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रविवार, 3 मार्च 2013

Zoya's Flat (Hindi) - 1.3.1



ज़ोया का फ्लैट – 1.3.1
प्रवेश तीसरा
ज़ोया के फ्लैट में स्प्रिट लैम्प भभक रहा है. खेरूविम तौलिया और ट्रे लिए हुए है.
ज़ोया – बस, एक मिनट सब्र करो, पाव्लिक. बस, अभी हो जाता है. (ओबोल्यानिनोव के हाथ में इंजेक्शन लगाती है.)
(ख़ामोशी)
ओबोल्यानिनोव – लो. (चेतना लौटने लगती है.) देखो. (उठ बैठता है.) ठीक है. याद दिलाते वे मुझे
कोई और जीवन, दूर का किनारा... ज़ोयका सूर्यास्त को क्यों छिपा दिया? मैंने वैसे भी उसे देखा नहीं. परदे खोल दीजिए, खोल दीजिए.
ज़ोया – हाँ, हाँ...(परदे खोलती है.)
खिड़की से दिखाई देती है मई की गहराती शाम. खिड़कियों में एक के बाद एक रोशनी होने लगती है. दूर से ‘एक्वेरियम’ का संगीत सुनाई देता है.
ओबोल्यानिनोव – कितना अच्छा है, देखिए...आपका आँगन बड़ा अच्छा है...दूर का किनारा...कितनी ख़ूबसूरत आवाज़ गा रही थी...
ज़ोया – दवा अच्छी बनी थी?
ओबोल्यानिनोव – ग़ज़ब की. (खेरूविम से) तू ईमानदार चीनी है. कितने पैसे दूँ?
खेरूविम – सात लुबल.
ज़ोया – पिछली बार आप ही के यहाँ से एक ग्राम ख़रीदी थी – चार रुबल हुए थे, और आज सात हो गए? डाकू कहीं के.
ओबोल्यानिनोव – जाने दो, ज़ोया, जाने दो. वह क़ाबिल चीनी है. उसने मेहनत की है.
ज़ोया – मैं पेमेंट कर देती हूँ, रुको.
ओबोल्यानिनोव – नहीं, नहीं, नहीं. किस अधिकार से...
ज़ोया – तुम्हारे पास शायद नहीं हैं अब.
ओबोल्यानिनोव – नहीं... मेरे पास हैं, अभी भी...उस...क्या कहते हैं...कोट में...घर पे.
ज़ोय (खेरुविम से) – लो.
ओबोल्यानिनोव – लो, एक और रुबल, चाय के लिए रख लो.
ज़ोया – कोई ज़रूरत नहीं, पाव्लिक, उसने पहले ही, जितना हो सका, हमें नोच लिया हि.
ख़ेरुविम – सुकलिया.
ओबोल्यानिनोव - शैतान ले जाए! ग़ौर से देखो, वह कैसे मुस्कुरा रहा है. एकदम खेरुविम, एकदम फ़रिश्ता! तुम सचमुच एक होशियार चीनी हो.
खेरुविम – होसियाली तोला-तोला...(ओबोल्यानिनोव से) साहो तो लोज़ लोज़ तुम्हें दवा ला दूँ? तू गान-ज़ा-लिन से न कहना...सब है...माल्फी...स्पिलित....अस्सा दिज़ाइन बना दूँ...(कुर्ते को हटाकर गोदने का निशान दिखाता है – अजदहे और साँप. उसका चेहरा अजीब और भयानक हो जाता है.)      
ओबोल्यानिनोव – कमाल की चीज़ है. ज़ोयका, देखिए.
ज़ोया – कितना  डरावना! यह तूने ख़ुद बनाया?
खेरुविम – कुद...सनहाई बनाया.
ओबोल्यानिनोव – सुनो, मेरे फ़रिश्ते : तुम हमारे यहाँ रोज़ आ सकते हो. मैं बीमार हूँ, मुझे इलाज के लिए मॉर्फ़ीम की ज़रूरत है...तुम ख़ुराक बना दिया करना...ठीक है?
खेरुविम – थीक है. गलीब सीनी को अस्सा घल पसन है.
ज़ोया – पाव्लिक, देखिए, संभल के. हो सकता है, यह कोई आवारा हो.
ओबोल्यानिनोव – क्या कहती हो – नहीं. उसके चेहरे पर लिखा है कि यह एक भला चीनी है. तुम, सुनो, ऐ चीनी, तुम पार्टी के मेम्बर तो नहीं?
खेरुविम – हम कपले धोते हैं.
ज़ोया -  कपड़े धोते हो? एक घण्टे बाद आना, मुझे तुमसे बात करनी है. मेरे कारखाने में इस्त्री कर दिया करना.
खेरुविम – अस्सा.
ओबोल्यानिन – ज़ोया, आपके यहाँ मेरे कुछ सूट पड़े हैं. मैं इसे पतलून देना चाहता हूँ.
ज़ोया – ये क्या बात हुई, पाव्लिक. वह जैसा है वैसा ही अच्छा है.
ओबोल्यानिनोव – अच्छा, ठीक है. फिर कभी दूँगा तुझे. शाम को आना. ख़ुदा हाफ़िज़. तुम जा सकते हो, चीनी.
खेरुविम – अस्सा घल है.
ज़ोया – मान्यूश्का ! इस चीनी को छोड़कर आ.
मान्यूश्का (प्रवेश कक्ष में) – तो? कर दिया?
खेरुविम – कल दिया. अलबिदा, मानूस्का. मैं एक घंते बात आती. मैं मानूस्का, लोज़ आती. मैंने ओबोल्यान की नौकली कल ली है.
मान्यूश्का – नौकरी? कैसी नौकरी?
खेरुविम – दवा. तोला तोला लाती. ओबोल्यान मुजे पतलून देती.
मान्यूश्का – ऐह...चालाक.
खेरुविम – तू मुजे सूम ले, मानूस्का.
मान्यूश्का – बगैर उसके भी चलेगा. पधारिए.
खेरुविम – जब मैं अमील हो जाऊँगा तो तुम मुझे सूमती? मुजे ओबोल्यान पतलून देती, मैं कुबसुलत होती. (जाता है.)
मान्यूश्का – कितने मासूम हो तुम. (अपने कमरे में जाती है.)
ओबोल्यानिनोव (ड्राइंग रूम में) – याद दिलाते हैं मुझे...
ज़ोया – पाव्लिक, ऐ  पाव्लिक. मुझे कागज़ मिल गया है. (विराम)  काउंट, लेडी को कुछ जवाब तो दीजिए, तुम्हें यह सिखाने की ज़रूरत तो नहीं है.
ओबोल्यानिनोव – याद दिलाते हैं...माफ़ कीजिए, ख़ुदा के लिए, मैं ख़यालों में खो गया था. तो आप कहती हैं – काउन्ट. आह, ज़ोया, प्लीज़, आज से मुझे काउंट कहना बन्द कीजिए.
ज़ोया – क्यों, आज ही से क्यों?
ओबोल्यानिनोव – आज मेरे कमरे में एक ऊँचा, निकम्मा आदमी , ऊँचे-ऊँचे जूतों में, स्पिरिट से महकता हुआ आया और बोला : “आप भूतपूर्व काउंट हैं.” मैंने कहा, “माफ़  कीजिए , इस ‘भूतपूर्व काउंट’ का क्या मतलब है? बड़ी दिलचस्प बात है, मैं चला कहाँ गया? मैं तो आपके सामने ही खड़ा हूँ.
ज़ोया – ये ख़त्म कैसे हुआ?
ओबोल्यानिनोव – उसने, ज़रा गौर कीजिए, मुझे जवाब दिया : “आपको क्रांति-म्यूज़ियम में रखना चाहिए.” और मेरे सामने ही कालीन पर सिगरेट का टुकड़ा फेंक दिया.
ज़ोया – फिर?
ओबोल्यानिनोव – फिर मैं ट्राम में बैठकर आपके पास  आ रहा था तो प्राणी-संग्रहालय के पास बड़ा-सा इश्तेहार देखा : “आज पेश हैं भूतपूर्व मुर्गी के कमाल.” मुझे यह इतना मज़ेदार लगा कि मैं ट्राम से उतर गया और चौकीदार से पूछने लगा: “प्लीज़, बताइए कि अब सोवियत शासन में वह क्या बन गई है?” वह पूछने लगा, “कौन?” मैंने कहा, “मुर्गी.” उसने जवाब दिया, “अब वह है मुर्गा.” मुझे लगता है कि इन डाकुओं में से किसी ने , किसी कम्युनिस्ट प्रोफेसर ने, बेचारी मुर्गी के साथ कोई ओछी हरकत की, जिसके कारण वह मुर्गा बन गई. मेरा तो सिर घूमने लगा, क़सम खाके कहता हूँ. आगे चला तो दिमाग़ में कौंध गया: भूतपूर्व टाइगर शायद अब हाथी बन गया हो. ओफ़, कैसी गड़बड़!
ज़ोया – आह, पाव्लिक, तुम लाजवाब हो!
ओबोल्यानिनोव – भूतपूर्व पाव्लिक.
ज़ोया – अच्छा, अच्छा, भूतपूर्व, मेरे प्यारे, मेरे दुलारे, पाव्लिक, सुनिए, आप मेरे यहाँ रहने आ जाइए.
ओबोल्यानिनोव – नहीं, प्यारी ज़ोयका, धन्यवाद. मैं तो सिर्फ ओस्तोझेन्को में ही रह सकता हूँ, मेरा परिवार सन् 1625 से वहाँ रह रहा है...तीन सौ साल...
ज़ोया – शायद लिज़ान्का को या फिर मीम्रा को यहाँ रखना पड़े, आह, काश, ऐसा न होता! चलो, ठीक है. पाव्लिक, सुनो, तुम मेरे नए बिज़नेस के लिए तो तैयार हो न? याद रहे, हम पूरी तरह ख़त्म हो चुके हैं.
ओबोल्यानिनोव – तैयार हूँ. याद दिलाते हैं मुझे...
ज़ोया – आज अल्लीलूया को  रिश्वत दी, और अब मेरे पास बचे हैं सिर्फ तीन  सौ रूबल्स. उन्हीं से हम काम शुरू करेंगे. हमारे पास, बस यही फ्लैट है, और मैं उसी से पैसा कमाऊँगी. क्रिसमस आते-आते हम पैरिस में होंगे.
ओबोल्यानिनोव -  और अगर आपको उसने, क्या कहते हैं...फँसा लिया तो?
ज़ोया – अक्लमन्दी से काम करूँगी – नहीं फँसेंगे.
ओबोल्यानिनोव – अच्छा, मैं भूतपूर्व मुर्गियों को ज़्यादा देर तक नहीं देख सकता. यहाँ से भाग जाना चाहता हूँ – किसी भी क़ीमत पर.
ज़ोया – ओह, मैं जानती हूँ,  यहाँ तुम मोमबत्ती की तरह पिघल रहे हो. मैं तुम्हें नीत्सा ले जाऊँगी, मैं तुम्हें बचाऊँगी.
ओबोल्यानिनोव – नहीं, ज़ोया, आपके पैसे से मैं जाना नहीं चाहता; और इस काम में मैं क्या मदद कर सकता हूँ, नहीं जानता.
ज़ोया – आप पियानो बजाया करेंगे.
ओबोल्यानिनोव – मुलाहिज़ा फ़रमाइए, मुझे चाय के लिए बख़्शीश दी जाएगी. और मैं हर दुअन्नी देने वाले से द्वन्द्व-युद्ध तो नहीं कर सकता.
ज़ोय – आह, पाव्लिक, तुम्हें सचमुच ही अजायबघर में रहना चाहिए. आप लेते रहिए, लेते रहिए, उन्हें देने दो. हर पैसा कीमती है.
दूर से पियानो के साथ नाज़ुक, गहरी आवाज़ गा रही है: अलबिदा, अलबिदा, ऐ धरती; जहाँ इतना तड़पे हम...” फिर आवाज़ बीच में ही टूट जाती है.
पैरिस जाएँगे! क्रिसमस तक हमारे पास एक लाख फ्रैंक्स हो जाएँगे, मैं यक़ीन दिलाती हूँ.
ओबोल्यानिनोव – आप ये पैसे  भेजेंग़ी कैसे?
ज़ोया – गूस!
ओबोल्यानिनोव – और वीज़ा? मुझे तो इन्कार कर देंगे.
ज़ोया – गूस!
ओबोल्यानिनोव – शायद, वह बड़ा प्रभावशाली है, यह भूतपूर्व गूस (हंस – अनु.)  अब  शायद वह बाज़ बन गया है.
ज़ोय – आह, पाव्लिक... (हँसती है.)
ओबोल्यानिनोव – मुझे बड़ी प्यास लगी है. आपके पास बिअर है, ज़ोया?
ज़ोया – अभी लो. मान्यूश्का! मान्यूश्का...
मान्यूश्का – क्या, ज़ोया देनिसोव्ना?
ज़ोया – बच्ची, जल्दी से बिअर ले आ...
मान्यूश्का – मैं स्टोर्स से ले आती हूँ. कितनी?
ज़ोया -  चार बोतल.
मान्यूश्का – अभ्भी. (भागती है , और बाहर का दरवाज़ा बन्द करना भूल जाती है)

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