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बुधवार, 19 अगस्त 2015

Reading Master and Margarita (HIndi) - 12

अध्याय 12

काला जादू एवं उसका भण्डाफोड़


पोस्टरों में लिखा गया था कि शाम को वेरायटी थियेटर में “काला जादू और उसका पर्दाफ़ाश” नामक शो होने वाला है – कार्यक्रम के दूसरे भाग में.

वेरायटी का हॉल खचाखच भरा था.

कार्यक्रम का आरम्भ जूली और उसके परिवार द्वारा दिखाए गए छोटे-मोटे कारनामों से हुआ.
लोग काफ़ी उत्तेजित हैं और वे बेसब्री से काले जादू वाले शो का इंतज़ार कर रहे हैं.

सिर्फ एक व्यक्ति जो इस पूरी चीज़ से बहुत उद्विग्न प्रतीत हो रहा है, वह है वेरायटी का वित्तीय डाइरेक्टर – रीम्स्की. वह अपने कैबिन में अकेला बैठा है और निराशा से अपने होठ काट लेता है. कभी-कभी उसका चेहरे पर भय की सिहरन दौड़ जाती है. वह इस बात से डर गया है कि स्त्योपा के गायब होने के बाद अब वारेनूखा भी गुम हो गया है. रीम्स्की महसूस कर रहा था कि इन दोनों घटनाओं में कोई न कोई सम्बन्ध ज़रूर है.

उसे इस बात पर अचरज हो रहा था कि वारेनूखा उस जगह से वापस क्यों नहीं लौटा था जहाँ उसे टेलिग्राम्स देकर भेजा गया था? वह उन्हें फोन करके यह मालूम करने का फैसला नहीं कर पा रहा था कि वारेनूखा वहाँ पहुँचा भी था अथवा नहीं. आख़िर रात के दस बजे उसने वहाँ फोन करने का निश्चय कर ही लिया, मगर पता चला कि टेलिफोन ख़ामोश पड़ा है, पता चला कि वेरायटी के सारे टेलिफोन ही काम नहीं कर रहे थे. हालाँकि रीम्स्की इस बात से थोड़ा घबरा ज़रूर गया मगर साथ ही उसे ख़ुशी भी हुई कि वह उन्हें फोन करने से बच गया था.

पहले अंतराल के दौरान रीम्स्की को सूचित किया गया कि विदेशी कलाकार अपनी मण्डली के साथ पहुँच गया है. उसे कलाकार का स्वागत करने के लिए जाना ही पड़ता है क्योंकि वेरायटी में उनका स्वागत करने के लिए कोई बचा ही नहीं था.

वोलान्द अपने दुभाषिए और एक अकराल-विकराल बिल्ले के साथ आया था. दुभाषिए की उपस्थिति भी रीम्स्की को अच्छी नहीं लगी. विदेशी कलाकार के इस सहायक / दुभाषिए की कुछ जादुई करामातें वहाँ इकट्ठा लोगों को बहुत पसन्द आईं; बिल्ले ने भी उन्हें बहुत प्रभावित किया जिसने अपने पिछले पैरों पर चल कर जग में से गिलास में पानी डालकर पिया.

जब तीसरी घण्टी बजी और हॉल की बत्तियाँ बुझ गईं तो कार्यक्रम के सूत्रधार जॉर्ज बेंगाल्स्की ने कलाकारों का परिचय कराया, काले जादू के बारे में बताया और यह टिप्पणी की कि विदेशी कलाकार काले जादू की तकनीक का पर्दाफ़ाश करेंगे...

परदा खुलता है; जादूगर अपने दो सहायकों : चौखाने वाले लम्बू और अपने पिछले पैरों पर चलते हुए भीमकाय बिल्ले के साथ प्रवेश करता है. पब्लिक ने ज़ोरदार तालियाँ बजाईं...

जादूगर अपने लिए एक कुर्सी मँगवाता है, न जाने कहाँ से एक बदरंग कुर्सी प्रकट हो जाती है. उस पर बैठकर वोलान्द कुछ देर तक दर्शकों का निरीक्षण करता है और अपने सहायक से पूछता है, “प्रिय फागोत, क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि मॉस्को के लोग काफी बदल गए हैं?”

फागोत (जो कि वास्तव में कोरोव्येव है) सहमति में सिर हिला देता है.

मुझे बताओ, प्रिय फ़ागोत, वोलान्द चौख़ाने वाले लम्बू से मुखातिब हुआ, जिसका ज़ाहिर है कोरोव्येव के अलावा एक दूसरा भी नाम था, तुम्हारा क्या ख़याल है, मॉस्को की जनता काफ़ी बदल गई है?
जादूगर ने जनता की ओर देखा जो हवा से प्रकट हुई कुर्सी देखकर सकते में आ गई थी.
 ठीक कहा, जनाब! फ़ागोत-कोरोव्येव ने भी हौले से ही जवाब दिया.
 तुम ठीक कहते हो, लोग बहुत ज़्यादा बदल गए हैं; ऊपरी तौर से, मैं सोचता हूँ, उसी तरह जैसे यह शहर बदल गया है. उनकी वेश भूषा के बारे में तो कहना ही क्या, मगर अब दिखाई देती हैं ये...क्या नाम है...ट्रामगाड़ियाँ, मोटरगाड़ियाँ...
वोलान्द आगे कहता है:
 बिल्कुल ठीक, धन्यवाद! हौले-हौले भारी-भरकम आवाज़ में जादूगर ने कहा, मुझे इस बात में दिलचस्पी है कि क्या इन लोगों की अंतरात्मा में भी कोई परिवर्तन आया है?
 हाँ, महाशय, यह बहुत महत्त्वपूर्ण प्रश्न है.
पार्श्वभाग में लोग एक-दूसरे की ओर कनखियों से देखने और कन्धे सिकोड़ने लगे. बेंगाल्स्की का चेहरा लाल हो गया था. रीम्स्की का पीला.

बेंगाल्स्की बीच में टपक पड़ता है और कहता है कि विदेशी कलाकार मॉस्को की तकनीकी प्रगति से बहुत विस्मित जान पड़ते हैं, साथ ही मॉस्कोवासियों ने भी उन्हें काफ़ी प्रभावित किया है.
वोलान्द को गुस्सा आ जाता है, वह फागोत से पूछता है कि क्या उसने विस्मय का प्रदर्शन किया था?

फागोत इनकार करता है और फ़ब्ती कसता है कि बेंगाल्स्की झूठा है...

बेंगाल्स्की पर मुसीबत टूट पड़ती है.

अगला कार्यक्रम, ताश के पत्तों के साथ, बड़ा दिलचस्प हो गया जब ताश के पत्ते करेंसी नोटों में बदल जाते हैं, हॉल में नोटों की बारिश होने लगती है और लोगों के बीच उन्हें पकड़ने के लिए होड़ लग जाती है.  बेंगाल्स्की फिर से टिप्पणी करता है कि ये काले जादू का एक नमूना था और ये नोट शीघ्र ही गायब हो जाएँगे.

अब तो वोलान्द को सचमुच ही बहुत गुस्सा आ जाता है...फागोत दर्शकों से कहता है कि ये झूठा मुझे बहुत तंग कर रहा है, इसके साथ क्या सलूक किया जाए? भीड़ में से एक आवाज़ आती है, “इसका सिर काट दो!” फागोत मान जाता है और बेगेमोत (बिल्ले) को आवाज़ देता है. अगले ही पल बिल्ला उछल कर बेंगाल्स्की की गर्दन पर चढ़ जाता है और दो ही बार घुमा कर गर्दन से उसका सिर उखाड़ लेता है!

टूटी हुई नसों से फ़व्वारे की तरह खून उछलता है और बेंगाल्स्की के कोट को भिगोने लगता है...बेसिर का धड़ कुछ देर लड़खड़ाता है और फिर स्टेज पर धम् से बैठकर विनती करने लगता है, “प्लीज़, मेरा सिर वापस दे दो...मुझसे सब कुछ ले लो...मेरा फ्लैट, मेरी तस्वीरें...बस, मेरा सिर मुझे लौटा दो!...”

हॉल में महिलाओं की चीख-पुकार, आदमियों का हो-हल्ला गूँजने लगा... लोगों को उस पर दया आ गई, वे कहने लगे कि उसे उसका सिर वापस कर दिया जाए...

फागोत वोलान्द से पूछता है, “क्या हुक्म है, मेरे आका?”
वोलान्द कहता है, “ ये लोग साधारण लोगों की तरह ही हैं. उन्हें पैसे से प्यार है...मगर कभी-कभी उनके दिल में दया भी जागती है...आवास की समस्या ने उन्हें बिगाड़ दिया है...” और वह हुक्म देता है कि बेंगाल्स्की का सिर अपनी जगह पर वापस रख दिया जाए.

बेंगाल्स्की को ये ताक़ीद दी जाती है कि आइन्दा वह हर जगह अपनी झूठी नाक नहीं घुसेड़े...फिर उसका सिर वापस उसकी गर्दन पर रख दिया जाता है, कोट को साफ़ कर दिया जाता है और उसकी जेब में नोटों की एक गड्डी डालकर उसे हॉल से बाहर भेज दिया जाता है, मगर अचानक उसकी तबियत बिगड़ जाती है और उसे स्त्राविन्स्की के क्लीनिक ले जाया जाता है.

इसके पश्चात महिलाओं के लिए मीना-बाज़ार खुल जाता है. इस बाज़ार में महिलाओं को उनके पुराने कपड़ों और जूतों के बदले अत्याधुनिक फैशन के कपड़े, जूते और पर्सेस दिए जाते हैं. साथ ही परफ्यूम की शीशी भी दी जाती है...

इस भाग के कार्यक्रम की समाप्ति पर मॉस्को की ध्वनि संयोजन समिति का चेयरमैन, जो वहाँ शो में उपस्थित था, यह माँग करता है कि इन कारनामों का परदाफाश किया जाए, साथ ही बेंगाल्स्की की हालत के बारे में भी जनता को बताया जाए...

मगर यह परदाफाश स्वयँ चेयरमैन के लिए ही बहुत भारी पड़ता है....

क्षमा करें! फागोत बोला, मैं माफ़ी चाहता हूँ. पर्दाफाश करने जैसा कुछ भी नहीं है सब कुछ साफ़ और स्पष्ट है.
 नहीं, माफ कीजिए! पर्दाफ़ाश तो होना ही चाहिए. बगैर इसके आपके ये अद्भुत कारनामे उलझन में डाल रहे हैं. दर्शक समुदाय माँग करता है कि आप उन्हें समझाएँ!
 दर्शक समुदाय ने, सिम्प्लेयारोव को बीच में टोकते हुए वह ढीठ जोकर बोला, जैसे कुछ कहा ही नहीं है? मगर अर्कादी अपोलोनोविच, आपके इस हार्दिक अनुरोध को ध्यान में रखते हुए, मैं, पर्दाफ़ाश कर ही देता हूँ. मगर इसके लिए मुझे एक छोटा-सा कारनामा करने की इजाज़त दें?
 ठीक है, अर्कादी अपोलोनोविच ने सौजन्य से कहा, मगर उसका भेद भी खोलना होगा!
 मंज़ूर है, मंज़ूर है! तो, अर्कादी अपोलोनोविच, अगर आप बुरा न मानें तो क्या मैं पूछ सकता हूँ कि कल शाम आप कहाँ थे?
इस अचानक और धृष्ठतापूर्ण प्रश्न से अर्कादी अपोलोनोविच के चेहरी रंग उड़ गया.
 कल शाम अर्कादी अपोलोनोविच ध्वनि संयोजन समिति की मीटिंग में थे, उनकी पत्नी ने झटके से उत्तर दिया और आगे बोली, मगर, मैं समझ नहीं पा रही, इस प्रश्न का जादुई कारनामों से क्या सम्बन्ध है?
 है, मैडम! फ़ागोत ने ज़ोर देकर कहा, स्वाभाविक ही है कि आप नहीं समझ पाएँगी. मीटिंग के बारे में आपको पूरी ग़लतफ़हमी है. मीटिंग का बहाना बनाकर, जो कल शाम को होने ही वाली नहीं थी, अर्कादी अपोलोनोविच ने अपने ड्राइवर को चिस्तीये प्रुदी स्थित ध्वनि-संयोजन समिति के सामने छुट्टी दे दी (पूरे थियेटर में सन्नाटा छा गया), और ख़ुद बस से योलोखोव्स्काया मार्ग पर प्रवासी थियेटर की अभिनेत्री मीलित्सा अन्द्रेयेव्ना पोकोबात्का के पास गए. उसके साथ उन्होंने क़रीब चार घण्टे बिताए.
 ओह! सन्नाटे में किसी की तड़पती हुई आवाज़ सुनाई दी.
अर्कादी अपोलोनोविच की जवान रिश्तेदार धीमी किंतु भयंकर आवाज़ में ठहाका मारकर हँस पड़ी.
 अब समझ में आया! वह बोली, मुझे बहुत पहले से शक था. अब साफ़ हो गया कि इस प्रतिभाहीन औरत को लुइज़ा का रोल कैसे मिला!
उसने अचानक अपनी छोटी-सी किंतु भारी छतरी से अर्कादी अपोलोनोविच के सिर पर प्रहार किया.

 बुल्गाकोव थियेटर जगत की असलियत को उजागर करते हैं; आवास समस्या के कारण लोगों का बर्ताव किस तरह बदल जाता है यह भी बताते हैं...



अचानक बेगेमोत घोषणा करता है कि शो समाप्त हो गया है और एक ही पल में स्टेज खाली हो जाता है, बेगेमोत और कोरोव्येव मानो हवा में घुल जाते हैं; पुलिस सिम्प्लेयारोव के बॉक्स में घुस जाती है जहाँ उसकी एक रिश्तेदार, एक युवा संघर्षरत कलाकार, ज़हरीली हँसी के ठहाके लगाते हुए इस परदाफ़ाश पर अपनी छत्री से सिम्प्लेयारोव पर वार किए जा रही है, और सिम्प्लेयारोव की भीमकाय बीबी गरजते हुए पुलिस को बुला रही है...

मंगलवार, 18 अगस्त 2015

Reading Master and Margarita (Hindi) - 11


अध्याय 11

इवान के दो रूप


यह एक बड़ा ख़ूबसूरत अध्याय है जिसमें संक्षेप में इवान बेज़्दोम्नी का एक नए इवान में रूपांतरण दिखाया गया है.

जब प्रोफेसर स्त्राविन्स्की ने इवान को बेर्लिओज़ की दर्दनाक मौत का वर्णन पुलिस को लिखित रूप में देने की सलाह दी तो इवान लिखना आरम्भ करता है, मगर चाहे उसने कितनी ही बार लिखने की कोशिश क्यों न की, हर बार अगला ड्राफ्ट पहले वाले ड्राफ्ट से बदतर ही साबित होता.

इसी बीच आसमान काले बादलों से ढँक गया, मूसलाधार बारिश होने लगी, नदी किनारे के दृश्य जो इवान की खिड़की से दिखाई देते थे, लुप्त हो गए. इवान बहुत हताश हो गया, उसने हवा के कारण इधर-उधर बिखरे पन्नों को समेटने की कोशिश भी नहीं की और रोने लगा.

डॉक्टर ने आकर उसे इंजेक्शन दिया और वादा किया कि जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा और इवान अच्छा महसूस करने लगेगा.

कृपया ध्यान दें कि यह सब ठीक उसी समय हो रहा है जब वारेनूखा को बरसते पानी में उठाकर फ्लैट नं. 50 में ले जाया जा रहा था.... अर्थात् गुरुवार की दोपहर/शाम को.

शीघ्र ही बारिश रुक गई, आसमान साफ हो गया और इवान की खिड़की से लिण्डन का जंगल और नदी साफ-साफ दिखाई देने लगे.

इवान काफी शांत महसूस कर रहा था और तर्कसंगत विचार करने लगा था.

वह स्वीकार करता है कि ईसा की तस्वीर कमीज़ पर लटकाए, हाथ में मोमबत्ती लिए उस रहस्यमय प्रोफेसर के पीछे भागने और ग्रिबोयेदोव-भवन में हंगामा खड़ा करने में कोई समझदारी नहीं थी:

 बेर्लिओज़ अगर ट्रामगाड़ी के नीचे आकर मर गया तो मैं इतना उत्तेजित क्यों हुआ? कवि ने कारण मीमांसा करते हुए सोचा, मेरी बला से वह कीचड़ में गिरे! मैं आख़िर उसका हूँ कौन? क्या यार हूँ या समधी? अगर गौर से देखा जाए तो मैं उसे ठीक से जानता भी नहीं था. सचमुच, मैं उसके बारे में जानता ही कितना हूँ? सिर्फ यह कि वह गंजा ख़तरनाक हद तक मीठा बोलने वाला था. फिर न जाने किसे सम्बोधित करते हुए कवि ने आगे सोचा, मैं इस रहस्यमय परामर्शदाता, जादूगर और काली तथा खाली आँख वाले शैतान प्रोफेसर के पीछे इतना पागल क्यों हुआ? यह सब दौड़धूप क्यों की? उसका पीछा क्यों किया? कच्छा पहनकर, हाथ में मोमबत्ती लेकर, और रेस्तराँ में उसके कारण गड़बड़ क्यों की?
 मगर, मगर, मगर, अचानक कहीं, न कान में, न दिल में पहले वाले इवान ने नए इवान से संजीदगी से कहा, बेर्लिओज़ का सिर कटने वाला है, वह पहले से जानता था? मैं परेशान कैसे नहीं होता?
क्या बात करते हो दोस्त! नए इवान ने पुराने इवान का प्रतिवाद करते हुए कहा यहाँ कोई गोलमाल है, इतना तो एक बच्चा भी समझ सकता है. वह शत-प्रतिशत रहस्यमय व्यक्ति है. यही तो दिलचस्प बात है! आदमी व्यक्तिगत तौर पर पोंती पिलात को जानता था. इससे बढ़कर आपको और क्या चाहिए? और पत्रियार्शी पर इतना उधम मचाने के बदले क्या उससे यह पूछना ज़्यादा ठीक नहीं होता कि पोंती पिलात और कैदी हा-नोस्त्री का आगे क्या हुआ?
 और मैं न जाने क्या सोचने लगा! ख़ास बात यह है कि मासिक पत्रिका के सम्पादक को ट्राम ने कुचल दिया. इससे क्या, पत्रिका का निकलना बन्द हो जाएगा? किया भी क्या जा सकता है: आदमी नश्वर है और आकस्मिक रूप से उसका नाश हो जाता है. भगवान उसकी आत्मा को शांति दे! दूसरा सम्पादक आ जाएगा...शायद पहले से भी ज़्यादा मीठा बोलने वाला.
थोड़ी-सी झपकी लेने के बाद नए इवान ने पुराने से पूछा :
 फिर इस सब में मैं कौन हुआ?
 बेवकूफ़, कहीं से भारी-सी आवाज़ सुनाई दी. यह न पुराने इवान की थी न ही नए वाले की. यह उस परामर्शदाता की आवाज़ से काफी मिलती-जुलती थी.

इवान में परिवर्तन हो रहा है...वह महसूस करता है कि यह अस्पताल उतना बुरा नहीं है, स्त्राविन्स्की अच्छा इंसान है, यहाँ उसका हर तरह से ख़याल रखा जाएगा. प्रोफेसर के पीछे भागने के बदले उससे यह पूछना ज़्यादा बेहतर होता कि पोंती पिलात और कैदी हा-नोस्त्री का आगे क्या हुआ.

बीच-बीच में पुराना इवान नये इवान को वापस लौटाने की कोशिश करता है, मगर इवान अब परिवर्तित हो चुका है. वह स्वीकार कर लेता है कि यह सब हंगामा करना वाक़ई में बेवकूफ़ी थी.

इस परिवर्तन के बाद वह स्वयम् को काफ़ी हल्का महसूस करता है, उसे झपकी आने लगती है; आँखों के सामने लिण्डन का जंगल दिखाई देता है, ऐसा लगता है कि एक ख़ुशनुमा बिल्ला क़रीब से होकर गुज़र गया है...


और जब उसे नींद आने ही वाली थी तो अचानक बालकनी का दरवाज़ा बिना आवाज़ किए खुल गया और एक आकृति उसे उँगली से धमकाते हुए बोली, “ श्श्श...!”

सोमवार, 17 अगस्त 2015

Reading Master and Margarita (HIndi) - 10

अध्याय 10

याल्टा की ख़बरें
 

इस अध्याय का शीर्षक है ‘याल्टा की ख़बरें’ जिनके बारे में हमें वेरायटी थियेटर में ही पता चलता रहता है. बुल्गाकोव बताते हैं कि स्वयँ को याल्टा में पाकर स्त्योपा ने क्या-क्या किया.

घटनाक्रम वेरायटी थियेटर में ही घटित होता है. वेरायटी भी सादोवाया स्ट्रीट पर ही स्थित है. घटनाक्रम उसी समय आरंभ होता है जब इवान बेज़्दोम्नी से स्त्राविन्स्की के क्लिनिक में पूछताछ की जा रही है; स्त्योपा को फ्लैट नं. 50 से याल्टा फेंका जा चुका है; निकानोर इवानोविच को घर में विदेशी मुद्रा रखने के अपराध में गिरफ़्तार कर लिया गया है – कृपया ध्यान दें कि यह सब गुरुवार की सुबह को हो रहा है और वे सभी स्थान जहाँ वोलान्द की गतिविधियाँ हो रही हैं, सादोवाया स्ट्रीट पर ही हैं.     

तो, वेरायटी में वित्तीय डाइरेक्टर रीम्स्की और प्रबन्धक वारेनूखा स्त्योपा का इंतज़ार कर रहे हैं, जिसने अपने फ्लैट से रीम्स्की को सूचित किया था कि वह आधे घण्टे में वेरायटी पहुँच रहा है.
वारेनूखा मुफ़्त टिकट माँगने वालों की भीड़ से बचने के लिए रीम्स्की के कैबिन में बैठा है.

रीम्स्की स्त्योपा से बहुत चिढ़ता है. वह वारेनूखा को बताता है कि कल स्त्योपा पागल की तरह हाथ में एक अनुबन्ध लिए भागता हुआ उसके कमरे में आया था. यह अनुबन्ध था काले-जादू के शो का, किसी प्रोफेसर वोलान्द के साथ; और उसने इस जादूगर को देने के लिए रीम्स्की से कुछ अग्रिम धनराशि भी ली थी. मगर वह जादूगर था कहाँ? उसे किसीने भी नहीं देखा था. और अब दो बजे – न तो स्त्योपा का पता है और न ही काले-जादू के जादूगर का.

फिर अचानक रीम्स्की के कैबिन में टेलिग्राम्स की बौछार शुरू हो जाती है.

पहला सुपर लाइटनिंग टेलिग्राम भेजा था याल्टा की ख़ुफ़िया पुलिस ने जिसमें कहा गया था कि सुबह के क़रीब 11.30 बजे एक पागल, लिखोदेयेव, जो अपने आप को वेरायटी का डाइरेक्टर बता रहा है, नाइट ड्रेस में, बगैर जूतों के याल्टा में पाया गया. ख़ुफ़िया पुलिस जानना चाहती है कि लिखोदेयेव कहाँ है.

इससे पहले कि रीम्स्की इस टेलिग्राम का जवाब यह लिखकर देता कि “लिखोदेयेव-मॉस्को में” एक दूसरा सुपर लाइटनिंग टेलिग्राम आ धमकता है. इसे भेजा है लिखोदेयेव ने , “प्रार्थना, विश्वास करें वोलान्द के सम्मोहन से याल्टा फेंका गया, ख़ुफ़िया पुलिस को सूचित कर लिखोदेयेव की पुष्टि करें.”
इस टेलिग्राम का जवाब देने से पहले वे टेलिफोन द्वारा स्त्योपा से उसके फ्लैट में सम्पर्क स्थापित करने की  कोशिश करते हैं – कोई जवाब नहीं मिलता. पत्र वाहक को उसके फ्लैट में भेजा जाता है – फ्लैट में ताला है; और अभी वे सोच ही रहे थे कि क्या किया जाए कि तीसरा टेलिग्राम आता है जिसमें काली पृष्ठभूमि पर स्त्योपा के हस्ताक्षर हैं. स्त्योपा ने अपने हस्ताक्षर भेज कर इस बात की पुष्टि करने को कहा है कि ये वाक़ई में स्त्योपा के ही हस्ताक्षर हैं, और वही याल्टा में मौजूद है.
अब रीम्स्की और वारेनूखा के सामने सबसे बड़ी पहेली ये थी कि लिखोदेयेव साढ़े ग्यारह बजे एक साथ मॉस्को और याल्टा में कैसे मौजूद हो सकता था:

यहाँ से याल्टा कितने किलोमीटर दूर है? रीम्स्की ने पूछा.
वारेनूखा ने अपनी दौड़-धूप बन्द कर दी और दहाड़ा, सोच लिया! सब सोच लिया! रेल से जाने पर यहाँ से सेवस्तापोल तक एक हज़ार पाँच सौ किलोमीटर, याल्टा तक और आठ सौ किलोमीटर जोड़ लो, मगर हवाई जहाज़ से ज़रूर कुछ कम ही है.
हूँ...हूँ...रेल से जाने का सवाल ही नहीं उठता. तो फिर कैसे? लड़ाकू हवाई जहाज़ से? कौन स्त्योपा को बिना जूतों के किसी लड़ाकू हवाई जहाज़ में बैठने दे सकता है? क्यों? शायद, उसने याल्टा पहुँचने पर जूते उतार दिए हों? फिर भी वही बात : क्यों? और जूते पहनकर लड़ाकू हवाई जहाज़ में...मगर लड़ाकू हवाई जहाज़ का सवाल ही कहाँ उठता है? ख़बर तो यह आई है कि ख़ुफ़िया पुलिस में वह साढ़े ग्यारह बजे आया, और मॉस्को में वह मुझसे बातें कर रहा था टेलिफोन पर...लीजिए...और रीम्स्की की आँखों के सामने अपनी घड़ी का डायल घूम गया...उसे याद आई घड़ी की सुइयों की स्थिति. ख़तरनाक! वक़्त था ग्यारह बजकर बीस मिनट. इसका मतलब क्या हुआ? अगर यह मान लिया जाए कि बातचीत के तुरंत बाद स्त्योपा हवाई अड्डे पर मौजूद था और करीब पाँच मिनट बाद उसमें बैठ गया, तब भी...अविश्वसनीय..., निष्कर्ष यह निकला कि हवाई जहाज़ ने सिर्फ पाँच मिनट में एक हज़ार से भी अधिक किलोमीटर का फासला तय कर लिया? यानी कि एक घण्टे में 12000किलोमीटर उड़ा! यह तो हो ही नहीं सकता, इसलिए वह याल्टा में नहीं है.
फिर क्या संभावना शेष है? सम्मोहन? कोई भी ऐसी सम्मोहन शक्ति इस पृथ्वी पर नहीं है , जो किसी आदमी को हज़ारों किलोमीटर दूर फेंक दे! शायद उसे भ्रम हो रहा है कि वह याल्टा में है! उसे तो शायद सपना आ रहा है, मगर क्या याल्टा की खुफ़िया पुलिस को भी सपना आ रहा है! नहीं...माफ़ कीजिए, ऐसा नहीं होता है!...मगर तार तो वे वहीं से भेज रहे हैं?

 मगर चूँकि हस्ताक्षर उसी के थे, रीम्स्की याल्टा की ख़ुफ़िया पुलिस को सूचित करता है कि मॉस्को में लिखोदेयेव से सम्पर्क नहीं कर सके, जबकि उसने अपने फ्लैट से 11.30 बजे फोन करके वेरायटी को सूचित किया था कि आधे घण्टे में वहाँ पहुँच रहा है; मगर टेलिग्राम के साथ संलग्न हस्ताक्षर स्त्योपा के ही हैं इस बात की सत्यता की जाँच कर ली गई है.

फिर आता है एक और टेलिग्राम जिसमें स्त्योपा ने रीम्स्की से पाँच सौ रूबल्स भेजने की प्रार्थना की है ताकि वह मॉस्को वापस लौट सके.

पैसे भेज दिए जाते हैं.

हम देखते हैं कि रीम्स्की, वारेनूखा और स्त्योपा एक दूसरे को पसन्द नहीं करते. रीम्स्की एक संजीदा किस्म का इन्सान है जो स्त्योपा के लापरवाह किस्म के बर्ताव को बर्दाश्त नहीं कर सकता. वह हमेशा ऐसे मौके की तलाश में रहता है जिससे स्त्योपा को सज़ा दिलवा सके...इस बार उसके हाथ एक अच्छा मौका लग गया है!

रीम्स्की सभी टेलिग्राम्स को एक लिफाफे में रखकर बन्द करता है और वारेनूखा से कहता है कि वह स्वयँ जाकर इन्हें वहाँ दे दे:

इस बीच रीम्स्की ने यह किया कि सभी टेलिग्रामों तथा स्वयँ द्वारा भेजे गए तार की कापी को एक तरतीब से लगाकर उन्हें एक लिफाफे में रखा, उसे बन्द किया, उस पर कुछ शब्द लिखे और वारेनूखा को देते हुए बोला, फ़ौरन, इवान सावेल्येविच, स्वयँ ले जाओ. उन्हीं को फैसला करने दो.
 यह वास्तव में बुद्धिमत्तापूर्ण बात है, वारेनूखा ने सोचा और लिफ़ाफ़े को अपनी ब्रीफ़केस में छिपा दिया.

इस उपन्यास में कई बार वे, उन्हें, उनको... इस प्रकार के संदर्भ मिलते हैं, ये अप्रत्यक्ष रूप से केजीबी(KGB) जैसी संस्थाओं की ओर इशारा है, जिसका नाम उस समय एनकेवेदे(NKVD) था.

मगर जैसे ही वारेनूखा उस जगह  जाने के लिए निकलता है उसे टेलिफोन पर धमकी दी जाती है कि टेलिग्राम्स कहीं भी न ले जाए:

वारेनूखा ब्रीफकेस लेकर बाहर को दौड़ा. वह नीचे उतरा औत टिकटघर के सामने आज तक की सबसे लम्बी लाइन देखकर टिकट खिड़की पर बैठी लड़की के पास गया. लड़की बोली कि और एक घण्टे में हाउस-फुल हो जाने की उम्मीद है, क्योंकि जैसे ही नया इश्तेहार लगाया गया, लोग लहर की तरह बढ़ते चले आए. उसने लड़की को हॉल में सामने वाली लाइन में तथा बॉक्स में तीस बेहतरीन स्थान रोक रखने को कहा और शो के मुफ़्त पास माँगने वाले शैतानों से बचकर अपने ऑफ़िस में दुबक गया, क्योंकि उसे टोपी लेनी थी. तभी टेलिफोन चीखा.
 हाँ!
 इवान सावेल्येविच? रिसीवर से घिनौनी भारी-सी आवाज़ आई.
 वे थियेटर में नहीं! वारेनूखा कहने ही वाला था कि रिसीवर ने उसे बीच ही में रोक दिया, बेवकूफ़ मत बनो, इवान सावेल्येविच; और सुनो, ये टेलिग्राम कहीं भी न ले जाओ और न ही किसी को दिखाओ!
 कौन बोल रहा है? वारेनूखा गरजा, यह बेवकूफ़ी भरी हरकतें बन्द कीजिए, नागरिक! आपको अभी ढूँढ़ लिया जाएगा! आप किस नम्बर से बोल रहे हैं?
 वारेनूखा, वही डरावनी आवाज़ बोली, क्या तुम रूसी भाषा समझते हो? ये टेलिग्राम कहीं भी मत ले जाओ.

वारेनूखा चल पड़ता है. जाने से पहले थियेटर के ग्रीष्मोद्यान के शौचालय में जाता है यह देखने के लिए कि मैकेनिक ने वहाँ बल्ब पर धातु की जाली चढ़ा दी है अथवा नहीं.

बुल्गाकोव बड़ी ख़ूबसूरती से वर्णन करते हैं कि कैसे मौसम एकदम बदल जाता है. तूफ़ानी हवा ज़ोर पकड़ने लगती है, वह वारेनूखा के चेहरे पर थपेड़े मारती है, उसे आगे जाने से रोकती है. अन्धेरा छा जाता है:

 उद्यान में हवा व्यवस्थापक के चेहरे को मार रही थी और उसकी आँखों में रेत डाल रही थी; मानो उसका रास्ता रोक रही हो, उसे चेतावनी दे रही हो. दूसरी मंज़िल पर कोई खिड़की धड़ाम से बजी, उसकी काँच टूटतेटूटते बची. लिण्डन और मैपल वृक्षों के सिरे बड़ा अजीब, डरावना-सा शोर कर रहे थे. कभी अँधेरा तो कभी उजाला हो रहा था. व्यवस्थापक ने आँखें मलकर देखा कि मॉस्को के आकाश पर पीली किनार वाला गरजता हुआ बादल बढ़ा आ रहा है. कहीं गड़गड़ाहट हो रही थी.
वारेनूखा चाहे कितनी ही जल्दी में क्यों न हो, उसके मन में एकाएक तीव्र इच्छा हुई कि एक सेकण्ड के लिए यह जाकर देखे कि ग्रीष्मकालीन टॉयलेट में मेकैनिक ने लैम्प पर जाली लगाई है या नहीं.
चाँदमारी की जगह से होकर जाते हुए वारेनूखा घनी लिली की झाड़ियों तक पहुँचा, जिनके बीच नीले रंग का टॉयलेट था. मेकैनिक बड़ा सधा हुआ कारीगर था. पुरुष-कक्ष में लैम्प धातु की जाली पहन चुका था, मगर व्यवस्थापक को इस बात से बड़ा दुःख हुआ कि गहराते अँधेरे में भी साफ़ नज़र आ रहा था कि पूरी दीवारों पर कोयले तथा पेंसिल से कुछ लिखा है.
 अब यह क्या मुसीबत है... व्यवस्थापक ने मुँह खोला ही था कि उसे अपने पीछे से घुरघुराती आवाज़ सुनाई दी, इवान सावेल्येविच, क्या यह आप हैं?
वारेनूखा काँप गया. वह मुड़ा और उसने अपने पीछे एक नाटे से मोटे को देखा, शायद बिल्ले जैसा आकार था उसका.
 हाँ, मैं ही हूँ, वारेनूखा ने बेरुखी से उत्तर दिया.
 बहुत-बहुत ख़ुशी हुई... चिचियाते हुए बिल्ले जैसा मोटा बोला और अचानक उसने मुड़कर वारेनूखा के कान पर इतनी ज़ोर से थप्पड़ मारा कि व्यवस्थापक के सिर से टोपी उड़कर कमोड के छेद में जाकर ऐसे गुम हो गई, जैसे गधे के सिर से सींग.
मोटे की थप्पड़ से पूरे टॉयलेट में एकदम ऐसे उजाला हो गया जैसे बिजली कौंधने से होता है, साथ ही बिजली कड़कने की आवाज़ भी आई. तत्पश्चात् एक बार और उजाला हुआ और व्यवस्थापक के सामने एक और आकृति उभरी छोटा, मगर खिलाड़ियों जैसे कन्धों वाला, आग जैसे लाल बालों वाला, एक आँख में फूल पड़ा हुआ, मुँह से निकलते नुकीले दाँत वाला. इस दूसरे ने व्यवस्थापक के दूसरे कान पर थप्पड़ जमा दिया. इस थप्पड़ के जवाब में आसमान में फिर बिजली कड़की और टॉयलेट की लकड़ी की छत पर मूसलाधार बारिश होने लगी.
 क्या करते हो, दोस्त, पगला गए व्यवस्थापक ने कानाफूसी के स्वर में कहना चाहा, मगर तभी उसे अहसास हुआ कि ये दोस्त शब्द सार्वजनिक प्रसाधन-कक्ष में निहत्थे आदमी पर हमला करने वाले डाकुओं के लिए उचित नहीं है, और उसने भर्राए हुए स्वर में कहना चाहा: नाग... मगर तभी उसे एक तीसरा भयानक थप्पड़ न जाने किस ओर से पड़ा कि उसकी नाक से ख़ून बहकर उसके कोट पर जा गिरा.
 तुम्हारे ब्रीफ़केस में क्या है, रक्तखोर! बिल्ले जैसा मोटा चुभती हुई पैनी आवाज़ में चीखा, टेलिग्राम? और तुम्हें टेलिफोन पर चेतावनी दी गई थी कि उन्हें कहीं न ले जाओ? कहा था कि नहीं? मैं तुमसे पूछ रहा हूँ!
 दी थी चे-ता-वनी-वनी... दम घुटते व्यवस्थापक ने उत्तर दिया.
 इसके बावजूद तुम भागे? ब्रीफकेस इधर दो, केंचुए! उसी ज़हरीली आवाज़ में, जो टेलिफोन पर सुनाई दी थी, दूसरा चिल्लाया और उसने वारेनूखा के काँपते हाथों से ब्रीफ़केस छीन लिया.
और उन दोनों ने व्यवस्थापक को बाँहों से पकड़ लिया, उसे उद्यान से बाहर धकेलकर सादोवाया रास्ते पर ले गए. तूफ़ान पूर ज़ोर पर था. पानी रास्ते के बाज़ू की नहर में साँय-साँय कर रहा था, फ़ेन उगलती लहरें ऊपर उठ रही थीं, छतों पर से पानी पाइपों पर प्रहार कर रहा था, रास्तों पर फ़ेनिल पानी दौड़ता चला जा रहा था. सादोवाया पर से सभी जीवित वस्तुएँ बह चुकी थीं. इवान सावेल्येविच को बचाने वाला कोई नहीं था. मटमैली नदियों में उछलते, कड़कती बिजली की रोशनी में नहाए वे डाकू, एक सेकण्ड में अधमरे व्यवस्थापक को बिल्डिंग नं. 302 बी तक ले आए, उसके प्रवेश द्वार की ओर मुड़े, जहाँ दीवारों से दो नंगे पैरों वाली औरतें चिपकी खड़ी थीं, हाथों में अपनी स्टॉकिंग्स तथा जूते पकड़े. इसके बाद छठे प्रवेश-द्वार में घुसे. पगला गया वारेनूखा पाँचवीं मंज़िल पर ले जाया गया और भली-भाँति परिचित स्त्योपा लिखादेयेव के अँधेरे कमरे के फर्श पर धम्म से पटक दिया गया.
यहाँ दोनों डाकू गायब हो गए और उनके स्थान पर प्रकट हुई एकदम निर्वस्त्र लड़की लाल बालों वाली, फास्फोरस जैसी जलती आँखों वाली.
वारेनूखा समझ गया कि अब उसके साथ सबसे भयंकर घटना घटने वाली है और वह कराहकर दीवार की ओर सरका. लड़की उसकी ओर बढ़ी और अपने पंजे उसके कन्धों पर गड़ा दिए. वारेनूखा के बाल खड़े हो गए, क्योंकि गीले, ठण्डे कोट में भी उसने महसूस किया कि ये पंजे उसके कोट से भी ज़्यादा ठण्डॆ हैं, वे बर्फ की तरह ठण्डॆ हैं.
 आओ, मैं तुम्हारा चुम्बन लूँ, लड़की ने बड़े प्यार से कहा और वारेनूखा की आँखों के ठीक सामने वे जलती हुई आँखें चमक उठीं. वारेनूखा होश-हवास खो बैठा, चुम्बन का अनुभव भी न कर सका.

तो, इस अध्याय में शिकार बनाया जाता है वारेनूखा को. उसे सज़ा मिलती है झूठ बोलने के लिए, मुफ़्त के टिकटों का घपला करने के लिए.

इस अध्याय में घटनाओं का चित्रण सस्पेन्स और रहस्य से भरा है. धुआँधार बरसता पानी, नालियों से सड़क पर उफ़नता पानी, उमड़ता तूफ़ान...कुछ डरावना सा चित्र प्रस्तुत करते हैं.

बुल्गाकोव लिखते नहीं है...वे एक सजीव वातावरण का निर्माण करते हैं! पाठक महसूस करते हैं कि वे इन क्षणों को अनुभव कर रहे हं. पाठकों का पूरा पूरा डूब जाना ...आप ऐसे पाठक रह ही नहीं जाते तो लेखक से जुदा हो!

गुरुवार, 13 अगस्त 2015

Reading Master and Margarita (HIndi) - 09

अध्याय -9

कोरोव्येव की करतूतें


तो, मॉस्को में वोलान्द की गतिविधियाँ आरम्भ हो चुकी हैं. सबसे पहले उसने सादोवाया स्ट्रीट पर बिल्डिंग नं. 302 के फ्लैट नं. 50 में अपना डेरा जमा लिया जहाँ स्वर्गीय बेर्लिओज़ स्त्योपा के साथ रहता था.

वोलान्द और उसकी मण्डली इस फ्लैट में तीन दिनों तक रहते हैं और हम देखेंगे कि वे क्या-क्या करते हैं; मॉस्को को किस प्रकार अपनी उपस्थिति का एहसास कराते हैं.

चलिए, देखते हैं कि बेर्लिओज़ की मृत्यु के दूसरे दिन क्या-क्या हुआ:

 - स्त्योपा को याल्टा फेंक दिया जाता है;

 - इवान की सोच में परिवर्तन का प्रारम्भ हो जाता है.

यह सब सुबह के करीब बारह बजे होता है.

बिल्डिंग नं. 302 में क्या होता है?

बिल्डिंग नं. 302 की हाउसिंग सोसाइटी के प्रेसिडेण्ट निकानोर इवानोविच बासोय बुधवार और गुरुवार के बीच की रात को काफी व्यस्त थे. करीब आधी रात को बिल्डिंग नं. 302 में एक कमिटी आती है, जिसमें झेल्दीबिन भी था जो बेर्लिओज़ के स्थान पर मासोलित (MASSOLIT) का प्रेसिडेण्ट बनने वाला था. वे निकानोर इवानोविच को बेर्लिओज़ की मृत्यु की सूचना देते हैं. उसके कागज़ात एवम् अन्य चीज़ों को सील कर दिया जाता है, वे दो कमरे भी, जिनमें बेर्लिओज़ रहता था, सील कर दिए जाते हैं.

बेर्लिओज़ की मृत्यु का समाचार आग की तरह फैल जाता है. हर कोई इस मौके का फ़ायदा उठाना चाहता है. हाउसिंग सोसाइटी के प्रेसिडेण्ट के दफ़्तर में इन दो कमरों को प्राप्त करने के लिए अर्ज़ियों का ताँता लग गया.

यहाँ हमें यह पता चलता है कि उपन्यास का घटनाक्रम बुधवार को  आरम्भ हुआ है – बेर्लिओज़ मर जाता है; इवान को स्त्राविन्स्की के क्लिनिक में भेज दिया जाता है. गुरुवार की सुबह स्त्योपा लिखोदेयेव फ्लैट नं. 50 से बाहर फेंक दिया जाता है और आँख खुलते ही वह स्वयम् को याल्टा में पाता है.

निकानोर इवानोविच की ओर चलें.

निकानोर इवानोविच को फ्लैट नं. 50 के लिए जो अर्ज़ियाँ प्राप्त हुई हैं उनसे पाठकों को पता चलता है कि सामूहिक आवास-गृहों में लोग किस तरह रहते थे और एक अच्छी जगह पाने के लिए वे क्या कुछ करने को तैयार थे:
 बेर्लिओज़ की मृत्यु का समाचार पूरी इमारत में अद्भुत तेज़ी से फैल गया. गुरुवार सुबह सात बजे से ही बासोय के टेलिफोन की घण्टी बार-बार बजने लगी. लोग स्वयँ दरख़्वास्त लेकर आने लगे, यह साबित करने के लिए कि मृतक के रिहायशी मकान पर उन्हीं का हक है. दो घण्टों के भीतर निकानोर इवानोविच के पास ऐसी 32 अर्ज़ियाँ आ गईं.
इन अर्ज़ियों में क्या कुछ नहीं लिखा था : प्रार्थना थी, धमकी थी, शर्तें थीं, लालच था, अपने खर्चे से मरम्मत कराने की बात थी, जगह की कमी का शिकवा था और लुटेरों के बीच एक ही घर में रहने की लाचारी तथा उससे जुड़ी असमर्थता थी. इन अर्ज़ियों में आँखों में आँसू लाने वाला वर्णन था : कोट की जेबों से पैसे चोरी होने का फ्लैट नं. 31 में, फ्लैट न मिलने की सूरत में दो व्यक्तियों द्वारा आत्महत्या कर लेने का वादा और एक नाजायज़ रूप से गर्भ ठहरने की स्वीकृति भी थी.
निकानोर इवानोविच को उसके फ्लैट के बाहरी कमरे में बुलाया गया, उसकी बाँह पकड़कर फुसफुसाहट के स्वर में, आँख मारकर यह वादा किया गया कि वह अपने विभिन्न कर्ज़ों से मुक्त हो जाएगा.
यह मानसिक यातना दिन के लगभग एक बजे तक चलती रही, जब निकानोर इवानोविच अपना फ्लैट छोड़कर हाउसिंग सोसाइटी के दफ़्तर भाग गया. मगर जब उसने देखा कि वहाँ भी उसकी ताक में लोग खड़े हैं, तो वह वहाँ से भी भाग गया; किसी तरह पीछा करने वालों से जान बचाकर, जो सीमेंट के आँगन में उसका पीछा कर रहे थे, वह छठे प्रवेश द्वार में छिप गया और लिफ्ट से पाँचवीं मंज़िल पर पहुँचा, जहाँ यह अभिशप्त फ्लैट नं. 302 स्थित था.

आवास समस्या के बारे में ग्रिबोयेदोव भवन वाले अध्याय में भी काफी कुछ लिखा गया है...आगे भी कई बार इसके बारे में आप पढेंगे.

मगर जैसे ही निकानोर इवानोविच आधिकारिक भाव से ताला खोलकर भीतर पहुँचता है मृतक की लिखने की मेज़ पर टूटे काँच वाली ऐनक और चौख़ाने की कमीज़ पहने एक लम्बू को देखकर भौंचक्का रह जाता है...यह वही तो था जो हवा से बनता नज़र आया था और जिसने बेर्लिओज़ को पत्रियार्शी पार्क से बाहर जाने का रास्ता बताया था:

घुसने को तो वह घुस गया मगर दरवाज़े पर ही विस्फारित नेत्रों से ठहर गया, और तो और, काँपने भी लगा.

मृतक की लिखने की मेज़ पर एक अनजान व्यक्ति बैठा था, चौख़ाने वाला कोट पहने एक लम्बू, जिसने जॉकियों जैसी टोपी पहन रखी थी और डोरी वाला चश्मा लगा रखा था...हाँ, एक शब्द में, वही.
 आप कौन हैं, श्रीमान? घबराते हुए निकानोर इवानोविच ने पूछा.
 ब्बा! निकानोर इवानोविच... पतली-सी आवाज़ में अकस्मात् प्रकट हुआ नागरिक चिल्लाया और उसने बड़े जोश में अचानक प्रमुख से हाथ मिलाया. इस स्वागत से निकानोर इवानोविच ज़रा भी खुश नहीं हुआ.
 मैं माफ़ी चाहता हूँ, वह सन्देह भरी आवाज़ में बोलाआप कौन? आप क्या कोई शासकीय अधिकारी हैं?
 ओफ, निकानोर इवानोविच! अजनबी ने हृदयपूर्वक मुस्कुराकर फिकरा कसाशासकीय और अशासकीय क्या होता है? यह तो इस बात पर निर्भर है क आप किसी वस्तु को किस नज़र से देखते हैं; यह परिस्थितिजन्य और काफी सारी शर्तों पर निर्भर है. आज मैं एक अशासकीय अधिकारी हूँ, और कल, शासकीय! इससे विपरीत भी हो सकता है, निकानोर इवानोविच. और क्या कुछ नहीं हो सकता!
इस तर्क ने हाउसिंग सोसाइटी के प्रमुख को ज़रा भी संतुष्ट नहीं किया. मूल रूप से ही शक्की होने के कारण उसने अन्दाज़ लगाया कि उसके सामने खड़ा बड़बड़ाता हुआ यह व्यक्ति अवश्य ही अशासकीय है, और साथ ही निकम्मा, डींग मारने वाला भी है.
 आप हैं कौन? आपका उपनाम क्या है? प्रमुख ने संजीदा होते हुए पूछा और वह अजनबी की दिशा में बढ़ने लगा.
 मेरा उपनाम... प्रमुख की संजीदगी से ज़रा भी विचलित हुए बिना उस नागरिक ने कहासमझ लीजिए, कोरोव्येव. क्या आप कुछ खाना चाहेंगे, निकानोर इवानोविच? बिना किसी तकल्लुफ के! हाँ?
 माफ़ी चाहूँगा, कुछ अभद्रता के साथ निकानोर इवानोविच ने कहाखाना क्या चीज़ है! (मानना पड़ेगा, हालाँकि यह अच्छा नहीं लग रहा, कि निकानोर इवानोविच स्वभाव से ही कुछ असभ्य थे.) मृतक के आधे हिस्से को दबोच लेने की इजाज़त नहीं है! आप यहाँ क्या कर रहे हैं?
 आप बैठ तो जाइए, निकानोर इवानोविच, ज़रा भी डरे बिना... वह नागरिक दहाड़ा और उसने प्रमुख की ओर कुर्सी खिसका दी. 
निकानोर इवानोविच आपे से बाहर हो गया, उसने कुर्सी एक ओर धकेल दी और ऊँचे स्वर में पूछाआप हैं कौन?
 मैं, जैसा कि आप देख रहे हैं, इस फ्लैट में रहने आए विशिष्ठ विदेशी अतिथि का अनुवादक हूँ, अपने आप को कोरोव्येव कहने वाले उस व्यक्ति ने अपना परिचय दिया और गन्दे जूते की एड़ियों से टकटक करने लगा.
     
अब हमें पता चलता है कि उसका नाम है कोरोव्येव और वह शाम को वेरायटी थियेटर में काले जादू का शो करने जा रहे विदेशी का दुभाषिया है. निकानोर इवानोविच को सूचित किया जाता है कि स्त्योपा लिखोदेयेव ने प्रोफेसर वोलान्द (रहस्यमय प्रोफेसर का यही नाम था) एवम् उनकी टीम को एक सप्ताह के लिए अपने फ्लैट में रहने की दावत दी है और निकानोर इवानोविच को इस बारे में पहले ही सूचित किया जा चुका है. अब तो स्त्योपा का इस बारे में निकानोर इवानोविच को लिखा गया पत्र भी उनके ब्रीफ केस में पड़ा मिल जाता है.

निकानोर इवानोविच विदेशियों के ब्यूरो में इस विचित्र विदेशी के बारे में सूचना देता है मगर उसे टॆलिफोन पर बताया जाता है कि उन्हें इस बारे में जानकारी है और उन्हें विदेशी के स्त्योपा फ्लैट में एक सप्ताह के लिए रहने पर कोई आपत्ति नहीं है.

...और आपको तो, निकानोर इवानोविच, काफ़ी फ़ायदा है. पैसों के मामले में वह आगे-पीछे नहीं देखेगा, कोरोव्येव ने कनखियों से इधर-उधर देखते हुए कहा और फिर प्रमुख के कान में फुसफुसायाकरोड़पति है!

अनुवादक की पेशकश में एक व्यावहारिक अर्थ छुपा हुआ था. प्रस्ताव काफ़ी ठोस था, मगर अनुवादक के कहने का ढंग कुछ कमज़ोर था; कुछ सन्देहास्पद बात थी उसकी बातचीत के लहज़े में, उसकी वेशभूषा में, उसके दयनीय नासपीटे चश्मे में. इसके परिणामस्वरूप कोई अज्ञात भय प्रमुख की आत्मा को दबोचे जा रहा था; मगर फिर भी उसने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने की ठान ली. इसका कारण यह था कि यह सोसाइटी घाटे में चल रही थी. शिशिर ऋतु तक घरों को गरम करने के लिए पेट्रोल ख़रीदना आवश्यक था. उसके लिए क्या कुछ करना पड़ेगा, कुछ ख़बर नहीं. विदेशी के पैसों से यह काम आसानी से हो जाएगा और काफ़ी कुछ बच भी जाएगा. मगर चतुर और सावधान प्रकृति के निकानोर इवानोविच ने कहा कि पहले उसे इस विषय पर विदेशी ब्यूरो में बात करनी पड़ेगी.
 मैं समझ सकता हूँ! कोरोव्येव चहकाबिना बात किए कैसे? करना ही पड़ेगा, यह रहा टेलिफोन, निकानोर इवानोविच, शीघ्र ही बात कर लीजिए! पैसों के बारे में फिकर न कीजिए, उसने प्रमुख को सामने के कमरे में रखे टेलिफोन की ओर ले जाते हुए फुसफुसाहट के साथ कहाउससे नहीं तो किससे लेंगे! काश, आपने देखा होता कि नीत्से में उसका कितना शानदार बंगला है! अगली गर्मियों में, जब आप विदेश जाएँ, तो ज़रूर देखने जाइएगा  हैरान हो जाएँगे!
विदेशी ब्यूरो का काम टेलिफोन पर ही अप्रत्याशित और प्रमुख को विस्मित करने वाली तेज़ी से हो गया. यह पता चला कि वहाँ पहले ही वोलान्द महाशय के लिखोदेयेव के फ्लैट में रहने के इरादे की जानकारी है और उन्हें कोई आपत्ति भी नहीं है.
 सुन्दर, अति सुन्दर! कोरोव्येव ख़ुशी से चिल्लाया.
उसकी इस प्रसन्नता से थोड़ा घबराकर प्रमुख ने कहा कि हाउसिंग सोसाइटी एक सप्ताह के लिए फ्लैट नं. 50 कलाकार वोलान्द को किराए पर देने के लिए तैयार है. किराया होगा...निकानोर इवानोविच ने कुछ सोचकर कहा500 रुबल्स प्रतिदिन.
अब कोरोव्येव ने पूरी तरह प्रमुख को चित कर दिया. चोरों की तरह आँख मारते हुए उसने शयनकक्ष की ओर देखा, जहाँ से भारी बिल्ले की हलके कदमों की आवाज़ आ रही थी, वह सीटी बजाती-सी आवाज़ में बोलामतलब, एक सप्ताह के लिए  3500?
निकानोर इवानोविच ने सोचा कि अब वह कहेगाकितने लालची हैं आप, निकानोर इवानोविच! मगर कोरोव्येव ने एकदम दूसरी बात कही, यह भी कोई रकम है! पाँच माँगिए, वह देगा.
विस्मित, भौंचक्का निकानोर इवानोविच समझ ही नहीं पाया कि वह कैसे मृतक के लिखने की मेज़ तक पहुँचा, जहाँ कोरोव्येव ने बड़ी फुर्ती और सहजता से इस अनुबन्ध की दो प्रतियाँ तैयार कीं. तत्पश्चात् वह मानो हवा में तैरते हुए उन्हें लेकर शयन-कक्ष में गया और वापस आया; दोनों प्रतियों पर विदेशी के हस्ताक्षर थे. प्रमुख ने भी अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किए. कोरोव्येव ने रसीद माँगी पाँच...
 बड़े अक्षरों में, बड़े अक्षरों में, निकानोर इवानोविच!...हज़ार रुबल्स... और वह बड़े हल्के-फुल्के अन्दाज़ में बोलाएक, दो, तीन... और उसने पाँच नए-नए नोटों की गड्डियाँ प्रमुख की ओर बढ़ा दीं.
नोटों को गिना गया कोरोव्येव के मज़ाकों और फिकरों के बीच, जैसे कि पैसों को गिनती पसन्द है,अपनी आँख  सच्चा पैमाना इत्यादि.

निकानोर इवानोविच को इस एक सप्ताह के लिए किराया दिया जाता है, और करकराते रुबल्स का एक बण्डल भी उसकी ‘सेवाओं’ के लिए पेश किया जाता है, जिसे वह इस बात का पूरा इत्मीनान लेने के बाद रख लेता है कि इस लेन-देन के कोई गवाह नहीं हैं:

पैसों को गिनने के बाद प्रमुख ने कोरोव्येव से अपने कागज़ात में दर्ज करने के लिए विदेशी का पासपोर्ट लिया, तत्पश्चात् पासपोर्ट, पैसे तथा अनुबन्ध ब्रीफकेस में रखने के बाद वह कुछ देर मँडराया और शर्माते हुए कुछ टिकट माँगने लगा...
 क्या बात है! कोरोव्येव चीखाआपको कितने टिकट चाहिए, निकानोर इवानोविच, बारह, पन्द्रह?
विस्मित प्रमुख ने स्पष्ट किया कि उसे केवल दो टिकट चाहिए, एक अपने लिए और एक अपनी पत्नी, पेलागेया अंतोनोव्ना के लिए.
कोरोव्येव ने उसी समय एक नोटबुक निकाली और एक कागज़ पर दो व्यक्तियों के लिए पहली पंक्ति में दो सीटों के लिए एक पुर्जा लिखकर दिया. वह कागज़ अनुवादक ने दाहिने हाथ से, हौले से निकानोर इवानोविच के हाथ में ठूँसा और बाएँ हाथ से प्रमुख के दूसरे हाथ में करकराते करारे नोटों का मोटा-सा बण्डल थमा दिया. जैसे ही उस पर नज़र पड़ी निकानोर इवानोविच लाल हो गया और उसे अपने से दूर हटाने लगा.
 ऐसा नहीं होता, वह बड़बड़ाया.
 मैं कुछ सुनना नहीं चाहता, कोरोव्येव बिल्कुल उसके कान में फुसफुसायाहमारे यहाँ नहीं होता, विदेशियों में होता है. आप उसका अपमान कर रहे हैं, निकानोर इवानोविच, यह अच्छी बात नहीं है. आपने काम किया है...
 बड़ी कड़ी जाँच और सज़ा होगी, बड़े हौले से प्रमुख ने कहा और कनखियों से इधर-उधर देखा.
 और गवाह कहाँ हैं? दूसरे कान में कोरोव्येव फुसफुसायामैं आपसे पूछता हूं, कहाँ हैं वे? आप भी क्या बात करते हैं!
                                              
और तब, जैसा कि बाद में प्रमुख ने स्पष्ट किया, एक आश्चर्यजनक घटना घटी. नोटों का यह बण्डल अपने आप ही उसके ब्रीफकेस में घुस गया. तत्पश्चात् प्रमुख कुछ कमज़ोर, कुछ टूटा हुआ-सा सीढ़ियों पर आ गया. उसके मस्तिष्क में विचारों का बवण्डर छाया था. वहाँ नीत्से वाला बँगला घूम रहा था, और प्रशिक्षित बिल्ला, और यह ख़याल कि वास्तव में कोई गवाह नहीं थे, और यह कि पेलागेया अंतोनोव्ना टिकटें पाकर बड़ी ख़ुश होगी. ये सब बेतरतीब मगर ख़ुशगवार ख़याल थे. मगर फिर भी उसके मन में बहुत गहरे, कहीं कोई एक सुई भी चुभ रही थी. यह बेचैनी की चुभन थी. साथ ही, वहीं सीढ़ियों पर प्रमुख को इस ख़याल ने दबोच लिया कि आख़िर यह अनुवादक अध्ययन-कक्ष में पहुँच कैसे गया, जबकि दरवाज़ा सीलबन्द था! और उसने, निकानोर इवानोविच ने, इस बारे में उससे क्यों कुछ नहीं पूछा? कुछ देर तक प्रमुख साँड की तरह सीढ़ियों की ओर देखता रहा, मगर फिर उसने इस बात को दिमाग से झटकने की ठानी और तय किया कि इन बेसिर-पैर के विचारों से अपने आपको विचलित नहीं होने देगा...

जैसे ही प्रमुख फ्लैट में से बाहर निकला, शयनगृह से एक भारी आवाज़ आईमुझे यह निकानोर इवानोविच पसन्द नहीं आया. वह लालची और बेईमान है. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि वह फिर यहाँ न आए?
 महोदय, आपके हुक्म की देर है! कहीं से कोरोव्येव ने जवाब दिया, मगर काँपती, बेसुरी आवाज़ में नहीं, बल्कि स्पष्ट और खनखनाती आवाज़ में.
और तुरंत ही उस पापी अनुवादक ने बाहरी कमरे में आकर टेलिफोन के कुछ नम्बर घुमाकर न जाने क्यों भेदभरी आवाज़ में कहाहैलो! मैं यह बताना अपना कर्त्तव्य समझता हूँ कि सादोवाया रास्ते के 302 बी नम्बर की बिल्डिंग की हाउसिंग सोसाइटी के प्रमुख निकानोर इवानोविच बासोय रिश्वत लेते हैं. इस क्षण उनके 35 नम्बर के फ्लैट के शौचालय के वातायन में अख़बारी कागज़ में लिपटे चार सौ डालर्स मौजूद हैं. मैं इसी बिल्डिंग में ग्यारह नम्बर के फ्लैट में रहने वाला तिमोफेई क्वास्त्सोव बोल रहा हूँ. मगर यह विनती है कि मेरा नाम गुप्त ही रखा जाए. मुझे डर है कि प्रमुख मुझसे बदला लेगा.
और उस नीच ने टेलिफोन का चोंगा लटका दिया.

अपने फ्लैट में पहुँचने पर निकानोर इवानोविच नोटों के इस बण्डल को शौचालय के वेंटीलेटर में छुपा देता है, मगर न जाने क्यों और कैसे रुबल्स विदेशी मुद्रा में बदल जाते हैं, कोई गुप्त पुलिस को खबर कर देता है कि निकानोर इवानोविच ने रिश्वत ली है, और उसे विदेशी मुद्रा सहित गिरफ़्तार कर लिया जाता है.

वास्तव में, जैसा कि हमने देखा कि कोरोव्येव ने ही गुप्तचर पुलिस को हाउसिंग कमिटी के सेक्रेटरी तिमोफेई क्वास्त्सोव के नाम से फोन कर दिया था कि निकानोर इवानोविच ने विदेशी मुद्रा के रूप में रिश्वत ली है. निकानोर इवानोविच लाख समझाने की कोशिश करता है कि उसने किराए के रूप में रुबल्स लिए थे...वह उस रहस्यमय प्रोफेसर के साथ किए गए अनुबन्ध को दिखाने के लिए अपना ब्रीफ केस खोलता है, मगर ब्रीफकेस में न तो वह अनुबन्ध था, न प्रोफेसर का पासपोर्ट, न स्त्योपा का ख़त और न ही शाम की शो के वे दो टिकट जो कोरोव्येव ने उसे दिए थे.

यहाँ से मामला काफी उलझने लगता है. कई अविश्वसनीय और जादुई, रहस्यमय और खतरनाक घटनाएँ होने लगती हैं...वे जो किसी न किसी सामाजिक अपराध के दोषी हैं, उन्हें सज़ा मिलती है...जैसे कि स्त्योपा को सज़ा मिली अपनी अयोग्यता तथा सरकारी ओहदे का दुरुपयोग करने के लिए; निकानोर इवानोविच को सज़ा मिली रिश्वत लेने के जुर्म में....दिलचस्प बात यह है कि वोलान्द की मण्डली का हर शिकार चिल्लाता है कि मॉस्को में शैतान घुस गया है...

घटनाओं की कड़ी जो बेर्लिओज़ और इवान बेज़्दोम्नी से शुरू हुई थी उसकी लपेट में अब स्त्योपा, और निकानोर इवानोविच आ चुके हैं.



अगले अध्याय में हम जानेंगे वेरायटी थियटर के प्रशासकीय अधिकारियों के बारे में, उनके बीच चल रहे शीत युद्ध के बारे में...