अध्याय – 1.1
“मास्टर और मार्गारीटा’ के पहले अध्याय में हम
देखते हैं कि दो साहित्यकार – मिखाइल अलेक्सान्द्रोविच बेर्लिओज़ तथा इवान
निकोलायेविच पनीरेव पत्रियार्शी तालाब के किनारे बने पार्क में चर्चा कर रहे हैं.
बेर्लिओज़ ने, जो एक मोटी मासिक पत्रिका का
संपादक एवम् ‘मॉसोलित’ (MASSOLIT) का अध्यक्ष था, कवि पनीरेव
से ईसा मसीह के बारे में कविता लिखने को कहा था. पनीरेव ‘बेज़्दोम्नी’ (बेघर) उपनाम से
कविताएँ लिखता था.
यहाँ कुछ बातों पर ध्यान दीजिए:
घटनाक्रम का आरम्भ हो रहा है मई की एक बेहद गरम
शाम को , मॉस्को में.
‘मॉसोलित’ एक काल्पनिक नाम है. इस प्रकार के
अनेक साहित्यिक संगठन पिछली शताब्दी के बीसवें दशक के आरम्भ में सोवियत रूस में
रोज़ ही बनते थे, और कभी कभी तो शाम तक बिखर भी जाते थे.
MASSOLIT से हम अनेक तात्पर्य निकाल सकते हैं जैसे
मासोवाया लितेरातूरा, या मॉस्को असोसियेशन ऑफ लिटरेचर, या फिर मास्तेर्स्काया सवेत्स्कोय
लितेरातूरी. इन संगठनों को शासकीय संरक्षण प्राप्त था एवम् वे काफी प्रभावशाली थे,
अतः यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बेर्लिओज़ काफी प्रभावशाली व्यक्ति है, उसने
काफी कुछ पढ़ भी रखा है, और वह काफी चालाक भी है.
कवि ‘बेज़्दोम्नी’ नौजवान है. तत्कालीन सोवियत
रूस में इस प्रकार के उपनामों से अनेक साहित्यकार रचनाएँ किया करते थे. दिलचस्प
बात ये है, जिसका ज़िक्र उपन्यास में कई बार आता है, कि उस समय आवास-समस्या बड़ी
विकट थी. स्वयँ बुल्गाकोव भी इस समस्या से जूझ चुके थे,
इसीलिए शायद उन्होंने यह
उपनाम रख दिया हो.
कवि इवान बेज़्दोम्नी ने कविता तो लिख दी थी,
उसमें ईसा को काले रंगों में चित्रित कर दिया था, पर बेर्लिओज़ ऐसी कविता चाहता था
जिसमें ईसा के अवतरण को ही नकार दिया जाए. वह यही बात बेज़्दोम्नी को समझा रहा था
कि बाइबल में जो लिखा है, ज़रूरी नहीं कि वह सत्य ही हो.
बुल्गाकोव की शैली की यह एक ख़ासियत है. वे किसी
घटना का वर्णन करते जाते हैं, करते जाते हैं और फिर एकदम उसे नकार कर यह भी तुक्का
जोड़ देते हैं कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था. यह विशेषता उपन्यास का विश्लेषण करने में सहायक होगी.
अभी दोनों साहित्यकार अपनी चर्चा में मगन ही थे
कि तभी वहाँ एक तीसरा, रहस्यमय व्यक्ति प्रकट हुआ. उसके रूप-रंग, चाल – ढाल के
बारे में गौर से पढ़िए; वह बेर्लिओज़ के बारे में क्या भविष्यवाणी करता है और कैसे
करता है इस पर ध्यान दीजिए फिर हम आगे बढेंगे.
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