मास्टर और मार्गारीटा – 1.2
अजनबी उनकी रोचक बहस को सुनकर उनके निकट आया और
उन्हींकी बेंच पर उनके बीच बैठ गया. अजनबी को वे बताते हैं कि वे नास्तिक हैं और
इस बात को बिना डरे, आज़ादी से कह सकते हैं (स्पष्ट है कि अन्य बातों को कहने से
पहले हज़ार बार सोचना पड़ता था, इस तरह कहना पड़ता था कि कोई सुन न ले.
अजनबी दो बातों की भविष्यवाणी करता है: पहली यह
कि उस शाम को होने वाली मॉसोलित की मीटिंग होगी नहीं, जिसकी अध्यक्षता बेर्लिओज़
करने वाला था; और दूसरी यह कि बेर्लिओज़ की मृत्यु एक महिला द्वारा गला काटने से
होगी.
जिस तरह अजनबी ये दो बातें कहता है उस पर ग़ौर
कीजिए, “एक, दो...बुध दूसरे घर में...चन्द्रमा अस्त हो गया...छह – दुर्भाग्य...शाम
– सात...” ज्योतिष शास्त्र में वाक़ई में ग्रहों की यह स्थिति दुर्भाग्य एवम्
मृत्यु को दर्शाती है.
कहने का तात्पर्य यह है कि बुल्गाकोव ने जो भी लिखा है वह गहन अध्ययन के बाद ही लिखा है, चाहे वह ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में हो, या फिर भौगोलिक स्थितियों के बारे में हो, या उनके समकालीन मॉस्को के जीवन के बारे में हो. यदि आपको इसमें कहीं विरोधाभास नज़र आए (जैसा कि आना चाहिए), तो समझ लीजिए कि बुल्गाकोव ने ऐसा जानबूझकर किया है, उनका इशारा किसी और बात की ओर है. ऐसे ही उदाहरणों का उपयोग हमें करना है उपन्यास को समझने के लिए.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.