अध्याय 10
इस अध्याय का शीर्षक है ‘याल्टा की ख़बरें’
जिनके बारे में हमें वेरायटी थियेटर में ही पता चलता रहता है. बुल्गाकोव बताते हैं
कि स्वयँ को याल्टा में पाकर स्त्योपा ने क्या-क्या किया.
घटनाक्रम वेरायटी थियेटर में ही घटित होता है.
वेरायटी भी सादोवाया स्ट्रीट पर ही स्थित है. घटनाक्रम उसी समय आरंभ होता है जब
इवान बेज़्दोम्नी से स्त्राविन्स्की के क्लिनिक में पूछताछ की जा रही है; स्त्योपा
को फ्लैट नं. 50 से याल्टा फेंका जा चुका है; निकानोर इवानोविच को घर में विदेशी
मुद्रा रखने के अपराध में गिरफ़्तार कर लिया गया है – कृपया ध्यान दें कि यह सब
गुरुवार की सुबह को हो रहा है और वे सभी स्थान जहाँ वोलान्द की गतिविधियाँ हो रही
हैं, सादोवाया स्ट्रीट पर ही हैं.
तो, वेरायटी में वित्तीय डाइरेक्टर रीम्स्की और
प्रबन्धक वारेनूखा स्त्योपा का इंतज़ार कर रहे हैं, जिसने अपने फ्लैट से रीम्स्की को
सूचित किया था कि वह आधे घण्टे में वेरायटी पहुँच रहा है.
वारेनूखा मुफ़्त टिकट माँगने वालों की भीड़ से
बचने के लिए रीम्स्की के कैबिन में बैठा है.
रीम्स्की स्त्योपा से बहुत चिढ़ता है. वह
वारेनूखा को बताता है कि कल स्त्योपा पागल की तरह हाथ में एक अनुबन्ध लिए भागता
हुआ उसके कमरे में आया था. यह अनुबन्ध था काले-जादू के शो का, किसी प्रोफेसर
वोलान्द के साथ; और उसने इस जादूगर को देने के लिए रीम्स्की से कुछ अग्रिम धनराशि
भी ली थी. मगर वह जादूगर था कहाँ? उसे किसीने भी नहीं देखा था. और अब दो बजे – न
तो स्त्योपा का पता है और न ही काले-जादू के जादूगर का.
फिर अचानक रीम्स्की के कैबिन में टेलिग्राम्स
की बौछार शुरू हो जाती है.
पहला सुपर लाइटनिंग टेलिग्राम भेजा था याल्टा
की ख़ुफ़िया पुलिस ने जिसमें कहा गया था कि सुबह के क़रीब 11.30 बजे एक पागल,
लिखोदेयेव, जो अपने आप को वेरायटी का डाइरेक्टर बता रहा है, नाइट ड्रेस में, बगैर जूतों
के याल्टा में पाया गया. ख़ुफ़िया पुलिस जानना चाहती है कि लिखोदेयेव कहाँ है.
इससे पहले कि रीम्स्की इस टेलिग्राम का जवाब यह
लिखकर देता कि “लिखोदेयेव-मॉस्को में” एक दूसरा सुपर लाइटनिंग टेलिग्राम आ धमकता
है. इसे भेजा है लिखोदेयेव ने , “प्रार्थना, विश्वास करें वोलान्द के सम्मोहन से
याल्टा फेंका गया, ख़ुफ़िया पुलिस को सूचित कर लिखोदेयेव की पुष्टि करें.”
इस टेलिग्राम का जवाब देने से पहले वे टेलिफोन
द्वारा स्त्योपा से उसके फ्लैट में सम्पर्क स्थापित करने की कोशिश करते हैं – कोई जवाब नहीं मिलता. पत्र
वाहक को उसके फ्लैट में भेजा जाता है – फ्लैट में ताला है; और अभी वे सोच ही रहे
थे कि क्या किया जाए कि तीसरा टेलिग्राम आता है जिसमें काली पृष्ठभूमि पर स्त्योपा
के हस्ताक्षर हैं. स्त्योपा ने अपने हस्ताक्षर भेज कर इस बात की पुष्टि करने को
कहा है कि ये वाक़ई में स्त्योपा के ही हस्ताक्षर हैं, और वही याल्टा में मौजूद है.
अब रीम्स्की और वारेनूखा के सामने सबसे बड़ी
पहेली ये थी कि लिखोदेयेव साढ़े ग्यारह बजे एक साथ मॉस्को और याल्टा में कैसे मौजूद
हो सकता था. मगर चूँकि हस्ताक्षर उसी के थे, रीम्स्की याल्टा की ख़ुफ़िया पुलिस को
सूचित करता है कि मॉस्को में लिखोदेयेव से सम्पर्क नहीं कर सके, जबकि उसने अपने
फ्लैट से 11.30 बजे फोन करके वेरायटी को सूचित किया था कि आधे घण्टे में वहाँ
पहुँच रहा है; मगर टेलिग्राम के साथ संलग्न हस्ताक्षर स्त्योपा के ही हैं इस बात
की सत्यता की जाँच कर ली गई है.
फिर आता है एक और टेलिग्राम जिसमें स्त्योपा ने
रीम्स्की से पाँच सौ रूबल्स भेजने की प्रार्थना की है ताकि वह मॉस्को वापस लौट
सके.
पैसे भेज दिए जाते हैं.
हम देखते हैं कि रीम्स्की, वारेनूखा और
स्त्योपा एक दूसरे को पसन्द नहीं करते. रीम्स्की एक संजीदा किस्म का इन्सान है जो
स्त्योपा के लापरवाह किस्म के बर्ताव को बर्दाश्त नहीं कर सकता. वह हमेशा ऐसे मौके
की तलाश में रहता है जिससे स्त्योपा को सज़ा दिलवा सके...इस बार उसके हाथ एक अच्छा
मौका लग गया है!
रीम्स्की सभी टेलिग्राम्स को एक लिफाफे में
रखकर बन्द करता है और वारेनूखा से कहता है कि वह स्वयँ जाकर इन्हें वहाँ दे दे.
इस उपन्यास में कई बार वे, उन्हें, उनको...
इस प्रकार के संदर्भ मिलते हैं, ये अप्रत्यक्ष रूप से केजीबी(KGB) जैसी संस्थाओं की ओर इशारा है, जिसका
नाम उस समय एनकेवेदे(NKVD) था.
मगर जैसे ही वारेनूखा उस जगह जाने के लिए निकलता है उसे टेलिफोन पर धमकी दी जाती
है कि टेलिग्राम्स कहीं भी न ले जाए.
वारेनूखा चल पड़ता है. जाने से पहले थियेटर के
ग्रीष्मोद्यान के शौचालय में जाता है यह देखने के लिए कि मैकेनिक ने वहाँ बल्ब पर धातु
की जाली चढ़ा दी है अथवा नहीं.
मौसम एकदम बदल जाता है. तूफ़ानी हवा ज़ोर पकड़ने
लगती है, वह वारेनूखा के चेहरे पर थपेड़े मारती है, उसे आगे जाने से रोकती है.
अन्धेरा छा जाता है.
शौचालय में घुप अन्धेरा छा जाता है, अचानक
बिजली की कड़कड़ाहट के साथ उसका सामना शौचालय में दो लोगों से होता है : एक नाटा,
मोटा, बिल्ले जैसा व्यक्ति जो मना करने के बावजूद टेलिग्राम्स ले जाने की जुर्रत
करने के लिए उसके बाएँ कान पर ज़ोरदार थप्पड़ मारता है; दूसरा थप्पड़ पड़ता है दाएँ
कान पर जिसे लाल बालों वाले हट्टेकट्टे व्यक्ति ने मारा था. एक और थप्पड़ न जाने
कहाँ से ठीक मुँह पर पड़ता है.
ये दोनों डाकू वारेनूखा को दोनों ओर से पकड़कर
बरसते पानी में ले जाकर लिखोदेयेव के फ्लैट में पटक देते हैं जहाँ फॉस्फोरस जैसी
जलती आँखों वाली एक नग्न युवती अपनी बर्फ जैसी ठण्डी हथेलियाँ उसके कन्धों में
गड़ाती है और कहती है, ‘आओ, मैं तुम्हारा चुम्बन ले लूँ!’..
वारेनूखा होश खो बैठता है...
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