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रविवार, 29 जुलाई 2012

Discussion on M&M (Hindi) - Chapter 12


अध्याय 12

पोस्टरों में लिखा गया था कि शाम को वेरायटी थियेटर में “काला जादू और उसका पर्दाफ़ाश” नामक शो होने वाला है – कार्यक्रम के दूसरे भाग में.


वेरायटी का हॉल खचाखच भरा था.


कार्यक्रम का आरम्भ जूली और उसके परिवार द्वारा दिखाए गए छोटे-मोटे कारनामों से हुआ.
लोग काफ़ी उत्तेजित हैं और वे बेसब्री से काले जादू वाले शो का इंतज़ार कर रहे हैं.


सिर्फ एक व्यक्ति जो इस पूरी चीज़ से बहुत उद्विग्न प्रतीत हो रहा है, वह है वेरायटी का वित्तीय डाइरेक्टर – रीम्स्की. वह अपने कैबिन में अकेला बैठा है और निराशा से अपने होठ काट लेता है. कभी-कभी उसका चेहरे पर भय की सिहरन दौड़ जाती है. वह इस बात से डर गया है कि स्त्योपा के गायब होने के बाद अब वारेनूखा भी गुम हो गया है. रीम्स्की महसूस कर रहा था कि इन दोनों घटनाओं में कोई न कोई सम्बन्ध ज़रूर है.


उसे इस बात पर अचरज हो रहा था कि वारेनूखा उस जगह से वापस क्यों नहीं लौटा था जहाँ उसे टेलिग्राम्स देकर भेजा गया था? वह उन्हें फोन करके यह मालूम करने का फैसला नहीं कर पा रहा था कि वारेनूखा वहाँ पहुँचा भी था अथवा नहीं. आख़िर रात के दस बजे उसने वहाँ फोन करने का निश्चय कर ही लिया, मगर पता चला कि टेलिफोन ख़ामोश पड़ा है, पता चला कि वेरायटी के सारे टेलिफोन ही काम नहीं कर रहे थे. हालाँकि रीम्स्की इस बात से थोड़ा घबरा ज़रूर गया मगर साथ ही उसे ख़ुशी भी हुई कि वह उन्हें फोन करने से बच गया था.
पहले अंतराल के दौरान रीम्स्की को सूचित किया गया कि विदेशी कलाकार अपनी मण्डली के साथ पहुँच गया है. उसे कलाकार का स्वागत करने के लिए जाना ही पड़ता है क्योंकि वेरायटी में उनका स्वागत करने के लिए कोई बचा ही नहीं था.


वोलान्द अपने दुभाषिए और एक अकराल-विकराल बिल्ले के साथ आया था. दुभाषिए की उपस्थिति भी रीम्स्की को अच्छी नहीं लगी. विदेशी कलाकार के इस सहायक / दुभाषिए की कुछ जादुई करामातें वहाँ इकट्ठा लोगों को बहुत पसन्द आईं; बिल्ले ने भी उन्हें बहुत प्रभावित किया जिसने अपने पिछले पैरों पर चल कर जग में से गिलास में पानी डालकर पिया.
जब तीसरी घण्टी बजी और हॉल की बत्तियाँ बुझ गईं तो कार्यक्रम के सूत्रधार जॉर्ज बेंगाल्स्की ने कलाकारों का परिचय कराया, काले जादू के बारे में बताया और यह टिप्पणी की कि विदेशी कलाकार काले जादू की तकनीक का पर्दाफ़ाश करेंगे...


परदा खुलता है; जादूगर अपने दो सहायकों : चौखाने वाले लम्बू और अपने पिछले पैरों पर चलते हुए भीमकाय बिल्ले के साथ प्रवेश करता है. पब्लिक ने ज़ोरदार तालियाँ बजाईं...


जादूगर अपने लिए एक कुर्सी मँगवाता है, न जाने कहाँ से एक बदरंग कुर्सी प्रकट हो जाती है. उस पर बैठकर वोलान्द कुछ देर तक दर्शकों का निरीक्षण करता है और अपने सहायक से पूछता है, 


“प्रिय फागोत, क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि मॉस्को के लोग काफी बदल गए हैं?”


फागोत (जो कि वास्तव में कोरोव्येव है) सहमति में सिर हिला देता है.
वोलान्द टिप्पणी करता है कि मॉस्को में बहुत परिवर्तन हो गया है: लोग अच्छी वेष-भूषा में हैं, ट्रामगाड़ियाँ, कारें, बसेस...”


बेंगाल्स्की बीच में टपक पड़ता है और कहता है कि विदेशी कलाकार मॉस्को की तकनीकी प्रगति से बहुत विस्मित जान पड़ते हैं, साथ ही मॉस्कोवासियों ने भी उन्हें काफ़ी प्रभावित किया है.
वोलान्द को गुस्सा आ जाता है, वह फागोत से पूछता है कि क्या उसने विस्मय का प्रदर्शन किया था?


फागोत इनकार करता है और फ़ब्ती कसता है कि बेंगाल्स्की झूठा है...


बेंगाल्स्की पर मुसीबत टूट पड़ती है.


अगला कार्यक्रम, ताश के पत्तों के साथ, बड़ा दिलचस्प हो गया जब ताश के पत्ते करेंसी नोटों में बदल जाते हैं, हॉल में नोटों की बारिश होने लगती है और लोगों के बीच उन्हें पकड़ने के लिए होड़ लग जाती है.  बेंगाल्स्की फिर से टिप्पणी करता है कि ये काले जादू का एक नमूना था और ये नोट शीघ्र ही गायब हो जाएँगे.

अब तो वोलान्द को सचमुच ही बहुत गुस्सा आ जाता है...फागोत दर्शकों से कहता है कि ये झूठा मुझे बहुत तंग कर रहा है, इसके साथ क्या सलूक किया जाए? भीड़ में से एक आवाज़ आती है, “इसका सिर काट दो!” फागोत मान जाता है और बेगेमोत (बिल्ले) को आवाज़ देता है. अगले ही पल बिल्ला उछल कर बेंगाल्स्की की गर्दन पर चढ़ जाता है और दो ही बार घुमा कर गर्दन से उसका सिर उखाड़ लेता है!


टूटी हुई नसों से फ़व्वारे की तरह खून उछलता है और बेंगाल्स्की के कोट को भिगोने लगता है...बेसिर का धड़ कुछ देर लड़खड़ाता है और फिर स्टेज पर धम् से बैठकर विनती करने लगता है, “प्लीज़, मेरा सिर वापस दे दो...मुझसे सब कुछ ले लो...मेरा फ्लैट, मेरी तस्वीरें...बस, मेरा सिर मुझे लौटा दो!...”

हॉल में महिलाओं की चीख-पुकार, आदमियों का हो-हल्ला गूँजने लगा... लोगों को उस पर दया आ गई, वे कहने लगे कि उसे उसका सिर वापस कर दिया जाए...

फागोत वोलान्द से पूछता है, “क्या हुक्म है, मेरे आका?”

वोलान्द कहता है, “ ये लोग साधारण लोगों की तरह ही हैं. उन्हें पैसे से प्यार है...मगर कभी-कभी उनके दिल में दया भी जागती है...आवास की समस्या ने उन्हें बिगाड़ दिया है...” और वह हुक्म देता है कि बेंगाल्स्की का सिर अपनी जगह पर वापस रख दिया जाए.

बेंगाल्स्की को ये ताक़ीद दी जाती है कि आइन्दा वह हर जगह अपनी झूठी नाक नहीं घुसेड़े...फिर उसका सिर वापस उसकी गर्दन पर रख दिया जाता है, कोट को साफ़ कर दिया जाता है और उसकी जेब में नोटों की एक गड्डी डालकर उसे हॉल से बाहर भेज दिया जाता है, मगर अचानक उसकी तबियत बिगड़ जाती है और उसे स्त्राविन्स्की के क्लीनिक ले जाया जाता है.

इसके पश्चात महिलाओं के लिए मीना-बाज़ार खुल जाता है. इस बाज़ार में महिलाओं को उनके पुराने कपड़ों और जूतों के बदले अत्याधुनिक फैशन के कपड़े, जूते और पर्सेस दिए जाते हैं. साथ ही परफ्यूम की शीशी भी दी जाती है...

इस भाग के कार्यक्रम की समाप्ति पर मॉस्को की ध्वनि संयोजन समिति का चेयरमैन, जो वहाँ शो में उपस्थित था, यह माँग करता है कि इन कारनामों का परदाफाश किया जाए, साथ ही बेंगाल्स्की की हालत के बारे में भी जनता को बताया जाए...

मगर यह परदाफाश स्वयँ चेयरमैन के लिए ही बहुत भारी पड़ता है....पूरे हॉल में सैकड़ों दर्शकों के सामने यह भेद खुल जाता है कि अर्कादी अपोलोनोविच सिम्प्लेयारोव के प्रवासी थियेटर की एक महिला कलाकार से घनिष्ठ सम्बन्ध हैं और इन्हीं सम्बन्धों की बदौलत उसे नाटकों में महत्वपूर्ण रोल दिए जाते हैं, जबकि अनेक योग्य कलाकार मौके की प्रतीक्षा करते ही रह जाते हैं...

बुल्गाकोव थियेटर जगत की असलियत को उजागर करते हैं; आवास समस्या के कारण लोगों का बर्ताव किस तरह बदल जाता है यह भी बताते हैं...

अचानक बेगेमोत घोषणा करता है कि शो समाप्त हो गया है और एक ही पल में स्टेज खाली हो जाता है, बेगेमोत और कोरोव्येव मानो हवा में घुल जाते हैं; पुलिस सिम्प्लेयारोव के बॉक्स में घुस जाती है जहाँ उसकी एक रिश्तेदार, एक युवा संघर्षरत कलाकार, ज़हरीली हँसी के ठहाके लगाते हुए इस परदाफ़ाश पर अपनी छत्री से सिम्प्लेयारोव पर वार किए जा रही है, और सिम्प्लेयारोव की भीमकाय बीबी गरजते हुए पुलिस को बुला रही है...

रविवार, 22 जुलाई 2012

Discussion on Master&Margarita(Hindi)- 11


अध्याय 11

यह एक बड़ा ख़ूबसूरत अध्याय है जिसमें संक्षेप में इवान बेज़्दोम्नी का एक नए इवान में रूपांतरण दिखाया गया है.

जब प्रोफेसर स्त्राविन्स्की ने इवान को बेर्लिओज़ की दर्दनाक मौत का वर्णन पुलिस को लिखित रूप में देने की सलाह दी तो इवान लिखना आरम्भ करता है, मगर चाहे उसने कितनी ही बार लिखने की कोशिश क्यों न की हो, हर बार अगला ड्राफ्ट पहले वाले ड्राफ्ट से बदतर ही साबित होता.

इसी बीच आसमान काले बादलों से ढँक गया, मूसलाधार बारिश होने लगीगी, नदी किनारे के दृश्य जो इवान की खिड़की से दिखाई देते थे, लुप्त हो गए. इवान बहुत हताश हो गया, उसने हवा के कारण इधर-उधर बिखरे पन्नों को समेटने की कोशिश भी नहीं की और रोने लगा.

डॉक्टर ने आकर उसे इंजेक्शन दिया और वादा किया कि जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा और इवान अच्छा महसूस करने लगेगा.

कृपया ध्यान दें कि यह सब ठीक उसी समय हो रहा है जब वारेनूखा को बरसते पानी में उठाकर फ्लैट नं. 50 में ले जाया जा रहा था.... अर्थात् गुरुवार की दोपहर/शाम को.

शीघ्र ही बारिश रुक गई, आसमान साफ हो गया और इवान की खिड़की से लिण्डन का जंगल और नदी साफ-साफ दिखाई देने लगे.

इवान काफी शांत महसूस कर रहा था और तर्कसंगत विचार करने लगा था.

वह स्वीकार करता है कि उस रहस्यमय प्रोफेसर के पीछे ईसा की तस्वीर कमीज़ पर लटकाए, हाथ में मोमबत्ती लिए भागने और ग्रिबोयेदोव-भवन में हंगामा खड़ा करने में कोई समझदारी नहीं थी. वह अपने आप से पूछता है, “अगर बेर्लिओज़ ट्राम से कुचल गया तो मैं इतना उत्तेजित क्यों हो गया? दुर्घटनाएँ तो जीवन में होती ही रहती हैं. फिर बेर्लिओज़ मेरा लगता ही कौन था? क्या वह मेरा दोस्त था, या कोई रिश्तेदार? मैं तो उसे ठीक से जानता भी नहीं था, सिवाय इसके कि वह ख़तरनाक हद तक मीठा बोलने वाला था!. अगर बेर्लिओज़ मर गया है तो मासोलित का नया प्रेसिडेण्ट आ जाएगा, शायद पहले वाले से भी ज़्यादा ख़तरनाक!”

मैं बेवकूफ था जो मैंने इतना बड़ा हंगामा कर दिया...

इवान में परिवर्तन हो रहा है...वह महसूस करता है कि यह अस्पताल उतना बुरा नहीं है, स्त्राविन्स्की अच्छा इंसान है, यहाँ उसका हर तरह से ख़याल रखा जाएगा. प्रोफेसर के पीछे भागने के बदले उससे यह पूछना ज़्यादा बेहतर होता कि पोंती पिलात और कैदी हा-नोस्त्री का आगे क्या हुआ.

बीच-बीच में पुराना इवान नये इवान को वापस लौटाने की कोशिश करता है, मगर इवान अब परिवर्तित हो चुका है. वह स्वीकार कर लेता है कि यह सब हंगामा करना वाक़ई में बेवकूफ़ी थी.
इस परिवर्तन के बाद वह स्वयम् को काफ़ी हल्का महसूस करता है, उसे झपकी आने लगती है; आँखों के सामने लिण्डन का जंगल दिखाई देता है, ऐसा लगता है कि एक ख़ुशनुमा बिल्ला क़रीब से होकर गुज़र गया है...

और जब उसे नींद आने ही वाली थी तो अचानक बालकनी का दरवाज़ा बिना आवाज़ किए खुल गया और एक आकृति उसे उँगली से धमकाते हुए बोली, “ श्श्श...!”

गुरुवार, 19 जुलाई 2012

Discussion on Master & Margarita(Hindi)--10


अध्याय 10 

इस अध्याय का शीर्षक है ‘याल्टा की ख़बरें’ जिनके बारे में हमें वेरायटी थियेटर में ही पता चलता रहता है. बुल्गाकोव बताते हैं कि स्वयँ को याल्टा में पाकर स्त्योपा ने क्या-क्या किया.

घटनाक्रम वेरायटी थियेटर में ही घटित होता है. वेरायटी भी सादोवाया स्ट्रीट पर ही स्थित है. घटनाक्रम उसी समय आरंभ होता है जब इवान बेज़्दोम्नी से स्त्राविन्स्की के क्लिनिक में पूछताछ की जा रही है; स्त्योपा को फ्लैट नं. 50 से याल्टा फेंका जा चुका है; निकानोर इवानोविच को घर में विदेशी मुद्रा रखने के अपराध में गिरफ़्तार कर लिया गया है – कृपया ध्यान दें कि यह सब गुरुवार की सुबह को हो रहा है और वे सभी स्थान जहाँ वोलान्द की गतिविधियाँ हो रही हैं, सादोवाया स्ट्रीट पर ही हैं.     

तो, वेरायटी में वित्तीय डाइरेक्टर रीम्स्की और प्रबन्धक वारेनूखा स्त्योपा का इंतज़ार कर रहे हैं, जिसने अपने फ्लैट से रीम्स्की को सूचित किया था कि वह आधे घण्टे में वेरायटी पहुँच रहा है.

वारेनूखा मुफ़्त टिकट माँगने वालों की भीड़ से बचने के लिए रीम्स्की के कैबिन में बैठा है.

रीम्स्की स्त्योपा से बहुत चिढ़ता है. वह वारेनूखा को बताता है कि कल स्त्योपा पागल की तरह हाथ में एक अनुबन्ध लिए भागता हुआ उसके कमरे में आया था. यह अनुबन्ध था काले-जादू के शो का, किसी प्रोफेसर वोलान्द के साथ; और उसने इस जादूगर को देने के लिए रीम्स्की से कुछ अग्रिम धनराशि भी ली थी. मगर वह जादूगर था कहाँ? उसे किसीने भी नहीं देखा था. और अब दो बजे – न तो स्त्योपा का पता है और न ही काले-जादू के जादूगर का.

फिर अचानक रीम्स्की के कैबिन में टेलिग्राम्स की बौछार शुरू हो जाती है.

पहला सुपर लाइटनिंग टेलिग्राम भेजा था याल्टा की ख़ुफ़िया पुलिस ने जिसमें कहा गया था कि सुबह के क़रीब 11.30 बजे एक पागल, लिखोदेयेव, जो अपने आप को वेरायटी का डाइरेक्टर बता रहा है, नाइट ड्रेस में, बगैर जूतों के याल्टा में पाया गया. ख़ुफ़िया पुलिस जानना चाहती है कि लिखोदेयेव कहाँ है.

इससे पहले कि रीम्स्की इस टेलिग्राम का जवाब यह लिखकर देता कि “लिखोदेयेव-मॉस्को में” एक दूसरा सुपर लाइटनिंग टेलिग्राम आ धमकता है. इसे भेजा है लिखोदेयेव ने , “प्रार्थना, विश्वास करें वोलान्द के सम्मोहन से याल्टा फेंका गया, ख़ुफ़िया पुलिस को सूचित कर लिखोदेयेव की पुष्टि करें.”
इस टेलिग्राम का जवाब देने से पहले वे टेलिफोन द्वारा स्त्योपा से उसके फ्लैट में सम्पर्क स्थापित करने की  कोशिश करते हैं – कोई जवाब नहीं मिलता. पत्र वाहक को उसके फ्लैट में भेजा जाता है – फ्लैट में ताला है; और अभी वे सोच ही रहे थे कि क्या किया जाए कि तीसरा टेलिग्राम आता है जिसमें काली पृष्ठभूमि पर स्त्योपा के हस्ताक्षर हैं. स्त्योपा ने अपने हस्ताक्षर भेज कर इस बात की पुष्टि करने को कहा है कि ये वाक़ई में स्त्योपा के ही हस्ताक्षर हैं, और वही याल्टा में मौजूद है.

अब रीम्स्की और वारेनूखा के सामने सबसे बड़ी पहेली ये थी कि लिखोदेयेव साढ़े ग्यारह बजे एक साथ मॉस्को और याल्टा में कैसे मौजूद हो सकता था. मगर चूँकि हस्ताक्षर उसी के थे, रीम्स्की याल्टा की ख़ुफ़िया पुलिस को सूचित करता है कि मॉस्को में लिखोदेयेव से सम्पर्क नहीं कर सके, जबकि उसने अपने फ्लैट से 11.30 बजे फोन करके वेरायटी को सूचित किया था कि आधे घण्टे में वहाँ पहुँच रहा है; मगर टेलिग्राम के साथ संलग्न हस्ताक्षर स्त्योपा के ही हैं इस बात की सत्यता की जाँच कर ली गई है.

फिर आता है एक और टेलिग्राम जिसमें स्त्योपा ने रीम्स्की से पाँच सौ रूबल्स भेजने की प्रार्थना की है ताकि वह मॉस्को वापस लौट सके.

पैसे भेज दिए जाते हैं.

हम देखते हैं कि रीम्स्की, वारेनूखा और स्त्योपा एक दूसरे को पसन्द नहीं करते. रीम्स्की एक संजीदा किस्म का इन्सान है जो स्त्योपा के लापरवाह किस्म के बर्ताव को बर्दाश्त नहीं कर सकता. वह हमेशा ऐसे मौके की तलाश में रहता है जिससे स्त्योपा को सज़ा दिलवा सके...इस बार उसके हाथ एक अच्छा मौका लग गया है!

रीम्स्की सभी टेलिग्राम्स को एक लिफाफे में रखकर बन्द करता है और वारेनूखा से कहता है कि वह स्वयँ जाकर इन्हें वहाँ दे दे.

इस उपन्यास में कई बार वे, उन्हें, उनको... इस प्रकार के संदर्भ मिलते हैं, ये अप्रत्यक्ष रूप से केजीबी(KGB) जैसी संस्थाओं की ओर इशारा है, जिसका नाम उस समय एनकेवेदे(NKVD) था.

मगर जैसे ही वारेनूखा उस जगह  जाने के लिए निकलता है उसे टेलिफोन पर धमकी दी जाती है कि टेलिग्राम्स कहीं भी न ले जाए.

वारेनूखा चल पड़ता है. जाने से पहले थियेटर के ग्रीष्मोद्यान के शौचालय में जाता है यह देखने के लिए कि मैकेनिक ने वहाँ बल्ब पर धातु की जाली चढ़ा दी है अथवा नहीं.

मौसम एकदम बदल जाता है. तूफ़ानी हवा ज़ोर पकड़ने लगती है, वह वारेनूखा के चेहरे पर थपेड़े मारती है, उसे आगे जाने से रोकती है. अन्धेरा छा जाता है.

शौचालय में घुप अन्धेरा छा जाता है, अचानक बिजली की कड़कड़ाहट के साथ उसका सामना शौचालय में दो लोगों से होता है : एक नाटा, मोटा, बिल्ले जैसा व्यक्ति जो मना करने के बावजूद टेलिग्राम्स ले जाने की जुर्रत करने के लिए उसके बाएँ कान पर ज़ोरदार थप्पड़ मारता है; दूसरा थप्पड़ पड़ता है दाएँ कान पर जिसे लाल बालों वाले हट्टेकट्टे व्यक्ति ने मारा था. एक और थप्पड़ न जाने कहाँ से ठीक मुँह पर पड़ता है.

ये दोनों डाकू वारेनूखा को दोनों ओर से पकड़कर बरसते पानी में ले जाकर लिखोदेयेव के फ्लैट में पटक देते हैं जहाँ फॉस्फोरस जैसी जलती आँखों वाली एक नग्न युवती अपनी बर्फ जैसी ठण्डी हथेलियाँ उसके कन्धों में गड़ाती है और कहती है, ‘आओ, मैं तुम्हारा चुम्बन ले लूँ!’..
वारेनूखा होश खो बैठता है...

तो, इस अध्याय में शिकार बनाया जाता है वारेनूखा को. उसे सज़ा मिलती है झूठ बोलने के लिए, मुफ़्त टिकटों का घपला करने के लिए.

इस अध्याय में घटनाओं का चित्रण सस्पेन्स और रहस्य से भरा है. धुआँधार बरसता पानी, नालियों से सड़क पर उफ़नता पानी, उमड़ता तूफ़ान...कुछ डरावना सा चित्र प्रस्तुत करते हैं.

बुल्गाकोव लिखते नहीं है...वे एक सजीव वातावरण का निर्माण करते हैं! पाठक महसूस करते हैं कि वे इन क्षणों को अनुभव कर रहे हं. पाठकों का पूरा पूरा डूब जाना ...आप ऐसे पाठक रह ही नहीं जाते तो लेखक से जुदा हो!

बुधवार, 18 जुलाई 2012

Discussion on Master&Margarita (Hindi) - Chapter 9


अध्याय -9

तो, मॉस्को में वोलान्द की गतिविधियाँ आरम्भ हो चुकी हैं. सबसे पहले उसने सादोवाया स्ट्रीट पर बिल्डिंग नं. 302 के फ्लैट नं. 50 में अपना डेरा जमा लिया जहाँ स्वर्गीय बेर्लिओज़ स्त्योपा के साथ रहता था.

वोलान्द और उसकी मण्डली इस फ्लैट में तीन दिनों तक रहते हैं और हम देखेंगे कि वे क्या-क्या करते हैं; मॉस्को को किस प्रकार अपनी उपस्थिति का एहसास कराते हैं.

चलिए, देखते हैं कि बेर्लिओज़ की मृत्यु के दूसरे दिन क्या-क्या हुआ:
 - स्त्योपा को याल्टा फेंक दिया गया;
 - इवान की सोच में परिवर्तन का प्रारम्भ हो जाता है.

यह सब सुबह के करीब बारह बजे होता है.

बिल्डिंग नं. 302 में क्या होता है?

बिल्डिंग नं. 302 की हाउसिंग सोसाइटी के प्रेसिडेण्ट निकानोर इवानोविच बासोय बुधवार और गुरुवार के बीच की रात को काफी व्यस्त थे. करीब आधी रात को बिल्डिंग नं. 302 में एक कमिटी आती है, जिसमें झेल्दीबिन भी था जो बेर्लिओज़ के स्थान पर मासोलित (MASSOLIT) का प्रेसिडेण्ट बनने वाला था. वे निकानोर इवानोविच को बेर्लिओज़ की मृत्यु की सूचना देते हैं. उसके कागज़ात एवम् अन्य चीज़ों को सील कर दिया जाता है, वे दो कमरे भी, जिनमें बेर्लिओज़ रहता था, सील कर दिए जाते हैं.

बेर्लिओज़ की मृत्यु का समाचार आग की तरह फैल जाता है. हर कोई इस मौके का फ़ायदा उठाना चाहता है. हाउसिंग सोसाइटी के प्रेसिडेण्ट के दफ़्तर में इन दो कमरों को प्राप्त करने के लिए अर्ज़ियों का ताँता लग गया.

यहाँ हमें यह पता चलता है कि उपन्यास का घटनाक्रम बुधवार को  आरम्भ हुआ है – बेर्लिओज़ मर जाता है; इवान को स्त्राविन्स्की के क्लिनिक में भेज दिया जाता है. गुरुवार की सुबह स्त्योपा लिखोदेयेव फ्लैट नं. 50 से बाहर फेंक दिया जाता है और आँख खुलते ही वह स्वयम् को याल्टा में पाता है.

निकानोर इवानोविच की ओर चलें.

निकानोर इवानोविच को फ्लैट नं. 50 के लिए जो अर्ज़ियाँ प्राप्त हुई हैं उनसे पाठकों को पता चलता है कि सामूहिक आवास-गृहों में लोग किस तरह रहते थे और एक अच्छी जगह पाने के लिए वे क्या कुछ करने को तैयार थे.

आवास समस्या के बारे में ग्रिबोयेदोव भवन वाले अध्याय में भी काफी कुछ लिखा गया है...आगे भी कई बार इसके बारे में आप पढेंगे.

तो, निकानोर इवानोविच को बेर्लिओज़ के दो कमरों के बारे में ढेर सारी अर्ज़ियाँ प्राप्त होती हैं. अर्ज़ियाँ लिखने वाले उसे धमका रहे थे; उसके सामने शर्तें रख रहे थे; उसे रिश्वत देने की पेशकश कर रहे थे; अपने खर्चे से मरम्मत करवाने के बारे में कह रहे थे.

वे अपने सह-जीवन की समस्याओं का वर्णन कर रहे थे: एक ही कमरे में चोरों-डाकुओं के बीच रहने की मजबूरी बयान कर रहे थे; अनपढ़, असभ्य लोगों के बीच नारकीय जीवन बिताने का रोना रो रहे थे.

इन व्यक्तियों से बचने के लिए निकानोर इवानोविच फ्लैट नं. 50 में जाकर छुपने की सोचता है. मगर जैसे ही वह आधिकारिक भाव से ताला खोलकर भीतर पहुँचता है मृतक की लिखने की मेज़ पर टूटे काँच वाली ऐनक और चौख़ाने की कमीज़ पहने एक लम्बू को देखकर भौंचक्का रह जाता है...यह वही तो था जो हवा से बनता नज़र आया था और जिसने बेर्लिओज़ को पत्रियार्शी पार्क से बाहर जाने का रास्ता बताया था.     

अब हमें पता चलता है कि उसका नाम है कोरोव्येव और वह शाम को वेरायटी थियेटर में काले जादू का शो करने जा रहे विदेशी का दुभाषिया है. निकानोर इवानोविच को सूचित किया जाता है कि स्त्योपा लिखोदेयेव ने प्रोफेसर वोलान्द (रहस्यमय प्रोफेसर का यही नाम था) एवम् उनकी टीम को एक सप्ताह के लिए अपने फ्लैट में रहने की दावत दी है और निकानोर इवानोविच को इस बारे में पहले ही सूचित किया जा चुका है. अब तो स्त्योपा का इस बारे में निकानोर इवानोविच को लिखा गया पत्र भी उनके ब्रीफ केस में पड़ा मिल जाता है.

निकानोर इवानोविच विदेशियों के ब्यूरो में इस विचित्र विदेशी के बारे में सूचना देता है मगर उसे टॆलिफोन पर बताया जाता है कि उन्हें इस बारे में जानकारी है और उन्हें विदेशी के स्त्योपा फ्लैट में एक सप्ताह के लिए रहने पर कोई आपत्ति नहीं है.

निकानोर इवानोविच को इस एक सप्ताह के लिए किराया दिया जाता है, और करकराते रुबल्स का एक बण्डल भी उसकी ‘सेवाओं’ के लिए पेश किया जाता है, जिसे वह इस बात का पूरा इत्मीनान लेने के बाद रख लेता है कि इस लेन-देन के कोई गवाह नहीं हैं.

अपने फ्लैट में पहुँचने पर निकानोर इवानोविच नोटों के इस बण्डल को शौचालय के वेंटीलेटर में छुपा देता है, मगर न जाने क्यों और कैसे रुबल्स विदेशी मुद्रा में बदल जाते हैं, कोई गुप्त पुलिस को खबर कर देता है कि निकानोर इवानोविच ने रिश्वत ली है, और उसे विदेशी मुद्रा सहित गिरफ़्तार कर लिया जाता है.

वास्तव में, कोरोव्येव ने ही गुप्तचर पुलिस को हाउसिंग कमिटी के सेक्रेटरी तिमोफेई क्वास्त्सोव के नाम से फोन कर दिया था कि निकानोर इवानोविच ने विदेशी मुद्रा के रूप में रिश्वत ली है. निकानोर इवानोविच लाख समझाने की कोशिश करता है कि उसने किराए के रूप में रुबल्स लिए थे...वह उस रहस्यमय प्रोफेसर के साथ किए गए अनुबन्ध को दिखाने के लिए अपना ब्रीफ केस खोलता है, मगर ब्रीफकेस में न तो वह अनुबन्ध था, न प्रोफेसर का पासपोर्ट, न स्त्योपा का ख़त और न ही शाम की शो के वे दो टिकट जो कोरोव्येव ने उसे दिए थे.

यहाँ से मामला काफी उलझने लगता है. कई अविश्वसनीय और जादुई, रहस्यमय और खतरनाक घटनाएँ होने लगती हैं...वे जो किसी न किसी सामाजिक अपराध के दोषी हैं, उन्हें सज़ा मिलती है...जैसे कि स्त्योपा को सज़ा मिली अपनी अयोग्यता तथा सरकारी ओहदे का दुरुपयोग करने के लिए ; निकानोर इवानोविच को सज़ा मिली रिश्वत लेने के जुर्म में....दिलचस्प बात यह है कि वोलान्द की मण्डली का हर शिकार चिल्लाता है कि मॉस्को में शैतान घुस गया है...

घटनाओं की कड़ी जो बेर्लिओज़ और इवान बेज़्दोम्नी से शुरू हुई थी उसकी लपेट में अब स्त्योपा, और निकानोर इवानोविच आ चुके हैं.


अगले अध्याय में हम जानेंगे वेरायटी थियटर के प्रशासकीय अधिकारियों के बारे में, उनके बीच चल रहे शीत युद्ध के बारे में...

सोमवार, 16 जुलाई 2012

Discussion on Master&Maragarita(Hindi) - 8


अध्याय -8

इस अध्याय में प्रोफेसर स्त्राविन्स्की और इवान के बीच हुई बातचीत का वर्णन है, जो स्त्राविन्स्की के क्लिनिक में होती है.

घटनाक्रम घटित होता है बेर्लिओज़ की मृत्यु के दूसरे दिन, लगभग उसी समय जब स्त्योपा को उसके फ्लैट से बाहर फेंक दिया जाता है. इवान प्रोफेसर स्त्राविन्स्की के क्लिनिक के कमरा नं. 117 में जागता है.

स्नान, नाश्ता आदि करवाने के पश्चात् उसे एक कमरे में पूछताछ के लिए ले जाया जाता है. इवान फ़ौरन इस कमरे को ‘फैक्टरी-रसोईघर’ का नाम दे देता है.

इस बात पर गौर कीजिए कि इवान अब कुछ शांत हो गया है. उसे विश्वास हो जाता है कि उसका यहाँ से निकलना नामुमकिन है , इसलिए उसने डॉक्टरों से सहयोग करने का निश्चय कर लिया.
कुछ व्यंग्यात्मक टिप्पणियाँ जो इवान अपने आप से करताहै:

जब इवान की देखभाल कर रही नर्स, प्रास्कोव्या फ्योदोरोव्ना अपने क्लिनिक की तारीफ करती है और यह कहती है कि हर रोज़ कितने ही विदेशी एवम् पर्यटक इस अस्पताल को देखने आते हैं, तो वह फ़ब्ती कसता है, “कितना सिर चढ़ा लेते हैं आप इन विदेशियों को!” उस समय (और शायद आज भी...) विदेशियों के प्रति एक गुस्से की भावना थी लोगों के दिलों में...लोग उनसे बात करना नहीं चाहते थे; उन्हें इस बात पर बड़ा गुस्सा आता था कि सोवियत संघ में विदेशियों को ढेर सारी सुविधाएँ और प्राथमिकताएँ दी जाती हैं. “मास्टर और मार्गारीटा” में आगे एक अन्य अध्याय में भी इस तरह का प्रसंग आता है.

अब चलिए स्त्राविन्स्की और इवान के बीच हो रही बातचीत की ओर:

जब प्रोफेसर तार्किक तरीके से यह पता लगाने की कोशिश करता है कि इवान रहस्यमय प्रोफेसर को क्यों गिरफ्तार करवाना चाहता है, तो इवान इस पूरी घटना के प्रति उसके रवैये से बहुत प्रभावित होता है और सोचता है, “यह व्यक्ति वाक़ई में बुद्धिमान है. मानना पड़ेगा कि कभी-कभी बुद्धिजीवी लोगों के बीच बुद्धिमान लोग मिल जाते हैं. इससे इनकार नहीं किया जा सकता.”

वह प्रोफेसर के साथ पूरा-पूरा सहयोग करता है जब प्रोफेसर उसे यकीन दिलाता है कि उसे स्वयं को प्रोफेसर के पीछे भागने की और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाने की कोई ज़रूरत नहीं है. बेहतर होगा कि वह पूरी घटना का विवरण लिखकर दे दे और उस पर उचित कार्यवाही कर दी जाएगी.

तो, हम देखते हैं कि इवान एक आक्रामक नौजवान से एक समझदार व्यक्ति में परिवर्तित हो रहा है. यह इवान के आंतरिक परिवर्तन की बीच की अवस्था है. आगे के अध्यायों में हम एक अत्यंत शांत और बुद्धिमान इवान को देखेंगे, जो क्लिनिक में पड़े-पड़े वास्तविक जगत को और विशेषकर साहित्यिक जगत को काफी कुछ समझ गया है!

रविवार, 15 जुलाई 2012

Discussion on Master & Margarita(Hindi)- 7


अध्याय 7   

इससे पहले हम देख चुके हैं कि सोवियत संघ में साहित्यकारों को किस प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की जाती थीं. बुल्गाकोव इस दुनिया को बहुत अच्छी तरह जानते थे. उन्हें मालूम था कि सिर्फ प्रोलेटरियन लेखकों को ही सरकार द्वारा सर्वोत्तम सुविधाएँ प्रदान की जाती थीं. मगर उन्हें शासकों द्वारा निर्धारित नियमों का कड़ाई से पालन करना पड़ता था. जो ऐसा नहीं करते थे उन्हें काफ़ी तकलीफ उठानी पड़ती थी. बुल्गाकोव इन्हीं में से एक थे.

अध्याय 7 से थियेटर-जगत के बारे में चर्चा आरम्भ होती है : कलाकारों, प्रशासकों, नाटककारों आदि के बारे में.

अध्याय 7 वेरायटी थियेटर के डाइरेक्टर स्तेपान लिखोदेयेव के बारे में है.

स्त्योपा (स्तेपान) सादोवाया स्ट्रीट पर बिल्डिंग नं. 302 के फ्लैट नं. 50 में रहता था. इसी फ्लैट में बेर्लिओज़ के पास भी दो कमरे थे.

यह फ्लैट बड़ा बदनाम था. यह जौहरी दे’फुजेर की विधवा पत्नी आन्ना फ्रांत्सेव्ना दे’फुजेर का था. अक्टूबर क्रांति के बाद उसने पाँच में से तीन कमरे दो लोगों को किराए पर दे दिए थे. वे बिना कोई नामोनिशान छोड़े गायब हो गए; आन्ना फ्रांत्सेव्ना गायब हो गई; उसकी धर्मभीरू नौकरानी अन्फीसा भी गायब हो गई. जो लोग गायब हो गए थे, वे फिर कभी भी दिखाई नहीं दिए.

यह तत्कालीन वस्तुस्थिति की ओर इशारा करता है, जब लोग अचानक गायब हो जाते थे, खासकर रातों में. उनका क्या हश्र होता था यह किसी को पता भी नहीं चलता था.

तो, बेर्लिओज़ की मृत्यु के दूसरे दिन सुबह स्त्योपा ने बड़ी मुश्किल से अपने शयन-कक्ष में आँखें खोलीं. अपने सामने वह एक विदेशी को देखता है, जो काले जादू के प्रोफेसर के रूप में अपना परिचय देता है. प्रोफेसर यह भी बताता है कि पिछले ही दिन उसने स्त्योपा के साथ एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके अनुसार वेरायटी में काले जादू के ‘शो’ का आयोजन किया जाना था. प्रोफेसर को वेरायटी की ओर से कुछ अग्रिम धन राशि भी दी गई थी.

स्त्योपा ने सोचा कि यह कल रात की वोद्का का ही परिणाम है. उसने कल कुछ ज़्यादा ही पी ली थी, इसीलिए उसे इस जादूगर और उसके ‘शो’ के बारे में कुछ भी याद नहीं रहा. जादूगर उसे ‘कॉन्ट्रेक्ट’ दिखाता है...स्त्योपा वेरायटी के वित्तीय डाइरेक्टर को फोन करता है और उसे बताया जाता है कि जादूगर का ‘शो’ आज ही शाम को होने वाला है...

जब स्त्योपा फोन करने के बाद अपने शयन-कक्ष में वापस आता है तो देखता है कि जादूगर अब अपने तीन सहयोगियों के साथ बैठा है, जिन्हें फोन करते समय स्त्योपा ने अपने शयन-कक्ष के शीशे से एक-एक करके बाहर आते देखा था – चौखाने वाला लम्बू जिसने टूटे काँच वाली ऐनक पहनी थी, एक भीमकाय बिल्ला और मध्यम ऊँचाई का हट्टा-कट्टा लाल बालों वाला एक और व्यक्ति.

जादूगर स्त्योपा को समझाता है कि यह उसकी ‘टीम’ है और इसे रहने के लिए जगह चाहिए. सिर्फ एक ही व्यक्ति जो इस कमरे में फालतू है, किसी काम का नहीं है, वह है स्त्योपा, और इसलिए उसे जाना पड़ेगा.

स्त्योपा का फालतूपन बिल्ले द्वारा सिद्ध कर दिया जाता है : बिल्ला कहता है कि स्त्योपा गुण्डा, बदमाश है; कई लफ़ड़ों में उलझ जाता है; अपनी सरकारी कार का दुरुपयोग करता है; अपने शासकीय ओहदे का उपयोग करके अपने लिए काम करवा लेता है; औरतों के पीछे पड़ा रहता है; एक भी काम ढंग से नहीं करता क्योंकि उसे कुछ करना आता ही नहीं है!

ये बुल्गाकोव केवल स्त्योपा के ही बारे में नहीं कह रहे हैं, उनका इशारा ऐसे अनेक निठल्ले, निकम्मे लोगों की ओर है जो थियेटर जगत में महत्त्वपूर्ण जगहों पर विराजमान हैं.

तो, स्त्योपा को फ्लैट नं. 50 से बाहर फेंक दिया जाता है और आँख खुलने पर वह पाता है कि वह याल्टा में समुद्र के एकदम किनारे पर पड़ा है!

गुरुवार, 12 जुलाई 2012

Discussion on Master & Margarita (Hindi) - 6



   अध्याय – 6

इवान बेज़्दोम्नी धमकी देता है कि वह बलपूर्वक इस मानसिक रुग्णालय में लाए जाने का विरोध करेगा. वह इस बात पर ज़ोर देता है कि वह पूरी तरह सामान्य है.

प्रोफेसर स्त्राविन्स्की का क्लिनिक शहर के बाहर नया नया खुला है. हम देखेंगे कि अधिकाधिक लोग वहाँ लाए जाएँगे.

अब ऋयूखिन को एहसास होता है कि इवान के चेहरे पर तो किसी भी मानसिक बीमारी का कोई लक्षण ही नहीं है. वह घबरा जाता है...

और इवान उस पर चिल्लाता है और कहता है, “और तुझे तो, जू के अण्डे, मैं देख लूँगा!”

इवान पर तो ऋयूखिन का भण्डा फोड़ करने की धुन सवार हो गई. वह कहता है कि उसमें कोई योग्यता ही नहीं है...यह मूढ़ साश्का, हालाँकि अपने आपको सर्वहारा वर्ग का कवि कहता है, मगर असल में है अव्वल दर्जे का कुलाक जिसने सर्वहारा वर्ग के कवि का नकाब पहन रखा है. मई-दिवस की वर्ष गाँठ के उपलक्ष में लिखी गई उसकी कविता की भी वह निन्दा करता है.
ऋयूखिन बहस नहीं करता, मगर जब वह इवान को अस्पताल में छोड़कर मॉस्को वापस लौट रहा था तो वह स्वीकार करता है कि वे शब्द जो इवान ने उस पर फेंके थे हालाँकि बड़े अपमानजनक थे, मगर थे एकदम सही.

बुल्गाकोव ने जिस प्रकार ऋयूखिन का चित्रण किया है, उससे पता चलता है कि उसका इशारा प्रसिद्ध क्रांतिकारी कवि व्लादीमिर मायाकोव्स्की की ओर है. निम्नलिखित वर्णन इस बात को स्पष्ट करने में सहायक है:

”इसकी मरियल कदकाठी की ओर ध्यान दीजिए और उसकी तुलना इसकी गरजदार कविता से कीजिए, जो इसने पहली मई के मौके पर लिखी है...’उठो!....और बिखर जाओ!’ और क्या यह अपने द्वारा लिखी गई कविता के एक भी शब्द पर विश्वास करता है? ज़रा उसके दिल में झाँक कर देखिए और आप चौंक जाएँगे यह देखकर कि वह क्या सोच रहा है!”

“मास्टर और मार्गारीटा” में हम अक्सर सभी घरों से, शहर के सभी कोनों से रेडिओ से आती हुई एक भारी-भरकम आवाज़ को सुनते हैं...यह मायाकोव्स्की की ही आवाज़ है.

बुल्गाकोव और मायाकोव्स्की एक दूसरे को पसन्द नहीं करते थे और एक दूसरे की खिंचाई करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते थे. मायाकोव्स्की ने अपने नाटक ‘खटमल’ के एक दृश्य में बुल्गाकोव का मज़ाक उड़ाया है यह कहकर कि उसका नाम सिर्फ पुरातन शब्दों के शब्दकोष में ही पाया जाता है.

बुल्गाकोव ने भी मायाकोव्स्की को कभी छोड़ा नहीं...

मगर मॉस्को वापस लौटते समय ऋयूखिन अपनी परिस्थिति का विश्लेषण करता है और उसे इस बात का एहसास हो जाता है कि उसका जीवन व्यर्थ हो चुका है और अब उसे सुधारने के लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता. “मैं 32 वर्ष का हूँ, और आगे क्या? शायद मैं हर साल कुछ कविताएँ लिखता रहूँ...फिर क्या? कब तक? बुढ़ापे तक? इन कविताओं से उसे मिला ही क्या है? प्रसिद्धी? ओह, कम से कम अपने आप को तो धोखा न दो....प्रसिद्धी कभी उनके कदम नहीं चूमती जो वाहियात किस्म की, बेवकूफी भरी कविताएँ लिखते हैं. वे कविताएँ वाहियात क्यों हैं? जो कुछ भी मैं लिखता हूँ, उसके एक भी शब्द पर मैं विश्वास नहीं करता! ज़िन्दगी में अब कुछ भी सुधारना मुमकिन नहीं है...वह बरबाद हो गई है!”

फिर ऋयूखिन को लेकर आ रहा ट्रक एक स्मारक के पास रुकता है...पाषाण का बना हुआ एक आदमी सिर झुकाए खड़ा है, “ये है वास्तविक, सम्पूर्ण सफलता का उदाहरण! जो कुछ भी उसने किया, चाहे जिस परिस्थिति में भी उसे धकेला गया, हर चीज़ ने उसे प्रसिद्धी ही प्रदान की! वर्ना कैसा सम्मोहन है इन शब्दों में, ‘तूफ़ानी धुँध...’? और उस श्वेत सैनिक ने उसे मार डाला और अमर बना दिया...

यह ज़िक्र है पूश्किन के बारे में...

तो, बुल्गाकोव ने बीसवीं शताब्दी के दूसरे-तीसरे दशकों की साहित्यिक झलक दिखला दी है और उसकी तुलना उन्नीसवीं शताब्दी के साहित्य से करके यह दिखा दिया है कि वह कौन सी चीज़ है जो कविता को अमर बना देती है!

कृपया ध्यान दीजिए कि हमारे घटनाक्रम का पहला दिन यहाँ समाप्त होता है. ये सप्ताह का कौन सा दिन है, यह अभी तक पता नहीं चल पाया है. घटनाक्रम पत्रियार्शी तालाब के किनारे बने पार्क में और उसके आसपास तथा ग्रिबोयेदोव भवन में घटित होता है फिर वह मॉस्को के सीमावर्ती भाग में बने स्त्राविन्स्की क्लिनिक में स्थानांतरित हो जाता है. इवान को ‘शिज़िफ्रेनिया’ का मरीज़ बता दिया जाता है...तो इस तरह रहस्यमय प्रोफेसर की दोनों भविष्यवाणियाँ सही साबित होती हैं.


इवान को इस अस्पताल के कमरा नं. 117 में रखा जाता है और हम देखेंगे कि शीघ्र ही उसके आसपास और कई लोग आ जाते हैं.

मंगलवार, 10 जुलाई 2012

Discussion on M&M(Hindi) - Chapter 5


अध्याय - 5            
                                                                                                                                                   
इस अध्याय का शीर्षक है “सारा मामला ग्रिबोयेदोव में ही था”.

ग्रिबोयेदोव भवन का, जहाँ मासोलित का कार्यालय स्थित था, विस्तार से वर्णन किया गया है. बुल्गाकोव बताते हैं कि इस भवन में क्या क्या होता था...जैसे कि मासोलित के सदस्यों को हरसम्भव बेहतरीन सुविधाएँ प्रदान करना, जिनमें शामिल था बेहतरीन खाना, लेखकों की बस्ती पेरेलीगिनो में आवास प्रदान करना, साहित्य की रचना करने के लिए मुफ्त यात्रा एवम् अवकाश...संक्षेप में ये वो जगह थी जहाँ प्रोलेटेरियन लेखकों का ‘पालन-पोषण’ किया जाता था. उन्हें समाज से दूर रखा जाता था और उनकी बेहतरीन आवभगत की जाती थी. मासोलित का पहचान-पत्र रखना बड़े गर्व की बात समझी जाती थी.

आइए, अब कुछ और चीज़ों की ओर चलते हैं:

इस भवन को ग्रिबोयेदोव का नाम क्यों दिया गया? बुल्गाकोव कहते हैं कि यह घर प्रख्यात लेखक ग्रिबोयेदोव की बुआ का था और वह अपने नाटक ‘बुद्धि से दुर्भाग्य’ के अंश इस बुआ को पढ़कर सुनाया करता था, जो स्तम्भों वाले हॉल में सोफे पर पड़े-पड़े उन्हें सुना करती थी. मगर बुल्गाकोव फौरन ही अपने इस कथन को नकार देते हैं और कहते हैं, “हमें मालूम नहीं कि ग्रिबोयेदोव की कोई ऐसी बुआजी भी थीं जो इतने विशाल प्रासाद की मालकिन थीं,” और आगे कहते हैं, “ऐसी कोई बुआजी थीं या नहीं, हमें मालूम नहीं...वह अपने नाटक के अंश उन्हें पढ़कर सुनाया करता था या नहीं, हम विश्वास के साथ नहीं कह सकते...हो सकता है उसने पढ़े हों, हो सकता है, नहीं भी पढ़े हों.”

यह भी उस प्रसंग  जैसा है जब बेर्लिओज़ प्रोफेसर से कहता है कि हालाँकि उसकी कहानी है तो बड़ी दिलचस्प मगर वह पवित्र बाइबल में दिए गए प्रसंग से मेल नहीं खाती...पाठक को फौरन यह आभास हो जाता है कि येशुआ – पोन्ती पिलात प्रसंग वास्तविक ईसा के बारे में नहीं है!
यही बात यहाँ भी है.

मगर फिर ‘ग्रिबोयेदोव’ क्यों? जिस बिल्डिंग का ज़िक्र हो रहा है, वह वास्तव में है ‘गेर्त्सेन-भवन’... बुल्गाकोव ने इसे ग्रिबोयेदोव-भवन का नाम दे दिया. फिर वही बात: बुद्धि से / विचार प्रक्रिया से
सम्बन्धित. ग्रिबोयेदोव के नाटक ‘बुद्धि से दुर्भाग्य’ में इस बात का वर्णन है कि किस प्रकार एक पढ़ा-लिखा/ बुद्धिमान/ तर्कपूर्ण विचार करने वाला नौजवान अनपढ़ लोगों के समाज में दुख पाता है. यहाँ यही बात बुल्गाकोव के तत्कालीन समाज (साहित्यिक समाज) पर लागू होती है.

तो, इवान बेज़्दोम्नी ग्रिबोयेदोव भवन पहुँचता है प्रोफेसर की तलाश में...

वहाँ बारह लेखक (बारह शिष्य!) मीटिंग के लिए बेर्लिओज़ का इंतज़ार कर रहे हैं...एक छोटे, उमस भरे कमरे में और बेर्लिओज़ को देर करने के लिए कोसते हुए अपनी खीझ उतारते हैं.

और जब ग्रिबोयेदोव का प्रसिद्ध ‘जाज़’ आरम्भ हो जाता है, तो वे कुछ खाने के लिए नीचे आ जाते हैं. अचानक बेर्लिओज़ की मृत्यु की खबर फैल जाती है. जाज़ रुक जाता है, लोग कुछ समय के लिए खाना और पीना बन्द कर देते हैं, मगर धीरे-धीरे फिर से शुरू हो जाते हैं, यह कहते हैं हम कर भी क्या सकते हैं? वोद्का क्यों फेंकी जाए? वह मर गया मगर हम तो ज़िन्दा हैं और ज़िन्दा रहने के लिए हमें खाना पीना तो पड़ेगा ही. एक कड़वा सच!

ग्रिबोयेदोव भवन के मैनेजर की ओर ध्यान दीजिए. बुल्गाकोव कहते हैं और फौरन अपनी बात को नकार भी देते हैं कि पूर्व में वह एक समुद्री डाकू था! मगर उन लोगों की पृष्ठभूमि पर गौर करना दिलचस्प होगा जो सर्वहारा साहित्य की रचना कर रहे हैं / सर्वहारा वर्ग के लेखकों का संरक्षण कर रहे हैं.

हास्यास्पद पोषाक में इवान को ग्रिबोयेदोव भवन में ईसा की तस्वीर और जलती हुई मोमबत्ती लिए प्रवेश करते देखकर लोगों की क्या प्रतिक्रिया होती है इस पर गौर कीजिए. गौर कीजिए कि मैनेजर आर्किबाल्ड आर्किबाल्डोविच इवान को इस हालत में ग्रिबोयेदोव भवन में घुसने देने के लिए चौकीदार को किस तरह डाँटता है; उस फूले-फूले चेहरे पर भी गौर कीजिए जो इवान के ठीक कान में पुचकारते हुए उससे रहस्यमय प्रोफेसर का नाम पूछता है. कवि ऋयुखिन की ओर भी गौर फरमाइए.

ऋयुखिन के बारे में अगले अध्याय में.

इस अध्याय के समाप्त होते होते इवान को तौलियों में लपेटकर एक ट्रक में डॉक्टर स्त्राविन्स्की के क्लीनिक में ले जाया जाता है, जिसके बारे में भी रहस्यमय प्रोफेसर ने पत्रियार्शी पार्क में भविष्यवाणी कर दी थी.