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शुक्रवार, 22 मार्च 2013

Zoya's Flat (Hindi) - 2.2.1



ज़ोया का फ्लैट - 2.2.1    
प्रवेश दूसरा            

 
शाम का समय
 अमेतिस्तोव (खिलखिलाते हुए) – देखा, क्या चीज़ है अलेक्सान्द्र अमेतिस्तोव? मैं तो कह ही रहा था!
ज़ोया – तुम बेवकूफ़ नहीं हो, अलेक्सान्द्र अमेतिस्तोव.
अमेतिस्तोव – बेवकूफ़ नहीं हूँ. आप सुन रहे हैं, कॉम्रेड्स – बेवकूफ़ नहीं हूँ. तो, ज़ोयेच्का, मैं काम तो अच्छी तरह से कर रहा हूँ?
ज़ोया – हाँ, तुम सुधर गए हो और अक्लमन्द भी हो गए हो.
अमेतिस्तोव – तो, ज़ोयेच्का, तुम्हारी इस दौलत का आधा हिस्सा मेरे इन गठीले हाथों ने कमाया है, और तुम मुझे वीज़ा दिलवा रही हो. आह, नित्सा, नित्सा, कब देख पाऊँगा तुझे? नीला सागर, और उसके किनारे पर सफ़ेद पतलून में घूमता हुआ मैं! बेवकूफ़ नहीं हूँ! मैं – जीनियस हूँ!
ज़ोया – सुनो, ऐ जीनियस अमेतिस्तोव, एक बात तुमसे हाथ जोड़कर कहती हूँ, तुम फ्रांसीसी में न बोला करो. कम से कम आल्ला के सामने तो बोलना ही नहीं. वो आँखें फाड़ फाड़कर तुम्हारी ओर देखने लगती है.
अमेतिस्तोव – इसका क्या मतलब है? मैं, शायद गलत-सलत बोलता हूँ?
ज़ोया – गलत-सलत नहीं, भयानक फ्रेंच बोलते हो!
अमेतिस्तोव – ये तो दादागिरी है, ज़ोया. कसम से कहता हूँ, मैं दस साल की उम्र से फ्रेंच बोल रहा हूँ. हूंS S S बुरी फ्रेंच बोलता हूँ!
ज़ोया – और, तुम हर पल झूठ क्यों बोलते हो? तुम, आग लगे , कहाँ के कवचधारी सैनिक हो, कहो तो,! और किसे ज़रूरत है इसकी?
अमेतिस्तोव – आदमी को नीचा दिखाने में, उससे गन्दी बात कहने में तुम्हें बड़ा मज़ा आता है ना. क्या स्वभाव है! यहाँ अगर मेरी हुकूमत होती तो मैं सिर्फ इस स्वभाव के लिए तुम्हें नारीम भेज देता.
ज़ोया – मगर, चूँकि हुकूमत तुम्हारी नहीं है, तो जाओ, जल्दी से तैयार हो जाओ. भूलो मत, अभी यहाँ गूस आने वाला है! मैं तैयार होने जा रही हूँ. (जाती है.)
अमेतिस्तोव – गूस? तो बताया क्यों नहीं? (घबरा जाता है)  गूस, गूस, गूस! साहेबान, गूस! (सीढ़ी पर चढ़कर मार्क्स की तस्वीर उतारता है.) उतरो, बूढ़े मियाँ, अब आपको कुछ और देखने की ज़रूरत नहीं है. अब कुछ भी मज़ेदार होने वाला नहीं है. और वह कहाँ है चिड़िया का घोसला, जन्नत की सल्तनत?! भतीजी, मान्यूश्का!
मान्यूश्का (आते हुए) - लो, आ गई.
अमेतिस्तोव – ये तो बताओ कि तुम वहाँ बैठे बैठे कर क्या रही हो? क्या मैं अकेले ही यह सब सरकाऊँगा?
मान्यूश्का – मैं बर्तन धो रही थी.
अमेतिस्तोव – बर्तन भी धुल जाएँगे. पहले मेरी मदद करो!
(अमेतिस्तोव और मान्यूश्का के हाथ मानो फ्लैट पर जादुई लकड़ी फेर देते हैं. घण्टी तीन बार बजती है.)
माएस्ट्रो! खोलो!
मान्यूश्का – नमस्ते, पावेल फ़्योदोरोविच.
ओबोल्यनिनोव (फ्रॉक कोट में) – नमस्ते, मान्यूशा, नमस्ते.
अमेतिस्तोव – माएस्ट्रो, मेरा सलाम.
ओबोल्यानिनोव – माफ़ कीजिए, कई दिनों से मैं आपसे कहना चाह रहा था: कृपया मुझे अपने नाम से बुलाइए.
अमेतिस्तोव – क्या आप बुरा मान गए? क्या ख़ूब आदमी है! एक ही तबके के लोगों में...अच्छा, तो बताइए, ‘माएस्ट्रो’ शब्द में क्या ख़राबी है?
ओबोल्यानिनोव – यह अजनबी शब्द आरी की तरह मेरे कानों को काटता है, बिल्कुल ‘कॉम्रेड’ शब्द की तरह. 
अमेतिस्तोव – पार्डन-पार्डन. इनमें तो बहुत फ़रक है. तो फ़रक के बारे में: क्या आपके पास सिगरेट है?
ओबोल्यानिनोव – क्यों नहीं, लीजिए.
अमेतिस्तोव – धन्यवाद.
ओबोल्यानिनोव – ज़ोया, क्या मैं आपके पास आ सकता हूँ?
ज़ोया (पीछे से) – नहीं, पाव्लिक, रुकिए, मैं अभी तैयार नहीं हूँ. तबियत कैसी है आपकी?
ओबोल्यानिनोव – ठीक है, शुक्रिया.
अमेतिस्तोव – दो, जलपरी इधर दो.
मान्यूश्का – अभी लो. (परदे के पीछे से अनावृत स्त्री की तस्वीर सरका कर लाती है.) छिः...छिः....छिः...
अमेतिस्तोव – ये हुई न बात! बढ़िया तस्वीर है. ग्राफ़, इस विषय पर आपकी क्या राय है? मान्यूश्का, तुमसे बढ़िया है?
मान्यूश्का – बेशरम! शायद मैं इससे ज़्यादा ख़ूबसूरत हूँ. (छिप जाती है.)
अमेतिस्तोव – देखिए-तो! ये तो जन्नत है. हाँ? ग्राफ़, आप देखिए, ख़ुश होइए, तसले की तरह मुँह बनाए क्यों बैठे हैं!
ओबोल्यानिनोव – वो क्या है – तसला?
अमेतिस्तोव – ओफ़, आपसे कोई बात नहीं कर सकता! फ्लैट कैसा लग रहा है? हाँ?
ओबोल्यानिनोव – बहुत बढ़िया. मेरे पहले वाले फ्लैट की झलक आ रही है.
अमेतिस्तोव – अच्छा था?
ओबोल्यानिनोव – बहुत बढ़िया, सिर्फ मुझसे छीन लिया गया.
अमेतिस्तोव – क्या सचमुच?
ओबोल्यानिनोव – लाल दाढ़ियों वाले कुछ लोगों ने मुझे बाहर निकाल दिया.
अमेतिस्तोव – बड़ी दुखभरी दास्तान है.
ज़ोया – पाव्लिक! नमस्ते! तुम कुछ कमज़ोर लग रहे हो आज. ज़रा इधर रोशनी में आओ, मैं तुम्हें ग़ौर से देखूंगी...आखों के नीचे स्याही...
ओबोल्यानिनोव – नहीं, वह तो यूँ ही. सिर्फ़ आज मैं बड़ी देर तक सोता रहा.
ज़ोया – चलो, मेरे कमरे में चलें, मेहमानों के आने तक बैठेंगे. (ओबोल्यानिनोव के साथ पीछे छिप जाती है)
सांकेतिक घण्टी – तीन लम्बी, दो छोटी.
अमेतिस्तोव – ये वोही है; शैतान की दुम....कहाँ चले गए थे?
खेरूविम (थैली के साथ) – मैं थोला-थोला इस्कल्त पलेस कलता.
अमेतिस्तोव – भाड़ में जाओ तुम अपने स्कर्ट्स के साथ. कोकीन लाए?
खेरूविम – हाँ.
अमेतिस्तोव – दो, दो! सुनो, तुम, साम-प्यू-चॉय, मेरी ओर, मेरी आँखों में देखो.
खेरूविम – तुमाली आको में देकता.
अमेतिस्तोव – सही-सही जवाब देना: एस्पिरिन मिलाई है?
खेरूविम – नई...नSS ई...
अमेतिस्तोव – ओह, मैं तुझे अच्छी तरह जानता हूँ. डाकू हो तुम! मगर, अगर मिलाई है, तो ख़ुदा तुझे सज़ा देगा!
(सूंघता है.)
खेरूविम – थोला-थोला सज़ा तेका.
अमेतिस्तोव – थोड़ी-थोड़ी नहीं, वह तुझे खड़े-खड़े गाड़ देगा. सिर पर ठक-ठक करेगा, और चीनी गायब! कभी भी कोकीन में एस्पिरिन न मिलाना. नहीं, अच्छी कोकीन है. महसूस कर रहा हूँ. विचार साफ हो गए हैं. इस सब भयानक भागदौड़ में शरीफ़ आदमी का कोकीन के बगैर काम नहीं चल सकता. तो, जन्नत की सल्तनत के फ़रिश्ते, तैयार हो जा.
खेरूविम – अप्पी. (चीनी जैकेट और टोपी पहनता है.)
अमेतिस्तोव – अब बात ही और है. और तुम चीनी लोग आख़िर अपनी चोटियाँ क्यों मुँड़वाते हो? चोटी होती तो तुम्हारी बात ही कुछ और होती!
(सांकेतिक घण्टी)
आहा, मीम्रा. ये सबसे ज़्यादा वक़्त की पाबन्द है.
खेरूविम – मीम्ला आई.
अमेतिस्तोव – चुप, बदज़ात, तेरे लिए वह कैसे मीम्रा हो गई?
मीम्रा – नमस्ते, अलेक्सान्द्र तारासोविच. नमस्ते, खेरूविम्चिक! आज तो सब कुछ ख़ास तौर से सजाया गया है. आह, कितना ख़ूबसूरत है! क्रिसेंथेमम. ये मेरा फ़ेवरिट फूल है. बहुत पसन्द है. (गाती है.)
मज़ार पे मेरी, वादा करो तुम, लाओगे क्रिसेंथेमम...”
अमेतिस्तोव – आप तैयार हो जातीं, नतालिया निकोलायेव्ना, वर्ना देर हो जाएगी. आज बड़ा ख़ास दिन है: नए मॉडेल्स दिखाए जाएँगे.
मीम्रा – क्या आ गए? आह, क्या बात है! (भागती है)
खेरूविम चीनी लैम्प जलाता है, धुआँ फैल जाता है.
अमेतिस्तोव – ज़्यादा मत चिपकना.
खेरूविम – मैं चिपकना नई कलती. (ताली बजाता है, ग़ायब हो जाता है.)
(घण्टी)
लिज़ान्का – इस मठ के व्यवस्थापक को प्रणाम.
अमेतिस्तोव – गुड ईवनिंग, लिज़ान्का. भागो, जल्दी से तैयार हो जाओ, अभी एक वी.आई.पी. आने वाले हैं.
लिज़ान्का -  अच्छा? क्या मेरे पास?
अमेतिस्तोव – उनकी मर्ज़ी.
लिज़ान्का – वर्ना तो पिछले कुछ समय से मैं पीछे ही धकेल दी गई हूँ. (गायब हो जाती है.)
घण्टी
अमेतिस्तोव (आईने के पास जाकर खुद को ठीक ठाक करता है) – नमस्ते, मैडम इवानोवा...
इवानोवा – सिगरेट दो.
अमेतिस्तोव – मान्यूश्का. सिगरेट!
खामोशी.
क्या बाहर ठण्ड है?
इवानोवा – हाँ.
अमेतिस्तोव – एक सरप्राइज़ है : पैरिस से सैम्पल्स आ गए हैं.
इवानोवा – बड़ी अच्छी बात है.
अमेतिस्तोव – ग़ज़ब के हैं, उँगलियाँ चाटती रह जाओगी.
इवानोवा – आ हा.
अमेतिस्तोव – आप ट्राम से आई हैं?
इवानोवा – हाँ.
अमेतिस्तोव – बहुत भीड़ थी?
इवानोवा – हाँ.
मान्यूश्का(सिगरेट देते हुए) – लीजिए.
अमेतिस्तोव – लीजिए, प्लीज़.
इवानोवा – थैंक्यू. (जाती है.)
अमेतिस्तोव – क्या औरत है! माय गॉड. इसके साथ पूरी ज़िन्दगी बगैर ‘बोर’ हुए बिताई जा सकती है. नहीं तो तुम, बस चीं चीं करती रहती हो.
मान्यूश्का – मैं तो अनपढ़ हूँ.
अमेतिस्तोव – तुम पढ़ना-लिखना सीख लो, बच्ची. तुम तो सिर्फ चीनियों से ही आँखें लड़ाना जानती हो.
मान्यूश्का – मैं कोई आँख-वाँख नहीं लड़ाती...
ज़ोरदार घण्टी
अमेतिस्तोव – वही है! बिज़नेस-डाइरेक्टर की घण्टी खूब पहचानता हूँ मैं. क्या शानदार बजती है! खोल, अन्दर आने दे. फिर फ़ौरन तैयार हो जा. खेरूविम यहाँ सम्भाल लेगा.
खेरूविम (उत्तेजित होकर) – गूस आ लहा है (गायब हो जाता है.)
मान्यूश्का – आह, मालिक! गूस! (दरवाज़ा खोलने के लिए भागती है.)
अमेतिस्तोव – ज़ोया, गूस! ज़ोय, गूस! रिसीव करो. मैं छिप जाता हूँ. (गायब हो जाता है.)
ज़ोया (सजी धजी) – आह, मैं कितनी खुश हूँ, बोरिस सिम्योनोविच!
गूस – नमस्ते, ज़ोया देनिसोव्ना, नमस्ते!
ज़ोया – यहाँ बैठिए, यहाँ आराम मिलेगा. आय,याय,याय, कितने बुरे हैं आप!
गूस – आप मुझसे कह रही हैं कि मैं बुरा हूँ? कमाल की बात है. पूरा मॉस्को मुझे यकीन दिलाता है कि मैं अच्छा हूँ, और एक आप हैं जो उल्टा ही कह रही हैं.
ज़ोया – आह, बोरिस सिम्योनोविच. मॉस्को चापलूस है. वह आप जैसे, बड़ी कुर्सी पर बैठे लोगों को झुक- झुककर सलाम करता है, और मैं, मुझ ग़रीब दर्जिन को तो इससे कोई फ़रक नहीं पड़ता. ओय, ओय! पड़ोसी हैं, अच्छे दोस्त हैं, कम से कम एकाध बार झाँक ही लेते.
गूस – यक़ीन कीजिए, मुझे तो बड़े ख़ुशी होती, मगर मैं...
ज़ोया – मैं तो मज़ाक कर रही हूँ...जानती हूँ कि आप गले-गले तक काम में डूबे हुए हैं.
गूस – गले-गले तक तो नहीं, मगर बताता हूँ कितना. सुबह मीटिंग, दोपहर को मीटिंग, दिन में – मीटिंग, शाम को मीटिंग, और रात को...
ज़ोया – रात को भी मीटिंग.
गूस - नहीं, नींद नहीं आती.
ज़ोया – बेचारा, आप ज़रूरत से ज़्यादा थक गए हैं.

गूस – बेहद, पस्त हो चुका हूँ.

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