अध्याय 12
काला जादू एवं उसका भण्डाफोड़
पोस्टरों में लिखा गया था कि शाम को वेरायटी
थियेटर में “काला जादू और उसका पर्दाफ़ाश” नामक शो होने वाला है – कार्यक्रम के
दूसरे भाग में.
वेरायटी का हॉल खचाखच भरा था.
कार्यक्रम का आरम्भ जूली और उसके परिवार द्वारा
दिखाए गए छोटे-मोटे कारनामों से हुआ.
लोग काफ़ी उत्तेजित हैं और वे बेसब्री से काले जादू
वाले शो का इंतज़ार कर रहे हैं.
सिर्फ एक व्यक्ति जो इस पूरी चीज़ से बहुत
उद्विग्न प्रतीत हो रहा है, वह है वेरायटी का वित्तीय डाइरेक्टर – रीम्स्की. वह
अपने कैबिन में अकेला बैठा है और निराशा से अपने होठ काट लेता है. कभी-कभी उसका
चेहरे पर भय की सिहरन दौड़ जाती है. वह इस बात से डर गया है कि स्त्योपा के गायब
होने के बाद अब वारेनूखा भी गुम हो गया है. रीम्स्की महसूस कर रहा था कि इन दोनों घटनाओं
में कोई न कोई सम्बन्ध ज़रूर है.
उसे इस बात पर अचरज हो रहा था कि वारेनूखा उस
जगह से वापस क्यों नहीं लौटा था जहाँ उसे टेलिग्राम्स देकर भेजा गया था? वह उन्हें
फोन करके यह मालूम करने का फैसला नहीं कर पा रहा था कि वारेनूखा वहाँ पहुँचा
भी था अथवा नहीं. आख़िर रात के दस बजे उसने वहाँ फोन करने का निश्चय कर ही
लिया, मगर पता चला कि टेलिफोन ख़ामोश पड़ा है, पता चला कि वेरायटी के सारे टेलिफोन
ही काम नहीं कर रहे थे. हालाँकि रीम्स्की इस बात से थोड़ा घबरा ज़रूर गया मगर साथ ही
उसे ख़ुशी भी हुई कि वह उन्हें फोन करने से बच गया था.
पहले अंतराल के दौरान रीम्स्की को सूचित किया
गया कि विदेशी कलाकार अपनी मण्डली के साथ पहुँच गया है. उसे कलाकार का स्वागत करने
के लिए जाना ही पड़ता है क्योंकि वेरायटी में उनका स्वागत करने के लिए कोई बचा ही
नहीं था.
वोलान्द अपने दुभाषिए और एक अकराल-विकराल बिल्ले
के साथ आया था. दुभाषिए की उपस्थिति भी रीम्स्की को अच्छी नहीं लगी. विदेशी कलाकार
के इस सहायक / दुभाषिए की कुछ जादुई करामातें वहाँ इकट्ठा लोगों को बहुत पसन्द
आईं; बिल्ले ने भी उन्हें बहुत प्रभावित किया जिसने अपने पिछले पैरों पर चल कर जग
में से गिलास में पानी डालकर पिया.
जब तीसरी घण्टी बजी और हॉल की बत्तियाँ बुझ गईं
तो कार्यक्रम के सूत्रधार जॉर्ज बेंगाल्स्की ने कलाकारों का परिचय कराया, काले
जादू के बारे में बताया और यह टिप्पणी की कि विदेशी कलाकार काले जादू की तकनीक का
पर्दाफ़ाश करेंगे...
परदा खुलता है; जादूगर अपने दो सहायकों :
चौखाने वाले लम्बू और अपने पिछले पैरों पर चलते हुए भीमकाय बिल्ले के साथ प्रवेश
करता है. पब्लिक ने ज़ोरदार तालियाँ बजाईं...
जादूगर अपने लिए एक कुर्सी मँगवाता है, न जाने
कहाँ से एक बदरंग कुर्सी प्रकट हो जाती है. उस पर बैठकर वोलान्द कुछ देर तक
दर्शकों का निरीक्षण करता है और अपने सहायक से पूछता है, “प्रिय फागोत, क्या
तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि मॉस्को के लोग काफी बदल गए हैं?”
फागोत (जो कि वास्तव में कोरोव्येव है) सहमति
में सिर हिला देता है.
“मुझे बताओ, प्रिय फ़ागोत,” वोलान्द चौख़ाने वाले लम्बू से मुखातिब
हुआ, जिसका ज़ाहिर है कोरोव्येव के अलावा एक दूसरा भी नाम था, “तुम्हारा क्या ख़याल है, मॉस्को की जनता
काफ़ी बदल गई है?”
जादूगर ने जनता की ओर देखा जो हवा से
प्रकट हुई कुर्सी देखकर सकते में आ गई थी.
“ठीक कहा, जनाब!” फ़ागोत-कोरोव्येव ने भी हौले से ही
जवाब दिया.
“तुम ठीक कहते हो, लोग बहुत ज़्यादा बदल गए हैं;
ऊपरी तौर से, मैं सोचता हूँ, उसी तरह जैसे यह शहर बदल गया है. उनकी वेश भूषा के
बारे में तो कहना ही क्या, मगर अब दिखाई देती हैं ये...क्या नाम
है...ट्रामगाड़ियाँ, मोटरगाड़ियाँ...”
वोलान्द आगे कहता है:
“बिल्कुल ठीक, धन्यवाद!” हौले-हौले भारी-भरकम आवाज़ में जादूगर
ने कहा, “मुझे इस बात में दिलचस्पी है कि क्या
इन लोगों की अंतरात्मा में भी कोई परिवर्तन आया है?”
“हाँ, महाशय, यह बहुत महत्त्वपूर्ण प्रश्न है.”
पार्श्वभाग में लोग एक-दूसरे की ओर
कनखियों से देखने और कन्धे सिकोड़ने लगे. बेंगाल्स्की का चेहरा लाल हो गया था.
रीम्स्की का पीला.
बेंगाल्स्की बीच में टपक पड़ता है और कहता है कि
विदेशी कलाकार मॉस्को की तकनीकी प्रगति से बहुत विस्मित जान पड़ते हैं, साथ ही
मॉस्कोवासियों ने भी उन्हें काफ़ी प्रभावित किया है.
वोलान्द को गुस्सा आ जाता है, वह फागोत से
पूछता है कि क्या उसने विस्मय का प्रदर्शन किया था?
फागोत इनकार करता है और फ़ब्ती कसता है कि
बेंगाल्स्की झूठा है...
बेंगाल्स्की पर मुसीबत टूट पड़ती है.
अगला कार्यक्रम, ताश के पत्तों के साथ, बड़ा
दिलचस्प हो गया जब ताश के पत्ते करेंसी नोटों में बदल जाते हैं, हॉल में नोटों की
बारिश होने लगती है और लोगों के बीच उन्हें पकड़ने के लिए होड़ लग जाती है. बेंगाल्स्की फिर से टिप्पणी करता है कि ये काले
जादू का एक नमूना था और ये नोट शीघ्र ही गायब हो जाएँगे.
अब तो वोलान्द को सचमुच ही बहुत गुस्सा आ जाता
है...फागोत दर्शकों से कहता है कि ये झूठा मुझे बहुत तंग कर रहा है, इसके साथ क्या
सलूक किया जाए? भीड़ में से एक आवाज़ आती है, “इसका सिर काट दो!” फागोत मान
जाता है और बेगेमोत (बिल्ले) को आवाज़ देता है. अगले ही पल बिल्ला उछल कर बेंगाल्स्की
की गर्दन पर चढ़ जाता है और दो ही बार घुमा कर गर्दन से उसका सिर उखाड़ लेता है!
टूटी हुई नसों से फ़व्वारे की तरह खून उछलता है
और बेंगाल्स्की के कोट को भिगोने लगता है...बेसिर का धड़ कुछ देर लड़खड़ाता है और फिर
स्टेज पर धम् से बैठकर विनती करने लगता है, “प्लीज़, मेरा सिर वापस दे
दो...मुझसे सब कुछ ले लो...मेरा फ्लैट, मेरी तस्वीरें...बस, मेरा सिर मुझे लौटा दो!...”
हॉल में महिलाओं की चीख-पुकार, आदमियों का
हो-हल्ला गूँजने लगा... लोगों को उस पर दया आ गई, वे कहने लगे कि उसे उसका सिर
वापस कर दिया जाए...
फागोत वोलान्द से पूछता है, “क्या
हुक्म है, मेरे आका?”
वोलान्द कहता है, “ ये लोग साधारण
लोगों की तरह ही हैं. उन्हें पैसे से प्यार है...मगर कभी-कभी उनके दिल में दया भी
जागती है...आवास की समस्या ने उन्हें बिगाड़ दिया है...” और वह हुक्म देता है कि
बेंगाल्स्की का सिर अपनी जगह पर वापस रख दिया जाए.
बेंगाल्स्की को ये ताक़ीद दी जाती है कि आइन्दा
वह हर जगह अपनी झूठी नाक नहीं घुसेड़े...फिर उसका सिर वापस उसकी गर्दन पर रख दिया
जाता है, कोट को साफ़ कर दिया जाता है और उसकी जेब में नोटों की एक गड्डी डालकर उसे
हॉल से बाहर भेज दिया जाता है, मगर अचानक उसकी तबियत बिगड़ जाती है और उसे
स्त्राविन्स्की के क्लीनिक ले जाया जाता है.
इसके पश्चात महिलाओं के लिए मीना-बाज़ार खुल
जाता है. इस बाज़ार में महिलाओं को उनके पुराने कपड़ों और जूतों के बदले अत्याधुनिक फैशन के
कपड़े, जूते और पर्सेस दिए जाते हैं. साथ ही परफ्यूम की शीशी भी दी जाती है...
इस भाग के कार्यक्रम की समाप्ति पर मॉस्को
की ध्वनि संयोजन समिति का चेयरमैन, जो वहाँ शो में उपस्थित था, यह माँग करता है कि
इन कारनामों का परदाफाश किया जाए, साथ ही बेंगाल्स्की की हालत के बारे में भी जनता
को बताया जाए...
मगर यह परदाफाश स्वयँ चेयरमैन के लिए ही
बहुत भारी पड़ता है....
“क्षमा करें!” फागोत बोला, “मैं माफ़ी चाहता हूँ. पर्दाफाश करने
जैसा कुछ भी नहीं है सब कुछ साफ़ और स्पष्ट है.”
“नहीं, माफ कीजिए! पर्दाफ़ाश तो होना ही चाहिए.
बगैर इसके आपके ये अद्भुत कारनामे उलझन में डाल रहे हैं. दर्शक समुदाय माँग करता
है कि आप उन्हें समझाएँ!”
“दर्शक समुदाय ने,” सिम्प्लेयारोव को बीच में टोकते हुए
वह ढीठ जोकर बोला, “जैसे कुछ कहा ही नहीं है? मगर अर्कादी अपोलोनोविच, आपके इस हार्दिक
अनुरोध को ध्यान में रखते हुए, मैं, पर्दाफ़ाश कर ही देता हूँ. मगर इसके लिए मुझे
एक छोटा-सा कारनामा करने की इजाज़त दें?”
“ठीक है,” अर्कादी अपोलोनोविच ने सौजन्य से कहा, “मगर उसका भेद भी खोलना होगा!”
“मंज़ूर है, मंज़ूर है! तो, अर्कादी अपोलोनोविच,
अगर आप बुरा न मानें तो क्या मैं पूछ सकता हूँ कि कल शाम आप कहाँ थे?”
इस अचानक और धृष्ठतापूर्ण प्रश्न से
अर्कादी अपोलोनोविच के चेहरी रंग उड़ गया.
“कल शाम अर्कादी अपोलोनोविच ध्वनि संयोजन समिति
की मीटिंग में थे,” उनकी पत्नी ने झटके से उत्तर दिया और आगे बोली, “मगर, मैं समझ नहीं पा रही, इस प्रश्न का
जादुई कारनामों से क्या सम्बन्ध है?”
“है, मैडम!” फ़ागोत ने ज़ोर देकर कहा, “स्वाभाविक ही है कि आप नहीं समझ
पाएँगी. मीटिंग के बारे में आपको पूरी ग़लतफ़हमी है. मीटिंग का बहाना बनाकर, जो कल
शाम को होने ही वाली नहीं थी, अर्कादी अपोलोनोविच ने अपने ड्राइवर को चिस्तीये
प्रुदी स्थित ध्वनि-संयोजन समिति के सामने छुट्टी दे दी (पूरे थियेटर में सन्नाटा
छा गया), और ख़ुद बस से योलोखोव्स्काया मार्ग पर प्रवासी थियेटर की अभिनेत्री
मीलित्सा अन्द्रेयेव्ना पोकोबात्का के पास गए. उसके साथ उन्होंने क़रीब चार घण्टे
बिताए.”
“ओह!” सन्नाटे में किसी की तड़पती हुई आवाज़ सुनाई दी.
अर्कादी अपोलोनोविच की जवान रिश्तेदार
धीमी किंतु भयंकर आवाज़ में ठहाका मारकर हँस पड़ी.
“अब समझ में आया!” वह बोली, “मुझे बहुत पहले से शक था. अब साफ़ हो
गया कि इस प्रतिभाहीन औरत को लुइज़ा का रोल कैसे मिला!”
उसने अचानक अपनी छोटी-सी किंतु भारी
छतरी से अर्कादी अपोलोनोविच के सिर पर प्रहार किया.
बुल्गाकोव
थियेटर जगत की असलियत को उजागर करते हैं; आवास समस्या के कारण लोगों का बर्ताव किस
तरह बदल जाता है यह भी बताते हैं...
अचानक बेगेमोत घोषणा करता है कि शो समाप्त
हो गया है और एक ही पल में स्टेज खाली हो जाता है, बेगेमोत और कोरोव्येव मानो हवा
में घुल जाते हैं; पुलिस सिम्प्लेयारोव के बॉक्स में घुस जाती है जहाँ उसकी एक रिश्तेदार,
एक युवा संघर्षरत कलाकार, ज़हरीली हँसी के ठहाके लगाते हुए इस परदाफ़ाश पर अपनी छत्री
से सिम्प्लेयारोव पर वार किए जा रही है, और सिम्प्लेयारोव की भीमकाय बीबी गरजते
हुए पुलिस को बुला रही है...