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शनिवार, 18 अगस्त 2012

Discussion on Master&Margarita(Hindi) - 15



अध्याय – 15

गुरुवार की शाम को, जब निकानोर इवानोविच अपने फ्लैट में विदेशी मुद्रा छिपाने के जुर्म में गिरफ़्तार किया गया था, तो वह अंत में स्त्राविन्स्की के क्लिनिक में पहुँच गया.

मगर यहाँ उसे बिल्डिंग नं. 302 से सीधे नहीं लाया गया था. पहले उसे किसी और जगह  ले जाया गया था. बुल्गाकोव उस जगह का नाम नहीं बताते हैं, मगर यह स्पष्ट है कि यह ख़ुफ़िया पुलिस का दफ़्तर था. वे उससे सवाल पूछते हैं : पहले प्यार से और बाद में ऊँची आवाज़ में.
अचानक निकानोर इवानोविच को कमरे के एक कोने में अलमारी के पीछे कोरोव्येव दिखाई देता है जो उसे चिढ़ा रहा है.

निकानोर इवानोविच की मानसिक हालत इतनी ख़राब हो जाती है कि उसे सीधे स्त्राविन्स्की क्लिनिक ले जाना पड़ता है.

निकानोर इवानोविच को नींद का इंजेक्शन दिया जाता है और नींद में वह एक सपना देखता है...एक थियेटर में कोई मुकदमा चल रहा है...लोग अपनी छुपाई गई विदेशी मुद्रा ला-लाकर दे रहे हैं.

यहाँ हमें इस अध्याय की कुछ बातों पर गौर करना होगा:

 - पूछताछ करने वाले अधिकारी प्यार भरे और दहशत भरे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं;
 - पूछताछ अक्सर खुले थियेटरों में होती थी और लोग अपने अपराध कबूल करते ही थे (स्टालिन के समय में ऐसा ही होता था);
 - बुल्गाकोव आँखों के महत्त्व पर प्रकाश डालते हैं, यह कहते हुए कि आँखें आत्मा का दर्पण होती हैं. कोई अपराधी चाहे कितना ही मंजा हुआ क्यों न हो, जैसे ही उससे कोई सवाल पूछा जाता है, उसकी आँखें उसके मन में हो रही उथल-पुथल का संकेत ज़रूर दे देती हैं, चाहे उसका चेहरा एकदम निर्विकार क्यों न रहे, और तब वह पकड़ा जाता है;
 - बुल्गाकोव विदेशी मुद्रा के प्रति बढ़ते हुए आकर्षण को, जमाखोरी की प्रवृत्ति को दर्शाते हुए कहते हैं कि विदेशी मुद्रा से उन्हें कोई लाभ नहीं होने वाला है, अतः उचित यही है कि उसे सरकार को सौंप दिया जाए.

निकानोर इवानोविच ने हालाँकि कोई विदेशी मुद्रा नहीं ली थी, मगर रिश्वत तो उसने ली ही थी – यह सुनिश्चित करने के बाद कि कोई गवाह तो नहीं हैं. इसके बाद उसने इस धन को शौचालय के वेंटीलेटर में छुपा दिया. लोगों में आसानी से पैसा कमाने के प्रति, रिश्वत लेने के प्रति रुझान तो था, मगर वे डरते भी थे कि कोई देख तो नहीं रहा है, कोई गवाह तो नहीं है.

इस अध्याय का अंतिम परिच्छेद बड़ा सुन्दर है. शुक्रवार की सुबह-सुबह निकानोर इवानोविच एक सपना देखता है कि सूरज गंजे पहाड़ के पीछे छुप रहा है और इस पहाड़ को दुहरी सुरक्षा-पंक्तियों ने घेर रखा है...

और बुल्गाकोव पाठकों को हौले से वर्तमान समय से प्राचीन युग की ओर ले जाते हैं...येरूशलम में...

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