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मंगलवार, 8 मार्च 2022

Theatrical Novel - 1

 अध्याय 1

 

अजीब घटनाओं का आरम्भ

 

29 अप्रैल को तूफानी बारिश ने मॉस्को को धो दिया, और हवा में मिठास भर गई, और रूह जैसे हल्की हो गई, और जीने को दिल चाहने लगा.

अपने नए, भूरे सूट और काफी बढ़िया ओवरकोट में मैं राजधानी की एक प्रमुख सड़क पर जा रहा था, उस जगह की और, जहाँ अब तक कभी गया नहीं था. मेरे जाने का कारण था जेब में पडा हुआ वह ख़त जो मुझे अकस्मात् मिला था. ये रहा वह ख़त:

“परम आदरणीय सिर्गेई लिओंतेविच!

आपसे मिलने की बेइंतहा ख्वाहिश है, और साथ ही एक रहस्यमय मामले के बारे में बात करने की भी, जो आपके लिए बहुत-बहुत दिलचस्प हो सकता है.   

अगर आपके पास समय हो तो बुधवार को चार बजे ‘स्वतन्त्र थियेटर’ के ट्रेनिंग स्टेज पर आपसे मिलकर बेहद खुशी होगी.      .    

सादर,

ज़े. ईल्चिन “

ख़त पेन्सिल से कागज़ पर लिखा हुआ था जिसके बाएँ कोने में छपा हुआ था:

जेवियर बरीसविच ईल्चिन

डाइरेक्टर ट्रेनिंग स्टेज

स्वतन्त्र थियेटर.

ईल्चिन का नाम मैंने पहली बार देखा था, पता नहीं था कि ट्रेनिंग स्टेज भी होता है.

स्वतन्त्र थियेटर के  बारे में सूना था, जानता था कि वह एक प्रसिद्ध थियेटर है, मगर वहाँ कभी गया नहीं था.

ख़त मुझे बेहद दिलास्प लगा, इसलिए भी कि तब मेरे पास कभी कोई खत आते ही नहीं थे. मुझे बताना होगा, कि मैं “शिपिंग” कंपनी के अखबार का एक छोटा-सा कर्मचारी था. उन दिनों मैं  खमूतव गली के पास “लाल दरवाज़ा” मोहल्ले में सातवीं मंजिल पर एक स्वतन्त्र, मगर बेहद बुरे कमरे में रहता था.    

तो, ताज़ी हवा में सांस लेते हुए मैं जा रहा था और सोच रहा था कि तूफानी बारिश फिर आयेगी, और इस बारे में भी कि ज़ेवियर ईल्चिन को मेरे अस्तित्व के बारे में कैसे पता चला, उसने मुझे कैसे ढूँढा और उसका मुझसे क्या काम हो सकता है. मगर मैंने कितना ही सोचने की कोशिश क्यों न की इस आख़िरी बात को समझ नहीं पाया और इस ख़याल पर आकर ठहर गया कि ईल्चिन मुझसे कमरा बदलना चाहता है.

बेशक, ईल्चिन को लिखना चाहिए था कि अगर उसे मुझसे काम है, तो वह खुद मेरे पास आये, मगर कहना पडेगा कि मुझे अपने कमरे, उसके वातावरण, और आसपास के लोगों के कारण शर्म आ रही थी. आम तौर से, मैं एक अजीब क़िस्म का आदमी हूँ, और मुझे लोगों से थोड़ा सा डर लगता है. सोचिये, ईल्चिन आता है और मेरा सोफा देखता है जिसकी सिलाई उधड गई है और स्प्रिंग बाहर निकल रही है, मेज़ पर रखे लैम्प का कवर अखबार से बनाया गया है, और बिल्ली घूम रही   है और किचन से अन्नूश्का की गालियाँ सुनाई दे रही हैं.  

मैं लोहे के नक्काशीदार फाटक में घुसा, वहाँ एक दुकान देखी जिमें सफेद बालों वाला एक आदमी सीने पर टांकने वाले बैज और चश्मों की फ्रेम्स बेच रहा था.

शांत गंदली धारा को फांद कर मैंने अपने आप को एक पीले रंग की बिल्डिंग के सामने पाया और सोचा यह बिल्डिंग बहुत-बहुत पहले बनाई गई थी, जब न मैं और ना ही ईल्चिन इस दुनिया में थे.            

सुनहरे अक्षरों वाला काला बोर्ड यह दर्शा रहा था कि यहाँ ट्रेनिंग स्टेज है. मैं भीतर गया, और हरे शोल्डर स्ट्रैप्स का जैकेट पहने एक छोटे कद के आदमी ने, जिसके चहरे पर मस्सा था, मेरा रास्ता रोक लिया.

“आपको किससे मिलना है, नागरिक?” उसने संदेह से पूछा और दोनों हाथ फैला दिए जैसे मुर्गी पकड़ना चाहता हो. 

“मुझे डाइरेक्टर ईल्चिन से मिलना है,” अपनी आवाज़ को गुस्ताख बनाते हुए कहा.

देखते-देखते, मेरी आँखों के सामने, आदमी बेहद बदल गया. उसने हाथ नीचे गिरा लिए और कृत्रिम मुस्कान बिखेरी.

“जेवियर बरीसिच से? अभ्भी लीजिये. कोट दीजिये. गलोश नहीं हैं?

   आदमी ने मेरा कोट इतने एहतियात से लिया, जैसे वह चर्च का कोई बहुमूल्य आवरण हो.

मैं लोहे की सीढी पर चढ़ रहा था, शिरस्त्राण पहने योद्धाओं और उनके नीचे नक्काशी की हुई भयानक तलवारे, वायु-निकासी के सुनहरे, चमचमाते पाइप्स के साथ प्राचीन होलैंड-भट्टियों के रेखाचित्र देखते हुए.

बिल्डिंग खामोश थी, कहीं भी और कोई भी नहीं था, और सिर्फ स्ट्रैप्स वाला आदमी मेरे पीछे-पीछे आ रहा था, और, पलटते हुए मैंने देखा कि वह मेरा ध्यान रख रहा है, मेरे प्रति खामोशी से वफादारी, सम्मान, प्यार, प्रसन्नता प्रदर्शित कर रहा है, कि मैं यहां आया और वह, हालांकि पीछे-पीछे चल रहा है, मगर मेरा मार्गदर्शन कर रहा है, मुझे वहाँ ले जा रहा है, जहाँ एक अकेला, रहस्यमय जेवियर बरीसविच इल्यिच है. और अचानक अन्धेरा हो गया, होलैंड-भट्टियों की सफ़ेद चमक लुप्त हो गई, अन्धेरा अचानक घिर आया – उसके पीछे-पीछे खिडकियों के पीछे दूसरी तूफानी बारिश गरजने लगी. मैंने दरवाज़ा खटखटाया, भीतर गया और आखिर धुंधलके में जेवियर बरीसविच को देखा.     

“मकसूदव,” मैंने गरिमापूर्वक कहा.

तभी पल भर के लिए फ़ोस्फोरस के रंग से ईल्यिच को प्रकाशित करते हुए मॉस्को से कहीं दूर आसमान को चीरते हुए बिजली चमकी.     

“तो, ये आप है, प्रिय सिर्गेइ लिओंतिविच!” चालाकी से मुस्कुराते हुए ईल्चिन ने कहा.

और मेरी कमर से लिपटते हुए ईल्चिन मुझे ठीक वैसे ही सोफे की तरफ ले गया जैसा मेरे कमरे में था – उसमें से स्प्रिंग भी उसी तरह बाहर निकल रही थी, जैसी मेरे वाले में थी, - बीचोंबीच.    

वैसे आज तक मैं उस कमरे का उद्देश्य नहीं समझ पाया, जहाँ ये मनहूस मीटिंग हुई थी. सोफा किसलिये? फर्श पर कोने में कागज़ बिखरे पड़े थे? खिड़की में कपों वाली तराजू क्यों थी? इल्यिच मेरा इंतज़ार इसी कमरे में क्यों कर रहा था, न कि, मिसाल के तौर पर, बगल वाले होंल में, जिसमें दूर, तूफ़ान के धुंधलके में अस्पष्ट रूप से पियानो टिमटिमा रहा था?

और तूफान की गुरगुराहट के बीच जेवियर बरीसविच ने मनहूसियत से कहा:

“मैंने आपका उपन्यास पढ़ लिया है.”

मैं थरथरा गया.

बात ये है कि...  

सोमवार, 7 मार्च 2022

Theatrical Novel - Introduction

 

मिखाइल बुल्गाकव


किस्सा थियेटर का



हिन्दी अनुवाद


आ. चारुमति रामदास

 

 

एक मृत व्यक्ति की टिप्पणियाँ







प्रस्तावना


पाठकों को आगाह कर रहा हूँ कि इन टिप्पणियों की रचना से मेरा कोई संबंध नहीं है और वे मुझे बेहद अजीब और दर्दनाक हालात में प्राप्त हुई हैं.

ठीक सिर्गेइ लिओंतेविच मकसूदव की आत्महत्या वाले दिन, जो पिछले साल बसंत में कीएव में हुई थी, मुझे आत्महत्या करने वाले द्वारा भेजा गया एक मोटा पार्सल और एक ख़त मिला जो उसने पहले ही मुझे भेज दिया था.

पार्सल में ये टिप्पणियाँ थीं, और ख़त भी बड़ा अजीबोगरीब था : सिर्गेइ लिओंतेविच घोषणा कर रहा था कि ज़िंदगी से बिदा लेते हुए वह अपनी टिप्पणिया मुझे सौंप  रहा है, इस उद्देश्य से कि मैं, जो उसका एकमेव मित्र हूँ, इन्हें सुधारूं. अपने हस्ताक्षर करूँ और उन्हें प्रकाशित करूँ.        

विचित्र मगर मृत्य से पूर्व प्रकट की गई इच्छा.

साल भर तक मैं सिर्गेइ लिओंतेविच के रिश्तेदारों और निकटवर्ती लोगों के बारे में जानकारी इकट्ठा करता रहा. व्यर्थ ही में! मत्यु पूर्व लिखे गए पत्र में उसने झूठ नहीं लिखा था कि इस दुनिया में उसका कोई नहीं बचा है.

और मैं इस तोहफे को स्वीकार कर लेता हूँ. 

अब दूसरी बात: मैं सूचित करता हूँ कि आत्महत्या करने वाले का न तो नाटकों से और न ही थियेटर से कोइ सम्बन्ध था, वह वही रहा था, “शिपिंग कंपनी समाचार” नामक अखबार का छोटा सा कर्मचारी, सिर्फ एक बार वह उपन्यास लेखक बना था, मगर उसमें भी असफल रहा – सिर्गेइ लिओंतेविच का उपन्यास प्रकाशित ही नहीं हुआ.

इस तरह, मकसूदव के नोट्स उसकी कल्पना का ही फल है, और, आह, वह भी बीमार कल्पना का. सिर्गेइ एक बीमारी से ग्रस्त था, जिसका बड़ा अप्रिय नाम है – उदासी.

मैं, जो मॉस्को की थियेटर की ज़िंदगी को अच्छी तरह जानता हूँ, ग्यारंटी से कहता हूँ कि कहीं भी ऐसे कोई थियेटर्स, या लोग नहीं हैं, जिन्हें मृतक की रचना में दिखाया गया है, और न ही थे.

और अंत में, तीसरी और आख़िरी बात : नोट्स पर मेरा काम ये था कि मैंने उन्हें शीर्षक दिए, और इसके बाद उस उद्धरण को नष्ट करा दिया जो मुझे कृत्रिम, अनावश्यक और अप्रिय लगा रहा था.

यह उद्धरण था:

“जिसको तिसको उसके कर्मों के हिसाब से...”

और, इसके अलावा, जहाँ जहाँ विराम चिह्न नहीं थे, वहाँ उन्हें रख दिया.

सिर्गेइ लिओंतेविच की शैली को मैंने हाथ नहीं लगाया, हालांकि वह बेहद अव्यवस्थित है.

वैसे भी, उस आदमी से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं, जो इन नोट्स के अंत में पूर्णविराम लगाकर, ‘चेन-ब्रिज से सिर के बल कूद गया.

तो.....