अध्याय
– 8
पता नहीं
कि फ़िलिप फ़िलीपविच ने क्या फ़ैसला किया था. अगले हफ़्ते उसने कोई विशेष काम नहीं
किया और,
हो सकता है कि उसकी निष्क्रियता के कारण क्वार्टर की ज़िंदगी में
घटनाओं की जैसे बाढ़ आ गई.
पानी और
बिल्ले वाले किस्से के छह दिन बाद शारिकव के पास हाऊसिंग कमिटी से एक नौजवान आया, जो एक युवती थी, और उसे कुछ कागज़ात थमाये, जिन्हें शारिकव ने फ़ौरन जेब में छुपा लिया और इसके फ़ौरन बाद उसने डॉक्टर
बर्मेन्ताल को पुकारा.
“बर्मेन्ताल!”
“नही, कृपया आप मुझे नाम और पिता के नाम से पुकारिये!” बर्मेन्ताल ने कहा जिसके
चेहरे के भाव बदल रहे थे.
इस बात
पर ग़ौर करना होगा कि इन छह दिनों में सर्जन ने अपने पाल्य के साथ आठ बार झगड़ा किया
था. और ओबुखवा पर स्थित कमरों में घुटन का वातावरण था.
“तो, आप भी मुझे अपने नाम और पिता के नाम से बुलाइये!: शारिकव ने पूरी तरह
तार्किक जवाब दिया.
“नहीं! ”
फ़िलिप फ़िलीपविच दरवाज़े से गरजा, “मेरे क्वार्टर में ऐसे नाम
और पिता के नाम से बुलाने की इजाज़त मैं आपको नहीं दूँगा. अगर आप चाहते हैं कि आपको
घनिष्ठता से “शारिकव” कहकर न बुलाया जाये तो मैं और डॉक्टर बर्मेन्ताल आपको
“शारिकव महाशय” कहकर बुलाया करेंगे.”
“मैं
महाशय नहीं हूँ, सारे महाशय पैरिस में हैं!” शारिकव भौंका.
“श्वोन्देर
का काम है!” फ़िलिप फ़िलीपविच चीख़ा, “ख़ैर, ठीक
है, इस बदमाश से तो मैं निपट लूँगा. जब तक मैं हूँ, तब तक मेरे क्वार्टर में “महाश्य” के अलावा और कोई नहीं होगा! विपरीत
स्थिति में या तो मैं या आप यहाँ से चले जायेंगे और, ख़ासकर, ये आप ही होंग़े. आज मैं अख़बारों में इश्तेहार दूँगा,
और, यकीन कीजिये, मैं
आपके लिये कोई कमरा ढूँढ़ लूंगा.”
“हाँ, मैं क्या इतना बेवकूफ़ हूँ कि यहाँ से निकल जाऊँगा,” बिल्कुल स्पष्टता से शारिकव ने जवाब दिया.
“क्या?” फ़िलिप फ़िलीपविच ने पूछा और उसका चेहरा इतना बदल गया कि बर्मेन्ताल उसके
पास लपका और हौले से और चिंता से उसकी आस्तीन पकड़कर उसे थाम लिया.
“आप, देखिये, मिस्टर शारिकव, गुण्डागर्दी
मत कीजिये!” बर्मेन्ताल अपनी आवाज़ खूब चढ़ाकर बोला. शारिकव पीछे हटा, उसने जेब से तीन कागज़ निकाले : हरा, पीला और सफ़ेद और
उनमें उँगलियाँ गड़ाकर बोला:
“देखिये.
मैं हाऊसिंग कमिटी का मेम्बर हूँ और मुझे क्वार्टर नंबर पाँच में ज़िम्मेदार
किरायेदार प्रिअब्राझेन्स्की के यहाँ सोलह वर्ग आर्शिन (1 आर्शिन=.71 मीटर्स -
अनु.) क्षेत्रफ़ल का अधिकार है,” शारिकव ने थोड़ी
देर सोचकर कोई शब्द जोड़ा जिसे बर्मेन्ताल ने यंत्रवत् अपने दिमाग़ में नई तरह का
“प्लीज़” समझ कर बिठा लिया.
फ़िलिप
फ़िलीपविच ने अपना होंठ काट लिया और असावधानी से बुदबुदाकर कहा:
“कसम
खाता हूँ,
कि मैं एक दिन इस श्वोन्देर को गोली मार दूँगा.”
शारिकव
ने बेहद ध्यान से और तीक्ष्णता से इन शब्दों को ग्रहण किया, जो उसकी आँखों से ज़ाहिर हो रहा था.
“फ़िलिप
फ़िलीपविच,
सावधान...” बर्मेन्ताल ने आगाह किया.
“अच्छा, ये बात जान लो…अगर अभी से ऐसा कमीनापन है
तो!”...फ़िलिप फ़िलीपविच रूसी में चीखा. “ध्यान रखना, शारिकव...महाशय,
कि अगर आपने एक बार और बदतमीज़ी की तो, मैं
आपका खाना बंद कर दूँगा और आम तौर से मेरे घर में किसी भी तरह का खाना-पीना. 16
आर्शिन – ये बढ़िया है, मगर इस फ़ूहड़ कागज़ के आधार पर मैं आपको
खाना खिलाने के लिये मजबूर नहीं हूँ!”
अब
शारिकव डर गया और उसने अपना मुँह थोड़ा सा खोला.
“मैं
बिना खाने के नहीं रह सकता,” वह बड़बड़ाया, “मैं कहाँ अपना पेट भरूँगा?”
“तब
सलीके से पेश आईये!” दोनों डॉक्टर एक सुर में बोले.
शारिकव काफ़ी
शांत हो गया और उस दिन उसने किसी को कोई नुक्सान नहीं पहुँचाया, सिवाय अपने आप के : कुछ समय के लिये बर्मेन्ताल की अनुपस्थिति का लाभ
उठाकर उसने डॉक्टर के रेज़र पर कब्ज़ा कर लिया और अपने गालों की हड्डियों को इस कदर
छील दिया कि फ़िलिप फ़िलीपविच और डॉक्टर बर्मेन्ताल को घाव पर टांके लगाने पड़े,
जिससे शारिकव बड़ी देर तक आँसू बहाते हुए बिलखता रहा.
अगली रात
को प्रोफ़ेसर के अध्ययन-कक्ष में हरे-धुँधलके में दो लोग बैठे थे – ख़ुद फ़िलिप
फ़िलीपविच और विश्वासपात्र, उसका घनिष्ठ सहयोगी - बर्मेन्ताल.
घर में सब लोग सो चुके थे. फ़िलिप फ़िलीपविच अपने आसमानी रंग के ड्रेसिंग गाऊन और
लाल स्लिपर्स में था, और बर्मेन्ताल कमीज़ और नीली गेलिस में.
दोनों डॉक्टरों के बीच गोल मेज़ पर मोटे एल्बम की बगल में कन्याक की बोतल रखी थी,
प्लेट में नींबू और सिगार का डिब्बा था. वैज्ञानिकों ने पूरे कमरे
में धुँआ भर दिया था, वे हाल ही की घटनाओं पर ज़ोरदार बहस कर
रहे थे : इस शाम को शारिकव ने फ़िलिप फ़िलीपविच के अध्ययन–कक्ष में पेपरवेट के नीचे
रखे दस-दस रूबल्स के दो नोट चुरा लिये, क्वार्टर से ग़ायब हो
गया, और पूरी तरह नशे में धुत् देर से वापस लौटा. ये भी कम
था. उसके साथ दो अनजान प्राणी थे, जो प्रवेशद्वार की सीढ़ियों
पर शोर मचा रहे थे और शारिकव के पास रात बिताना चाह रहे थे. वे व्यक्ति सिर्फ तभी
गये जब फ़्योदर ने, जो इस नाटक के दौरान अंतर्वस्त्रों पर कोट
पहने था, पुलिस के 45वें विभाग में फ़ोन कर दिया. जैसे ही
फ़्योदर ने रिसीवर वापस रखा, वे प्राणी फ़ौरन ग़ायब हो गये. पता
नहीं कि उन प्राणियों के जाने के बाद
प्रवेश-कक्ष से आईने पर रखी मेलाकाइट की ऐश-ट्रे, फ़िलिप
फ़िलीपविच की ऊदबिलाव की टोपी और उसी की छड़ी, जिसकी मूठ पर
सुनहरे अक्षरों में लिखा था: “प्रिय और आदरणीय फ़िलिप फ़िलीपविच को कृतज्ञ रेज़िडेन्ट
डॉक्टर्स की ओर से... दिन पर” आगे रोमन अंक XXV था.
“कौन थे
वो?”
फ़िलिप फ़िलीपविच मुट्ठियाँ बांधकर शारिकव पर झपटा.
वह
लड़खड़ाते हुए और ओवरकोटों से चिपकते हुए बड़बड़ाया कि वह उन प्राणियों को नहीं जानता, कि वे कोई हरामी नहीं है, बल्कि – अच्छे हैं.
“सबसे
ज़्यादा अचरज की बात यह है कि वे दोनों नशे में धुत् थे... वे ऐसी चालाकी कैसे कर
सके?”
फ़िलिप फ़िलीपविच स्टैण्ड पर खाली जगह देखकर आहत हुआ, जहाँ जुबिली की यादगार थी.
“उस्ताद थे,” फ़्योदर ने रूबल को जेब में रखकर सोने के लिये जाते हुए कहा.
दस-दस के
दो नोट चुराने वाली बात से शारिकव ने साफ़ इनकार कर दिया और कुछ ऐसा अस्पष्ट-सा बोल
गया,
जैसे क्वार्टर में वह अकेला ही नहीं रहता है.
“आहा, हो सकता है, कि डॉक्टर बर्मेन्ताल ने नोट ग़ायब किये
हों?” फ़िलिप फ़िलीपविच ने शांत मगर भयानक अंदाज़ में पूछा.
शारिकव
लड़खड़ा गया, उसने अपनी सुस्त आँखें पूरी तरह खोलीं और अपना
अंनुमान बताया:
“हो सकता है, कि ज़ीन्का ने उठाये हों...”
“क्या?...” ज़ीना चीख़ी, जो सीने पर खुले हुए ब्लाऊज़ को हथेली से
ढाँकते हुए, भूत की तरह दरवाज़े में प्रकट हुई थी, “वो ऐसा कैसे ...”
फ़िलिप
फ़िलीपविच की गर्दन पर लाल रंग उतर आया.
“शांत, ज़ीनुश्का,” उसने उसकी तरफ़ हाथ बढ़ाते हुए प्रार्थना
की, “परेशान न हो, हम यह सब ठीक कर
देंगे.”
ज़ीना
फ़ौरन होंठ खोलकर बिसूरने लगी, और उसकी हथेली हँसुली पर
उछलने लगी.
“ज़ीना, आपको शर्म नहीं आती? ऐसी बात भला कौन सोच सकता है?
छिः, कैसी शर्मनाक बात है!” बर्मेन्ताल ने हैरानी
से कहा.
“ओह, ज़ीना, तू – बेवकूफ़ है, माफ़
करना ऐ ख़ुदा,” फ़िलिप फ़िलीपाविच ने कहा.
मगर तभी
ज़ीना का रोना अपने आप रुक गया और सब ख़ामोश हो गये. शारिकव की तबियत बिगड़ रही थी. उसका
सिर दीवार से टकराया और उसके गले से आवाज़ निकली – कुछ “ई” जैसी, कुछ – “ऐ” जैसी – “एएए!” जैसी. उसका चेहरा विवर्ण हो गया और जबड़ा थरथराने
लगा.
“उसे बाल्टी दो, बदमाश को, जाँच-कक्ष
से लाओ!”
और, बीमार शारिकव की ख़िदमत करने के लिये सब भागे. जब उसे सुलाने के लिये ले जा
रहे थे, तो वह, बर्मेन्ताल की बाँहों
में लड़खड़ाते हुए, बेहद प्यार से और सुरीली आवाज़ में, मुश्किल से बोलते हुए, गालियाँ दे रहा था.
यह सब
किस्सा हुआ था करीब एक बजे, और अब रात के 3 बज रहे थे, मगर अध्ययन-कक्ष में कन्याक और नींबू से चिपके हुए वे दोनों जोश में थे.
धूम्रपान तो उन्होंने इतना किया था कि धुँआ घनी पर्तों में धीरे-धीरे चल रहा था,
एकदम समतल, बिना लहरें बनाये.
डॉक्टर
बर्मेन्ताल ने विवर्ण मुख और दृढ़ निश्चयी आँखों से पतली डंडी वाला जाम उठाया.
“फ़िलिप
फ़िलीपविच,”
वह अत्यंत भावुकता से चहका, “मैं कभी नहीं भूल
सकता कि कैसे मैं, आधा पेट भूखा रहने वाला स्टूडेंट, आपके पास आया था, और आपने मुझे अपनी देखरेख में
फैकल्टी में जगह दे दी थी. यकीन कीजिये, फ़िलिप फ़िलीपविच, आप मेरे लिये प्रोफ़ेसर, शिक्षक से काफ़ी बढ़कर हैं. आपके लिये मेरे मन में असीम आदर है...प्रिय फ़िलिप फ़िलीपविच, कृपया मुझे आपको चूमने की इजाज़त दीजिये.”
“हाँ, मेरे प्यारे...” व्याकुलता से फ़िलिप फ़िलीपविच बुदबुदाया और मिलने के लिये
उठा. बर्मेन्ताल ने उसे बाँहों में लेकर उसकी फूली-फूली, धुँए
से बेहद गंधाती मूँछों को चूमा.
“ऐ, ख़ुदा, फ़्लिप फ़िली...”
“इतना छू
लिया मेरे दिल को, इतना छू लिया...शुक्रिया आपका,”
फ़िलिप फ़िलीपविच ने कहा, “प्यारे, कभी-कभी ऑपरेशन करते हुए मैं आपके ऊपर चिल्लाता हूँ. बूढ़े आदमी के गुस्से
को माफ़ कर दीजिये. असल में, मैं इतना अकेला हूँ...सेविले
से ग्रेनाडा तक... “
“फिलिप
फिलीपविच,
आपको शर्म नहीं आती?...” बर्मेन्ताल वाकई में
तैश से भड़क गया, “अगर आप मेरा अपमान नहीं करना चाहते,
तो आगे से कभी ऐसा न कहिये...”
“अच्छ, आपका शुक्रिया...’पवित्र नील के किनारे...’ “ धन्यवाद.. मैंने भी आपसे एक होशियार डॉक्टर की तरह प्यार किया है.”
“फ़िलिप
फ़िलीपविच,
मैं आपसे कहता हूँ!...” भाव विह्वल होकर बर्मेन्ताल चहका, वह अपनी जगह से उठा, कॉरीडोर की ओर जाने वाला दरवाज़ा
अच्छी तरह बंद कर दिया, और वापस लौटकर फुसफुसाहट से बोला,
- आख़िर ये – एकमेव मार्ग है. मैं. बेशक, आपको
सलाह देने की हिम्मत तो नहीं कर सकता, मगर, फ़िलिप फ़िलीपविच अपनी ओर देखिये, आप पूरी तरह थक चुके
हैं, आपको बहुत ज़्यादा काम करने की इजाज़त नहीं है!”
“बिल्कुल
असंभव है,”
गहरी सांस लेकर फ़िलिप फ़िलीपविच ने पुष्टि की.
‘अच्छा, तो, इस बारे में विचार
ही नहीं किया जा सकता”, बर्मेन्ताल फ़ुसफ़ुसाया, “पिछली बार आपने कहा था कि मेरे लिये डरते हैं, अगर
आप जानते, प्रिय प्रोफ़ेसर, कि इस बात
से आपने कैसे मेरे दिल को छू लिया था. मगर मैं कोई बच्चा नहीं हूँ और ख़ुद भी
कल्पना कर सकता हूँ कि ये किस कदर भयानक मज़ाक हो सकता है. मगर मुझे पक्का यकीन है
कि दूसरा कोई मार्ग नहीं है.”
फ़िलिप
फ़िलीपविच उठा, उसकी तरफ़ हाथ हिला दिये और चहका:
“मुझे
फ़ुसलाईये नहीं, इस बारे में कुछ भी न कहिये,” धुँए के बादलों को हिलाते हुए प्रोफ़ेसर कमरे में चहल-कदमी करने लगा,
“मैं सुनूँगा भी नहीं. आप समझ रहे हैं कि अगर हमें लपेट लिया गया तो
क्या होगा. हम लोगों को “अपने सामाजिक मूल (यहाँ सामाजिक वर्ग से तात्पर्य है –
अनु.) को ध्यान में रखते हुए” – बचना भी संभव नहीं होगा, चाहे यह हमारा पहला ही अपराध क्यों न हो. हमारे पास उपयुक्त मूल नहीं हैं,
मेरे प्यारे?”
“क्या शैतानियत है! बाप विल्नो में मैजिस्ट्रेट थे,” कन्याक
ख़त्म करते हुए बर्मेन्ताल ने अफ़सोस से कहा.
“देखिये, यह उपयुक्त तो नहीं है. यह तो बुरी अनुवांशिकता है. इससे ज़्यादा बुरी चीज़
की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती. वैसे, माफ़ी चाहता हूँ,
मेरी हालत तो और भी बुरी है. बाप – चर्च के सर्वोच्च प्रीस्ट थे.
दया करो, ख़ुदा. ‘सेविले से ग्रेनाडा
तक...रातों के ख़ामोश साये में ...’. शैतान ले जाये.”
“फ़िलिप फ़िलीपविच, आप – विश्व प्रसिद्ध हस्ती हैं,
और किसी, मेरे शब्द प्रयोग को माफ़ करें,
हरामी की ख़ातिर...क्या वे आपको छू सकते हैं, माफ़
कीजिये!”
“इसीलिए
और भी,
मैं यह नहीं करूँगा,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने
विचारमग्न होकर, काँच की अलमारी के पास रुककर और उसकी ओर
देखते हुए विरोध किया.
“मगर
क्यों?”
“इसलिये कि आप तो विश्व प्रसिद्ध हस्ती नहीं हैं.”
“मेरा
क्या...”
“ये बात
है. और आपदा की स्थिति में अपने सहयोगी को छोड़ देना, ख़ुद ही
विश्व-प्रसिद्धी के स्तर पर पहुँचना, माफ़ कीजिये...मैं
मॉस्को का स्टूडेन्ट हूँ, न कि शारिकव.”
फ़िलिप फ़िलीपविच
ने गर्व से कंधे उठाये और वह प्राचीन फ़्रांसीसी सम्राट की तरह दिखाई देने लगा.
“फ़िलिप
फ़िलीपविच,
ऐह...” बर्मेन्ताल ने अफ़सोस से कहा, “मतलब,
किया क्या जाए? क्या आप इंतज़ार करेंगे, जब तक
कि इस गुण्डे-बदमाश को इन्सान बनाने में कामयाब नहीं हो जाते.?”
फ़िलिप
फ़िलीपविच ने हाथ के इशारे से उसे रोका, अपने जाम में
कन्याक डाली, एक घूंट भरा, नींबू चूसा
और कहने लगा:
“इवान
अर्नोल्दविच, क्या आपके हिसाब से मैं, मिसाल
के तौर पर, मानव-शरीर के मस्तिष्क की संरचना और उसकी
कार्यप्रणाली के बारे में थोड़ा बहुत जानता हूँ? आपकी क्या
राय है?”
“फ़िलिप
फ़िलीपविच,
ये आप क्या पूछ रहे हैं?” अत्यंत भावुकता से
बर्मेन्ताल ने जवाब दिया और हाथ हिला दिये.
“अच्छा, ठीक है, बिना किसी झूठी
नम्रता के. मैं भी मानता हूँ कि इस क्षेत्र में मैं मॉस्को
में अंतिम व्यक्ति नहीं हूँ.”
“और मैं
मानता हू<
कि आप – अव्वल हैं न सिर्फ़ मॉस्को में, बल्कि
लंदन में और ऑक्सफोर्ड में भी!” बर्मेन्ताल ने तैश से उसकी बात काटी.
“अच्छा, ठीक है, चलो, ऐसा ही हो. तो
फ़िर, भावी प्रोफ़ेसर बर्मेन्ताल, ये कोई
नहीं कर पायेगा. बेशक. आप पूछें भी नहीं. बस, मेरा संदर्भ
दीजिये, कहिये, प्रिअब्राझेन्स्की ने
कहा है. ख़तम. क्लीम!” फ़िलिप फ़िलीपविच अचानक जोश से चहका और अलमारी ने खनखनाते हुए
उसे जवाब दिया, “क्लीम,” उसने दुहराया.
“बात ये
है,
बर्मेन्ताल, कि आप मेरे स्कूल के पहले शिष्य
हैं और, इसके अलावा, मेरे दोस्त भी,
जैसा कि आज मुझे यकीन हो गया. तो, एक दोस्त की
तरह, आपसे एक राज़ की बात कहता हूँ, - बेशक,
मुझे मालूम है कि आप मुझे शर्मिंदा नहीं करेंगे – बूढ़े गधे प्रिअब्राझेन्स्की
ने इस ऑपरेशन को थर्ड एयर के स्टूडेन्ट की तरह गड़बड़ कर दिया. ये सच है कि आविष्कार
हुआ. आप ख़ुद ही जानते हैं – कैसा,” अब फ़िलिप फ़िलीपविच ने
अफ़सोस के साथ दोनों हाथों से खिड़की के परदों की ओर इशारा किया, स्पष्ट रूप से मॉस्को की ओर इशारा करते हुए. “मगर
सिर्फ इस बात का ध्यान रखिये, इवान अर्नोल्दविच, कि इस आविष्कार का एकमात्र परिणाम यह होगा, कि हम सब
इस शारिकव को रखेंगे कहाँ – यहाँ. प्रिअब्राझेन्स्की ने अपनी टेढ़ी और पैरेलिसिस की
ओर झुकती हुई गर्दन को थपथपाया, शांत रहिये! अगर कोई,”
प्रिअब्राझेन्स्की मिठास से कहता रहा, - “मुझे
यहाँ पटक कर कोड़े भी मारे, - तो मैं, कसम
खाता हूँ, उसे पचास रूबल्स देता! ‘सेविले
से ग्रेनाडा तक...’ शैतान मुझे ले जाये. आख़िर मैं पाँच
साल बैठकर दिमाग़ के उपांगों को चुनता रहा…आप जानते हैं कि
मैंने किस तरह का काम किया है – समझ से बाहर है. और अब, पूछना
पड़ रहा है – किसलिये? इसलिये कि एक ख़ूबसूरत दिन सबसे प्यारे
कुत्ते को ऐसी घिनौनी चीज़ में परिवर्तित कर दूँ, कि सिर के
बाल खड़े हो जाएँ.”
“कोई
अद्वितीय चीज़ है.”
“पूरी
तरह आपसे सहमत हूँ. तो, डॉक्टर, नतीजा
क्या निकलता है, जब शोधकर्ता प्रकृति के समांतर और उससे
सम्पर्क रखते हुए चलने के बदले, किसी समस्या को बलपूर्वक
सुलझाने की कोशिश करता है और परदा उठा देता है: तो, लो उस
शारिकव को और खाओ उसे पॉरिज के साथ.”
“फ़िलिप
फ़िलीपविच,
और अगर स्पिनोज़ा (स्पिनोज़ा - नीदरलैण्ड का दार्शनिक और प्रकृतिविद्
- - अनु.) का दिमाग़ होता तो?”
“हाँ!” फ़िलिप फ़िलीपविच गरजा, “हाँ! अगर सिर्फ बदनसीब
कुत्ता मेरे चाकू के नीचे मर नहीं जाता, और आपने तो देखा है –
किस तरह का है यह ऑपरेशन. एक लब्ज़ में, मैंने – फ़िलिप प्रिअब्राझेन्स्की
ने इससे ज़्यादा मुश्किल काम अपनी ज़िंदगी
में कभी किया ही नहीं था. स्पिनोज़ा या किसी और ऐसे ही जिन की पिट्यूटरी ग्लैण्ड को
प्रत्यारोपित करके कुत्ते से बेहद ऊँची किस्म के व्यक्ति की रचना की जा सकती है.
मगर किस शैतान को उसकी ज़रूरत है?- मैं पूछता हूँ. मुझे
समझाइये, प्लीज़, कि कृत्रिम रूप से
स्पिनोज़ों की रचना करने की ज़रूरत क्या है, जब कोई भी महिला, जब चाहे, तब उसे जन्म दे सकती है. आख़िर खल्मागोरी
में मैडम लमानोसवा ने अपने सुप्रसिद्ध बालक को जन्म दिया ही था ना. डॉक्टर,
मानवता ख़ुद ही इस दिशा में प्रयत्नशील है और विकास के क्रम में हर
साल बड़ी ज़िद से समूहों के बीच से हर तरह का कचरा निकाल कर दसियों मशहूर जीनियस
व्यक्तियों की रचना करती है, जो धरती को सुशोभित करते हैं. अब
आप समझ गये हैं, डॉक्टर, कि मैंने
शारिकव की बीमारी के इतिहास में आपके निष्कर्ष को क्यों खारिज कर दिया था. मेरे
आविष्कार की कीमत, काश उसे शैतान खा जाते, जिसे लेकर आप घूम रहे हैं, एक फ़ूटी कौड़ी के बराबर ही
है...हाँ, बहस न कीजिये, इवान
अर्नोल्दविच, मैं अब समझ गया हूम. मैं कभी भी हवा में लब्ज़
नहीं उछालता, आप ये बात अच्छी तरह जानते हैं. सैद्धांतिक रूप
से यह दिलचस्प है.ख़ैर, ठीक है! डॉक्टर्स ख़ुश हो जायेंगे.
मॉस्को तैश में आ जायेगा...और, वास्तव में क्या है? इस समय आपके सामने कौन है? प्रिअब्राझेन्स्की ने जाँच-कक्ष की ओर इशारा किया, जहाँ शारिकव सो रहा था:
“एक असाधारण
बदमाश.”
“मगर वह कौन है – क्लीम, क्लीम,” प्रोफ़ेसर चीख़ा, “क्लीम चुगुनोव (बर्मेन्ताल का मुँह
खुल गया) – वही: दो मुकदमे, शराब की लत, “सब कुछ बराबर बाँट दो”, हैट और दस के दो नोट गुम हो
गये (यहाँ फ़िलिप फ़िलीपविच को अपनी छड़ी की याद आई और वह लाल हो गया) – बदमाश और
सुअर...ख़ैर, छड़ी तो मैं ढूँढ़ लूँगा. एक लब्ज़ में पिट्यूटरी
ग्लैण्ड एक बंद कमरे की तरह है, जो व्यक्ति के प्रस्तुत चेहरे
को परिभाषित करता है. प्रस्तुत! ‘सेविले से ग्रेनाडा
तक...’ “ – तैश में आँखें गोल-गोल घुमाते हुए फ़िलिप
फ़िलीपविच चीख़ा, “न कि सामान्य मानवीय चेहरा. ये – संक्षिप्त
रूप में – ख़ुद मस्तिष्क ही है. और मुझे उसकी बिल्कुल ज़रूरत नहीं है, डाल दो उसे सभी सुअरों को. मैं तो किसी और ही दिशा
में कार्य कर रहा था, सुजन विज्ञान के बारे में, मानव जाति के सुधार के बारे में. और ‘कायाकल्प’
में घुस गया. कहीं आप ये तो नहीं सोचते कि मैं पैसे की ख़ातिर ये
करता हूँ? फ़िर भी, आख़िर मैं वैज्ञानिक
हूँ.”
“आप महान
वैज्ञानिक हैं, और ये सच है!” बर्मेन्ताल ने कन्याक का घूँट
लेते हुए कहा. उसकी आँखों में जैसे खून उतर आया था.
“दो साल
पहले,
जब मैंने पहली बार पिट्यूटरी ग्लैण्ड से कुछ सेक्स-हॉर्मोन्स
प्राप्त किये तो मैंने एक छोटा-सा प्रयोग
करने का निश्चय किया. मगर उसके बदले ये क्या हो गया? ऐ ख़ुदा!
ये हॉर्मोन्स पिट्यूटरी ग्लैण्ड में, ओह ख़ुदा...डॉक्टर,
मैंने सामने गहरी निराशा है, कसम खाता हूँ कि
मैं भटक गया.”
बर्मेन्ताल
ने अचानक आस्तीनें ऊपर कीं और नाक की सीध में देखते हुए बोला:
“तो फ़िर
ठीक है,
प्रिय शिक्षक, अगर आप नहीं चाहते, तो मैं ख़ुद अपनी जोखिम पर उसे आर्सेनिक खिला दूँगा. भाड़ में जाए, अगर मेरे पापा मैजिस्ट्रेट थे. आख़िरकार – ये आपका अपना प्रयोगात्मक जीव
है.”
फ़िलिप
फ़िलीपविच बुझ गया, निढ़ाल होकर अपनी कुर्सी में धंस
गया और बोला:
“नहीं, प्यारे बच्चे, मैं आपको ऐसा करने की इजाज़त नहीं
दूँगा. मैं साठ साल का हूँ, मैं आपको सलाह दे सकता हूँ. कभी
भी कोई अपराध न करो, चाहे वह किसीके भी ख़िलाफ़ हो. साफ़ हाथों
से वृद्धावस्था तक जिओ.”
“मगर, ज़रा सोचिये फ़िलिप फ़िलीपविच, अगर ये श्वोन्देर उसे और
भी सिखाता रहा, तो इसका नतीजा क्या होगा?! माय गॉड, मैं सिर्फ अभी समझ रहा हूँ, कि यह शारिकव आगे क्या-क्या बन सकता है!”
“अहा! अब
समझे?
और मैं ऑपरेशन के दस दिन बाद ही समझ गया था. तो फ़िर बात ये है कि
श्वोन्देर ही सबसे बड़ा बेवकूफ़ है. वह समझ नहीं पा रहा है कि मेरे मुकाबले शारिकव
उसके लिये ज़्यादा भयानक ख़तरा है. ख़ैर, फ़िलहाल वह हर तरह से उसे
मेरे ख़िलाफ़ उकसाने की कोशिश कर रहा है, बिना यह सोचे,
कि अगर कल कोई शारिकव को ख़ुद श्वोन्देर के ख़िलाफ़ उकसायेगा तो उसके सिर्फ सींग और टांगें ही बचेंगी.”
“और
क्या! सिर्फ बिल्लियों से ही कितना हंगामा हो जाता है! वह कुत्ते के दिल वाला
आदमी.”
“ओह, नहीं, नहीं,” फ़िलिप फ़िलीपविच
ने खींचते हुए जवाब दिया, “आप, डॉक्टर,
बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं, ख़ुदा के लिये कुत्ते
को बदनाम न कीजिये. बिल्लियाँ – यह अस्थाई दौर है...ये सवाल अनुशासन का है और दो–तीन
हफ़्तों तक. आपको यकीन दिलाता हूँ. एकाध महीना और, और वह उनके
ऊपर झपटना बंद कर देगा.”
“मगर अभी
क्यों नहीं?”
“इवान
अर्नोल्दविच, यह एकदम प्राथमिक बात है...आप असल में क्या पूछ
रहे हैं, आख़िर पिट्यूटरी ग्लैण्ड हवा में लटकती तो नहीं ना
रहेगी. वह कुत्ते के मस्तिष्क में स्थापित हो ही जायेगी, उसे
अपनी जडें जमाने दीजिये. अभी शारिकव कुत्ते की बची-खुची आदतें ही प्रदर्शित कर रहा
है, और इस बात को समझिये कि बिल्लियाँ – जो वह करता है,
उनमें सबसे अच्छा काम है. कल्पना कीजिये, कि यह
सब कितना भयानक होता, यदि उसके पास कुत्ते का नहीं, बल्कि इन्सान का दिल होता. और प्रकृति में विद्यमान सभी दिलों में से सबसे
ग़लीज़ दिल का! ”
पूरी तरह
तन चुके बर्मेन्ताल ने अपने मज़बूत पतले हाथों की मुट्ठियाँ भींच लीं, कंधे उचकाये और दृढ़ता से बोला:
“बेशक.
मैं उसे मार डालूँगा!”
“मैं
प्रतिबंध लगाता हूँ!” फ़िलिप फ़िलीपविच ने दो टूक जवाब दिया.
“मगर, प्लीज़...”
फ़िलिप
फ़िलीपविच अचानक चौंकन्ना हो गया, उसने उँगली उठाई.
“रुकिये...मुझे
पैरों की आहट सुनाई दी.”
दोनों
ध्यान से सुनने लगे, मगर कॉरीडोर में शांति थी.
“ऐसा लगा,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने कहा और जोश में जर्मन में बात करने लगा. उसके शब्दों
में कई बार रूसी शब्द “आपराधिकता” सुनाई दिया.
“एक मिनट,” अचानक बर्मेन्ताल सतर्क हो गया और दरवाज़े की तरफ़ गया. पैरों की आहट स्पष्ट
रूप से सुनाई दे रही थी, और वे अध्ययन-कक्ष की ओर आ रहे थे.
इसके अलावा भिनभिनाती आवाज़ आ रही थी. बर्मेन्ताल ने दरवाज़ा
खोला और अचरज से पीछे हट गया. पूरी तरह पराजित फ़िलिप फ़िलीपविच अपनी कुर्सी में जम
गया.
कॉरीडोर
के प्रकाशित चौक में आक्रामक और तमतमाते चेहरे से दार्या पित्रोव्ना सिर्फ
नाईट-गाऊन में खड़ी थी. डॉक्टर और प्रोफ़ेसर को उसके विशाल, ताकतवर और, जैसा कि डर के मारे उन दोनों को प्रतीत
हुआ, पूरी तरह नग्न शरीर की उपस्थिति ने चकाचौंध कर दिया.
अपने मज़बूत हाथों में दार्या पित्रोव्ना कुछ घसीटते हुए ला रही थी, और यह “कुछ”, फ़िसलते हुए, अपनी
पिछाड़ी और छोटे-छोटे पैरों पर बैठ रहा था, जो काले रोवों से
ढंके थे, और लकड़ी के फ़र्श मुड़ रहे थे. ये “कुछ”, बेशक, शारिकव था, पूरी तरह
बदहवास, अभी भी नशे में, अस्त-व्यस्त
और एक ही कमीज़ में.
शानदार
और नग्न दार्या पित्रोव्ना ने शारिकव को आलुओं के बोरे की तरह झटका और बोली:
“ग़ौर
फ़रमाईये,
प्रोफ़ेसर महाशय, हमारे मेहमान टेलिग्राफ़
टेलिग्राफ़विच की ओर. मैं तो शादी-शुदा थी, मगर ज़ीना – मासूम
लड़की है. ये तो अच्छा हुआ कि मेरी आँख खुल गई.”
इतना
कहकर, दार्या पित्रोव्ना शर्म से डूब गई, वह चीख़ी,
अपने सीने को हाथों से ढाँप लिया और चली गई.
“दार्या
पित्रोव्ना, ख़ुदा के लिये, माफ़ करना,”
होश में आकर फ़िलिप फ़िलीपविच ने लाल चेहरे से चिल्लाकर उससे कहा.
बर्मेन्ताल
ने अपनी आस्तीनें और ऊपर उठाईं और शारिकव की ओर बढ़ा. फ़िलिप फ़िलीपविच ने उसकी आँखों
में देखा और वह भयभीत हो गया.
“आप क्या
कर रहे हैं, डॉक्टर! मैं इसकी इजाज़त नहीं देता....”
बर्मेन्ताल
ने दायें हाथ से शारिकव की गर्दन पकड़ी और उसे इस तरह झकझोरा कि सामने से उसकी कमीज़
फट गई.
फ़िलिप
फ़िलीपविच बीच-बचाव करने के लिये लपका और सर्जन के मज़बूत हाथों की पकड़ से निर्बल
शारिकव को खींचने छुड़ाने लगा.
“आपको
मारने का कोई अधिकार नहीं है!” ज़मीन पर बैठकर, होश में आते हुए, आधे घुटे गले से शारिकव चिल्लाया.
“डॉक्टर!”
फ़िलिप फ़िलीपविच चीख़ा.
बर्मेन्ताल
ने अपने आप को कुछ संभाला और शारिकव को छोड़ दिया, जिसके बाद
वह फ़ौरन फ़ुसफ़ुसाने लगा.
“अच्छा, ठीक है, “ बर्मेन्ताल ने फ़ुफ़कारते हुए कहा, “सुबह तक इंतज़ार कर लेंगे. जब वह होश में आ जायेगा मैं उसे सबक सिखाऊँगा,.”
उसने
शारिकव को कांख के नीचे से पकड़ लिया और घसीटते हुए उसे सोने के लिये वेटिंग-रूम ले
गया.
शारिकव
ने छिटकने की कोशिश की, मगर उसकी टांगों ने जवाब दे दिया.
फ़िलिप
फ़िलीपविच ने अपने पैर फ़ैलाये, जिससे उसके गाऊन के नीले
किनारे दूर हो गये, हाथ और आँखें कॉरीडोर के छत वाले लैम्प
की तरफ़ उठाकर बोला:
“ओह, अच्छा...”