प्रिय त्सार, हमारा खेल ख़त्म हो गया!
बुन्शा : मैं मांग करता हूँ कि नृत्य जारी रखा जाए! ऐसे कैसे खेल ख़त्म हो गया? नागरिकों, क्या करना है?
(वादक लिपिक के साथ गायब हो जाते हैं.)
निकलाय इवानिच, बचाइये!
शोर नज़दीक आ रहा है. घंटियाँ. अन्धेरा. उजाला. दीवार गिर जाती है, और तम्बू की बगल में तिमाफेयेव का कमरा प्रकट होता है.)
तिमाफेयेव: जल्दी, इवान वसिल्येविच!
इवान (अपने शाही वस्त्रों के बटन लगाते हुए): तेरा शुक्र है, खुदा!
तिमाफेयेव: ये रहे, ज़िंदा हैं!
मिलास्लाव्स्की: ज़िंदा हैं!, ज़िंदा हैं! (बुन्शा से) भाग, भाग, भाग! (बुन्शा के साथ तिमाफेयेव की ओर भागता है.)
इवान (बुन्शा को देखकर): ओय, भाग जा, दफ़ा हो जा!
मिलास्लाव्स्की: थोड़ी देर की बात है, थोड़ी देर की बात है, माई-बाप, परेशान न हों!
(इवान भाग कर कमरे में आता है.)
इवान वसिल्येविच! ध्यान रहे कि हमने केम्स्काया प्रांत श्वेदों को दे दिया है! इसलिए, सब कुछ ठीक है!
इवान: श्वेदों को- केम्स्काया? आपकी हिम्मत कैसे हुई, पाईक की औलाद?!
(कमरे में रक्षक और लिपिक भागते हुए आते हैं.)
श्वेदों को केम्स्काया? और तू, धूर्त लिपिक, कहाँ देख रहा था?
(लिपिक पैरों पर गिरता है. इवान तैश में लिपिक को उपकरण पर धकेलता है. लिपिक फौरन उछलता है, कमरे में भागता है. अन्धेरा. प्रकाश. कमरा ग़ायब हो जाता है.)
तिमाफेयेव: मेरा उपकरण! उपकरण! कुचल दिया! ये आपने क्या कर दिया? आपने उसे गुस्सा क्यों दिलाया?...मेरा आविष्कार बर्बाद हो गया!
(प्रवेश कक्ष में पुलिस और श्पाक प्रकट होते हैं. )
श्पाक: ये रहे वो, कॉमरेड्स अफसर, देखिए!
तिमाफेयेव: आह, तू, कमीने!
पुलिस: ऐहे!...(बुन्शा से): आप – त्सार हैं? आपका पहचान पत्र, नागरिक.
बुन्शा : मैं स्वीकार करता हूँ, कि मैं त्सार था, मगर इंजिनीयर तिमाफेयेव के घिनौने प्रयोग के प्रभाव में.
मिलास्लाव्स्की: आप उसकी बात क्या सुन रहे हैं, कॉम्रेड्स! हम फैन्सी ड्रेस वाले हैं, संस्कृति और मनोरंजन पार्क से. (रक्षकों के वस्त्र उतार देता है.)
(बुन्शा रक्षकों का वेष उतार देता है. मिलास्लाव्स्की के सीने पर – मैडल और पवित्र पेंडेंट है.)
बुन्शा : मेरा शक सही निकला! इसने सम्राट को लूट लिया और स्वीडन के राजदूत को भी!
श्पाक: पकड़ो उसे! मेरा सूट!
पुलिस: आप क्या , नागरिक, पुलिस वालों को भ्रमित क्यों कर रहे हैं? क्या ये चोर हैं?
श्पाक : चोर हैं, कर! वे चोरियाँ करते हैं. वे त्सार होने का दिखावा करते हैं!
(उल्याना अन्द्रेएव्ना प्रकट होती है.)
उल्याना: तो ये यहाँ है! ये क्या, तुम्हारा चेहरा क्यों पुता हुआ है? अच्छा सबक मिला, शराबी!
बुन्शा: उल्याना अन्द्रेएव्ना! साफ़ दिल से स्वीकार करता हूँ, कि मैं राज कर रहा था, मगर मैंने तुम्हारे साथ बेवफ़ाई नहीं की, प्यारी उल्याना अन्द्रेएव्ना! रानी द्वारा बहकाया गया था, लिपिक गवाह है!
उल्याना: कैसा लिपिक? तू क्या बकवास कर रहा है, शराबी? ये कैसा त्सार है, कॉमरेड्स ऑफिसरों ! वह बिल्डिंग का प्रबंधक है!
तिमाफेयेव: सब लोग खामोश हो जाओ! सब खामोश हो जाओ! मेरा उपकरण, मेरी मशीन बर्बाद हो गयी! और आप लोग इन बकवास चीज़ों के बारे में...हाँ ये मैंने...मैंने प्रयोग किया था, मगर क्या हर कदम पर ऐसी बदनसीबी...ये बदमाश बिल्डिंग प्रबंधक आया और चाभी खींच कर अपने साथ ले गया! पुराना ठूंठ, भग्न-राजकुमार...और इसने इवान ग्रोज़्नी को गुस्सा दिलाया! और...अब मेरा उपकरण नहीं है! और आप फ़ालतू बातें कर रहे हैं!
पुलिस: क्या आपने अपनी बात ख़त्म कर ली?
तिमाफेयेव: ख़त्म कर ली.
पुलिस वाला: ( मिलास्लाव्स्की से) आपका पहचान पत्र!
मिलास्लाव्स्की : अरे, कैसा पहचान पत्र: कहाँ का पहचान पत्र ? मैं मिलास्लाव्स्की हूँ, जॉर्ज.
पुलिस वाला(खुशी से): आ! तो, मतलब आप मॉस्को में हैं?
मिलास्लाव्स्की: छुपाऊँगा नहीं. मैं समय से पहले पहुँच गया.
पुलिस वाला: खैर, सब लोग पुलिस थाने आईये.
बुन्शा: खुशी से अपनी पुलिस के हाथ खुद को सौंप दूंगा, मैं उस पर विश्वास करता हूँ, और उस पर निर्भर करता हूँ.
मिलास्लाव्स्की: ऐह, कोल्या, शिक्षाविद्! मत रोओ! देख रहा है, कि कैसा नसीब है! और पवित्र- पेंडेंट के बारे में, कॉम्रेड्स, विश्वास न कीजिए, इसे कुलपति ने मुझे दिया है.
(पुलिस वाले सबको क्वार्टर से बाहर ले जाते हैं. उसी समय तिमाफेयेव के कमरे में बिजली बुझ जाती है. प्रवेश कक्ष में मैगाफ़ोन में प्रसन्नता भरी आवाज़ आती है: “प्स्कवित्यान्का” का अगला भाग सुनिए. और उसी समय घंटियाँ बज उठीं और भर्राया हुआ संगीत बजने लगा. तिमाफेयेव का कमरा प्रकाशित हो जाता है. तिमाफेयेव उसी मुद्रा में सोया है, जैसा पहले अंक में सो गया था.)
तिमाफेयेव: जल्दी, जल्दी, इवान वसिल्येविच...छिः, शैतान ले जाए, हाँ मेरी आंख लग गयी थी!...
खुदा, कैसा बकवास सपना देखा...यंत्र तो सही-सलामत है? सही-सलामत. भाईयों, मेरी बीबी ने मुझे छोड़ दिया...अरे नहीं, ये सपने में हुआ था. और अचानक...कोसाईन...शैतान...इन घंटियों ने मुझे बेज़ार कर दिया है...
(प्रवेश कक्ष में रोशनी हो जाती है. ज़िनाइदा प्रवेश करती है.)
ज़िनाइदा : कोल्या, ये मैं हूँ.
तिमाफेयेव: ज़ीनच्का, तुम!
ज़िनाइदा : तो, तुम सोए ही नहीं? कोल्का, तुम पागल हो जाओगे, मैं तुमसे कहे देती हूँ. मैं अभी तुम्हें चाय देती हूँ, और तुम सो जाओ...इस तरह काम करना ठीक नहीं है.
तिमाफेयेव: ज़ीना, मैं तुमसे पूछना चाहता था...देखो, मैं अपना गुनाह मानता हूँ...मैं सचमुच, अपने काम में इतना खो गया था, कि पिछले दिनों तुम्हारी तरफ़ कम ही ध्यान दे पाया...कोसाईन...तुम मेरी बात समझ रही हो?
ज़िनाइदा: कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है.
तिमोफेयेव: अभी तुम कहाँ गईं थीं?
ज़िनाइदा : रिहर्सल में.
तिमाफेयेव : देखो, मुझे सच-सच बताना. क्या तुम याकिन से प्यार करती हो?
ज़िनाइदा: कौन से याकिन से?
तिमाफेयेव: दिखावा मत करो. बहुत प्रतिभाशाली है...क्या उसे सचमुच में क्वार्टर देने वाले है? तो, एक लब्ज़ में, वह आपका फिल्म डाइरेक्टर है.
ज़िनाइदा: हमारे यहाँ कोई याकिन – डाइरेक्टर नहीं है.
तिमाफेयेव: सच?
ज़िनाइदा: सच में.
तिमाफेयेव: और मल्चानव्स्की भी नहीं है?
ज़िनाइदा: और मल्चानव्स्की भी नहीं है.
तिमाफेयेव: हुर्रे! मैं तो मज़ाक कर रहा था.
ज़िनाइदा: मैं तुमसे कह रही हूँ, तुम पागल हो जाओगे!
(दरवाज़े पर खटखट होती है.)
हाँ, हाँ!
(श्पाक भागते हुए अंदर आता है.)
तिमाफेयेव: अन्तोन सिमेनविच, मुझे अभी सपना आया, कि आपके यहाँ चोरी हो गयी.
श्पाक: (आंसुओं में नहाते हुए.) क्या सपना आया? मेरे यहाँ सचमुच में चोरी हो गयी है!
तिमाफेयेव: कैसे?
श्पाक: पूरी तरह साफ़ कर दिया. जब मैं काम पर था. फोनोग्राफ, पोर्टसिगार, सूट! भाईयों! और टेलिफ़ोन भी काट दिया!...ज़िनाइदा मिखाइलव्ना, फ़ोन करने की इजाज़त दीजिये.
भाईयों! (टेलिफोन की तरफ़ लपकता है.) पुलिस! हमारा बिल्डिंग प्रबंधक कहाँ है?
ज़िनाइदा (खिड़की खोल कर चिल्लाती है): उल्याना अन्द्रेयेव्ना ! इवान वसिल्येविच कहाँ है? श्पाक को पूरी तरह लूट लिया गया.
(रेडिओ पर और ज़ोर से संगीत बजने लगा.)
पर्दा
समाप्त
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