लोकप्रिय पोस्ट

बुधवार, 18 जुलाई 2012

Discussion on Master&Margarita (Hindi) - Chapter 9


अध्याय -9

तो, मॉस्को में वोलान्द की गतिविधियाँ आरम्भ हो चुकी हैं. सबसे पहले उसने सादोवाया स्ट्रीट पर बिल्डिंग नं. 302 के फ्लैट नं. 50 में अपना डेरा जमा लिया जहाँ स्वर्गीय बेर्लिओज़ स्त्योपा के साथ रहता था.

वोलान्द और उसकी मण्डली इस फ्लैट में तीन दिनों तक रहते हैं और हम देखेंगे कि वे क्या-क्या करते हैं; मॉस्को को किस प्रकार अपनी उपस्थिति का एहसास कराते हैं.

चलिए, देखते हैं कि बेर्लिओज़ की मृत्यु के दूसरे दिन क्या-क्या हुआ:
 - स्त्योपा को याल्टा फेंक दिया गया;
 - इवान की सोच में परिवर्तन का प्रारम्भ हो जाता है.

यह सब सुबह के करीब बारह बजे होता है.

बिल्डिंग नं. 302 में क्या होता है?

बिल्डिंग नं. 302 की हाउसिंग सोसाइटी के प्रेसिडेण्ट निकानोर इवानोविच बासोय बुधवार और गुरुवार के बीच की रात को काफी व्यस्त थे. करीब आधी रात को बिल्डिंग नं. 302 में एक कमिटी आती है, जिसमें झेल्दीबिन भी था जो बेर्लिओज़ के स्थान पर मासोलित (MASSOLIT) का प्रेसिडेण्ट बनने वाला था. वे निकानोर इवानोविच को बेर्लिओज़ की मृत्यु की सूचना देते हैं. उसके कागज़ात एवम् अन्य चीज़ों को सील कर दिया जाता है, वे दो कमरे भी, जिनमें बेर्लिओज़ रहता था, सील कर दिए जाते हैं.

बेर्लिओज़ की मृत्यु का समाचार आग की तरह फैल जाता है. हर कोई इस मौके का फ़ायदा उठाना चाहता है. हाउसिंग सोसाइटी के प्रेसिडेण्ट के दफ़्तर में इन दो कमरों को प्राप्त करने के लिए अर्ज़ियों का ताँता लग गया.

यहाँ हमें यह पता चलता है कि उपन्यास का घटनाक्रम बुधवार को  आरम्भ हुआ है – बेर्लिओज़ मर जाता है; इवान को स्त्राविन्स्की के क्लिनिक में भेज दिया जाता है. गुरुवार की सुबह स्त्योपा लिखोदेयेव फ्लैट नं. 50 से बाहर फेंक दिया जाता है और आँख खुलते ही वह स्वयम् को याल्टा में पाता है.

निकानोर इवानोविच की ओर चलें.

निकानोर इवानोविच को फ्लैट नं. 50 के लिए जो अर्ज़ियाँ प्राप्त हुई हैं उनसे पाठकों को पता चलता है कि सामूहिक आवास-गृहों में लोग किस तरह रहते थे और एक अच्छी जगह पाने के लिए वे क्या कुछ करने को तैयार थे.

आवास समस्या के बारे में ग्रिबोयेदोव भवन वाले अध्याय में भी काफी कुछ लिखा गया है...आगे भी कई बार इसके बारे में आप पढेंगे.

तो, निकानोर इवानोविच को बेर्लिओज़ के दो कमरों के बारे में ढेर सारी अर्ज़ियाँ प्राप्त होती हैं. अर्ज़ियाँ लिखने वाले उसे धमका रहे थे; उसके सामने शर्तें रख रहे थे; उसे रिश्वत देने की पेशकश कर रहे थे; अपने खर्चे से मरम्मत करवाने के बारे में कह रहे थे.

वे अपने सह-जीवन की समस्याओं का वर्णन कर रहे थे: एक ही कमरे में चोरों-डाकुओं के बीच रहने की मजबूरी बयान कर रहे थे; अनपढ़, असभ्य लोगों के बीच नारकीय जीवन बिताने का रोना रो रहे थे.

इन व्यक्तियों से बचने के लिए निकानोर इवानोविच फ्लैट नं. 50 में जाकर छुपने की सोचता है. मगर जैसे ही वह आधिकारिक भाव से ताला खोलकर भीतर पहुँचता है मृतक की लिखने की मेज़ पर टूटे काँच वाली ऐनक और चौख़ाने की कमीज़ पहने एक लम्बू को देखकर भौंचक्का रह जाता है...यह वही तो था जो हवा से बनता नज़र आया था और जिसने बेर्लिओज़ को पत्रियार्शी पार्क से बाहर जाने का रास्ता बताया था.     

अब हमें पता चलता है कि उसका नाम है कोरोव्येव और वह शाम को वेरायटी थियेटर में काले जादू का शो करने जा रहे विदेशी का दुभाषिया है. निकानोर इवानोविच को सूचित किया जाता है कि स्त्योपा लिखोदेयेव ने प्रोफेसर वोलान्द (रहस्यमय प्रोफेसर का यही नाम था) एवम् उनकी टीम को एक सप्ताह के लिए अपने फ्लैट में रहने की दावत दी है और निकानोर इवानोविच को इस बारे में पहले ही सूचित किया जा चुका है. अब तो स्त्योपा का इस बारे में निकानोर इवानोविच को लिखा गया पत्र भी उनके ब्रीफ केस में पड़ा मिल जाता है.

निकानोर इवानोविच विदेशियों के ब्यूरो में इस विचित्र विदेशी के बारे में सूचना देता है मगर उसे टॆलिफोन पर बताया जाता है कि उन्हें इस बारे में जानकारी है और उन्हें विदेशी के स्त्योपा फ्लैट में एक सप्ताह के लिए रहने पर कोई आपत्ति नहीं है.

निकानोर इवानोविच को इस एक सप्ताह के लिए किराया दिया जाता है, और करकराते रुबल्स का एक बण्डल भी उसकी ‘सेवाओं’ के लिए पेश किया जाता है, जिसे वह इस बात का पूरा इत्मीनान लेने के बाद रख लेता है कि इस लेन-देन के कोई गवाह नहीं हैं.

अपने फ्लैट में पहुँचने पर निकानोर इवानोविच नोटों के इस बण्डल को शौचालय के वेंटीलेटर में छुपा देता है, मगर न जाने क्यों और कैसे रुबल्स विदेशी मुद्रा में बदल जाते हैं, कोई गुप्त पुलिस को खबर कर देता है कि निकानोर इवानोविच ने रिश्वत ली है, और उसे विदेशी मुद्रा सहित गिरफ़्तार कर लिया जाता है.

वास्तव में, कोरोव्येव ने ही गुप्तचर पुलिस को हाउसिंग कमिटी के सेक्रेटरी तिमोफेई क्वास्त्सोव के नाम से फोन कर दिया था कि निकानोर इवानोविच ने विदेशी मुद्रा के रूप में रिश्वत ली है. निकानोर इवानोविच लाख समझाने की कोशिश करता है कि उसने किराए के रूप में रुबल्स लिए थे...वह उस रहस्यमय प्रोफेसर के साथ किए गए अनुबन्ध को दिखाने के लिए अपना ब्रीफ केस खोलता है, मगर ब्रीफकेस में न तो वह अनुबन्ध था, न प्रोफेसर का पासपोर्ट, न स्त्योपा का ख़त और न ही शाम की शो के वे दो टिकट जो कोरोव्येव ने उसे दिए थे.

यहाँ से मामला काफी उलझने लगता है. कई अविश्वसनीय और जादुई, रहस्यमय और खतरनाक घटनाएँ होने लगती हैं...वे जो किसी न किसी सामाजिक अपराध के दोषी हैं, उन्हें सज़ा मिलती है...जैसे कि स्त्योपा को सज़ा मिली अपनी अयोग्यता तथा सरकारी ओहदे का दुरुपयोग करने के लिए ; निकानोर इवानोविच को सज़ा मिली रिश्वत लेने के जुर्म में....दिलचस्प बात यह है कि वोलान्द की मण्डली का हर शिकार चिल्लाता है कि मॉस्को में शैतान घुस गया है...

घटनाओं की कड़ी जो बेर्लिओज़ और इवान बेज़्दोम्नी से शुरू हुई थी उसकी लपेट में अब स्त्योपा, और निकानोर इवानोविच आ चुके हैं.


अगले अध्याय में हम जानेंगे वेरायटी थियटर के प्रशासकीय अधिकारियों के बारे में, उनके बीच चल रहे शीत युद्ध के बारे में...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.