ज़ोया का फ्लैट – 2.1.2
अमेतिस्तोव (आता है.) – उफ़! तो,
प्यारे कॉम्रेड्स, दुकान बन्द कीजिए. थक गए?
कपड़ा काटने वाली – बहुत थक गई.
दर्जिन – आज तीस लोग आए थे.
अमेतिस्तोव – अब लेबर कोड के मुताबिक आराम
कीजिए. कॉम्रेड्स, आराम कीजिए. मनोरंजन कीजिए. वोरोब्येव हिल्स पर जाइए...
दर्जिन – कहाँ की हिल्स, अलेक्सान्द्र
तारासोविच. बिस्तर तक भी घिसट पाऊँ तो ग़नीमत.
अमेतिस्तोव – मैं समझ सकता हूँ. मैं ख़ुद
भी अब बिस्तर के ख़्वाब देख रहा हूँ. लेटूँगा, हिस्टोरिकल मटीरियलिज़्म के बारे में
थोड़ा सा पढूँगा और आँख लग जाएगी. समेटने की ज़रूरत नहीं है, वारवरा निकानोरोव्ना,
कॉम्रेड मान्यूशा सब सम्भाल लेगी.
कपड़ा काटने वाली – शब्बा ख़ैर,
अलेक्सान्द्र तारासोविच.
दर्जिन – अलबिदा.
जाती हैं.
अमेतिस्तोव – अलबिदा, अलबिदा...ऊफ़, शैतानों
ने परेशान कर डाला. आँखों के सामने बस पीठें और ‘बो’ज़ ही घूम रही हैं, और कुछ भी
दिखाई नहीं देता. (अलमारी से कोन्याक की बोतल निकालता है और एक जाम पीता है.)
फू...ज़ोयेच्का! डियर डाइरेक्टर!
ज़ोया (बाहर आते हुए) – बोलो.
अमेतिस्तोव – सुनो, डियर कज़िन. बात ख़ास
है. आल्ला वादीमोव्ना को जल्दी से पेश करो.
ज़ोया – नहीं हो सकता. मैंने इस बारे में
सोच लिया है.
अमेतिस्तोव – पार्डन-पार्डन. तुम मेरी बात
सुनो. पिछले कुछ दिनों से उसकी फाइनांशियल पोज़िशन डाँवाडोल है. उससे कितना लेना
है?
ज़ोया – क़रीब पाँच सौ रूबल्स.
अमेतिस्तोव – यही तो ट्रम्प कार्ड है!
ज़ोया – दे देगी.
अमेतिस्तोव – नहीं देगी, मैं तुमसे कहता
हूँ. तुम मेरी बात सुनो. उसकी आँखें ही कहती हैं कि वह कर्ज़ नहीं चुका सकती. आँखों
से पता चल जाता है कि आदमी के पास पैसा है या नहीं. मैं अपनी ही मिसाल देता हूँ:
जब मेरी जेब ख़ाली होती है, मैं ख़यालों में डूबा रहता हूँ, फ़लसफ़ा हावी हो जाता है,
सोशलिज़्म की ओर बढ़ने लगता हूँ. मैं कह रहा हूँ, औरत ख़यालों में डूबी रहती है,
भागने की फ़िक्र में है. अगर औरत सोचने लग जाए तो एक ही बात हो सकती है: या तो वह
तलाक लेने वाली है, या फिर एस.एस.आर. से भाग जाना चाहती है. पैसों की उसे सख़्त
ज़रूरत है, और पैसे हैं नहीं. तुम सोचो, कैसी है हालत! क्वार्टर की सजावट. मैडम
इवानोवा के साथ जोड़ी अच्छी रहेगी. और तुम्हारी मीम्रा और लिज़ान्का तो सिर्फ
भिनभिनाती हैं.
ज़ोया – वे – सेकण्ड क्लास हैं.
अमेतिस्तोव – ऐसे काम नहीं चलेगा, मेरी
माँ, हर चीज़ दूसरे दर्जे की नहीं चलेगी.
घण्टी
न जाने और किसे भेजा है शैतान ने. तुम
अमेतिस्तोव की बात मानो. अगर वह कोई काम करता है तो सोच समझ कर , आगे की सोच कर
करता है...
मान्यूश्का – आल्ला वादीमोव्ना पूछ रही
हैं कि आपसे मिल सकती हैं?
अमेतिस्तोव – वॉव! मौका! निचोड़ लो उसे,
निचोड़ लो!
ज़ोया – अच्छा, गड़बड़ मत करो. (मान्यूश्का
से) आने दो यहीं.
आल्ला (बेहद ख़ूबसूरत औरत अन्दर आती है.) –
नमस्ते, ज़ोया देनिसोव्ना. माफ़ कीजिए, शायद मैं गलत समय पर आ गई.
ज़ोया – नहीं, नहीं, मैं बहुत ख़ुश हूँ आपसे
मिलकर. बैठिए.
अमेतिस्तोव – आपका हाथ चूमता हूँ, आदरणीय
आल्ला वादीमोव्ना. क्या ड्रेस है? आपकी ड्रेस के बारे में सिवा इसके क्या कहूँ कि
बड़ी दिलकश है!
आल्ला – ये तो ज़ोया देनिसोव्ना का कमाल है.
अमेतिस्तोव – आल्ला वादीमोव्ना, मैं आपको
यक़ीन दिलाता हूँ कि आज जो सैम्पल्स पैरिस से आए हैं, उन्हें देखकर आप इस ड्रेस को
खिड़की से बाहर फेंक देंगी. ये दावा करता है यह भूतपूर्व कवचधारी सैनिक.
आल्ला – आप कवचधारी थे?
अमेतिस्तोव – बेशक.
आल्ला – ज़ोया देनिसोव्ना, क्या फिर कभी
मुझे वे सैम्पल्स दिखाएँगी?
ज़ोया – क्यों नहीं, आल्ला वादीमोव्ना.
अमेतिस्तोव – तो, मैं चला, आप लोगों को
छोड़कर चला.
आल्ला – बिज़ी हैं?
अमेतिस्तोव – हाँ, हाँ. किसी को गर्मी दो,
किसी को रोशनी, और सब को शुभकामनाएँ भी. (ज़ोया से, धीरे से) निचोड़ लो इसे, निचोड़ लो.
(गायब हो जाता है.)
आल्ला – आपका मैनेजर तो बहुत शानदार है,
ज़ोया देनिसोव्ना. इस काम के लिए वह बिल्कुल फिट है. क्या वह सचमुच कवचधारी सिपाही
था?
ज़ोया – मैं आपको ठीक-ठीक बता नहीं सकती.
बैठिए आल्ला वादीमोव्ना. चाय पिएँगी?
आल्ला – नो थैंक्स. परेशान न होईये. (थोड़ा
रुक कर) मैं, ज़ोया देनिसोव्ना, बड़े ज़रूरी काम से आपके पास आई हूँ.
ज़ोया – कहिए, आल्ला वादीमोव्ना.
आल्ला – मैं आपसे बात करना चाह रही थी,
अपने कर्ज़ के बारे में. मुझे आपके, अगर मैं गलत नहीं हूँ तो, ...
ज़ोया (रजिस्टर खोलकर) - पाँच सौ एक
रूबल्स देने हैं.
आल्ला – पाँच सौ एक. हाँ, बिल्कुल सही है.
हाँ. डियर ज़ोया देनिसोव्ना, इतने दिनों तक आपका उधार रखकर मैं आपको मुसीबत में तो
नहीं डाल रही?
(ख़ामोशी) मेरा सवाल बड़ा बेतरतीब-सा है,
माफ़ी चाहती हूँ. मैं ख़ुद भी यह बात समझ रही हूँ, अच्छी तरह. मगर बात यह है कि
पिछले कुछ समय से मेरी माली हालत बड़ी ख़राब चल रही है. बड़ी कड़की में हूँ. ऐसा पहले
कभी नहीं हुआ था. मुझे बड़ी शरम आती है, ज़ोया देनिसोव्ना. (ख़ामोशी) आप अपनी
ख़ामोशी से मुझे मार डालेंगी, ज़ोया देनिसोव्ना.
ज़ोया – मैं कह भी क्या सकती हूँ, आल्ला
वादीमोव्ना? बड़े अफ़सोस की बात है.
आल्ला – तब...आप मुझे माफ़ कीजिए, ज़ोया
देनिसोव्ना...आप बेशक सही हैं. आप मुझे दो-तीन दिन की मोहलत दीजिए, मैं पूरी कोशिश
करूँगी, किसी भी तरह इस रकम का जुगाड़ करूँगी. मैं बड़ी शर्मिन्दा हूँ, यक़ीन कीजिए. (ख़ामोशी.)
अलबिदा, ज़ोया देनिसोव्ना.
ज़ोया – अलबिदा, आल्ला वादीमोव्ना.
आल्ला दरवाज़े की ओर
जाती है.
आल्ला वादीमोव्ना, एक मिनट. आप तो
सैम्पल्स देखना चाहती थीं न?
आल्ला – ज़ोया देनिसोव्ना, आप मज़ाक कर रही
हैं. मगर, मैं कहूँगी कि यह बड़े संजीदा किस्म का मज़ाक है. मुझे सिलाई के पैसे देने
में भी मुश्किल हो रही है, मालूम नहीं क्या होगा, और आप...
ज़ोया – आह, आल्ला वादीमोव्ना, किया क्या
जाए? मैं ख़ुद भी तो बड़ी मुसीबत में हूँ. मगर रोते रहने से तो कुछ हासिल न होगा! हर
वक़्त पैसा-पैसा करते रहने में भी कोई तुक नहीं है. मुझे आपको दिखाना अच्छा लगता
है; ये ‘नेप’लेडीज़ तो रसोइनों से भी बदतर हैं. आप मॉस्को की सलीकापसन्द और शौकीन
औरतों में से एक हैं. देखिए तो, ये कितनी ख़ूबसूरत है!
(आईना जड़ी अलमारी
खोलती है, उसमें चमकती हुई पोशाकों का ढेर लगा है.)
देखिए, ये शाम को पहनने की पोशाक है.
आल्ला – वंडरफुल. पाकेन?
ज़ोया – पाकेन.
आल्ला – मैं देखते ही पहचान गई. ओह, महान
कलाकार है!
ज़ोया देनिसोव्ना – मगर , ये सब पर फ़िट
नहीं बैठेगी. आप पर तो ख़ूब जँचेगी. ये देखिए, लिली के रंग की. ज़रा इसकी कमर पर गौर
कीजिए. है न ख़ूब?
आल्ला - ग़ज़ब की सिम्पल है. क्या कीमत
होगी?
ज़ोया – बत्तीस डॉलर्स. (ख़ामोशी)
तो, हालात बहुत बुरे हैं, बच्ची?
आल्ला – ज़ोया देनिसोव्ना, आप मज़ाक की हद
को पार कर रही हैं...
ज़ोया – ओह, नहीं, आलोच्का, ऐसे बुरा न
मानो डियर! मैं तो आपके भले की कह रही थी, और आप मुझे घास नहीं डाल रहीं. यह ठीक
नहीं हैं. बात पाँच सौ रूबल्स की नहीं है. कौन किसका कर्ज़दार है, इससे क्या फ़र्क
पड़ता है. बात तो कहने के अंदाज़ में है . अगर आप मेरे पास आतीं और साफ़-साफ़ दोस्ताना
अंदाज़ में कहतीं कि ज़ोया मेरे हालात बड़े ख़राब हैं, तो हम साथ मिलकर सोचते कि उनसे
कैसे निपटा जाए...मगर आप तो मेरे पास स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी बनकर आईं, मानो कह रही
हों, मैं तो ऊँचे घराने की हूँ, और तुम, ज़ोया देनिसोव्ना, दुकानदारिन, दर्जिन हो.
अगर बात ऐसी है तो मैं भी आपको उसी अंदाज़ में जवाब दूँगी.
आल्ला – ज़ोया देनोसोव्ना. मेरी प्यारी. ये
आपका भरम है, सच कहती हूँ. मैं तो इतनी शर्मिन्दा थी कि आपसे आँखें मिलाने की भी
हिम्मत न कर सकी. ये कर्ज़ मुझे परेशान किए जा रह है.
ज़ोया – अच्छी बात है, बैठिए. बस कीजिए अब
उधार के बारे में. कुछ और तरह से बात करें. तो, पैसे हैं नहीं. साफ़-साफ़ जवाब
दीजिए, अपनी दोस्त समझकर: कितने की ज़रूरत है?
आल्ला – काफ़ी सारे चाहिए.
ज़ोया – फ़िर भी, कितने?
आल्ला – डेढ़ सौ डॉलर्स.
ज़ोया – किसलिए?
आल्ला – मैं परदेस जाना चाहती हूँ.
ज़ोया – समझी. मतलब, यहाँ कोई बात नहीं
बनेगी?
आल्ला – ज़रा भी नहीं.
आल्ला – और वो, आपका ‘वो’...मैं यह नहीं
जानना चाहती कि वह कौन है, उसके नाम की भी मुझे कोई ज़रूरत नहीं, सिम्पली – ‘वो’.
क्या उसके पास आपको यहाँ आराम से रखने लायक भी पैसे नहीं हैं?
आल्ला – जब से मेरे पति की मौत हुई है,
मेरा तो कोई भी नहीं है, ज़ोया देनिसोव्ना.
ज़ोय – ओय, ओय!
आल्ला – सच कह रही हूँ.
ज़ोया – ओय, बड़ी अजीब बात है! आप अब तक
गुज़ारा कैसे करती रहीं?
आल्ला – अपने ज़ेवरात बेचती रही. अब वे भी
नहीं बचे.
ज़ोया – चलिए, मान लेती हूँ. तो: डेढ़ सौ
डॉलर्स मिल सकते हैं.
आल्ला – ज़ोया देनिसोव्ना!
ज़ोया – घबराइए मत, कॉम्रेड. सुनिए, तीन
महीने पहले आपको वीज़ा देने से इनकार किया गया था?
आल्ला – हाँ.
ज़ोया – मैं इसका इंतज़ाम करूँगी. क्रिसमस
तक आप चली जाएँगी, यह वादा रहा.
आल्ला – ज़ोया. अगर आप ऐसा करेंगी, तो मैं
ज़िन्दगी भर के लिए आपकी गुलाम हो जाऊँगी. मैं क़सम खाती हूँ कि विदेश में आपकी
एक-एक पाई चुका दूँगी.
ज़ोया – आह, नहीं चाहे मुझे आपके पैसे. मैं
तो आपको एक मौका दूँगी, आसान-सा मौका, उन्हें कमाने का.
आल्ला – ज़ोयेच्का डियर, मुझे तो ऐसा लगता
है कि मॉस्को में शराफ़त का कोई काम करके डेढ़ सौ डॉलर्स तो क्या, डेढ़ सौ कोपेक भी
मैं कमा न पाऊँगी.
ज़ोया – ग़लत. सिलाई-घर शरीफ़ाना काम है.
मेरे यहाँ मॉडेल बन जाइए.
आल्ला – ज़ोयेच्का, उसकी तो कौडियाँ मिलती
हैं!
ज़ोया – कौड़ी-कौड़ी में फ़रक होता है. सुनो:
जो मैं तुमसे कहने जा रही हूँ, उसका एक भी शब्द कभी भी किसी से भी न कह्ना. चाहे
तुम इनकार ही कर दो, हालाँकि इनकार करना बड़ी बेवकूफ़ी होगी. वादा?
आल्ला – वादा करती हूँ.
ज़ोया – मैं तुम्हें हर महीने साठ डॉलर्स
दिया करूँगी, इसके अलावा अपना पाँच सौ रूबल्स का कर्ज़ भी माफ़ करती हूँ, और वीज़ा भी
दिलवाऊँगी. ठीक है? (ख़ामोशी) काम करोगी सिर्फ शाम को, वह भी रोज़ नहीं. (ख़ामोशी)
तो?
आल्ला (चहलक़दमी करते हुए) – शाम को. शाम
को? ज़ोया, ये हुई न बात. ये तो ग़ज़ब हो गया!
ज़ोया – क्रिसमस तक सिर्फ चार महीने बाकी
हैं. क्रिसमस आते आते आप पंछी की तरह आज़ाद हो जाएँगी, जेब में होगा वीज़ा और साथ ही
न सिर्फ डेढ़ सौ बल्कि उससे दोगुने, चौगुने ज़्यादा. मैं आप पर कोई नियंत्रण नहीं
रखूँगी और कोई भी..., कभी भी. सुनिए, कोई भी न जान पायेगा कि आल्ला ने मॉडेल का
काम किया था...बसंत में आप देखेंगी बड़ी-बड़ी वृक्ष-वीथियाँ. बसंत में पैरिस का
आसमान लिली के रंग का होता है, बिल्कुल ऐसा (अलमारी से लिली के रंग वाली ड्रेस
निकालती है.)
पियानो की संगत में
मद्धम आवाज़ गाती है: ‘कहें अलबिदा, कहें अलबिदा उस देस को, इतना तड़पे हम जहाँ...’
जानती हूँ, जानती हूँ, ...पैरिस में है
प्रियतम.
आल्ला – हाँ.
ज़ोया – बसंत में उसके हाथों में हाथ डालकर
घूमना. और वह कभी भी न जान पाएगा, कभी भी नहीं.
आल्ला(विस्मय से) – तो ऐसा है
सिलाई घर! समझ गई. शाम को. जानती हैं, ज़ोयका, कौन हैं आप? आप शैतान हैं! कभी भी,
किसी से भी नहीं!
ज़ोया – कसम खाती हूँ!
आल्ला – ये हुई न बात!
ज़ोया – तो? (खामोशी) जैसे पानी में
छलांग लगाते हैं...सीधे...सिर के बल...अल्ले...
आल्ला – ज़ोयका, किसी से न कहना, मैं तीन
दिन बाद आऊँगी.
ज़ोया – आप्! (अलमारी खोलती है) चुन
लो. मेरी ओर से तोहफ़ा. कोई भी ले लो!
आल्ला – लिली के रंग वाली.
स्टेज अँधेरे में डूब जाता है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.