अध्याय – 5
डॉक्टर
बर्मेन्ताल की डायरी से
पतली, स्किब्लिंग पैड जैसी नोटबुक. बर्मेन्ताल
की लिखाई में. पहले दो पृष्ठों में उसने साफ़-साफ़ और स्पष्ट लिखा है, आगे चलकर लिखाई घसीटा हो
गई है, वह परेशान है और बहुत सारे
धब्बे गिरे हैं.
22 दिसम्बर 1924. सोमवार,
बीमारी का इतिहास.
प्रयोग का विषय: कुत्ता, करीब दो वर्ष आयु का. नर.
नस्ल – संकर जाति का. नाम – शारिक. खाल पतली, रोंएँदार, भूरी, कुछ
जलने के निशान. पूँछ का रंग उबले हुए दूध जैसा. दाईं बाज़ू पर पूरी तरह जल जाने के
निशान, जो बिल्कुल ठीक हो गये हैं. प्रोफ़ेसर के यहाँ आने से
पहले ख़ुराक बुरी थी, एक सप्ताह यहाँ रहने के बाद – खूब अच्छी तरह खाया-पिया
है. वज़न 8 किलो (विस्मयवाचक चिह्न.). दिल,
फ़ेफ़ड़े,
आमाशय,
तापमान...”
23
दिसम्बर.
शाम को 8.30 बजे प्रोफ़ेसर प्रिअब्राझेन्स्की द्वारा यूरोप
में अपनी तरह का पहला ऑपरेशन किया गया : क्लोरोफॉर्म के प्रभाव में शारिक की वीर्य ग्रंथियों को हटा दिया गया और उनके स्थान पर
उपांग और वृषण रज्जु (स्पर्मेटिक कॉर्ड – अनु.) सहित पुरुष वीर्य ग्रंथियों को
स्थापित कर दिया गया, जिन्हें ऑपरेशन से 4 घंटे 4 मिनट पूर्व दम तोड़ चुके 28
वर्ष के पुरुष के शरीर से लिया गया और प्रोफ़ेसर प्रिअब्राजेन्स्की द्वारा कीटाणुरहित
किये गये रसायनिक द्रव में रखा गया था.
इसके फ़ौरन बाद कपाल के आवरण के ट्रेपनेशन के बाद
मस्तिष्क के उपांग - पीयूष ग्रंथि (पिट्यूटरी ग्लैण्ड – अनु.) को निकाल लिया गया
और उसके स्थान पर उपरोक्त पुरुष की गंथि को प्रस्थापित कर दिया गया.
8cc क्लोरोफॉर्म,
1 सिरींज कैम्फर, 2 सिरींज एड्रेनालाईन का इंजेक्शन दिल में लगाया गया.
ऑपरेशन का उद्देश्य: पिट्यूटरी ग्लैण्ड और अण्डकोश के संयुक्त प्रतिस्थापन
से संबंधित प्रिअब्राझेन्स्की के प्रयोग का उद्देश्य पिट्यूटरी ग्लैण्ड के नये
शरीर में समायोजन से संबंधित प्रश्न का अध्ययन करना और भविष्य में मानव-शरीर के पुनर्युवीकरण
पर उसके परिणाम का अध्ययन करना है.
ऑपरेशन किया गया प्रोफ़ेसर फिलिप फिलीपविच
प्रिअब्राझेन्स्की द्वारा.
सहायक : डॉक्टर इवान अर्नोल्दविच बर्मेन्ताल.
ऑपरेशन
के बाद की रात :
नब्ज़ बार-बार भयानक रूप से गिरती रही. मृत्यु की तीव्र
आशंका है. प्रिअब्राझेन्स्की के आदेशानुसार कैम्फर के भारी खुराकें दी गई.
24 दिसम्बर.
सुबह - तबियत
में सुधार. श्वास की गति दुगुनी हो गई, तापमान 420 . कैम्फ़र,
केफ़ीन का अवत्वचीय (त्वचा के नीचे
- अनु.) इंजेक्शन.
25
दिसम्बर.
फ़िर से हालत बिगड़ गई. नब्ज़ मुश्किल से महसूस हो रही है, हाथ-पैर
ठण्डे पड़ रहे हैं, आँखों की पुतलियाँ प्रतिक्रिया नहीं दे रहीं. प्रिअब्राझेन्स्की के आदेशानुसार हृदय में
एड्रेनालाईन, नस में सलाईन का इंजेक्शन.
26 दिसम्बर.
कुछ सुधार. नब्ज़ 180,
श्वसन 92,
तापमान 41. कैम्फ़र, एनिमा
द्वारा खुराक दी गई.
27
दिसम्बर.
नब्ज़ 152, श्वसन 50, तापमान 39.8,
पुतलियों में हलचल. कैम्फ़र का
अवत्वचीय इंजेक्शन.
28
दिसम्बर.
उल्लेखनीय सुधार. दोपहर को पसीने की धाराएँ, तापमान
37.0. ऑपरेशन के ज़ख्म पूर्वस्थिति में ही हैं. बैण्डेज. भूख लग रही है. पतली
खुराक.
29
दिसम्बर.
अचानक माथे पर और धड़ के दोनों तरफ़ बालों का गिरना देखा
गया. परामर्श के लिये बुलाये गये: त्वचा संबंधी रोगों के विभाग के प्रोफ़ेसर वसीली
वसिल्येविच बून्दारेव और मॉस्को के वेटेरनरी डेमॉन्स्ट्रेशन इन्स्टिट्यूट के
डाइरेक्टर. उनके अनुसार यह चिकित्सा-साहित्य में अभूतपूर्व घटना है. निदान अज्ञात
रहा. तापमान - 37.0
(पेन्सिल से लिखा गया)
शाम को पहली बार भौंका (8.15 बजे). आवाज़ के स्वरूप में
तेज़ी से हुआ परिवर्तन और उसका सुर ध्यान आकर्षित करते हैं. "भौ-भौ" के
स्थान पर अब "आ-ओ" निकलता है,
लहजा कराहने जैसा है.
30
दिसम्बर.
रोओं के ग़ायब होने की प्रक्रिया ने आम गंजेपन का
स्वरूप ले लिया है. वज़न लेने से अप्रत्याशित परिणाम प्राप्त हुआ है – 30 किलो
ग्राम – हड्डियों के बढ़ने (लम्बे होने के कारण). कुत्ता पहले ही की तरह पड़ा है.
31
दिसम्बर.
पात्र को बहुत भूख लगी है.
(नोटबुक में – धब्बा. धब्बे के बाद घसीटा लिखाई में).
दिन में 12 बजकर 12 मिनट पर कुत्ता स्पष्ट रूप से
भौंका अ-ब-ईर्.
(नोटबुक में अंतराल और आगे,
ज़ाहिर है,
परेशानी के कारण ग़लती से लिखा गया
था:
1 दिसम्बर. (काट दिया गया,
सुधार दिया गया) 1 जनवरी 1925.
सुबह फ़ोटो ली गई. आराम से भौंक रहा है “अबीर”, इस
शब्द को ज़ोर-ज़ोर से और जैसे प्रसन्नता से दुहराते हुए. दिन में 3 बजे (मोटे
अक्षरों में) हँसने लगा, जिससे नौकरानी ज़ीना बेहोश हो गई. शाम को “अबीर-वाल्ग”, “अबीर” इन शब्दों का लगातार 8 बार उच्चारण किया.
(तिरछे अक्षरों में पेन्सिल से) : प्रोफ़ेसर ने
“अबीर-वाल्ग” इस कूट-शब्द को खोला, उसका मतलब है “ग्लावरीबा” (प्रिचिस्तेन्का वाले इस
मछलियों के स्टोअर से शारिक परिचित था – अनु.) ...कोई राक्षसी बात हो रही
है....
2
जनवरी. मुस्कुराते समय
मैग्नेशियन फ्लैश से फ़ोटो लिया. पलंग से उठा और आत्मविश्वास के साथ पिछले पंजों पर
आधे घण्टे खड़ा रहा. ऊँचाई करीब-करीब मेरे जितनी ही है.
(नोटबुक में एक अतिरिक्त पन्ना रखा गया है).
रूसी वैज्ञानिक क्षेत्र में एक बड़ी हानि होते-होते रह
गई.
प्रोफ़ेसर
फ़िलिप फ़िलीपविच प्रिअब्राझेन्स्की की
बीमारी का इतिहास.
1 बजकर 13 मिनट – प्रोफ़ेसर प्रिअब्राझेन्स्की को गहरी बेहोशी का दौरा पड़ा. गिरते हुए उनका सिर
कुर्सी की टाँग से टकराया. वेलेरियन टिंचर.
मेरी और ज़ीना की उपस्थिति में कुत्ते ने (बेशक, अगर
उसे कुत्ता कहा जाये तो) प्रोफ़ेसर प्रेअब्राझेन्स्की को माँ की गाली दी थी.
*******
(प्रविष्ठियों में कुछ अंतराल).
**********
6
जनवरी. (कभी पेन्सिल से, कभी
बैंगनी स्याही से).
आज, जब उसकी पूँछ गिर गई,
उसके बाद,
उसने बड़ी स्पष्टता से “शराबखाना”
शब्द का उच्चारण किया. फ़ोनोग्राफ़ चालू है. शैतान जाने – यह सब क्या है.
******
मैं हैरान हो रहा हूँ.
******
प्रोफेसर ने मरीज़ों को देखना रोक दिया है. दोपहर 5 बजे
से, जाँच-कक्ष में से,
जहाँ यह प्राणी घूमता है, स्पष्ट
रूप से अश्लील गालियाँ और “एक डबल” ये शब्द सुनाई देते हैं.
7
जनवरी. वह बहुत सारे शब्द
बोलता है : “टैक्सी”, “जगह नहीं है”,
“सायंकालीन अख़बार”, “बच्चों के लिये बढ़िया उपहार” और सभी गालियाँ जो रूसी शब्दकोश
में हो सकती हैं.
वह देखने में अजीब है. रोंएँ अब सिर्फ सिर पर, ठोड़ी
पर और सीने पर ही बचे हैं. बाकी वह गंजा है,
त्वचा पिलपिली है. जननांगों वाले भाग
में वह एक विकसित होता हुआ पुरुष है. खोपड़ी काफ़ी बड़ी हो गई है. माथा तिरछा और नीचे
को सिकुड़ता हुआ.
******
या-ख़ुदा, मैं पागल हो जाऊँगा.
******
फ़िलिप फ़िलीपविच की तबियत अभी भी ख़राब है. अधिकांश अवलोकन-कार्य
मैं ही कर रहा हूँ. (फ़ोनोग्राफ़, तस्वीरें)
******
शहर में अफ़वाहें फ़ैल रही हैं.
******
परिणाम असंख्य हैं. आज दोपहर पूरी गली किन्हीं
निठल्लों और बूढ़ियों से भरी हुई थी. तमाशबीन अभी भी खिड़कियों के नीचे खड़े हैं.
सुबह के अख़बारों में ग़ज़ब की टिप्पणी छपी थी “ओबुखवा स्ट्रीट पर मंगल ग्रह के
निवासी के बारे में अफ़वाहें बिल्कुल निराधार हैं. उन्हें सुखारेवो के व्यापारियों
द्वारा फ़ैलाया गया है जिन्हें कड़ा दंड दिया जायेगा”. – शैतान जाने, किस
मंगल ग्रह के निवासी के बारे में? ये तो – बेहद डरावना है.
******
और भी बढ़िया ख़बर “शाम” के अख़बार में – लिखा है कि एक
बालक का जन्म हुआ है, जो पैदा होते ही वायलिन बजाने लगा है. वहीं तस्वीर भी
है – वायलिन और मेरा फ़ोटो आइडेन्टिटी कार्ड और उस पर इबारत है: प्रो. प्रिअब्राझेन्स्की
, अपनी माँ का सिज़ेरियन ऑपरेशन करते हुए. ये – ऐसी चीज़ है,
जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. ..
वह नया शब्द कहता है “पुलिसवाला”.
*******
लगता है, कि दार्या पेत्रोव्ना को मुझसे प्यार हो गया था और
उसने फ़िलिप फ़िलीपविच के अल्बम से फ़ोटो पार कर लिया था. जब मैंने सारे रिपोर्टर्स
को इसके बाद भगा दिया, उसके बाद उनमें से एक किचन में घुस गया....
*******
कन्सल्टेशन के समय क्या होता है! आज 82 फोन आये थे. टेलिफ़ोन बंद कर दिया है. संतानहीन महिलाएँ पागल हो गई
हैं और जा रही हैं...
******
हाऊसिंग कमिटी की पूरी टीम श्वोन्देर के नेतृत्व में.
किसलिये – उन्हें ख़ुद ही पता नहीं है.
8
जनवरी. देर रात को निदान किया
गया. फ़िलिप फ़िलीपविच ने, एक
सच्चे वैज्ञानिक की तरह, अपनी गलती स्वीकार कर ली – पिट्युटरी ग्लैण्ड के
प्रत्यारोपण से पुनर्युवीकरण नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवीकरण हो जाता है (तीन बार अधोरेखित
किया गया). इससे उसके आश्चर्यजनक, चौंकाने वाले आविष्कार का महत्व ज़रा भी कम नहीं होता.
वह आज पहली बार क्वार्टर में घूमा. कॉरीडोर में इलेक्ट्रिक
लैम्प की ओर देखते हुए हँस रहा था. मेरे और फ़िलिप फ़िलीपविच के पीछे-पीछे वह अध्यनयन कक्ष
में गया. वह दृढ़ता से पिछले पंजों पर खड़ा रहता है (रेखांकित किया गया)....पैरों पर
और एक छोटे कद और विकसित होते पुरुष का आभास देता है....
अध्ययन कक्ष में मुस्कुराया. उसकी मुस्कुराहट अप्रिय
है और जैसे कृत्रिम है. इसके बाद उसने खोपड़ी खुजाई,
इधर-उधर देखा और मैंने
स्पष्टतापूर्वक उच्चारित शब्द को दर्ज कर लिया : “बुर्झुआ”. गाली दी. ये गालियाँ
विधिवत्, निरंतर और, ज़ाहिर है पूरी तरह बेमतलब हैं. उनमें कोई ध्वन्यात्मक
विशेषता है : जैसे इस प्राणी ने पहले कहीं इन अपशब्दों को सुना है, ख़ुद-ब-ख़ुद
अवचेतनता से उन्हें अपने मस्तिष्क में बिठा लिया और अब उन्हें थोक में बाहर उछाल
रहा है. वैसे, मैं मनोवैज्ञानिक नहीं हूँ. शैतान ले जाये मुझे.
ये गालियाँ फ़िलिप फ़िलीपविच पर न जाने क्यों बड़ा
दर्दनाक असर डालती हैं. ऐसा भी होता है कि वह संयम और शांति से नई घटनाओं का
अवलोकन करते हुए अपना संयम खो देता है. तो,
गालियाँ सुनते ही वह परेशानी से
चीख़ा:
“बस कर!”
इसका कोई असर नहीं हुआ.
अध्ययन कक्ष की सैर के बाद शारिक को संयुक्त प्रयासों
से जाँच-कक्ष में बंद कर दिया गया.
इसके बाद मैंने और फ़िलिप फ़िलीप फ़िलीपविच ने चर्चा की.
मुझे स्वीकार करना पड़ेगा कि मैंने पहली बार इस आत्मविश्वास से भरपूर और आश्चर्यजनक
रूप से बुद्दिमान व्यक्ति को बदहवासी की हालत में देखा. अपनी आदत के अनुसार
गुनगुनाते हुए, उसने पूछा: “अब हम क्या करेंगे?” और ख़ुद ही इस तरह से जवाब दिया: “मॉस्को टेलर्स, हाँ,,,सेविल्ये से ग्रेनादा तक. मॉस्को टेलर्स, प्यारे डॉक्टर...” मैं कुछ भी नहीं समझा. उसने समझाया: “मैं आपसे विनती
करता हूँ, इवान अर्नोल्दविच,
उसके लिये अंतर्वस्त्र, पतलूनें
और कोट खरीदिये”.
9
जनवरी. आज सुबह से हर पाँच
मिनट में (आम तौर से) नये शब्द से, और वाक्यों से शब्द-संग्रह समृद्ध होता जा रहा है. ऐसा
लगता है कि वे, जो उसके अवचेतन में जम गये थे, पिघल
रहे हैं और बाहर आ रहे हैं. बाहर निकला हुआ शब्द उपयोग में आता रहता है. कल शाम से
फ़ोनोग्राफ़ ने दर्ज किये : “धक्का मत दे”,
“बदमाश”,
“पायदान से उतर जा”, मैं
तुझे दिखाऊँगा”, “अमेरिका की मान्यता”,
“प्राइमस”.
10 जनवरी.
कपड़े पहनाये गये. भीतर की बनियान उसने ख़ुशी-ख़ुशी
पहनाने दी, बल्कि ख़ुशी से हँस भी रहा था. भर्राई हुई चीख़ों से
विरोध प्रकट करके उसने अण्डरपैण्ट पहनने से इनकार कर दिया : “लाईन में, सुअर
के बच्चों, लाईन में!” कपड़े पहना दिये गये. मोज़े उसके लिये बहुत
बड़े हो गये.
(नोटबुक में कुछ
योजनाबद्ध आरेख थे, जो स्पष्टतः कुत्ते की टाँग के मनुष्य की टाँग में
परिवर्तन को प्रकट कर रहे थे).
पैर के कंकाल का पिछला आधा हिस्सा लम्बा हो रहा है.
उँगलियाँ लम्बी हो रही हैं. नाख़ून.
टॉयलेट के सही उपयोग का प्रशिक्षण योजनाबद्ध तरीके से
दुहराया जा रहा है. नौकर पूरी तरह हैरान,
परेशान हैं.
मगर इस प्राणी की समझदारी की तारीफ़ करनी पड़ेगी. काम
सुचारू रूप से चल रहा है.
11 जनवरी.
पतलून से पूरी
तरह समझौता कर लिया है. लम्बा मज़ाकिया वाक्य भी बोला: “सिगरेट दे रे एक बार –
तेरी पतलून धारीदार”.
सिर के ऊपर के रोएँ – पतले,
रेशम जैसे. उन्हें देखकर बालों का
धोखा होता है. मगर तालू पर जलने के निशान रह गये हैं. आज कानों से बालों का आख़िरी
गुच्छा भी झड़ गया. भूख खूब लगती है. हैरिंग मछली बड़े चाव से खाता है.
5 बजे एक घटना हुई: पहली बार ऐसे शब्द, जो
इस प्राणी द्वारा कहे गये थे, आसपास की घटनाओं से कटे हुए नहीं थे, बल्कि
उनके प्रति प्रतिक्रियात्मक थे. ख़ास कर,
जब प्रोफ़ेसर ने उसे हुक्म दिया: “बची
हुई चीज़ें फ़र्श पर मत फेंक” – अप्रत्याशित रूप से जवाब दिया : “नीचे उतर जूँ के
अण्डे”.
फ़िलिप फ़िलीपविच हक्का-बक्का रह गया, फ़िर
उसने ख़ुद को संभाला और कहा:
“अगर तुमने फ़िर कभी मुझे या डॉक्टर को गाली देने की
कोशिश की, तो तुझे भगा देंगे.”
मैं इस पल शारिक की फ़ोटो खींच रहा था. दावे के साथ
कहता हूँ कि वह प्रोफ़ेसर के शब्दों को समझ गया था. उसके चेहरे पर एक उदासी की छाया
तैर गई. काफ़ी चिड़चिड़ाहट के साथ कनखियों से देखा.
हुर्रे, वह समझता है!
12
जनवरी.
पतलून की जेबों में हाथ रखना सीख लिया है. डाँटने की
आदत छुड़ा रहे हैं. सीटी बजा रहा था “ओय,
नन्हे सेब”. बातचीत आगे बढ़ाता है.
मैं कुछ परिकल्पनाओं से ख़ुद को नहीं रोक सकता : फ़िलहाल
पुनर्यौवनीकरण जाये भाड़ में. दूसरी बात अत्यंत महत्वपूर्ण है : प्रोफ़ेसर
प्रिअब्राझेन्स्की के चौंकाने वाले प्रयोग ने मानवीय मस्तिष्क के एक रहस्य को खोल
दिया है. यहीं से पिट्यूटरी ग्लैण्ड का – मस्तिष्क के उपांग का – कार्य स्पष्ट हो
गया है. वह मानवीय आकृति को सुनिश्चित
करता है. उसके होर्मोन्स को शरीर में सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण कहा जा सकता है –
आकृति के हॉर्मोन्स. विज्ञान में एक नये क्षेत्र का आविष्कार हुआ है : फ़ाउस्ट के
किसी रिटॉर्ट के बगैर होमेनक्युलस की रचना हुई है. सर्जन के चाकू ने एक नई मानवीय
इकाई को पुनर्जीवित किया है. प्रोफ़ेसर प्रिअब्राझेन्स्की – आप रचयिता हैं
(धब्बा).
ख़ैर, मैं विषय से हट गया...तो,
वह बातचीत को आगे बढ़ाता है. मेरे विचार
से बात कुछ ऐसी है: अभ्यस्त हो चुकी पिट्यूटरी ग्लैण्ड ने कुत्ते के दिमाग़ के
भाषा-केंद्र को खोल दिया है और शब्द उछलते हुए झरने की तरह बह रहे हैं. मेरे विचार
से, हमारे सामने एक पुनर्जीवित,
विकसित होता हुआ मस्तिष्क है, न
कि ऐसा मस्तिष्क जिसका पुनर्निर्माण किया गया है. ओह, विकास के सिद्धांत (थ्योरी ऑफ एवॉल्यूशन – अनु.)
की कैसी आश्चर्यजनक पुष्टि! कुत्ते से लेकर रसायनशास्त्री मेंदेलेयेव को जोड़ने
वाली उत्कृष्ट कड़ी! मेरी एक और
परिकल्पना है: अपने जीवन की श्वान-अवस्था में शारिक के मस्तिष्क ने अनगिनत अनुभव
एकत्रित किये थे. वे सभी शब्द, जिनका
शारिक ने पहले-पहले उपयोग करना शुरू किया था,
- सड़कछाप शब्द थे, उसने
उन्हें सुना था और और मस्तिष्क में छुपा लिया था. अब,
रास्ते पर चलते हुए, मैं
एक गुप्त भय से सामने से आ रहे कुत्तों को देखता हूँ.
ख़ुदा ही जानता है कि उनके दिमाग़ों
में क्या छुपा है.
******
शारिक पढ़ रहा था. पढ़ रहा था (3 विस्मयबोधक चिह्न). ये
मैंने अंदाज़ लगाया. “ग्लावरीबा” को देखकर. अंत से ही पढ़ रहा था. और मैं यह भी
जानता हूँ कि इस पहेली का समाधान कहाँ है : कुत्ते की ऑप्टिक नर्व्स को अलग करने
में.
******
मॉस्को में जो हो रहा है वह मानवीय बुद्धि की समझ से
परे है. सुखारेव मार्केट के सात व्यापारी बोल्शेविकों द्वारा लाई गई दुनिया के अंत
के बारे में अफ़वाहें फ़ैलाने के जुर्म में जेल में बंद हैं. दार्या पित्रोव्ना बता
रही थी और उसने अचूक तारीख़ भी बता दी : 28 नवम्बर 1925 को, सेंट
स्टेफ़न के शहीद-दिवस पर धरती उड़ कर स्वर्गीय धुरी पर चली जायेगी... कुछ बदमाश इस
बारे में लेक्चर्स भी दे रहे हैं. ऐसा हंगामा मचा दिया है हमने इस पिट्यूटरी
ग्लैण्ड का, कि क्वार्टर छोड़ कर भाग जाने को जी चाहता है. मैं
प्रिअब्राझेन्स्की की विनती पर उसके क्वार्टर में आ गया हूँ और रात को शारिक के
साथ स्वागत-कक्ष में सोता हूँ. जाँच-कक्ष को स्वागत-कक्ष में बदल दिया गया है.
श्वोन्देर सही था. हाऊसिंग सोसाइटी ख़ुशी मना रही है. अलमारियों में एक भी शीशा
नहीं है, क्योंकि वह कूद रहा था. मुश्किल से यह आदत छुड़ाई.
******
फ़िलिप फ़िलीपविच के साथ कुछ अजीब-सी बात हो रही है. जब
मैंने उसे अपनी परिकल्पनाओं और शारिक को एक अत्यंत उच्च कोटि के मानसिक व्यक्तित्व
के रूप में विकसित करने की उम्मीद के बारे में बताया,
तो वह हँसा और बोला : “क्या आप ऐसा
सोचते हैं?” उसका लहज़ा ज़हरीला है. कहीं मैंने ग़लती तो नहीं कर दी? बूढ़े
ने कुछ सोचा था. जब मैं बीमारी के इतिहास का निरीक्षण करता हूँ, वह
उस आदमी के इतिहास के बारे में अध्ययन करता रहता है,
जिससे हमने पिट्यूटरी ग्लैण्ड ली थी.
******
(नोट बुक में एक पृष्ठ रखा है.)
क्लीम ग्रिगोरेविच चुगून्किन, 25 वर्ष, अविवाहित. किसी भी पार्टी का नहीं,
सहानुभूति रखता है. (यहाँ
कम्युनिस्टों से सहानुभूति से तात्पर्य है – अनु.) 3 बार मुकदमा चलाया गया और
निर्दोष साबित हुआ : पहली बार सुबूतों की कमी के कारण,
दूसरी बार उसके सामाजिक मूल के कारण
और तीसरी बार – पन्द्रह वर्ष के सशर्त कारावास के आधार पर. चोरी के इल्ज़ाम में.
व्यवसाय – शराबखानों में बलालायका (एक तरह का वाद्य – अनु.) बजाता है.
छोटे कद का,
शरीरयष्टि कमज़ोर. लिवर बढ़ा हुआ (शराब
के कारण). मृत्यु का कारण – शराबखाने में चाकू से सीने पर वार (”स्टॉप-सिग्नल”
प्रिअब्राझेन्स्काया चौकी के पास).
******
बूढ़ा, लगातार क्लीम की बीमारी का अध्ययन किये जा रहा है. समझ
नहीं पा रहा हूँ कि बात क्या है. कुछ इस तरह बुदबुदाया कि एनोटॉमिकल पैथोलोजी
वार्ड में चुगून्किन के पूरे मृत शरीर का मुआयना करने का ख़याल उसे क्यों नहीं आया.
बात क्या है – समझ नहीं पा रहा हूँ. इससे क्या फ़र्क पड़ता है कि पिट्यूटरी ग्लैण्ड
किसकी है?
17 जनवरी.
कई दिनों तक कुछ नहीं लिखा: इन्फ्लुएन्ज़ा हो गया था.
इस दौरान उसकी आकृति पूरी तरह विकसित हो चुकी थी.
1. शारीरिक दृष्टि से सम्पूर्ण व्यक्ति;
2. वज़न करीब 120 पाऊण्ड;
3. कद छोटा;
4. सिर का आकार छोटा;
5. सिगरेट पीने लगा है;
6. इन्सानों का खाना खाता है;
7. अपने-आप कपड़े पहन लेता है;
8. धारा-प्रवाह बात कर लेता है.
******
तो ये है पिट्यूटरी ग्लैण्ड (धब्बा).
******
यहाँ बीमारी का इतिहास समाप्त करता हूँ. हमारे सामने
एक नया जीव है; उसका शुरू से निरीक्षण करना होगा.
संलग्न : बातों के लिखित रेकॉर्ड्स, फॉनोग्राफ़-रेकॉर्डिंग, फ़ोटोग्राफ़्स.
हस्ताक्षर : प्रोफ़ेसर फ़ि.फ़ि. प्रिअब्राझेन्स्की का
सहायक
डॉक्टर बर्मेन्ताल.
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