अध्याय - 8
प्रोफेसर और कवि के बीच द्वन्द्व
इस अध्याय में प्रोफेसर स्त्राविन्स्की और इवान
के बीच हुई बातचीत का वर्णन है, जो स्त्राविन्स्की के क्लिनिक में होती है.
घटनाक्रम घटित होता है बेर्लिओज़ की मृत्यु के
दूसरे दिन, लगभग उसी समय जब स्त्योपा को उसके फ्लैट से बाहर फेंक दिया जाता है.
इवान प्रोफेसर स्त्राविन्स्की के क्लिनिक के कमरा नं. 117 में जागता है.
स्नान, नाश्ता आदि करवाने के पश्चात् उसे एक
कमरे में पूछताछ के लिए ले जाया जाता है. इवान फ़ौरन इस कमरे को ‘फैक्टरी-रसोईघर’
का नाम दे देता है.
इस बात पर गौर कीजिए कि इवान अब कुछ शांत हो
गया है. उसे विश्वास हो जाता है कि उसका यहाँ से निकलना नामुमकिन है, इसलिए उसने
डॉक्टरों से सहयोग करने का निश्चय कर लिया.
जब इवान की देखभाल कर रही नर्स, प्रास्कोव्या
फ्योदोरोव्ना अपने क्लिनिक की तारीफ करती है, तो
ग़ौर कीजिए इवान की प्रतिक्रिया:
स्नानगृह के नल से तेज़ धार से बहते हुए
पानी को देखकर वह अपने आपको रोक नहीं पाया और वह व्यंग्यात्मक सुर में बोला, “क्या बात है! मानो ‘मेट्रोपोल’ में हों!”
“ओह, नहीं,” महिला ने गर्व से कहा, “उससे भी कहीं ज़्यादा अच्छा है. इस तरह
की सामग्री तो विदेशों में भी कहीं नहीं मिलेगी; वैज्ञानिक और डॉक्टर ख़ास तौर से
हमारा अस्पताल देखने आते हैं. हर रोज़ पर्यटक, विदेशी आते रहते हैं.”
“विदेशी पर्यटक” शब्द सुनते ही इवान को कल वाला
सलाहकार याद आ गया. उसकी आँखों के आगे धुंध छा गई. कनखियों से देखते हुए उसने कहा,
“विदेशी पर्यटक...कितना सिर पर चढ़ा लेते
हैं आप लोग विदेशी पर्यटकों को! उनके बीच कई किस्म के लोग होते हैं. मैं कल ऐसे ही
एक पर्यटक से मिला था, और लेने के देने पड़ गए.”
उस समय (और शायद आज भी...) विदेशियों के प्रति
एक गुस्से की भावना थी लोगों के दिलों में...लोग उनसे बात करना नहीं चाहते थे;
उन्हें इस बात पर बड़ा गुस्सा आता था कि सोवियत संघ में विदेशियों को ढेर सारी
सुविधाएँ और प्राथमिकताएँ दी जाती हैं. “मास्टर और मार्गारीटा” में आगे एक अन्य
अध्याय में भी इस तरह का प्रसंग आता है.
अब चलिए स्त्राविन्स्की और इवान के बीच हो रही
बातचीत की ओर:
जब प्रोफेसर तार्किक तरीके से यह पता लगाने की कोशिश
करता है कि इवान रहस्यमय प्रोफेसर को क्यों गिरफ्तार करवाना चाहता है, तो इवान इस
पूरी घटना के प्रति उसके रवैये से बहुत प्रभावित होता है और सोचता है, “यह व्यक्ति
वाक़ई में बुद्धिमान है. मानना पड़ेगा कि कभी-कभी बुद्धिजीवी लोगों के बीच बुद्धिमान
लोग मिल जाते हैं. इससे इनकार नहीं किया जा सकता.”
वह प्रोफेसर के साथ पूरा-पूरा सहयोग करता है जब
प्रोफेसर उसे यकीन दिलाता है कि उसे स्वयं को प्रोफेसर के पीछे भागने की और पुलिस
में रिपोर्ट दर्ज करवाने की कोई ज़रूरत नहीं है. बेहतर होगा कि वह पूरी घटना का
विवरण लिखकर दे दे और उस पर उचित कार्यवाही कर दी जाएगी.
तो, हम देखते हैं कि इवान एक आक्रामक नौजवान से
एक समझदार व्यक्ति में परिवर्तित हो रहा है. यह इवान के आंतरिक परिवर्तन की बीच की
अवस्था है. आगे के अध्यायों में हम एक अत्यंत शांत और बुद्धिमान इवान को देखेंगे,
जो क्लिनिक में पड़े-पड़े वास्तविक जगत को और विशेषकर साहित्यिक जगत को काफी कुछ समझ
गया है!
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