अध्याय – 2.4
‘तभी शस्त्रधारी
सैनिक लगभग 27 वर्ष के नवयुवक को पकड़ कर लाए. उसने फटा-पुराना लम्बा नीला चोगा
पहना था, सिर पर सफ़ेद रूमाल बन्धा था...’
तो, येशुआ-हा-नोस्त्री की आयु 27 वर्ष बताई गई
है...पवित्र बाइबल में ईसा की आयु बताई गई है 33 वर्ष ...
येशुआ नीले रंग की पोषाक में है, पवित्र बाइबल
के अनुसार उनकी पोषाक का रंग था काला...येशुआ कहता है कि उसे अपने माता-पिता की
याद नहीं, कहता है कि वे सीरियाई थे...यह भी बाइबल की कथा से दूर हट गया है.
हा-नोस्त्री पर आरोप लगाया गया है कि उसने येरूशलम
में लोगों को मन्दिर नष्ट करने के लिए उकसाया...येशुआ जवाब देता है कि उसने किसी
को इस काम के लिए नहीं उकसाया. उसने यह भी कहा कि पुराने विश्वासों का मन्दिर एक
दिन ढह जाएगा और इसके स्थान पर सत्य का एक नया मन्दिर बनेगा.
यह सब स्थानीय वैचारिक/ धार्मिक व्यवस्था के,
जिसका नेतृत्व कैफ करता था, विरुद्ध जा रहा था.
कैफ और पोंती पिलात के बीच किस प्रकार के सम्बन्ध
हैं उन पर ध्यान दीजिए...
वे एक दूसरे से घृणा करते हैं. कैफ ने सम्राट
से पिलात के विरुद्ध शिकायत की थी. अध्याय 2 में यह बताया गया है कि असल में पिलात
येशुआ को बचाना चाहता था. वह उसे येरूशलम से दूर ले जाकर अपने साथ रखना चाहता था.
मगर कैफ ज़िद पर अड़ा था कि येशुआ को फाँसी पर लटकाया जाए.
येशुआ को मृत्यु दण्ड सुनाकर पिलात अपने हाथ
मलता है जैसे उन्हें धो रहा हो. यही प्रक्रिया आगे के एक और अध्याय में भी दोहराई
जाएगी.
आगे...
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