मिखाइल बुल्गाकव
किस्सा थियेटर का
हिन्दी अनुवाद
आ. चारुमति रामदास
एक मृत व्यक्ति की टिप्पणियाँ
प्रस्तावना
पाठकों को आगाह कर रहा हूँ कि इन टिप्पणियों की रचना से मेरा कोई संबंध
नहीं है और वे मुझे बेहद अजीब और दर्दनाक हालात में प्राप्त हुई हैं.
ठीक सिर्गेइ लिओंतेविच मकसूदव की आत्महत्या वाले दिन, जो पिछले साल बसंत में कीएव में हुई थी, मुझे आत्महत्या करने वाले द्वारा
भेजा गया एक मोटा पार्सल और एक ख़त मिला जो उसने पहले ही मुझे भेज दिया था.
पार्सल में ये टिप्पणियाँ थीं, और ख़त भी
बड़ा अजीबोगरीब था : सिर्गेइ लिओंतेविच घोषणा कर रहा था कि ज़िंदगी से बिदा लेते हुए
वह अपनी टिप्पणिया मुझे सौंप रहा है, इस
उद्देश्य से कि मैं, जो उसका एकमेव मित्र हूँ, इन्हें सुधारूं. अपने हस्ताक्षर करूँ और उन्हें प्रकाशित करूँ.
विचित्र मगर मृत्य से पूर्व प्रकट की गई इच्छा.
साल भर तक मैं सिर्गेइ लिओंतेविच के रिश्तेदारों और निकटवर्ती लोगों के
बारे में जानकारी इकट्ठा करता रहा. व्यर्थ ही में! मत्यु पूर्व लिखे गए पत्र में
उसने झूठ नहीं लिखा था कि इस दुनिया में उसका कोई नहीं बचा है.
और मैं इस तोहफे को स्वीकार कर लेता हूँ.
अब दूसरी बात: मैं सूचित करता हूँ कि आत्महत्या करने वाले का न तो नाटकों
से और न ही थियेटर से कोइ सम्बन्ध था, वह वही रहा
था, “शिपिंग कंपनी समाचार” नामक अखबार का छोटा सा कर्मचारी,
सिर्फ एक बार वह उपन्यास लेखक बना था, मगर उसमें
भी असफल रहा – सिर्गेइ लिओंतेविच का उपन्यास प्रकाशित ही नहीं हुआ.
इस तरह, मकसूदव के नोट्स उसकी कल्पना का ही फल है, और, आह, वह भी बीमार कल्पना का. सिर्गेइ एक बीमारी
से ग्रस्त था, जिसका बड़ा अप्रिय नाम है – उदासी.
मैं, जो मॉस्को की थियेटर की ज़िंदगी को अच्छी तरह
जानता हूँ, ग्यारंटी से कहता हूँ कि कहीं भी ऐसे कोई थियेटर्स, या लोग नहीं हैं, जिन्हें
मृतक की रचना में दिखाया गया है, और न ही थे.
और अंत में, तीसरी और आख़िरी बात : नोट्स पर मेरा काम ये
था कि मैंने उन्हें शीर्षक दिए, और इसके बाद
उस उद्धरण को नष्ट करा दिया जो मुझे कृत्रिम, अनावश्यक और अप्रिय लगा रहा था.
यह उद्धरण था:
“जिसको तिसको उसके कर्मों के हिसाब से...”
और, इसके अलावा, जहाँ जहाँ विराम चिह्न नहीं थे, वहाँ उन्हें
रख दिया.
सिर्गेइ लिओंतेविच की शैली को मैंने हाथ नहीं लगाया, हालांकि वह बेहद अव्यवस्थित है.
वैसे भी, उस आदमी से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं, जो इन नोट्स के अंत में पूर्णविराम लगाकर, ‘चेन-ब्रिज’ से सिर के बल कूद गया.
तो.....
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