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बुधवार, 6 अक्टूबर 2021

Heart of a Dog - 10

 

 

अध्याय -10

उपसंहार

 

ओबुखवा स्ट्रीट पर स्थित प्रोफ़ेसर प्रिअब्राझेन्स्की  के क्वार्टर के जाँच-कक्ष में हुए संघर्ष के ठीक दस दिन बाद रात को कर्कश घंटी बजी.

“क्राईम-ब्रांच पुलिस और अन्वेषक. कृपया खोलिये.”

भागते हुए कदमों की आहट आने लगी, खटखटाहट होने लगी, लोग भीतर आने लगे, और बिजली से चमकते, नये काँच लगाई गई अलमारियों वाले प्रवेश कक्ष में भीड़ जमा हो गई. उनमें से दो पुलिस की वर्दी में थे, एक ब्रीफ़केस के साथ काले ओवरकोट में; काँइयेपन से ख़ुश होता हुआ, विवर्ण श्वोन्देर; एक नौजवान-औरत, दरबान फ्योदर, ज़ीना, दार्या पित्रोव्ना और आधे कपडों में बर्मेन्ताल, जो शर्म से बिना टाई वाला गला छुपा रहा था.

अध्ययन-कक्ष के दरवाज़े से फ़िलिप फ़िलीपविच बाहर आया. वह अपने चिर-परिचित नीले गाऊन में था और सभी उपस्थितों को फ़ौरन विश्वास हो गया कि पिछले सप्ताह के दौरान उसकी तबियत काफ़ी संभल चुकी थी. पहले ही की तरह अधिकारपूर्ण और ऊर्जावान, गरिमायुक्त फ़िलिप फ़िलीपविच रात के मेहमानों के सामने आकर खड़ा हो गया और माफ़ी माँगने लगा कि वह नाईट-गाऊन में है.

शर्माइये नहीं, प्रोफ़ेसर,” सादे कपडों वाले व्यक्ति ने बड़ी सकुचाहट से कहा, फिर हिचकिचाते हुए बोला. “बड़ी अप्रिय बात है. हमारे पास आपके क्वार्टर की तलाशी का वारंट है और”, प्रोफ़ेसर की मूँछों की ओर देखते हुए उसने अपनी बात पूरी की, “और तलाशी के परिणाम के अनुसार गिरफ़्तारी का भी वारंट है.”

फ़िलिप फ़िलीपविच ने त्यौरियाँ चढ़ाईं और पूछा:

“क्या मैं पूछ सकता हूँ कि किस आरोप के आधार पर, और किसको?”

उस व्यक्ति ने अपना गाल खुजाया और ब्रीफ़केस में से कागज़ निकाल कर पढ़ने लगा:

“प्रेअब्राझेन्की, बर्मेन्ताल, ज़िनाइदा बूनिना और दार्या इवानवा को मॉस्को की सामूहिक सेवाओं के  सफ़ाई-उपविभाग के प्रमुख पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच शारिकव के कत्ल के इलज़ाम में”.

ज़ीना की सिसकियाँ उसके अंतिम शब्दों को खा गईं. हलचल मच गई.

“मैं कुछ भी नहीं समझ पा रहा हूँ,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने शाही अंदाज़ में कंधे सिकोड़ते हुए जवाब दिया, “कौनसे शारिकव को? आह, माफ़ी चाहता हूँ, मेरे इस कुत्ते को...जिसका मैंने ऑपरेशन किया था?”

“माफ़ कीजिये, प्रोफ़ेसर, कुत्ते को नहीं, बल्कि जब वह इन्सान था. यही मामला है.”

“मतलब, वह बोलता था?: फ़िलिप फ़िलीपविच ने पूछा, “इसका मतलब ये नहीं होता कि वह इन्सान है. ख़ैर, ये ज़रूरी नहीं है. शारिक अभी भी मौजूद है, और किसी ने उसे नहीं मारा है.”

“प्रोफ़ेसर,” काले ओवरकोट वाले आदमी ने बेहद आश्चर्य से भौंहे उठाईं, “तब तो उसे हाज़िर करना पड़ेगा. उसे ग़ायब हुए आज दस दिन हो गये हैं, और मेरे पास जो जानकारी है, वह बहुत बुरी है.”

“डॉक्टर बर्मेन्ताल, कृपया शारिक को अन्वेषक के सामने प्रस्तुत करें,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने वारंट पर कब्ज़ा करते हुए कहा.

डॉक्टर बर्मेन्ताल रहस्यमय ढंग से मुस्कुराया और बाहर निकल गया.

जब उसने वापस आकर सीटी बजाई तो उसके पीछे अध्ययन-कक्ष के दरवाज़े से एक अजीब तरह का कुत्ता उछल कर बाहर आया. किसी किसी जगह वह गंजा था, किसी किसी जगह रोएँ बढ़ रहे थे. वह इस तरह बाहर आया जैसे सर्कस का प्रशिक्षित कुत्ता हो, पिछली टाँगों पर चलते हुए, फ़िर चारों टाँगों पर खड़ा हो गया और चारों तरफ़ देखने लगा. प्रवेश-कक्ष में जैसे मौत-सा सन्नाटा जम गया, जैली की तरह. भयानक आकृति वाला कुत्ता, जिसके माथे पर घाव का लाल निशान था, फ़िर से पिछले पैरों पर उठा और मुस्कुराते हुए कुर्सी पर बैठ गया.

दूसरे पुलिस वाले ने अचानक अपने आप पर बड़ा-सा क्रॉस बनाया और, पीछे हटकर अचानक ज़ीना के दोनों पैर दबा दिये.

काले ओवरकोट वाले ने मुँह बंद किये बिना कहा:

“ऐसा कैसे हो सकता है, माफ़ कीजिये?...वह तो सफ़ाई विभाग में काम करता था...”

“मैंने उसे वहाँ नहीं भेजा था,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने जवाब दिया, “अगर मैं गलत नहीं हूँ, तो महाशय श्वोन्देर ने उसकी सिफ़ारिश की थी.”

“मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है,” काले ओवरकोट वाले ने संभ्रम से कहा और वह पहले पुलिस वाले से मुख़ातिब हुआ. “ये वही है?”

“वही है,” पुलिस वाले ने बेआवाज़ जवाब दिया. “बिल्कुल वही.”

“वही है,” फ़्योदर की आवाज़ सुनाई दी, “सिर्फ, कमीना फ़िर से मोटा हो गया है.”

“वह तो बोलता था...हे...हे...”

“और अभी भी बोलता है, मगर उसका बोलना काफ़ी कम होता जा रहा है, तो, मौके का फ़ायदा उठाईये, वर्ना वह पूरी तरह से ख़ामोश हो जायेगा.”

“मगर क्यों?” काले ओवरकोट वाले ने हौले से पूछा.

फ़िलिप फ़िलीपविच ने कंधे उचका दिये.

“विज्ञान को अभी तक जानवरों को इन्सान बनाने का तरीका ज्ञात नहीं है. मैंने कोशिश की थी, मगर कामयाब नहीं हुई, जैसा कि आप देख रहे हैं. कुछ दिन बोला और फ़िर से अपनी मूल अवस्था में परिवर्तित होने लगा. पूर्वजानुरूपता.”

“अश्लील शब्दों का प्रयोग न करें,” अचानक कुर्सी से कुत्ता भौंका और खड़ा हो गया.

काले ओवरकोट का मुख फ़ौरन विवर्ण हो गया, हाथ से ब्रीफ़केस छूट गई और वह एक ओर गिरने लगा, पुलिस वाले ने उसे किनारे से पकड़ा और फ़्योदर ने पीछे से. हंगामा होने लगा और उसके बीच तीन वाक्य स्पष्ट रूप से सुनाई दिये:

फ़िलिप फ़िलीपविच का – “वलेरिन की बूंदें. बेहोशी का दौरा पड़ा है.”

डॉक्टर बर्मेन्ताल का : - “अगर श्वोन्देर फ़िर कभी प्रोफ़ेसर प्रिअब्राझेन्स्की  के क्वार्टर में दिखाई दिया, तो मैं उसे अपने हाथों से सीढ़ियों से फेंक दूँगा.”

और श्वोन्देर का : - “कृपया इन शब्दों को प्रोटोकोल में दर्ज कर लें.”

 

**********

 

हार्मोनियम जैसे भूरे हीटिंग पाईप्स धीमे-धीमे सनसना रहे थे. परदों ने प्रिचिस्तेन्का  की घनी रात को उसके इकलौते तारे समेत छुपा दिया था. महान व्यक्तित्व, कुत्तों का महत्वपूर्ण उपकारकर्ता कुर्सी में बैठा था, और कुत्ता शारिक, चमड़े के दिवान के पास कालीन पर पसरा हुआ था. मार्च के कोहरे से कुत्ता सुबह सिरदर्द से व्यथित होता, जो माथे पर टाँको की सिलाई से बने अंगूठी के निशान के आकार में उसे पीड़ा देते. नगर गर्माहट के कारण शाम होते-होते दर्द ग़ायब हो जाता. और अब काफ़ी आराम पहसूस हो रहा था, और कुत्ते के दिमाग़ में प्रिय और स्पष्ट विचार आ रहे थे.

इतना ख़ुशनसीब हूँ मैं, इतना ख़ुशनसीब,” ऊँघते हुए वह सोच रहा था, “वर्णन नहीं किया जा सकता, इतना ख़ुशनसीब. इस क्वार्टर में पूरी तरह बस गया हूँ. मुझे पक्का यकीन है कि मेरे वंश में ज़रूर कोई गड़बड़ है. लेब्रेडॉर का कुछ अंश तो है. मेरी दादी छिछोरी किस्म की थी, ख़ुदा उस बुढ़िया को जन्नत बख़्शे. सही है कि पूरे सिर पर न जाने क्यों धारियाँ बना दीं, मगर यह शादी तक ठीक हो जायेगा. हमें इसकी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है”.      

 

*********

 

दूर कहीं काँच की बोतलों की धीमी-धीमी खनखनाहट हो रही थी. ज़ख़्मी किया गया डॉक्टर जाँच-कक्ष में अलमारियों की सफ़ाई कर रहा था.

सफ़ेद बालों वाला जादूगर बैठा था और गा रहा था: “नील के पवित्र किनारों की ओर...”

कुत्ते ने भयानक चीज़ें देखीं. रबर के चिकने दस्ताने पहने महत्वपूर्ण आदमी ने एक बर्तन में हाथ डाला, मस्तिष्क निकाले, - ज़िद्दी आदमी, धुन का पक्का, लगातार कुछ न कुछ ढूँढ़ता रहा, उसे काटा, ग़ौर से देखा, आँखें सिकोड़ीं और गाने लगा:

नील के पवित्र किनारों की ओर...

 

समाप्त

Heart of a Dog - 9

 

 

अध्याय – 9


मगर, बर्मेन्ताल ने जो सबकसिखाने का वादा किया था, वह अगली सुबह पूरा नहीं हो पाया, इस कारण से कि पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच घर से ग़ायब हो गया. बर्मेन्ताल तैश से बिफ़र रहा था, अपने आप को गधा कहकर गाली दी, कि उसने प्रमुख दरवाज़े की चाभी क्यों नहीं छुपा दी, वह चीख़ रहा था कि यह अक्षम्य है, और यह सब इस इच्छा से ख़तम किया कि शारिकव बस के नीचे आ जाये. फ़िलिप फ़िलीपविच अध्ययन-कक्ष में बैठा था, बालों में उँगलियाँ घुसाये, और बोला:

“मैं कल्पना कर सकता हूँ कि रास्ते पर क्या हो रहा होगा... क-ल्प-ना---कर स-क-ता हूँ. सेविले से ग्रेनाडा तक, ओह गॉड.”

“हो सकता है कि वह अभी भी हाऊसिंग-सोसाइटी में हो,” बर्मेन्ताल ने गुस्से से उबलते हुए कहा और कहीं भागा.

हाऊसिंग-सोसाइटी में उसने प्रेसिडेण्ट श्वोन्देर से इतना झगड़ा किया, कि वह ये चिल्लाते हुए खामोव्निचेस्की जिले की अदालत में दरख़्वास्त लिखने बैठ गया, कि वह प्रोफ़ेसर प्रिअब्राझेन्स्की  के पालतू का बॉडी-गार्ड नहीं  है, ऊपर से, यह पालतू पलिग्राफ़ बदमाश निकला, अभी कल ही, जैसे पाठ्य पुस्तकें ख़रीदने के लिये उसने हाऊसिंग कमिटी से 7 रूबल्स लिये थे.

फ़्योदर ने, जिसने इस लफ़ड़े में तीन रूबल्स कमाये थे, ऊपर से नीचे तक पूरी बिल्डिंग छान मारी. कहीं भी शारिकव का कोई सुराग नहीं मिला.

सिर्फ एक बात पता चली, कि शारिकव सुबह-सुबह स्कार्फ़ बांधे, ओवरकोट और कैप पहनकर निकल गया, जाते-जाते अपने साथ अलमारी से रोवनबेरी की एक बोतल, डॉक्टर बर्मेन्ताल के दस्ताने और अपने सभी कागज़ात ले गया था. दार्या पित्रोव्ना और ज़ीना ने खुल्लमखुल्ला अपनी तूफ़ानी ख़ुशी और यह आशा व्यक्त की, कि शारिकव फ़िर कभी न लौटे. पिछले ही दिन शारिकव ने दार्या पित्रोव्ना से साढ़े तीन रूबल्स उधार लिये थे.

“आपके साथ ऐसा ही होना चाहिये!” फ़िलिप फ़िलीपविच मुट्ठियाँ हिलाते हुए गरजा. पूरे दिन फ़ोन बजता रहा, फ़ोन दूसरे दिन भी बजता रहा. डॉक्टरों ने असाधारण संख्या में मरीज़ देखे, और तीसरे दिन अध्ययन-कक्ष में इस प्रश्न पर विचार किया गया कि पुलिस को ख़बर करनी चाहिये, जो शारिकव को मॉस्को के गड्ढों में ढूँढे.

और, जैसे ही “पुलिस” शब्द का उच्चारण किया गया, ओबुखवा स्ट्रीट की सम्मानजनक शांति को एक लॉरी की गरज ने भंग किया और बिल्डिंग की खिड़कियाँ झनझना गईं. इसके बाद सुनाई दी एक बेधड़क घंटी की आवाज़, और पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच असाधारण शान से भीतर आया, उसने बेहद ख़ामोशी से कैप उतारी, ओवरकोट को खूंटी पर टांग दिया और एक नये ही अवतार में प्रकट हुआ. उसने किसी और की चमड़े की जैकेट पहनी थी, चमड़े ही की घिसी हुई पतलून और अंग्रेज़ी ऊँचे जूते जिनके फ़ीते घुटनों तक आ रहे थे. बिल्लियों की अविश्वसनीय गंध पूरे प्रवेश-कक्ष में फ़ैल गई. प्रिअब्राझेन्स्की  और बर्मेन्ताल, जैसे किसी के आदेश पर हाथ बांधे, चौखट पर खड़े हो गये और पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच की पहली सूचना का इंतज़ार करने लगे. उसने अपने कड़े बालों को ठीक किया, कुछ खाँसा और चारों ओर इस तरह से देखा. कि ज़ाहिर हो रहा था: इस बेतकल्लुफ़ी की आड़ में पलिग्राफ़ अपनी सकुचाहट को छुपाना चाह रहा है.

“मैंने, फ़िलिप फ़िलीपविच,” आख़िरकार उसने बोलना शुरू किया, “नौकरी कर ली है.”

दोनों डॉक्टर्स ने गले से अजीब-सी सूखी आवाज़ निकाली और थोड़ा-सा हिले. पहले प्रिअब्राझेन्स्की  ने अपने आपको संभाला, उसने हाथ बढ़ाया और कहा:

“कागज़ दीजिये.”

कागज़ पर टाईप किया हुआ था, “प्रमाणित किया जाता है कि इस पत्र का धारक, कॉम्रेड पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच शारिकव वास्तव में मॉस्को सार्वजनिक सेवाओं के विभाग में, मॉस्को शहर को आवारा जानवरों (बिल्लियाँ आदि) से मुक्त करने वाले उपविभाग का प्रमुख है.”

अच्छा,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने गंभीरता से कहा, “आपको किसने काम पर लगाया? आह, वैसे मैं ख़ुद ही अंदाज़ लगा सकता हूँ.”

“हाँ, सही में, श्वोन्देर ने,” शारिकव ने जवाब दिया.

“आपसे पूछने की इजाज़त दीजिये – आपसे ये दुर्गंध क्यों आ रही है?”

शारिकव ने कुछ परेशानी से अपने जैकेट को सूंघा.

“तो, क्या है, आ रही है बू...ज़ाहिर है : मेरे पेशे की वजह से. कल हमने बिल्लियों के गले दबाये, दबाये...”

फ़िलिप फ़िलीपविच काँप गया और उसने बर्मेन्ताल की ओर देखा. उसकी आँखें बंदूक की काली दुनाली जैसी हो रही थीं, जो सीधे शारिकव पर टिकी थीं. बिना किसी प्रस्तावना के वह शारिकव की ओर बढ़ा और दृढ़ता और आसानी से उसका गला पकड़ लिया.

“संतरी!” पीला पड़ते हुए शारिकव ने चीं-चीं किया.

“डॉक्टर!”

“अपने आप को मैं कोई भी गलत काम करने की इजाज़त नहीं दूँगा, फ़िलिप फ़िलीपविच, आप फ़िक्र न करें, “ बर्मेन्ताल ने खनखनाती आवाज़ में कहा और वह गरजा: “ज़ीना और दार्या पित्रोव्ना!”

वे दोनों प्रवेश-कक्ष में आ गईं.

“तो, दुहराईये,” बर्मेन्ताल ने कहा और शारिकव का गला ओवरकोट की ओर कुछ झुकाया, “मुझे माफ़ कीजिये...”

अच्छा, ठीक है, दुहराता हूँ,” भर्राई हुई आवाज़ में पूरी तरह पराजित शारिकव ने जवाब दिया, उसने अचानक सांस भीतर खींची, छिटक गया और चिल्लाने की कोशिश की - “संतरीं”, मगर चीख निकली ही नहीं और उसका सिर पूरी तरह ओवरकोट में घुस गया.

“डॉक्टर, विनती करता हूँ.”

शारिकव ने सिर हिलाया, यह बताने की कोशिश करते हुए, कि वह हार मानता है और उन शब्दों को दुहरायेगा.

“मुझे माफ़ कीजिये, परम आदरणीय दार्या पित्रोव्ना और ज़िनाइदा?...”

“प्रकोफ़्येव्ना,” ज़ीना भय से फुसफ़ुसाई.

“ऊफ़, प्रकोफ़्येव्ना...” सांस रोककर भर्राते हुए शारिकव बोला, “कि मैंने जुर्रत की...”                                      

रात को नशे की हालत में घिनौना काम करने की.”

“नशे की हालत में...

“फ़िर कभी ऐसा नहीं करूँगा...”

“नहीं करूँगा...”

“छोड़िये, छोड़िये उसे, इवान अर्नोल्दविच,” दोनों महिलाओं ने एक साथ विनती की, “आप उसका गला दबा देंगे.”                        

बर्मेन्ताल ने शारिकव को छोड़ दिया और कहा:

“क्या लॉरी आपका इंतज़ार कर रही है?”

“नहीं,” पलिग्राफ़ ने नम्रता से जवाब दिया, “वह मुझे सिर्फ यहाँ लाई थी.”

“ज़ीना, लॉरी को जाने के लिये कह दीजिये. अब इस बात का ध्यान रहे : क्या आप फ़िर से फ़िलिप फ़िलीपविच के क्वार्टर में लौट आये हैं?”         

“मैं और कहाँ जाऊँगा?” आँखें झपकाते हुए शारिकव ने डरते-डरते जवाब दिया.          

“बढ़िया. पानी से भी शांत, घास से भी नीचे रहो. वर्ना, हर गलत काम के लिये मुझसे पाला पड़ेगा. समझ गये?”

“समझ गया,” शारिकव ने जवाब दिया.

फ़िलिप फ़िलीपविच ने शारिकव पर किये जा रहे अत्याचार के दौरान अपनी ख़ामोशी बनाये रखी. वह चौखट के पास जैसे दयनीयता से सिकुड़ गया और फ़र्श पर आँखें नीची किये नाखून काटता रहा. फ़िर उसने अचानक आँखें उठाकर शारिकव पर गड़ा दीं और यंत्रवत्, खोखली आवाज़ में पूछा:

“और इनका...इन मारी गई बिल्लियों का करते क्या हैं?”

“उन्हें कारखाने भेजा जाता है,” शारिकव ने जवाब दिया, “उनसे कार्बोहाइड्रेट बनाया जायेगा श्रमिकों के लिये.”

इसके बाद क्वार्टर में ख़ामोशी छा गई और दो दिनों तक रही. पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच सुबह लॉरी में बैठकर चला जाता, शाम को वापस लौटता, ख़ामोशी से फ़िलिप फ़िलीपविच और बर्मेन्ताल के साथ खाना खाता.

हाँलाकि बर्मेन्ताल और शारिकव एक ही कमरे, स्वागत-कक्ष में, सोते थे, वे एक दूसरे से बात नहीं करते थे, तो पहले बर्मेन्ताल ही उकता गया.

दो दिन बाद क्वार्टर में दूधिया स्टॉकिंग्स पहने, आँखों पर रंग लगाये एक दुबली-पतली महिला आई और क्वार्टर की शान देखकर बेहद सकुचा गई. पुराने, जर्जर कोट में वह शारिकव के पीछे-पीछे चल रही थी और प्रवेश-कक्ष में प्रोफ़ेसर से टकरा गई.

वह भौंचक्का रह गया, रुक कर उसने आँखें बारीक कीं और पूछा:

“यह सब क्या है, बतायेंगे?”

“मैं इसके साथ शादी करने वाला हूँ, ये – हमारी टाइपिस्ट है, मेरे साथ रहेगी. बर्मेन्ताल को स्वागत-कक्ष से हटाना पड़ेगा. उसके पास अपना क्वार्टर है,” बेहद अप्रियता से और त्योरी चढ़ाकर शारिकव ने समझाया.

“कृपया एक मिनट के लिये मेरे अध्ययन-कक्ष में आईये.”    

“मैं भी उसके साथ आऊँगा,” शारिकव ने फ़ौरन और संदेह से विनती की.

और उसी पल बर्मेन्ताल जैसे धरती से प्रकट हो गया.

“माफ़ कीजिये,” उसने कहा, “प्रोफ़ेसर महिला से बात करेंगे और आप मेरे साथ यहाँ रुकेंगे.”

“मैं नहीं चाहता,” शारिकव ने शर्म से लाल हो रही महिला और फ़िलिप फ़िलीपविच के पीछे जाने की कोशिश करते हुए कड़वाहट से कहा.

“नहीं माफ़ कीजिये,” बर्मेन्ताल ने शारिकव की कलाई पकड़ ली और वे जांच-कक्ष की ओर जाने लगे.

करीब पाँच मिनट अध्ययन-कक्ष से कुछ भी नहीं सुनाई दिया, और फ़िर महिला की दबी-दबी सिसकियाँ सुनाई दीं.

फ़िलिप फ़िलीपविच मेज़ के पास खड़ा था, और महिला गंदा लेस का रूमाल मुँह पर दबाये रो रही थी.

“उस बदमाश ने कहा, कि वह युद्ध में घायल हुआ है,” महिला सिसकियाँ ले रही थी.

“झूठ बोलता है,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने दृढ़ता से उत्तर दिया. उसने सिर हिलाया और आगे कहा, “मुझे सचनुच में आप पर दया आ रही है, मगर पहले ही मिलने वाले व्यक्ति के साथ, सिर्फ नौकरी में उसके अधिकार को देखकर आपको ऐसा नहीं करना चाहिये...बच्ची, ये शर्मनाक है. यही तो...” उसने लिखने की मेज़ की दराज़ खोली और दस-दस रूबल्स के तीन नोट निकाले.

“मैं ज़हर खा लूँगी,” महिला रो रही थी, “ कैंटीन में रोज़ नमकीन-बीफ़...और धमकी देता है...कहता है कि वह रेड-कमाण्डर है...मेरे साथ, कहता है, शानदार क्वार्टर में रहोगी...हर रोज़ एडवान्स... मैं दिल का अच्छा हूँ, कहता है, मैं सिर्फ बिल्लियों से नफ़रत करता हूँ...उसने मेरी अंगूठी यादगार के तौर पर ले ली...”

“अरे,अरे, अरे, - दिल का अच्छा...सेविले से ग्रेनादा तक, - फ़िलिप फ़िलीपविच बड़बड़ाया, “ बर्दाश्त करना होगा – आप तो अभी इतनी जवान हैं...”

“क्या इसी गली में?”

“चलो, पैसे ले लो, जब उधार दे रहे हों,” फ़िलिप फ़िलीपविच गरजा.

इसके बाद समारोहपूर्वक दरवाज़े खुले और फ़िलिप फ़िलीपविच के निमंत्रण पर बर्मेन्ताल शारिकव को अंदर लाया. वह अपनी आँख़ें घुमा रहा था, और उसके सिर के रोएँ खड़े हो गये थे, ब्रश की तरह.

“नीच,” महिला बोली, उसकी रोई हुई आँखों से, जिनका काजल फ़ैल गया था, चिंगारियाँ निकल रही थीं और नाक पर पावडर की धारियाँ बन गई थीं.

“आपके माथे पर यह घाव का निशान कैसा है? कृपया इस महिला को समझाने का कष्ट करें,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने फ़ुसलाते हुए पूछा.

शारिकव ने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया:

“मैं कल्चाक वाले मोर्चे पर घायल हो गया था,” वह भौंका.

महिला उठी और ज़ोर से रोते हुए बाहर निकल गई.

“ठहरिये!” फ़िलिप फ़िलीपविच पीछे से चिल्लाया, “थोड़ा रुकिये, अँगूठी प्लीज़,” उसने शारिकव से मुख़ातिब होते हुए कहा.

उसने आज्ञाकारिता से अपनी उँगली से पन्ना जड़ी नकली अंगूठी उतार दी.

“ख़ैर, ठीक है,” अचानक वह कड़वाहट से बोला, “तुम भी मुझे याद रखोगी. कल ही तुम्हारी पोस्ट ख़त्म करवाता हूँ.”

“उससे घबराने की ज़रूरत नहीं है,” बर्मेन्ताल पीछे से चिल्लाया, “मैं उसे कुछ भी करने नहीं दूँगा.” वह मुड़ा और शारिकव पर इस तरह नज़र डाली कि वह पीछे हटा और सिर के बल अलमारी से टकराया.

“उसका कुलनाम क्या है?” बर्मेन्ताल ने उससे पूछा. “कुलनाम!” वह गरजा और अचानक उसका चेहरा जंगली जैसा और डरावना हो गया.

“वस्नित्सोवा,” शारिकव ने आँखों से खिसकने लायक कोई जगह ढूँढ़ते हुए जवाब दिया.

“हर रोज़,” शारिकव की जैकेट का पल्ला पकड़कर बर्मेन्ताल ने कहा, “मैं ख़ुद सफ़ाई विभाग में जाकर पूछताछ करूँगा कि कहीं नागरिक वस्नित्सोवा को नौकरी से तो नहीं निकाल दिया. और अगर, सिर्फ आप...जैसे ही पता चला कि निकाल दिया है, तो मैं आपको...ख़ुद, अपने हाथों से, यहीं पर गोली मार दूँगा. ख़याल रहे, शारिकव रूसी में कह रहा हूँ!”

शारिकव लगातार बर्मेन्ताल की नाक की ओर देखे जा रहा था.

“हमारे पास भी रिवॉल्वर निकल आयेंगे...” पलिग्राफ़ बड़बड़ाया, मगर बेहद अलसाये सुर में और अचानक छिटककर, दरवाज़े की ओर उछल गया.

“सावधान रहना!” पीछे से बर्मेन्ताल की चीख़ ने उसका पीछा किया.

रात में और अगले आधे दिन तूफ़ान से पहले छाये काले बादल जैसी ख़ामोशी व्याप्त रही. सब ख़ामोश थे. मगर अगले दिन, जब पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच, जिसे अजीब सी बेचैनी ने दबोच लिया था, उदास मन से लॉरी में अपने काम पर चला गया, तो प्रोफ़ेसर प्रिअब्राझेन्स्की  के पास बेवक्त एक मोटा और ऊँचा, मिलिट्री की युनिफॉर्म पहने, पुराना पेशन्ट आया. वह बड़े आग्रह से मुलाकात की मांग कर रहा था, जो मंज़ूर हो गई. अध्ययन-कक्ष में आकर उसने नम्रता से एड़ियाँ खटखटाते हुए प्रोफ़ेसर का अभिवादन किया.

“क्या आपका दर्द फ़िर से उभर आया है, प्यारे?” थके-हारे फ़िलिप फ़िलीपविच ने पूछा, “कृपया बैठिये.”

“थैन्क्स. नहीं, प्रोफ़ेसर,” मेहमान ने अपनी हेल्मेट मेज़ के कोने पर रखते हुए कहा, मैं आपका बहुत आभारी हूँ...हुम्...मैं आपके पास किसी और काम से आया हूँ, फ़िलिप फ़िलीपविच...आपके प्रति मेरे दिल में बहुत सम्मान है...हुम्...आगाह करने. ये सरासर बेवकूफ़ी है. वह सिर्फ बदमाश है...” पेशन्ट ने अपनी ब्रीफ़केस से एक कागज़ निकाला, “अच्छा हुआ कि मुझे सीधे सूचना दी गई... ”     

फ़िलिप फ़िलीपविच ने चश्मे पर नाक-पकड़ चश्मा लगाया और पढ़ने लगा. वह बड़ी देर तक अपने आप से बुदबुदाता रहा, हर पल उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे. “...और साथ ही हाऊसिंग कमिटी के प्रोफ़ेसर कॉम्रेड श्वोन्देर को जान से मारने की धमकी देते हुए, जिससे पता चलता है कि उसके पास पिस्तौल है. और क्रांति-विरोधी बातें करता है, अपनी समाजवादी-सेविका ज़िनाइदा प्रकोफ़्येव्ना बूनिना को हुक्म दिया कि एंजेल्स को भट्टी में जला दे, असली मेन्शेविक की तरह, उसका असिस्टेंट बर्मेन्ताल इवान अर्नाल्दोविच भी वैसा ही है, जो गुप्त रूप से, बिना नाम रजिस्टर करवाए उसके क्वार्टर में रहता है.

हस्ताक्षर, सफ़ाई-उपविभाग के प्रमुख - प. प. शारिकव

सत्यापन करता हूँ. चेयरमैन हाऊसिंग कमिटी - श्वोन्देर, सेक्रेटरी - पिस्त्रूखिन”.

“क्या आप इस कागज़ को मेरे पास रखने की इजाज़त देंगे?” फ़िलिप फ़िलीपविच ने, जिसका चेहरा धब्बों से ढँक गया था, पूछा “ या, माफ़ी चाहता हूँ, हो सकता है, आपको इसकी ज़रूरत हो, इस पर कानूनी कार्रवाई करने के लिये?”

माफ़ कीजिये, प्रोफ़ेसर,” पेशन्ट बेहद बुरा मान गया, और उसके नथुने फूल गये, “आप वाकई में हमारी ओर बेहद नफ़रत से देखते हैं. मैं...” और अब वह मुर्गे की तरह अपने आपको फुलाने लगा. 

“अरे, माफ़ करना, माफ़ करना, प्यारे!” फ़िलिप फ़िलीपविच बुदबुदाया, “माफ़ कीजिये, मैं सच में, आपको ठेस पहुँचाना नहीं चाहता था. प्यारे, गुस्सा मत करो, उसने मुझे इतना सताया है...”

“मैं समझ रहा हूँ,” पेशन्ट पूरी तरह शांत हो गया, “मगर कैसा घिनौना है! उसे देखने की उत्सुकता हो रही है. मॉस्को में तो आपके बारे में न जाने कैसी-कैसी कहानियाँ सुनाई जा रही हैं...”

फ़िलिप फ़िलीपविच ने सिर्फ हताशा से हाथ हिला दिया. पेशन्ट ने ग़ौर से देखा कि प्रोफ़ेसर की पीठ झुक गई है और पिछले कुछ समय में वह बूढ़ा हो गया है.

 

*********

 

अपराध का षड़यंत्र पूरी तरह तैयार हुआ और वह धड़ाम् से गिर भी पड़ा, पत्थर की तरह, जैसा कि अक्सर होता है. दिल को कचोटती हुई अप्रिय भावना के साथ पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच लॉरी में वापस लौटा. फ़िलिप फ़िलीपविच की आवाज़ ने उसे जाँच-कक्ष में निमंत्रित किया. शारिकव अचरज से आया और एक अस्पष्ट भय से उसने बर्मेन्ताल के चेहरे पर दुनाली को देखा, और फिर फ़िलिप फ़िलीपविच पर नज़र डाली. असिस्टेन्ट के चारों ओर एक बादल तैर रहा था और उसका सिगरेट वाला बायां हाथ सहायक की कुर्सी के चमचमाते हत्थे पर कुछ थरथरा रहा था.

फ़िलिप फ़िलीपविच ने बेहद ठण्डी कड़वाहट से कहा:

“फ़ौरन अपनी चीज़ें उठाईये: पतलूनें, ओवरकोट, सब कुछ, जिसकी आपको ज़रूरत हो, और फ़ौरन क्वार्टर से दफ़ा हो जाईये!”

“ऐसा कैसे?” शारिकव वाकई में चौंक गया.

“क्वार्टर से दफ़ा हो जाओ – आज – अपने नाख़ूनों की ओर तिरछी आँखों से देखते हुए एकसुर में फ़िलिप फ़िलीपविच ने दुहराया.

कोई बुरी आत्मा पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच के भीतर प्रवेश कर गई; ज़ाहिर है कि मौत उसके चारों ओर मंडरा रही थी और उसका समय निकट ही था. उसने ख़ुद को अपरिहार्य की बाँहों में झोंक दिया और कड़वाहट से, रुक-रुक कर भौंकने लगा:

“आख़िर हो क्या रहा है! मुझे क्या, आपके ख़िलाफ़ कोई इन्साफ़ नहीं मिलेगा? मैं यहाँ 16 गज पर बैठा हूँ और बैठा रहूँगा.”

“क्वार्टर से निकल जाईये,” घुटी हुई आवाज़ में फ़िलिप फ़िलीपविच फ़ुसफ़ुसाया.

शारिकव ने ख़ुद ही अपनी मौत को निमंत्रण दे दिया. उसने बिल्लियों की असहनीय गंध वाला अपना बायाँ हाथ उठाया और फ़िलिप फ़िलीपविच को धमकाया. और इसके बाद दाएँ हाथ से जेब से पिस्तौल निकालकर बर्मेन्ताल की ओर रुख किया. बर्मेन्ताल की सिगरेट टूटते हुए सितारे की तरह गिर गई, और कुछ ही पलों में काँच के टूटे हुए टुकड़ों के ऊपर से उछलते हुए भयभीत फ़िलिप फ़िलीपविच अलमारी से सोफ़े की ओर भाग रहा था. सोफ़े के ऊपर हाथ-पैर फ़ैलाये, भर्राता हुआ सफ़ाई-उपविभाग का प्रमुख पड़ा था, और उसके सीने पर सर्जन बर्मेन्ताल सवार था और एक छोटे-से सफ़ेद तकिये से उसका मुँह दबा रहा था.

कुछ मिनटों के बाद डॉक्टर बर्मेन्ताल बदहवास चेहरे से प्रवेश द्वार की ओर गया और घंटी के बटन की बगल में नोटिस चिपकाया:

“प्रोफ़ेसर की बीमारी के कारण आज मरीज़ नहीं देखे जायेंगे. कृपया घंटियाँ बजाकर परेशान न करें”.

चमचमाते हुए जेबी चाकू से उसने घंटी का तार काट दिया, आईने में ग़ौर से देखा अपने चेहरे को, जिस पर खूनी खरोंचें थीं, और नोंचे गये हाथों को, जो हल्के-से थरथरा रहे थे. इसके बाद वह किचन के दरवाज़े पर आया और सतर्क आवाज़ में ज़ीना और दार्या पित्रोव्ना से बोला:

“प्रोफ़ेसर ने आपसे क्वार्टर से बाहर न जाने के लिये कहा है.”

“ठीक है,” ज़ीना और दार्या पित्रोव्ना ने नम्रता से उत्तर दिया.

“मुझे चोर-दरवाज़े को बंद करने और अपने साथ चाभी ले जाने की इजाज़त दीजिये,” बर्मेन्ताल दीवार में बने दरवाज़े के पीछे छुपते हुए और हथेली से अपना चेहरा छुपाते हुए कहने लगा, “ ये कुछ ही समय के लिये है, आपके प्रति अविश्वास के कारण नहीं. मगर कोई आयेगा, और आप अपने आप को रोक नहीं पायेंगी और दरवाज़ा खोल देंगी, और हमारे काम में बाधा न डालें. हम व्यस्त हैं.”

“ठीक है,” औरतों ने जवाब दिया और उनके चेहरे पीले पड़ गये. बर्मेन्ताल ने चोर-दरवाज़ा बंद किया, मुख्य द्वार बंद किया, कॉरीडोर से प्रवेश कक्ष को जाने वाला दरवाज़ा बंद किया और उसके कदमों की आहट जाँच-कक्ष के पास गुम हो गई.

ख़ामोशी ने क्वार्टर को ढाँक दिया, वह सभी ओनों-कोनों में रेंग गई. संध्या-छायाएँ रेंग आईं,  ख़तरनाक-सी, सतर्क, एक लब्ज़ में – उदास. ये सच है, कि बाद में पड़ोसियों ने कम्पाऊण्ड से बताया कि जैसे प्रिअब्राझेन्स्की  के क्वार्टर की कम्पाऊण्ड में खुलती हुई जाँच-कक्ष की खिड़कियों में सभी लाईट्स जल रहे थे, और उन्होंने ख़ुद प्रोफ़ेसर का सफ़ेद टोप भी देखा...यकीन करना मुश्किल है. ये सच है कि, जब सब कुछ ख़त्म हो गया तो, ज़ीना ने भी बोल दिया कि जब बर्मेन्ताल और प्रोफ़ेसर जाँच-कक्ष से बाहर आये तो अध्ययन-कक्ष में फ़ायर प्लेस के पास, इवान अर्नोल्दविच ने उसे ख़ौफ़नाक हद तक डरा दिया, कि वह अध्ययन-कक्ष में उकडूँ बैठा था और प्रोफ़ेसर के मरीज़ों के रेकॉर्ड वाले गट्ठे से नीली फ़ाईल लेकर उसे अपने हाथों से भट्टी में जला रहा था, कि डॉक्टर का चेहरा पूरी तरह हरा था और पूरा, हाँ, पूरा...गहरी खरोंचों से भरा था. और फ़िलिप फ़िलीपविच भी उस शाम कुछ अलग ही नज़र आ रहा था. और क्या...वैसे, हो सकता है, कि प्रिचिस्तेन्का  के क्वार्टर वाली मासूम लड़की झूठ भी बोल रही हो...

एक बात तो यकीन के साथ कह सकते हैं: इस शाम क्वार्टर में पूरी तरह से, भयानक ख़ामोशी छाई थी.

Heart of a Dog - 8

 

अध्याय – 8


पता नहीं कि फ़िलिप फ़िलीपविच ने क्या फ़ैसला किया था. अगले हफ़्ते उसने कोई विशेष काम नहीं किया और, हो सकता है कि उसकी निष्क्रियता के कारण क्वार्टर की ज़िंदगी में घटनाओं की जैसे बाढ़ आ गई.

पानी और बिल्ले वाले किस्से के छह दिन बाद शारिकव के पास हाऊसिंग कमिटी से एक नौजवान आया, जो एक युवती थी, और उसे कुछ कागज़ात थमाये, जिन्हें शारिकव ने फ़ौरन जेब में छुपा लिया और इसके फ़ौरन बाद उसने डॉक्टर बर्मेन्ताल को पुकारा.

“बर्मेन्ताल!”

“नही, कृपया आप मुझे नाम और पिता के नाम से पुकारिये!” बर्मेन्ताल ने कहा जिसके चेहरे के भाव बदल रहे थे.

इस बात पर ग़ौर करना होगा कि इन छह दिनों में सर्जन ने अपने पाल्य के साथ आठ बार झगड़ा किया था. और ओबुखवा पर स्थित कमरों में घुटन का वातावरण था.

“तो, आप भी मुझे अपने नाम और पिता के नाम से बुलाइये!: शारिकव ने पूरी तरह तार्किक जवाब दिया.

“नहीं! ” फ़िलिप फ़िलीपविच दरवाज़े से गरजा, “मेरे क्वार्टर में ऐसे नाम और पिता के नाम से बुलाने की इजाज़त मैं आपको नहीं दूँगा. अगर आप चाहते हैं कि आपको घनिष्ठता से “शारिकव” कहकर न बुलाया जाये तो मैं और डॉक्टर बर्मेन्ताल आपको “शारिकव महाशय” कहकर बुलाया करेंगे.”

“मैं महाशय नहीं हूँ, सारे महाशय पैरिस में हैं!” शारिकव भौंका.

“श्वोन्देर का काम है!” फ़िलिप फ़िलीपविच चीख़ा, “ख़ैर, ठीक है, इस बदमाश से तो मैं निपट लूँगा. जब तक मैं हूँ, तब तक मेरे क्वार्टर में “महाश्य” के अलावा और कोई नहीं होगा! विपरीत स्थिति में या तो मैं या आप यहाँ से चले जायेंगे और, ख़ासकर, ये आप ही होंग़े. आज मैं अख़बारों में इश्तेहार दूँगा, और, यकीन कीजिये, मैं आपके लिये कोई कमरा ढूँढ़ लूंगा.”

“हाँ, मैं क्या इतना बेवकूफ़ हूँ कि यहाँ से निकल जाऊँगा,” बिल्कुल स्पष्टता से शारिकव ने जवाब दिया.       

“क्या?” फ़िलिप फ़िलीपविच ने पूछा और उसका चेहरा इतना बदल गया कि बर्मेन्ताल उसके पास लपका और हौले से और चिंता से उसकी आस्तीन पकड़कर उसे थाम लिया.

“आप, देखिये, मिस्टर शारिकव, गुण्डागर्दी मत कीजिये!” बर्मेन्ताल अपनी आवाज़ खूब चढ़ाकर बोला. शारिकव पीछे हटा, उसने जेब से तीन कागज़ निकाले : हरा, पीला और सफ़ेद और उनमें उँगलियाँ गड़ाकर बोला:

“देखिये. मैं हाऊसिंग कमिटी का मेम्बर हूँ और मुझे क्वार्टर नंबर पाँच में ज़िम्मेदार किरायेदार प्रिअब्राझेन्स्की के यहाँ सोलह वर्ग आर्शिन (1 आर्शिन=.71 मीटर्स - अनु.) क्षेत्रफ़ल का अधिकार है,” शारिकव ने थोड़ी देर सोचकर कोई शब्द जोड़ा जिसे बर्मेन्ताल ने यंत्रवत् अपने दिमाग़ में नई तरह का “प्लीज़” समझ कर बिठा लिया.

फ़िलिप फ़िलीपविच ने अपना होंठ काट लिया और असावधानी से बुदबुदाकर कहा:

“कसम खाता हूँ, कि मैं एक दिन इस श्वोन्देर को गोली मार दूँगा.”

शारिकव ने बेहद ध्यान से और तीक्ष्णता से इन शब्दों को ग्रहण किया, जो उसकी आँखों से ज़ाहिर हो रहा था.

“फ़िलिप फ़िलीपविच, सावधान...” बर्मेन्ताल ने आगाह किया.

“अच्छा, ये बात जान लोअगर अभी से ऐसा कमीनापन है तो!”...फ़िलिप फ़िलीपविच रूसी में चीखा. “ध्यान रखना, शारिकव...महाशय, कि अगर आपने एक बार और बदतमीज़ी की तो, मैं आपका खाना बंद कर दूँगा और आम तौर से मेरे घर में किसी भी तरह का खाना-पीना. 16 आर्शिन – ये बढ़िया है, मगर इस फ़ूहड़ कागज़ के आधार पर मैं आपको खाना खिलाने के लिये मजबूर नहीं हूँ!”

अब शारिकव डर गया और उसने अपना मुँह थोड़ा सा खोला.

“मैं बिना खाने के नहीं रह सकता,” वह बड़बड़ाया, “मैं कहाँ अपना पेट भरूँगा?”

“तब सलीके से पेश आईये!” दोनों डॉक्टर एक सुर में बोले.  

शारिकव काफ़ी शांत हो गया और उस दिन उसने किसी को कोई नुक्सान नहीं पहुँचाया, सिवाय अपने आप के : कुछ समय के लिये बर्मेन्ताल की अनुपस्थिति का लाभ उठाकर उसने डॉक्टर के रेज़र पर कब्ज़ा कर लिया और अपने गालों की हड्डियों को इस कदर छील दिया कि फ़िलिप फ़िलीपविच और डॉक्टर बर्मेन्ताल को घाव पर टांके लगाने पड़े, जिससे शारिकव बड़ी देर तक आँसू बहाते हुए बिलखता रहा.

अगली रात को प्रोफ़ेसर के अध्ययन-कक्ष में हरे-धुँधलके में दो लोग बैठे थे – ख़ुद फ़िलिप फ़िलीपविच और विश्वासपात्र, उसका घनिष्ठ सहयोगी - बर्मेन्ताल. घर में सब लोग सो चुके थे. फ़िलिप फ़िलीपविच अपने आसमानी रंग के ड्रेसिंग गाऊन और लाल स्लिपर्स में था, और बर्मेन्ताल कमीज़ और नीली गेलिस में. दोनों डॉक्टरों के बीच गोल मेज़ पर मोटे एल्बम की बगल में कन्याक की बोतल रखी थी, प्लेट में नींबू और सिगार का डिब्बा था. वैज्ञानिकों ने पूरे कमरे में धुँआ भर दिया था, वे हाल ही की घटनाओं पर ज़ोरदार बहस कर रहे थे : इस शाम को शारिकव ने फ़िलिप फ़िलीपविच के अध्ययन–कक्ष में पेपरवेट के नीचे रखे दस-दस रूबल्स के दो नोट चुरा लिये, क्वार्टर से ग़ायब हो गया, और पूरी तरह नशे में धुत् देर से वापस लौटा. ये भी कम था. उसके साथ दो अनजान प्राणी थे, जो प्रवेशद्वार की सीढ़ियों पर शोर मचा रहे थे और शारिकव के पास रात बिताना चाह रहे थे. वे व्यक्ति सिर्फ तभी गये जब फ़्योदर ने, जो इस नाटक के दौरान अंतर्वस्त्रों पर कोट पहने था, पुलिस के 45वें विभाग में फ़ोन कर दिया. जैसे ही फ़्योदर ने रिसीवर वापस रखा, वे प्राणी फ़ौरन ग़ायब हो गये. पता नहीं कि उन प्राणियों के जाने के बाद  प्रवेश-कक्ष से आईने पर रखी मेलाकाइट की ऐश-ट्रे, फ़िलिप फ़िलीपविच की ऊदबिलाव की टोपी और उसी की छड़ी, जिसकी मूठ पर सुनहरे अक्षरों में लिखा था: “प्रिय और आदरणीय फ़िलिप फ़िलीपविच को कृतज्ञ रेज़िडेन्ट डॉक्टर्स की ओर से... दिन पर” आगे रोमन अंक XXV था.

“कौन थे वो?” फ़िलिप फ़िलीपविच मुट्ठियाँ बांधकर शारिकव पर झपटा.

वह लड़खड़ाते हुए और ओवरकोटों से चिपकते हुए बड़बड़ाया कि वह उन प्राणियों को नहीं जानता, कि वे कोई हरामी नहीं है, बल्कि – अच्छे हैं.

“सबसे ज़्यादा अचरज की बात यह है कि वे दोनों नशे में धुत् थे... वे ऐसी चालाकी कैसे कर सके?” फ़िलिप फ़िलीपविच स्टैण्ड पर खाली जगह देखकर आहत हुआ, जहाँ जुबिली की यादगार थी.

“उस्ताद थे,” फ़्योदर ने रूबल को जेब में रखकर सोने के लिये जाते हुए कहा.

दस-दस के दो नोट चुराने वाली बात से शारिकव ने साफ़ इनकार कर दिया और कुछ ऐसा अस्पष्ट-सा बोल गया, जैसे क्वार्टर में वह अकेला ही नहीं रहता है.

“आहा, हो सकता है, कि डॉक्टर बर्मेन्ताल ने नोट ग़ायब किये हों?” फ़िलिप फ़िलीपविच ने शांत मगर भयानक अंदाज़ में पूछा.  

शारिकव लड़खड़ा गया, उसने अपनी सुस्त आँखें पूरी तरह खोलीं और अपना अंनुमान बताया:
“हो सकता है
, कि ज़ीन्का ने उठाये हों...”

“क्या?...” ज़ीना चीख़ी, जो सीने पर खुले हुए ब्लाऊज़ को हथेली से ढाँकते हुए, भूत की तरह दरवाज़े में प्रकट हुई थी, वो ऐसा कैसे ...”

फ़िलिप फ़िलीपविच की गर्दन पर लाल रंग उतर आया.

“शांत, ज़ीनुश्का,” उसने उसकी तरफ़ हाथ बढ़ाते हुए प्रार्थना की, “परेशान न हो, हम यह सब ठीक कर देंगे.”

ज़ीना फ़ौरन होंठ खोलकर बिसूरने लगी, और उसकी हथेली हँसुली पर उछलने लगी.

“ज़ीना, आपको शर्म नहीं आती? ऐसी बात भला कौन सोच सकता है? छिः, कैसी शर्मनाक बात है!” बर्मेन्ताल ने हैरानी से कहा.

“ओह, ज़ीना, तू – बेवकूफ़ है, माफ़ करना ऐ ख़ुदा,” फ़िलिप फ़िलीपाविच ने कहा.

मगर तभी ज़ीना का रोना अपने आप रुक गया और सब ख़ामोश हो गये. शारिकव की तबियत बिगड़ रही थी. उसका सिर दीवार से टकराया और उसके गले से आवाज़ निकली – कुछ “ई” जैसी, कुछ – “ऐ” जैसी – “एएए!” जैसी. उसका चेहरा विवर्ण हो गया और जबड़ा थरथराने लगा.
“उसे बाल्टी दो
, बदमाश को, जाँच-कक्ष से लाओ!”

और, बीमार शारिकव की ख़िदमत करने के लिये सब भागे. जब उसे सुलाने के लिये ले जा रहे थे, तो वह, बर्मेन्ताल की बाँहों में लड़खड़ाते हुए, बेहद प्यार से और सुरीली आवाज़ में, मुश्किल से बोलते हुए, गालियाँ दे रहा था.

यह सब किस्सा हुआ था करीब एक बजे, और अब रात के 3 बज रहे थे, मगर अध्ययन-कक्ष में कन्याक और नींबू से चिपके हुए वे दोनों जोश में थे. धूम्रपान तो उन्होंने इतना किया था कि धुँआ घनी पर्तों में धीरे-धीरे चल रहा था, एकदम समतल, बिना लहरें बनाये.

डॉक्टर बर्मेन्ताल ने विवर्ण मुख और दृढ़ निश्चयी आँखों से पतली डंडी वाला जाम उठाया.

“फ़िलिप फ़िलीपविच,” वह अत्यंत भावुकता से चहका, “मैं कभी नहीं भूल सकता कि कैसे मैं, आधा पेट भूखा रहने वाला स्टूडेंट, आपके पास आया था, और आपने मुझे अपनी देखरेख में फैकल्टी में जगह दे दी थी. यकीन कीजिये, फ़िलिप फ़िलीपविच, आप मेरे लिये प्रोफ़ेसर, शिक्षक  से काफ़ी बढ़कर हैं. आपके लिये मेरे मन में असीम आदर है...प्रिय फ़िलिप फ़िलीपविच, कृपया मुझे आपको चूमने की इजाज़त दीजिये.”

“हाँ, मेरे प्यारे...” व्याकुलता से फ़िलिप फ़िलीपविच बुदबुदाया और मिलने के लिये उठा. बर्मेन्ताल ने उसे बाँहों में लेकर उसकी फूली-फूली, धुँए से बेहद गंधाती मूँछों को चूमा.
“ऐ
, ख़ुदा, फ़्लिप फ़िली...”

“इतना छू लिया मेरे दिल को, इतना छू लिया...शुक्रिया आपका,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने कहा, “प्यारे, कभी-कभी ऑपरेशन करते हुए मैं आपके ऊपर चिल्लाता हूँ. बूढ़े आदमी के गुस्से को माफ़ कर दीजिये. असल में, मैं इतना अकेला हूँ...सेविले से ग्रेनाडा तक...

“फिलिप फिलीपविच, आपको शर्म नहीं आती?...” बर्मेन्ताल वाकई में तैश से भड़क गया, “अगर आप मेरा अपमान नहीं करना चाहते, तो आगे से कभी ऐसा न कहिये...”

“अच्छ, आपका शुक्रिया...पवित्र नील के किनारे... “ धन्यवाद.. मैंने भी आपसे एक होशियार डॉक्टर की तरह प्यार किया है.”

“फ़िलिप फ़िलीपविच, मैं आपसे कहता हूँ!...” भाव विह्वल होकर बर्मेन्ताल चहका, वह अपनी जगह से उठा, कॉरीडोर की ओर जाने वाला दरवाज़ा अच्छी तरह बंद कर दिया, और वापस लौटकर फुसफुसाहट से बोला, - आख़िर ये – एकमेव मार्ग है. मैं. बेशक, आपको सलाह देने की हिम्मत तो नहीं कर सकता, मगर, फ़िलिप फ़िलीपविच अपनी ओर देखिये, आप पूरी तरह थक चुके हैं, आपको बहुत ज़्यादा काम करने की इजाज़त नहीं है!”

“बिल्कुल असंभव है,” गहरी सांस लेकर फ़िलिप फ़िलीपविच ने पुष्टि की.

अच्छा, तो, इस बारे में विचार ही नहीं किया जा सकता”, बर्मेन्ताल फ़ुसफ़ुसाया, “पिछली बार आपने कहा था कि मेरे लिये डरते हैं, अगर आप जानते, प्रिय प्रोफ़ेसर, कि इस बात से आपने कैसे मेरे दिल को छू लिया था. मगर मैं कोई बच्चा नहीं हूँ और ख़ुद भी कल्पना कर सकता हूँ कि ये किस कदर भयानक मज़ाक हो सकता है. मगर मुझे पक्का यकीन है कि दूसरा कोई मार्ग नहीं है.”

फ़िलिप फ़िलीपविच उठा, उसकी तरफ़ हाथ हिला दिये और चहका:

“मुझे फ़ुसलाईये नहीं, इस बारे में कुछ भी न कहिये,” धुँए के बादलों को हिलाते हुए प्रोफ़ेसर कमरे में चहल-कदमी करने लगा, “मैं सुनूँगा भी नहीं. आप समझ रहे हैं कि अगर हमें लपेट लिया गया तो क्या होगा. हम लोगों को “अपने सामाजिक मूल (यहाँ सामाजिक वर्ग से तात्पर्य है – अनु.) को ध्यान में रखते हुए” – बचना भी संभव नहीं होगा, चाहे यह हमारा पहला ही अपराध क्यों न हो. हमारे पास उपयुक्त मूल नहीं हैं, मेरे प्यारे?”

क्या शैतानियत है! बाप विल्नो में मैजिस्ट्रेट थे,” कन्याक ख़त्म करते हुए बर्मेन्ताल ने अफ़सोस से कहा.           

“देखिये, यह उपयुक्त तो नहीं है. यह तो बुरी अनुवांशिकता है. इससे ज़्यादा बुरी चीज़ की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती. वैसे, माफ़ी चाहता हूँ, मेरी हालत तो और भी बुरी है. बाप – चर्च के सर्वोच्च प्रीस्ट थे. दया करो, ख़ुदा. सेविले से ग्रेनाडा तक...रातों के ख़ामोश साये में ...’. शैतान ले जाये.”   

फ़िलिप फ़िलीपविच, आप – विश्व प्रसिद्ध हस्ती हैं, और किसी, मेरे शब्द प्रयोग को माफ़ करें, हरामी की ख़ातिर...क्या वे आपको छू सकते हैं, माफ़ कीजिये!”

“इसीलिए और भी, मैं यह नहीं करूँगा,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने विचारमग्न होकर, काँच की अलमारी के पास रुककर और उसकी ओर देखते हुए विरोध किया.

“मगर क्यों?”

इसलिये कि आप तो विश्व प्रसिद्ध हस्ती नहीं हैं.”

“मेरा क्या...”

“ये बात है. और आपदा की स्थिति में अपने सहयोगी को छोड़ देना, ख़ुद ही विश्व-प्रसिद्धी के स्तर पर पहुँचना, माफ़ कीजिये...मैं मॉस्को का स्टूडेन्ट हूँ, न कि शारिकव.”

फ़िलिप फ़िलीपविच ने गर्व से कंधे उठाये और वह प्राचीन फ़्रांसीसी सम्राट की तरह दिखाई देने लगा.

“फ़िलिप फ़िलीपविच, ऐह...” बर्मेन्ताल ने अफ़सोस से कहा, “मतलब, किया क्या जाए? क्या  आप इंतज़ार करेंगे, जब तक कि इस गुण्डे-बदमाश को इन्सान बनाने में कामयाब नहीं हो जाते.?”

फ़िलिप फ़िलीपविच ने हाथ के इशारे से उसे रोका, अपने जाम में कन्याक डाली, एक घूंट भरा, नींबू चूसा और कहने लगा:

“इवान अर्नोल्दविच, क्या आपके हिसाब से मैं, मिसाल के तौर पर, मानव-शरीर के मस्तिष्क की संरचना और उसकी कार्यप्रणाली के बारे में थोड़ा बहुत जानता हूँ? आपकी क्या राय है?”

“फ़िलिप फ़िलीपविच, ये आप क्या पूछ रहे हैं?” अत्यंत भावुकता से बर्मेन्ताल ने जवाब दिया और हाथ हिला दिये.

अच्छा, ठीक है, बिना किसी झूठी नम्रता के. मैं भी मानता हूँ कि इस क्षेत्र में मैं मॉस्को में अंतिम व्यक्ति नहीं हूँ.”

“और मैं मानता हू< कि आप – अव्वल हैं न सिर्फ़ मॉस्को में, बल्कि लंदन में और ऑक्सफोर्ड में भी!” बर्मेन्ताल ने तैश से उसकी बात काटी.

“अच्छा, ठीक है, चलो, ऐसा ही हो. तो फ़िर, भावी प्रोफ़ेसर बर्मेन्ताल, ये कोई नहीं कर पायेगा. बेशक. आप पूछें भी नहीं. बस, मेरा संदर्भ दीजिये, कहिये, प्रिअब्राझेन्स्की ने कहा है. ख़तम. क्लीम!” फ़िलिप फ़िलीपविच अचानक जोश से चहका और अलमारी ने खनखनाते हुए उसे जवाब दिया, “क्लीम,” उसने दुहराया.

“बात ये है, बर्मेन्ताल, कि आप मेरे स्कूल के पहले शिष्य हैं और, इसके अलावा, मेरे दोस्त भी, जैसा कि आज मुझे यकीन हो गया. तो, एक दोस्त की तरह, आपसे एक राज़ की बात कहता हूँ, - बेशक, मुझे मालूम है कि आप मुझे शर्मिंदा नहीं करेंगे – बूढ़े गधे प्रिअब्राझेन्स्की ने इस ऑपरेशन को थर्ड एयर के स्टूडेन्ट की तरह गड़बड़ कर दिया. ये सच है कि आविष्कार हुआ. आप ख़ुद ही जानते हैं – कैसा,” अब फ़िलिप फ़िलीपविच ने अफ़सोस के साथ दोनों हाथों से खिड़की के परदों की ओर इशारा किया, स्पष्ट रूप से मॉस्को की ओर इशारा करते हुए. “मगर सिर्फ इस बात का ध्यान रखिये, इवान अर्नोल्दविच, कि इस आविष्कार का एकमात्र परिणाम यह होगा, कि हम सब इस शारिकव को रखेंगे कहाँ – यहाँ. प्रिअब्राझेन्स्की ने अपनी टेढ़ी और पैरेलिसिस की ओर झुकती हुई गर्दन को थपथपाया, शांत रहिये! अगर कोई,” प्रिअब्राझेन्स्की मिठास से कहता रहा, - “मुझे यहाँ पटक कर कोड़े भी मारे, - तो मैं, कसम खाता हूँ, उसे पचास रूबल्स देता! सेविले से ग्रेनाडा तक...शैतान मुझे ले जाये. आख़िर मैं पाँच साल बैठकर दिमाग़ के उपांगों को चुनता रहाआप जानते हैं कि मैंने किस तरह का काम किया है – समझ से बाहर है. और अब, पूछना पड़ रहा है – किसलिये? इसलिये कि एक ख़ूबसूरत दिन सबसे प्यारे कुत्ते को ऐसी घिनौनी चीज़ में परिवर्तित कर दूँ, कि सिर के बाल खड़े हो जाएँ.”

“कोई अद्वितीय चीज़ है.”

“पूरी तरह आपसे सहमत हूँ. तो, डॉक्टर, नतीजा क्या निकलता है, जब शोधकर्ता प्रकृति के समांतर और उससे सम्पर्क रखते हुए चलने के बदले, किसी समस्या को बलपूर्वक सुलझाने की कोशिश करता है और परदा उठा देता है: तो, लो उस शारिकव को और खाओ उसे पॉरिज के साथ.”

“फ़िलिप फ़िलीपविच, और अगर स्पिनोज़ा (स्पिनोज़ा - नीदरलैण्ड का दार्शनिक और प्रकृतिविद् - - अनु.) का दिमाग़ होता तो?”

हाँ!” फ़िलिप फ़िलीपविच गरजा, “हाँ! अगर सिर्फ बदनसीब कुत्ता मेरे चाकू के नीचे मर नहीं जाता, और आपने तो देखा है – किस तरह का है यह ऑपरेशन. एक लब्ज़ में, मैंने – फ़िलिप प्रिअब्राझेन्स्की  ने इससे ज़्यादा मुश्किल काम अपनी ज़िंदगी में कभी किया ही नहीं था. स्पिनोज़ा या किसी और ऐसे ही जिन की पिट्यूटरी ग्लैण्ड को प्रत्यारोपित करके कुत्ते से बेहद ऊँची किस्म के व्यक्ति की रचना की जा सकती है. मगर किस शैतान को उसकी ज़रूरत है?- मैं पूछता हूँ. मुझे समझाइये, प्लीज़, कि कृत्रिम रूप से स्पिनोज़ों की रचना करने की ज़रूरत क्या है, जब कोई भी महिला, जब चाहे, तब उसे जन्म दे सकती है. आख़िर खल्मागोरी में मैडम लमानोसवा ने अपने सुप्रसिद्ध बालक को जन्म दिया ही था ना. डॉक्टर, मानवता ख़ुद ही इस दिशा में प्रयत्नशील है और विकास के क्रम में हर साल बड़ी ज़िद से समूहों के बीच से हर तरह का कचरा निकाल कर दसियों मशहूर जीनियस व्यक्तियों की रचना करती है, जो धरती को सुशोभित करते हैं. अब आप समझ गये हैं, डॉक्टर, कि मैंने शारिकव की बीमारी के इतिहास में आपके निष्कर्ष को क्यों खारिज कर दिया था. मेरे आविष्कार की कीमत, काश उसे शैतान खा जाते, जिसे लेकर आप घूम रहे हैं, एक फ़ूटी कौड़ी के बराबर ही है...हाँ, बहस न कीजिये, इवान अर्नोल्दविच, मैं अब समझ गया हूम. मैं कभी भी हवा में लब्ज़ नहीं उछालता, आप ये बात अच्छी तरह जानते हैं. सैद्धांतिक रूप से यह दिलचस्प है.ख़ैर, ठीक है! डॉक्टर्स ख़ुश हो जायेंगे. मॉस्को तैश में आ जायेगा...और, वास्तव में क्या है? इस समय आपके सामने कौन है? प्रिअब्राझेन्स्की  ने जाँच-कक्ष की ओर इशारा किया, जहाँ शारिकव सो रहा था:

“एक असाधारण बदमाश.”

मगर वह कौन है – क्लीम, क्लीम,” प्रोफ़ेसर चीख़ा, “क्लीम चुगुनोव (बर्मेन्ताल का मुँह खुल गया) – वही: दो मुकदमे, शराब की लत, “सब कुछ बराबर बाँट दो”, हैट और दस के दो नोट गुम हो गये (यहाँ फ़िलिप फ़िलीपविच को अपनी छड़ी की याद आई और वह लाल हो गया) – बदमाश और सुअर...ख़ैर, छड़ी तो मैं ढूँढ़ लूँगा. एक लब्ज़ में पिट्यूटरी ग्लैण्ड एक बंद कमरे की तरह है, जो व्यक्ति के प्रस्तुत चेहरे को परिभाषित करता है. प्रस्तुत! सेविले से ग्रेनाडा तक... “ – तैश में आँखें गोल-गोल घुमाते हुए फ़िलिप फ़िलीपविच चीख़ा, “न कि सामान्य मानवीय चेहरा. ये – संक्षिप्त रूप में – ख़ुद मस्तिष्क ही है. और मुझे उसकी बिल्कुल ज़रूरत नहीं है, डाल दो उसे सभी सुअरों को. मैं तो किसी और ही दिशा में कार्य कर रहा था, सुजन विज्ञान के बारे में, मानव जाति के सुधार के बारे में. और कायाकल्पमें घुस गया. कहीं आप ये तो नहीं सोचते कि मैं पैसे की ख़ातिर ये करता हूँ? फ़िर भी, आख़िर मैं वैज्ञानिक हूँ.”  

“आप महान वैज्ञानिक हैं, और ये सच है!” बर्मेन्ताल ने कन्याक का घूँट लेते हुए कहा. उसकी आँखों में जैसे खून उतर आया था.

“दो साल पहले, जब मैंने पहली बार पिट्यूटरी ग्लैण्ड से कुछ सेक्स-हॉर्मोन्स प्राप्त किये तो मैंने  एक छोटा-सा प्रयोग करने का निश्चय किया. मगर उसके बदले ये क्या हो गया? ऐ ख़ुदा! ये हॉर्मोन्स पिट्यूटरी ग्लैण्ड में, ओह ख़ुदा...डॉक्टर, मैंने सामने गहरी निराशा है, कसम खाता हूँ कि मैं भटक गया.”

बर्मेन्ताल ने अचानक आस्तीनें ऊपर कीं और नाक की सीध में देखते हुए बोला:

“तो फ़िर ठीक है, प्रिय शिक्षक, अगर आप नहीं चाहते, तो मैं ख़ुद अपनी जोखिम पर उसे आर्सेनिक खिला दूँगा. भाड़ में जाए, अगर मेरे पापा मैजिस्ट्रेट थे. आख़िरकार – ये आपका अपना प्रयोगात्मक जीव है.”

फ़िलिप फ़िलीपविच बुझ गया, निढ़ाल होकर अपनी कुर्सी में धंस गया और बोला:

“नहीं, प्यारे बच्चे, मैं आपको ऐसा करने की इजाज़त नहीं दूँगा. मैं साठ साल का हूँ, मैं आपको सलाह दे सकता हूँ. कभी भी कोई अपराध न करो, चाहे वह किसीके भी ख़िलाफ़ हो. साफ़ हाथों से वृद्धावस्था तक जिओ.”

“मगर, ज़रा सोचिये फ़िलिप फ़िलीपविच, अगर ये श्वोन्देर उसे और भी सिखाता रहा, तो इसका नतीजा क्या होगा?! माय गॉड, मैं सिर्फ अभी समझ रहा हूँ, कि यह शारिकव आगे क्या-क्या बन सकता है!”    

“अहा! अब समझे? और मैं ऑपरेशन के दस दिन बाद ही समझ गया था. तो फ़िर बात ये है कि श्वोन्देर ही सबसे बड़ा बेवकूफ़ है. वह समझ नहीं पा रहा है कि मेरे मुकाबले शारिकव उसके लिये ज़्यादा भयानक ख़तरा है. ख़ैर, फ़िलहाल वह हर तरह से उसे मेरे ख़िलाफ़ उकसाने की कोशिश कर रहा है, बिना यह सोचे, कि अगर कल कोई शारिकव को ख़ुद श्वोन्देर के ख़िलाफ़ उकसायेगा  तो उसके सिर्फ सींग और टांगें ही बचेंगी.”

“और क्या! सिर्फ बिल्लियों से ही कितना हंगामा हो जाता है! वह कुत्ते के दिल वाला आदमी.”

“ओह, नहीं, नहीं,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने खींचते हुए जवाब दिया, “आप, डॉक्टर, बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं, ख़ुदा के लिये कुत्ते को बदनाम न कीजिये. बिल्लियाँ – यह अस्थाई दौर है...ये सवाल अनुशासन का है और दो–तीन हफ़्तों तक. आपको यकीन दिलाता हूँ. एकाध महीना और, और वह उनके ऊपर झपटना बंद कर देगा.”

“मगर अभी क्यों नहीं?”

“इवान अर्नोल्दविच, यह एकदम प्राथमिक बात है...आप असल में क्या पूछ रहे हैं, आख़िर पिट्यूटरी ग्लैण्ड हवा में लटकती तो नहीं ना रहेगी. वह कुत्ते के मस्तिष्क में स्थापित हो ही जायेगी, उसे अपनी जडें जमाने दीजिये. अभी शारिकव कुत्ते की बची-खुची आदतें ही प्रदर्शित कर रहा है, और इस बात को समझिये कि बिल्लियाँ – जो वह करता है, उनमें सबसे अच्छा काम है. कल्पना कीजिये, कि यह सब कितना भयानक होता, यदि उसके पास कुत्ते का नहीं, बल्कि इन्सान का दिल होता. और प्रकृति में विद्यमान सभी दिलों में से सबसे ग़लीज़ दिल का! ”

पूरी तरह तन चुके बर्मेन्ताल ने अपने मज़बूत पतले हाथों की मुट्ठियाँ भींच लीं, कंधे उचकाये और दृढ़ता से बोला:

“बेशक. मैं उसे मार डालूँगा!”

“मैं प्रतिबंध लगाता हूँ!” फ़िलिप फ़िलीपविच ने दो टूक जवाब दिया.

“मगर, प्लीज़...”

फ़िलिप फ़िलीपविच अचानक चौंकन्ना हो गया, उसने उँगली उठाई.

“रुकिये...मुझे पैरों की आहट सुनाई दी.”

दोनों ध्यान से सुनने लगे, मगर कॉरीडोर में शांति थी.

“ऐसा लगा,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने कहा और जोश में जर्मन में बात करने लगा. उसके शब्दों में कई बार रूसी शब्द “आपराधिकता” सुनाई दिया.

“एक मिनट,” अचानक बर्मेन्ताल सतर्क हो गया और दरवाज़े की तरफ़ गया. पैरों की आहट स्पष्ट रूप से सुनाई दे रही थी, और वे अध्ययन-कक्ष की ओर आ रहे थे. इसके अलावा भिनभिनाती आवाज़ आ रही थी. बर्मेन्ताल ने दरवाज़ा खोला और अचरज से पीछे हट गया. पूरी तरह पराजित फ़िलिप फ़िलीपविच अपनी कुर्सी में जम गया.

कॉरीडोर के प्रकाशित चौक में आक्रामक और तमतमाते चेहरे से दार्या पित्रोव्ना सिर्फ नाईट-गाऊन में खड़ी थी. डॉक्टर और प्रोफ़ेसर को उसके विशाल, ताकतवर और, जैसा कि डर के मारे उन दोनों को प्रतीत हुआ, पूरी तरह नग्न शरीर की उपस्थिति ने चकाचौंध कर दिया. अपने मज़बूत हाथों में दार्या पित्रोव्ना कुछ घसीटते हुए ला रही थी, और यह “कुछ”, फ़िसलते हुए, अपनी पिछाड़ी और छोटे-छोटे पैरों पर बैठ रहा था, जो काले रोवों से ढंके थे, और लकड़ी के फ़र्श मुड़ रहे थे. ये “कुछ”, बेशक, शारिकव था, पूरी तरह बदहवास, अभी भी नशे में, अस्त-व्यस्त और एक ही कमीज़ में.

शानदार और नग्न दार्या पित्रोव्ना ने शारिकव को आलुओं के बोरे की तरह झटका और बोली:

“ग़ौर फ़रमाईये, प्रोफ़ेसर महाशय, हमारे मेहमान टेलिग्राफ़ टेलिग्राफ़विच की ओर. मैं तो शादी-शुदा थी, मगर ज़ीना – मासूम लड़की है. ये तो अच्छा हुआ कि मेरी आँख खुल गई.”

इतना कहकर, दार्या पित्रोव्ना शर्म से डूब गई, वह चीख़ी, अपने सीने को हाथों से ढाँप लिया और चली गई.

“दार्या पित्रोव्ना, ख़ुदा के लिये, माफ़ करना,” होश में आकर फ़िलिप फ़िलीपविच ने लाल चेहरे से चिल्लाकर उससे कहा.

बर्मेन्ताल ने अपनी आस्तीनें और ऊपर उठाईं और शारिकव की ओर बढ़ा. फ़िलिप फ़िलीपविच ने उसकी आँखों में देखा और वह भयभीत हो गया.

“आप क्या कर रहे हैं, डॉक्टर! मैं इसकी इजाज़त नहीं देता....”

बर्मेन्ताल ने दायें हाथ से शारिकव की गर्दन पकड़ी और उसे इस तरह झकझोरा कि सामने से उसकी कमीज़ फट गई.

फ़िलिप फ़िलीपविच बीच-बचाव करने के लिये लपका और सर्जन के मज़बूत हाथों की पकड़ से निर्बल शारिकव को खींचने छुड़ाने लगा. 

“आपको मारने का कोई अधिकार नहीं है!” ज़मीन पर बैठकर, होश में आते हुए, आधे घुटे गले से शारिकव चिल्लाया.

“डॉक्टर!” फ़िलिप फ़िलीपविच चीख़ा.

बर्मेन्ताल ने अपने आप को कुछ संभाला और शारिकव को छोड़ दिया, जिसके बाद वह फ़ौरन फ़ुसफ़ुसाने लगा.

“अच्छा, ठीक है, “ बर्मेन्ताल ने फ़ुफ़कारते हुए कहा, “सुबह तक इंतज़ार कर लेंगे. जब वह होश में आ जायेगा मैं उसे सबक सिखाऊँगा,.”  

उसने शारिकव को कांख के नीचे से पकड़ लिया और घसीटते हुए उसे सोने के लिये वेटिंग-रूम ले गया.

शारिकव ने छिटकने की कोशिश की, मगर उसकी टांगों ने जवाब दे दिया.

फ़िलिप फ़िलीपविच ने अपने पैर फ़ैलाये, जिससे उसके गाऊन के नीले किनारे दूर हो गये, हाथ और आँखें कॉरीडोर के छत वाले लैम्प की तरफ़ उठाकर बोला: 

“ओह, अच्छा...”