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रविवार, 24 जून 2012

Discussion on Master & Margarita (Hindi)- 2.2


अध्याय – 2.2

हमने देखा कि पोंती पिलात सिर दर्द से परेशान है. इस सिर दर्द की वजह है लाल गुलाबों से आती हुई सुगन्ध जो हर तरफ व्याप्त थी.

”मास्टर और मार्गारीटा “ में आप कई बार देखेंगे कि बुल्गाकोव सिर की ओर – याने विचार प्रक्रिया की ओर ध्यान नहीं देना चाहते और कई बार आपको ऐसे वाक्य पढ़ने को मिलेंगे, जैसे : ‘सिर क्यों?’,    ‘सिर का यहाँ क्या काम?’, ‘सिर की यहाँ कोई ज़रूरत नहीं है!’   

व्लादीमिर मायाकोव्स्की ने भी अपने नाटक ‘खटमल’ में एक दृश्य लिखा है जिसमें बाज़ार में मछली बेचे जाने का दृश्य है. दो दुकानदार एक ही तरह की मछली अलग-अलग दामों पर बेच रहे हैं. पूछताछ करने से पता लगता है कि सस्ती मछली लम्बी भी है. दुकानदार द्वारा अपनी सफ़ाई में यह कहा जाता है कि मछली का सिर काट दो, लम्बाई बराबर हो जाएगी. सिर की ज़रूरत ही क्या है?

तात्पर्य यह कि तत्कालीन सोवियत संघ में किसी भी प्रकार के बौद्धिक कार्यकलापों का स्वागत नहीं होता था . सिर्फ संख्या की, सिर्फ हुक्म का पालन करने वाले रोबो की ज़रूरत थी?

अध्याय 2 में जो व्यक्ति हमारा ध्यान आकर्षित करता है वह है मार्क क्रिसोबोय. अंग्रेज़ी अनुवाद होगा Ratslayer और हिन्दी अनुवाद – चूहामार.


उन दिनों एक अभियान चला था खेतों से चूहों को, याने समाज से घातक तत्वों को ख़त्म करने का. क्रिसोबोय उसी विभाग से था जो समाज के लिए ख़तरनाक समझे जाने वाले व्यक्तियों का सफ़ाया करता था.


क्रिसोबोय के डील डौल पर ज़रा नज़र डालिए....इसके बारे में, अगली बार!

बुधवार, 20 जून 2012

Discussion on Master & Margarita (Hindi) - 2.1


अध्याय -2.1
पहले अध्याय में हमने देखा कि इवान बेज़्दोम्नी और बेर्लिओज़ पत्रियार्शी तालाब वाले पार्क में इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि येशू का अस्तित्व था या नहीं. बेर्लिओज़ का मत था कि उनका अस्तित्व कभी था ही नहीं. अचानक वहाँ एक अजनबी आता है जो स्वयँ को काले जादू का विशेषज्ञ बताता है. वह इस बात पर ज़ोर देता है कि ईसा थे, और उनके अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए किसी परिणाम की आवश्यकता नहीं है. वह बेज़्दोम्नी और बेर्लिओज़ को प्राचीन येरूशलम ले जाता है जहाँ ईसा पर मुकदमा चलाया जा रहा है. इस स्थान एवम् समय परिवर्तन को बड़ी खूबी से बुल्गाकोव ने उसी वाक्य से अंजाम दिया है, जिससे पहला अध्याय समाप्त किया गया है. आगे के अध्यायों में भी इस विधा का प्रयोग किया गया है.

तो, प्राचीन येरूशलम में रोम का न्यायाधीश पोंती पिलात ईसा से प्रश्न पूछ रहा है.

दूसरा अध्याय पढ़ते समय बड़ी सावधानी से इस वार्तालाप पर ध्यान दीजिए. अध्याय के आरंभ में पिलात की मनोदशा और उसके स्वास्थ्य पर गौर कीजिए.


न्यायाधीश माइग्रेन से पीडित है. गुलाब के फूलों की सुगन्ध के कारण. माइग्रेन ही क्यों? जिससे उसका सिर्फ आधा मस्तिष्क ही दर्द से सुलगता रहे और वह उसका इस्तेमाल न कर पाए. गुलाब ही के फूल इसलिए क्योंकि उनका रंग लाल होता है.

मार्क क्रिसोबोय पर ध्यान दीजिए.

क्रिसोबोय पर चर्चा अगली बार!

मंगलवार, 12 जून 2012

Discussion on Master & Margarita in Hindi - 1.2


मास्टर और मार्गारीटा – 1.2 
  
अजनबी उनकी रोचक बहस को सुनकर उनके निकट आया और उन्हींकी बेंच पर उनके बीच बैठ गया. अजनबी को वे बताते हैं कि वे नास्तिक हैं और इस बात को बिना डरे, आज़ादी से कह सकते हैं (स्पष्ट है कि अन्य बातों को कहने से पहले हज़ार बार सोचना पड़ता था, इस तरह कहना पड़ता था कि कोई सुन न ले.

अजनबी दो बातों की भविष्यवाणी करता है: पहली यह कि उस शाम को होने वाली मॉसोलित की मीटिंग होगी नहीं, जिसकी अध्यक्षता बेर्लिओज़ करने वाला था; और दूसरी यह कि बेर्लिओज़ की मृत्यु एक महिला द्वारा गला काटने से होगी.

जिस तरह अजनबी ये दो बातें कहता है उस पर ग़ौर कीजिए, “एक, दो...बुध दूसरे घर में...चन्द्रमा अस्त हो गया...छह – दुर्भाग्य...शाम – सात...” ज्योतिष शास्त्र में वाक़ई में ग्रहों की यह स्थिति दुर्भाग्य एवम् मृत्यु को दर्शाती है.


कहने का तात्पर्य यह है कि बुल्गाकोव ने जो भी लिखा है वह गहन अध्ययन के बाद ही लिखा है, चाहे वह ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में हो, या फिर भौगोलिक स्थितियों के बारे में हो, या उनके समकालीन मॉस्को के जीवन के बारे में हो. यदि आपको इसमें कहीं विरोधाभास नज़र आए (जैसा कि आना चाहिए), तो समझ लीजिए कि बुल्गाकोव ने ऐसा जानबूझकर किया है, उनका इशारा किसी और बात की ओर है. ऐसे ही उदाहरणों का उपयोग हमें करना है उपन्यास को समझने के लिए.

आगे बढ़ते हुए हम पिछले अध्यायों का संदर्भ देते रहेंगे, अतः बेहतर होगा यदि आप हर अध्याय को ध्यान से पढ़ें.

पहला अध्याय समाप्त करके दूसरे अध्याय की ओर जाते जाते इस बात पर ध्यान देना न भूलें कि पहले अध्याय का अंतिम वाक्य और दूसरे अध्याय का पहला वाक्य बिल्कुल एक ही है. सोचिए कि ऐसा क्यों किया गया होगा?

सोमवार, 11 जून 2012

Discussion on M&M in Hindi - 1.1


अध्याय – 1.1
“मास्टर और मार्गारीटा’ के पहले अध्याय में हम देखते हैं कि दो साहित्यकार – मिखाइल अलेक्सान्द्रोविच बेर्लिओज़ तथा इवान निकोलायेविच पनीरेव पत्रियार्शी तालाब के किनारे बने पार्क में चर्चा कर रहे हैं.

बेर्लिओज़ ने, जो एक मोटी मासिक पत्रिका का संपादक एवम् ‘मॉसोलित’ (MASSOLIT)  का अध्यक्ष था, कवि पनीरेव से ईसा मसीह के बारे में कविता लिखने को कहा था. पनीरेव ‘बेज़्दोम्नी’ (बेघर) उपनाम से कविताएँ लिखता था.

यहाँ कुछ बातों पर ध्यान दीजिए:

घटनाक्रम का आरम्भ हो रहा है मई की एक बेहद गरम शाम को , मॉस्को में.

 ‘मॉसोलित’ एक काल्पनिक नाम है. इस प्रकार के अनेक साहित्यिक संगठन पिछली शताब्दी के बीसवें दशक के आरम्भ में सोवियत रूस में रोज़ ही बनते थे, और कभी कभी तो शाम तक बिखर भी जाते थे.  

MASSOLIT से हम अनेक तात्पर्य निकाल सकते हैं जैसे मासोवाया लितेरातूरा, या मॉस्को असोसियेशन ऑफ लिटरेचर, या फिर मास्तेर्स्काया सवेत्स्कोय लितेरातूरी. इन संगठनों को शासकीय संरक्षण प्राप्त था एवम् वे काफी प्रभावशाली थे, अतः यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बेर्लिओज़ काफी प्रभावशाली व्यक्ति है, उसने काफी कुछ पढ़ भी रखा है, और वह काफी चालाक भी है.

कवि ‘बेज़्दोम्नी’ नौजवान है. तत्कालीन सोवियत रूस में इस प्रकार के उपनामों से अनेक साहित्यकार रचनाएँ किया करते थे. दिलचस्प बात ये है, जिसका ज़िक्र उपन्यास में कई बार आता है, कि उस समय आवास-समस्या बड़ी विकट थी. स्वयँ बुल्गाकोव भी इस समस्या से जूझ चुके थे, 
इसीलिए शायद उन्होंने यह उपनाम रख दिया हो.

कवि इवान बेज़्दोम्नी ने कविता तो लिख दी थी, उसमें ईसा को काले रंगों में चित्रित कर दिया था, पर बेर्लिओज़ ऐसी कविता चाहता था जिसमें ईसा के अवतरण को ही नकार दिया जाए. वह यही बात बेज़्दोम्नी को समझा रहा था कि बाइबल में जो लिखा है, ज़रूरी नहीं कि वह सत्य ही हो.

बुल्गाकोव की शैली की यह एक ख़ासियत है. वे किसी घटना का वर्णन करते जाते हैं, करते जाते हैं और फिर एकदम उसे नकार कर यह भी तुक्का जोड़ देते हैं कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था. यह विशेषता  उपन्यास का विश्लेषण करने में सहायक होगी.

अभी दोनों साहित्यकार अपनी चर्चा में मगन ही थे कि तभी वहाँ एक तीसरा, रहस्यमय व्यक्ति प्रकट हुआ. उसके रूप-रंग, चाल – ढाल के बारे में गौर से पढ़िए; वह बेर्लिओज़ के बारे में क्या भविष्यवाणी करता है और कैसे करता है इस पर ध्यान दीजिए फिर हम आगे बढेंगे.

शनिवार, 9 जून 2012

Discussion on Master & Margarita in Hindi


आइए, अब मिखाइल बुल्गाकोव के उपन्यास ‘मास्टर और मार्गारीटा’ पर कुछ चर्चा करें.

हम हर अध्याय की विशेष बातों की ओर ध्यान देंगे.

आरम्भ करते हैं पहले अध्याय से . अगली पोस्ट में मैं आपको इस अध्याय की विशेषताओं के बारे में बताऊँगी....तब तक ये रहा आपके लिए होम-वर्क!

अध्याय पढ़ लीजिए और निम्न बातों पर ग़ौर कीजिए:


कथानक कहाँ पर घटित हो रहा है;

इस अध्याय में कितनी व्यक्ति रेखाएँ हैं;

वे कौन सी बात पर बहस कर रहे हैं;

कौन व्यक्ति अचानक प्रविष्ट हुआ;

उसकी बाह्य रूप रेखा कैसी है;

घटनाक्रम के स्थान तथा समय के बारे में आप क्या कह सकते हैं?

इन प्रश्नों पर थोड़ा सा विचार करें, शीघ्र ही फिर मिलेंगे!