अधाय
– 2.3
चलिए, अब अध्याय 2 के दो अन्य पात्रों की ओर
चलें. हम देख चुके हैं कि मार्क क्रिसोबोय सुरक्षा प्रमुख है. देखिए, उसका वर्णन
किस प्रकार किया गया है:
क्रिसोबोय बड़ा हट्टा-कट्टा, अत्यंत शक्तिशाली
व्यक्ति था. उसका चेहरा विद्रूप था. जैसे ही वह बाल्कनी में आया, ऐसा लगा, मानो
अँधेरा छा गया हो. क्रिसोबोय अपनी सैन्य टुकड़ी के सबसे ऊँचे सैनिक से भी लगभग एक
सिर के बराबर ऊँचे थे. उनके कन्धे इतने चौड़े थे कि उन्होंने अभी-अभी उदित हुए
सूर्य को पूरी तरह ढँक लिया था.
इसी अध्याय में हम सूर्य को क्रमश: प्रखर होते
देखेंगे...बाद के अध्यायों में भी सूर्य की निर्ममता का वर्णन है. मगर अध्याय 2 के
आरम्भ में क्रिसोबोय सूर्य से अधिक ताकतवर है, क्योंकि सूर्य अभी ऊपर नहीं आया है!
इसका तात्पर्य यह हुआ कि सुरक्षा तंत्र बहुत शक्तिशाली था और उन्होंने सूर्य
द्वारा प्रदर्शित शक्तिशाली व्यक्तियों को भी ग्रहण लगा दिया था...धीरे-धीरे हम जानेंगे
कि मिखाइल बुल्गाकोव का इशारा किस ओर है.
अब आइए येशुआ की ओर. पूरा नाम, जो उन्हें दिया गया
है, वह है येशुआ-हा-नोस्त्री. उसे लाया
जाता है येरूशलम के न्यायाधीश के सम्मुख. आसपास
का परिवेष यह सुझाता है कि यह ईसा मसीह पर चलाया जा रहा मुकदमा है...मगर...यही तो
है बुल्गाकोव का कमाल! वे यत्र-तत्र कुछ ऐसी बातों की ओर इशारा कर देते हैं कि हमें
यकीन होने लगता है कि ये वास्तव में वो नहीं है.
येशू की ओर ध्यान दीजिए...उसकी उम्र, जो बुल्गाकोव द्वारा बताई जाती है, उसकी वेशभूषा, पोन्ती पिलात द्वारा उससे पूछे गए प्रश्न और येशू द्वारा दिए गए जवाब. यह जानने की कोशिश कीजिए कि वे पवित्र बाइबल में दिए गए वर्णन से किस तरह भिन्न हैं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.