ज़ोया का फ्लैट – 1.1.1
(1926)
(नाटक तीन अंकों
में)
लेखक – मिखाइल
बुल्गाकोव
हिन्दी अनुवाद –
आकेल्ला चारुमति रामदास
पात्र:
ज़ोया देनिसोव्ना
पेल्त्स, 35 वर्षीय विधवा.
पावेल फ़्योदोरोविच
ओबोल्यानिनोव, 35 वर्ष
अलेक्सान्द्र
तारासोविच अमेतिस्तोव, व्यवस्थापक, 38 वर्ष.
मान्यूश्का, ज़ोया
की नौकरानी, 22 वर्ष.
अनीसिम ज़ोतिकोविच
अल्लीलूया, हाउसिंग कमेटी का प्रेसिडेंट, 42 वर्ष.
गान-ज़ा-लिन (वही
गाज़ोलिन भी है), चीनी, 40 वर्ष.
ख़ेरूविम, चीनी, 28
वर्ष
आल्ला वादीमोव्ना,
25 वर्ष
बोरिस सिम्योनोविच
गूस-रिमोन्तनी, कठोर धातुओं के कारखानों का वाणिज्य डाइरेक्टर
लिज़ान्का, 23 वर्ष
मीम्रा, 35 वर्ष
मैडम इवानोवा, 30
वर्ष
रोब्बेर, संरक्षक
समिति का सदस्य
फॉक्सट्रॉट डान्सर
कवि
गंजेडी
इवान वासिल्येविच
का मृत शरीर
काफ़ी ज़िम्मेदार
आग्नेसा फ़ेरापोंतोव्ना
पहली ग़ैरज़िम्मेदार
महिला
दूसरी ग़ैरज़िम्मेदार
महिला
तीसरी ग़ैरज़िम्मेदार
महिला
दर्ज़ी
कॉम्रेड
पेस्त्रूखिन
मोटा
वानेच्का
दर्ज़िन
आवाज़ें
कथानक बीसवीं शताब्दी के दूसरे शतक में
मॉस्को में घटित होता है. पहला अंक मई में; दूसरा एवम् तीसरा जाड़ों के आरम्भ में.
दूसरे एवम् तीसरे अंक के मध्य तीन दिन का अंतराल है.
प्रथम अंक
पहला प्रवेश
स्टेज पर ज़ोया का
फ्लैट – स्वागत कक्ष, ड्राइंगरूम, बेड़रूम. मई के अस्त होते सूर्य की लालिमा
खिड़कियों को लाल किए दे रही है. खिड़कियों से बाहर विशाल
भवन का आँगन एक डरावने नासदान की भांति प्रतीत हो रहा है:
शाल्यापिन ग्रामोफोन में गा रहा है:
“धरती
पर पूरी मानव जाति...”
आवाज़ें:
“खरीदते हैं ‘प्राइमस’!”
शाल्यापिन: “महामानव का करे सम्मान...”
आवाज़ें:
“तेज़ करे चाकू, कैंचियाँ...!”
शाल्यापिन:
“ प्यार भरे दिल से,
पूजे बुत को...”
आवाज़ें:
“गरमाएँ समोवार!”
“ईवनिंग मॉस्को...- अख़बार!”
ट्रामगाड़ी
सीटी बजाती है, सीटियाँ. हार्मोनियम मस्तानी धुन बजाता है.
ज़ोया - (शयनकक्ष में भारी भरकम अलमारी के शीशे के
सामने कपड़े पहनते हुए वही धुन गुनगुनाती है). मिल गया कागज़, मिल गया कागज़. मैंने ढूँढ़ा. मिल गया कागज़!
मान्यूश्का –
ज़ोया देनिसोव्ना, अल्लीलूया आया है.
ज़ोया – भगा
दे, भगा दे उसको, कह दे – मैं घर में नहीं हूँ...
मान्यूश्का –
हाँ, वो, नासपिटा...
ज़ोया – रुक,
रुक. कह दे – बाहर गई है, बस, और कुछ न कहना. (शीशा जड़ी अलमारी में छिप जाती है.)
अल्लीलूया –
ज़ोया देनिसोव्ना, आप घर में हैं?
मान्यूश्का – नहीं
है, मैं कह जो रही हूँ – नहीं है. और ये आप करते क्या हैं, कॉम्रेड अल्लीलूया,
सीधे मेमसा’ब के बेडरूम में घुसे चले जा रहे हैं! मैं आप से कह तो रही हूं – नहीं
है.
अल्लीलूया –
सोवियत शासन में बेडरूम्स की इजाज़त नहीं है. शायद, तुझे भी एक बेडरूम चाहिए, अलग
से? वो आएँगी कब?
मान्यूश्का –
अब भला मुझे कैसे मालूम? वो मुझे बताती थोड़े ही हैं.
अल्लीलूया –
शायद अपने यार के पास गई है?
मान्यूश्का –
कैसे जंगली हैं आप, कॉम्रेड अल्लीलूया. ये...ऐसी बात, आप किसके बारे में कह रहे
हैं?
अल्लीलूया –
तुम, मारिया, बेवकूफ़ बनने का ढोंग मत करो. आपके कारनामे हमें अच्छी तरह मालूम हैं.
हाऊसिंग कमिटी से कोई बात छिपी नहीं है. हाऊसिंग कमिटी कोई ऊँघती थोड़े ही है.
समझीं? हम एक आँख से सोते हैं और दूसरी से देखते रहते हैं. इसीलिए तो बनाई गई है
कमिटी. तुम, शायद, अकेली हो घर में?
मान्यूश्का –
आप यहाँ से चले जाइए, अनीसिम ज़ोतिकोविच, वर्ना अच्छा न होगा. मालकिन हैं नहीं, और
आप हैं कि बेडरूम में घुस आए.
अल्लीलूया – ऐ
छोकरी! ये तुम किससे कह रही हो, ज़रा सोचो तो. देख रही हो कि मेरे हाथ में ब्रीफ़केस
है? मतलब, मैं सरकारी ड्यूटी पर हूँ, मुझे कोई छू भी नहीं सकता. मैं कहीं भी घुस
सकता हूँ. ऐ छोकरी (मान्यूश्का को
बाँहों में भर लेता है.)
मान्यूश्का –
जैसे ही मैं आपकी बीबी को बताऊँगी, वह आपकी ड्यूटी-व्यूटी अल्लीलूयासब निकाल देगी.
अल्लीलूया –
ऐ, रुक, रुक जा, चक्करघिन्नी!
ज़ोया (अलमारी में) - अल्लीलूया, तुम सुअर हो.
मान्यूश्का –
आह! (भाग जाती है.)
ज़ोया (अलमारी से बाहर निकलते हुए) - शाबास, बहुत अच्छे, हाऊसिंग कमिटी
के प्रेसिडेण्ट! बहुत अच्छे!
अल्लीलूया –
मैंने सोचा कि आप वाक़ई में नहीं हैं. फिर, वो झूठ क्यों बोलती है? और आप, ज़ोया
देनिसोव्ना, कितनी चालाक हैं. और सबका तो आप खूब स्वागत-सत्कार करती हैं...
ज़ोया – बिना
स्वागत-सत्कार के आपसे कैसे मिल सकती हूँ, आप तो स्वागत-सत्कार न करने वाले को
बगैर पलक झपकाए कच्चा खा जाएँ! बड़ी भौंडी किस्म की चीज़ हैं आप, अल्लीलुइचिक. पहली
बात ये कि आप बेहूदा बातें करते हैं. ‘यार’ से आपका क्य मतलब है? ये आपने पावेल
फ़्योदोरोविच के बारे में कहा?
अल्लीलूया –
मैं तो सीध-साधा आदमी हूँ, युनिवर्सिटी कभी गया नहीं...
ज़ोया – अफ़सोस.
दूसरी बात, मैंने पूरे कपड़े नहीं पह्ने हैं, और आप बेडरूम में घुस आए. और, तीसरी
बात, मैं घर में नहीं हूँ.
अल्लीलूया –
मगर आप तो घर पे हैं.
ज़ोया – नहीं
हूँ.
अल्लीलूया –
घर पे ही तो हैं आप.
ज़ोया – नहीं
हूँ.
अल्लीलूया –
बड़ी अजीब बात है...
ज़ोया – जल्दी
से बोलो, तुम्हें मेरी ज़रूरत क्यों पड़ गई?
अल्लीलूया –
मैं कोठरी के सिलसिले में आया था.
ज़ोया –
मान्यूश्का की कोठरी?
अल्लीलूया –
ही...ही... आप ख़ुद ही कह रही हैं. आपकी ज़ुबान...अं.... ज़ुबान...बात...
ज़ोया – क्या
फिर से किसी और को बसाना है?
अल्लीलूया –
ज़ाहिर है. आप अकेली हैं, और कमरे हैं छह.
ज़ोया – अकेली
कैसे? और मान्योश्का?
अल्लीलूया –
मान्यूश्का – नौकरानी है. उसके लिए किचन में सोलह गज है.
ज़ोया –
मान्यूश्का! मान्यूश्का! मान्यूश्का!
मान्यूश्का (झाँकते हुए) – क्या है ज़ोया देनोसोव्ना?
ज़ोया – तुम
कौन हो?
मान्यूश्का –
आपकी भतीजी, ज़ोया देनिसोव्ना.
अल्लीलूया –
भतीजी! ही...ही...क्या बात है! तुम तो सामोवार रखती हो.
ज़ोया – बकवास,
अल्लीलूया. क्या ऐसा कोई कानून है कि भतीजियों को सामोवार नहीं रखना चाहिए?
अल्लीलूया –
तुम सोती कहाँ हो?
मान्यूश्का –
ड्राईंग रूम में.
अल्लीलूया –
झूठ बोलती हो!
मान्यूश्का –
ओSSS गॉड!!
अल्लीलूया –
जवाब दो, जैसे फॉर्म में होता है, जल्दी जल्दी, सोचो मत. (जल्दी जल्दी पूछता है) तनख़्वाह कितनी मिलती है?
मान्यूश्का – (शीघ्रता से) – एक भी पैसा नहीं मिलता.
अल्लीलूया –
ज़ोया देनिसोव्ना को किस नाम से पुकारती हो?
मान्यूश्का –
आंटी.
अल्लीलूया –
ओफ़, होपलेस लड़की! एकदम होपलेस!
मान्यूश्का –
मैं जाऊँ, ज़ोया देनिसोव्ना?
ज़ोया – जा,
मान्यूशेच्का, समोवार रख, तुझे कोई रोक नहीं सकता.
(मान्यूश्का खिलखिलाते हुए भाग जाती है.)
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