अध्याय – 9
मगर, बर्मेन्ताल ने जो ‘सबक’ सिखाने
का वादा किया था, वह अगली सुबह पूरा नहीं हो पाया, इस कारण से कि पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच घर से ग़ायब हो गया. बर्मेन्ताल तैश से
बिफ़र रहा था, अपने आप को गधा कहकर गाली दी, कि उसने प्रमुख दरवाज़े की चाभी क्यों नहीं छुपा दी, वह
चीख़ रहा था कि यह अक्षम्य है, और यह सब इस इच्छा से ख़तम किया
कि शारिकव बस के नीचे आ जाये. फ़िलिप फ़िलीपविच अध्ययन-कक्ष में बैठा था, बालों में उँगलियाँ घुसाये, और बोला:
“मैं
कल्पना कर सकता हूँ कि रास्ते पर क्या हो रहा होगा... क-ल्प-ना---कर स-क-ता हूँ. ‘सेविले से ग्रेनाडा तक’, ओह गॉड.”
“हो सकता
है कि वह अभी भी हाऊसिंग-सोसाइटी में हो,” बर्मेन्ताल ने
गुस्से से उबलते हुए कहा और कहीं भागा.
हाऊसिंग-सोसाइटी
में उसने प्रेसिडेण्ट श्वोन्देर से इतना झगड़ा किया, कि वह ये
चिल्लाते हुए खामोव्निचेस्की जिले की अदालत में दरख़्वास्त लिखने बैठ गया, कि वह प्रोफ़ेसर प्रिअब्राझेन्स्की के पालतू का बॉडी-गार्ड नहीं है, ऊपर से, यह पालतू पलिग्राफ़ बदमाश निकला, अभी कल ही, जैसे पाठ्य पुस्तकें ख़रीदने के लिये उसने हाऊसिंग कमिटी से 7 रूबल्स लिये
थे.
फ़्योदर
ने,
जिसने इस लफ़ड़े में तीन रूबल्स कमाये थे, ऊपर
से नीचे तक पूरी बिल्डिंग छान मारी. कहीं भी शारिकव का कोई सुराग नहीं मिला.
सिर्फ एक
बात पता चली, कि शारिकव सुबह-सुबह स्कार्फ़ बांधे, ओवरकोट और कैप पहनकर निकल गया, जाते-जाते अपने साथ अलमारी
से रोवनबेरी की एक बोतल, डॉक्टर बर्मेन्ताल के दस्ताने और
अपने सभी कागज़ात ले गया था. दार्या पित्रोव्ना और ज़ीना ने खुल्लमखुल्ला अपनी तूफ़ानी
ख़ुशी और यह आशा व्यक्त की, कि शारिकव फ़िर कभी न लौटे. पिछले
ही दिन शारिकव ने दार्या पित्रोव्ना से साढ़े तीन रूबल्स उधार लिये थे.
“आपके
साथ ऐसा ही होना चाहिये!” फ़िलिप फ़िलीपविच मुट्ठियाँ हिलाते हुए गरजा. पूरे दिन फ़ोन
बजता रहा,
फ़ोन दूसरे दिन भी बजता रहा. डॉक्टरों ने असाधारण संख्या में मरीज़
देखे, और तीसरे दिन अध्ययन-कक्ष में इस प्रश्न पर विचार किया
गया कि पुलिस को ख़बर करनी चाहिये, जो शारिकव को मॉस्को के
गड्ढों में ढूँढे.
और, जैसे ही “पुलिस” शब्द का उच्चारण किया गया, ओबुखवा
स्ट्रीट की सम्मानजनक शांति को एक लॉरी की गरज ने भंग किया और बिल्डिंग की
खिड़कियाँ झनझना गईं. इसके बाद सुनाई दी एक बेधड़क घंटी की आवाज़, और पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच असाधारण शान से भीतर आया, उसने
बेहद ख़ामोशी से कैप उतारी, ओवरकोट को खूंटी पर टांग दिया और
एक नये ही अवतार में प्रकट हुआ. उसने किसी और की चमड़े की जैकेट पहनी थी, चमड़े ही की घिसी हुई पतलून और अंग्रेज़ी ऊँचे जूते जिनके फ़ीते घुटनों तक आ
रहे थे. बिल्लियों की अविश्वसनीय गंध पूरे प्रवेश-कक्ष में फ़ैल गई. प्रिअब्राझेन्स्की
और बर्मेन्ताल, जैसे
किसी के आदेश पर हाथ बांधे, चौखट पर खड़े हो गये और पलिग्राफ़
पलिग्राफ़विच की पहली सूचना का इंतज़ार करने लगे. उसने अपने कड़े बालों को ठीक किया,
कुछ खाँसा और चारों ओर इस तरह से देखा. कि ज़ाहिर हो रहा था: इस
बेतकल्लुफ़ी की आड़ में पलिग्राफ़ अपनी सकुचाहट को छुपाना चाह रहा है.
“मैंने, फ़िलिप फ़िलीपविच,” आख़िरकार उसने बोलना शुरू किया,
“नौकरी कर ली है.”
दोनों
डॉक्टर्स ने गले से अजीब-सी सूखी आवाज़ निकाली और थोड़ा-सा हिले. पहले प्रिअब्राझेन्स्की
ने अपने आपको संभाला, उसने हाथ बढ़ाया और कहा:
“कागज़
दीजिये.”
कागज़ पर
टाईप किया हुआ था, “प्रमाणित किया जाता है कि इस पत्र
का धारक, कॉम्रेड पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच शारिकव वास्तव में मॉस्को
सार्वजनिक सेवाओं के विभाग में, मॉस्को शहर को आवारा जानवरों
(बिल्लियाँ आदि) से मुक्त करने वाले उपविभाग का प्रमुख है.”
‘अच्छा,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने गंभीरता से कहा, “आपको किसने काम पर लगाया? आह, वैसे
मैं ख़ुद ही अंदाज़ लगा सकता हूँ.”
“हाँ, सही में, श्वोन्देर ने,” शारिकव
ने जवाब दिया.
“आपसे
पूछने की इजाज़त दीजिये – आपसे ये दुर्गंध क्यों आ रही है?”
शारिकव
ने कुछ परेशानी से अपने जैकेट को सूंघा.
“तो, क्या है, आ रही है बू...ज़ाहिर है : मेरे पेशे की वजह
से. कल हमने बिल्लियों के गले दबाये, दबाये...”
फ़िलिप
फ़िलीपविच काँप गया और उसने बर्मेन्ताल की ओर देखा. उसकी आँखें बंदूक की काली
दुनाली जैसी हो रही थीं, जो सीधे शारिकव पर टिकी थीं. बिना
किसी प्रस्तावना के वह शारिकव की ओर बढ़ा और दृढ़ता और आसानी से उसका गला पकड़ लिया.
“संतरी!”
पीला पड़ते हुए शारिकव ने चीं-चीं किया.
“डॉक्टर!”
“अपने आप
को मैं कोई भी गलत काम करने की इजाज़त नहीं दूँगा, फ़िलिप
फ़िलीपविच, आप फ़िक्र न करें, “ बर्मेन्ताल
ने खनखनाती आवाज़ में कहा और वह गरजा: “ज़ीना और दार्या पित्रोव्ना!”
वे दोनों
प्रवेश-कक्ष में आ गईं.
“तो, दुहराईये,” बर्मेन्ताल ने कहा और शारिकव का गला
ओवरकोट की ओर कुछ झुकाया, “मुझे माफ़ कीजिये...”
“अच्छा, ठीक है, दुहराता हूँ,”
भर्राई हुई आवाज़ में पूरी तरह पराजित शारिकव ने जवाब दिया, उसने अचानक सांस भीतर खींची, छिटक गया और चिल्लाने
की कोशिश की - “संतरीं”, मगर चीख निकली ही नहीं और उसका सिर
पूरी तरह ओवरकोट में घुस गया.
“डॉक्टर, विनती करता हूँ.”
शारिकव
ने सिर हिलाया, यह बताने की कोशिश करते हुए, कि वह हार मानता है और उन शब्दों को दुहरायेगा.
“मुझे
माफ़ कीजिये, परम आदरणीय दार्या पित्रोव्ना और ज़िनाइदा?...”
“प्रकोफ़्येव्ना,” ज़ीना भय से फुसफ़ुसाई.
“ऊफ़, प्रकोफ़्येव्ना...” सांस रोककर भर्राते हुए शारिकव बोला, “कि मैंने जुर्रत की...”
“रात को नशे की हालत में घिनौना काम करने की.”
“नशे की
हालत में...’
“फ़िर कभी
ऐसा नहीं करूँगा...”
“नहीं
करूँगा...”
“छोड़िये, छोड़िये उसे, इवान अर्नोल्दविच,” दोनों महिलाओं ने एक साथ विनती की, “आप उसका गला दबा
देंगे.”
बर्मेन्ताल
ने शारिकव को छोड़ दिया और कहा:
“क्या
लॉरी आपका इंतज़ार कर रही है?”
“नहीं,” पलिग्राफ़ ने नम्रता से जवाब दिया, “वह मुझे सिर्फ
यहाँ लाई थी.”
“ज़ीना, लॉरी को जाने के लिये कह दीजिये. अब इस बात का ध्यान रहे : क्या आप फ़िर से
फ़िलिप फ़िलीपविच के क्वार्टर में लौट आये हैं?”
“मैं और
कहाँ जाऊँगा?” आँखें झपकाते हुए शारिकव ने डरते-डरते जवाब
दिया.
“बढ़िया. पानी
से भी शांत, घास से भी नीचे रहो.
वर्ना,
हर गलत काम के लिये मुझसे पाला पड़ेगा. समझ गये?”
“समझ गया,” शारिकव ने जवाब दिया.
फ़िलिप
फ़िलीपविच ने शारिकव पर किये जा रहे अत्याचार के दौरान अपनी ख़ामोशी बनाये रखी. वह
चौखट के पास जैसे दयनीयता से सिकुड़ गया और फ़र्श पर आँखें नीची किये नाखून काटता
रहा. फ़िर उसने अचानक आँखें उठाकर शारिकव पर गड़ा दीं और यंत्रवत्, खोखली आवाज़ में पूछा:
“और
इनका...इन मारी गई बिल्लियों का करते क्या हैं?”
“उन्हें
कारखाने भेजा जाता है,” शारिकव ने जवाब दिया, “उनसे कार्बोहाइड्रेट बनाया जायेगा श्रमिकों के लिये.”
इसके बाद
क्वार्टर में ख़ामोशी छा गई और दो दिनों तक रही. पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच सुबह लॉरी
में बैठकर चला जाता, शाम को वापस लौटता, ख़ामोशी से फ़िलिप फ़िलीपविच और बर्मेन्ताल के साथ खाना खाता.
हाँलाकि
बर्मेन्ताल और शारिकव एक ही कमरे, स्वागत-कक्ष में, सोते थे, वे एक दूसरे से बात नहीं करते थे, तो पहले बर्मेन्ताल ही उकता गया.
दो दिन
बाद क्वार्टर में दूधिया स्टॉकिंग्स पहने, आँखों पर रंग लगाये
एक दुबली-पतली महिला आई और क्वार्टर की शान देखकर बेहद सकुचा गई. पुराने, जर्जर कोट में वह शारिकव के पीछे-पीछे चल रही थी और प्रवेश-कक्ष में
प्रोफ़ेसर से टकरा गई.
वह
भौंचक्का रह गया, रुक कर उसने आँखें बारीक कीं और
पूछा:
“यह सब
क्या है,
बतायेंगे?”
“मैं
इसके साथ शादी करने वाला हूँ, ये – हमारी टाइपिस्ट है,
मेरे साथ रहेगी. बर्मेन्ताल को स्वागत-कक्ष से हटाना पड़ेगा. उसके
पास अपना क्वार्टर है,” बेहद अप्रियता से और त्योरी चढ़ाकर शारिकव
ने समझाया.
“कृपया
एक मिनट के लिये मेरे अध्ययन-कक्ष में आईये.”
“मैं भी
उसके साथ आऊँगा,” शारिकव ने फ़ौरन और संदेह से विनती की.
और उसी
पल बर्मेन्ताल जैसे धरती से प्रकट हो गया.
“माफ़
कीजिये,”
उसने कहा, “प्रोफ़ेसर महिला से बात करेंगे और
आप मेरे साथ यहाँ रुकेंगे.”
“मैं
नहीं चाहता,” शारिकव ने शर्म से लाल हो रही महिला और फ़िलिप
फ़िलीपविच के पीछे जाने की कोशिश करते हुए कड़वाहट से कहा.
“नहीं
माफ़ कीजिये,” बर्मेन्ताल ने शारिकव की कलाई पकड़ ली और वे
जांच-कक्ष की ओर जाने लगे.
करीब
पाँच मिनट अध्ययन-कक्ष से कुछ भी नहीं सुनाई दिया, और फ़िर
महिला की दबी-दबी सिसकियाँ सुनाई दीं.
फ़िलिप
फ़िलीपविच मेज़ के पास खड़ा था, और महिला गंदा लेस का रूमाल
मुँह पर दबाये रो रही थी.
“उस
बदमाश ने कहा, कि वह युद्ध में घायल हुआ है,” महिला सिसकियाँ ले रही थी.
“झूठ
बोलता है,”
फ़िलिप फ़िलीपविच ने दृढ़ता से उत्तर दिया. उसने सिर हिलाया और आगे कहा,
“मुझे सचनुच में आप पर दया आ रही है, मगर पहले
ही मिलने वाले व्यक्ति के साथ, सिर्फ नौकरी में उसके अधिकार
को देखकर आपको ऐसा नहीं करना चाहिये...बच्ची, ये शर्मनाक है.
यही तो...” उसने लिखने की मेज़ की दराज़ खोली और दस-दस रूबल्स के तीन नोट निकाले.
“मैं ज़हर
खा लूँगी,”
महिला रो रही थी, “ कैंटीन में रोज़ नमकीन-बीफ़...और
धमकी देता है...कहता है कि वह रेड-कमाण्डर है...मेरे साथ, कहता
है, शानदार क्वार्टर में रहोगी...हर रोज़ एडवान्स... मैं दिल
का अच्छा हूँ, कहता है, मैं सिर्फ
बिल्लियों से नफ़रत करता हूँ...उसने मेरी अंगूठी यादगार के तौर पर ले ली...”
“अरे,अरे, अरे, - दिल का अच्छा...’सेविले से ग्रेनादा तक’, - फ़िलिप फ़िलीपविच
बड़बड़ाया, “ बर्दाश्त करना होगा – आप तो अभी इतनी जवान हैं...”
“क्या
इसी गली में?”
“चलो, पैसे ले लो, जब उधार दे रहे हों,” फ़िलिप फ़िलीपविच गरजा.
इसके बाद
समारोहपूर्वक दरवाज़े खुले और फ़िलिप फ़िलीपविच के निमंत्रण पर बर्मेन्ताल शारिकव को
अंदर लाया. वह अपनी आँख़ें घुमा रहा था, और उसके सिर के
रोएँ खड़े हो गये थे, ब्रश की तरह.
“नीच,” महिला बोली, उसकी रोई हुई आँखों से, जिनका काजल फ़ैल गया था, चिंगारियाँ निकल रही थीं और
नाक पर पावडर की धारियाँ बन गई थीं.
“आपके
माथे पर यह घाव का निशान कैसा है? कृपया इस महिला को समझाने का
कष्ट करें,” फ़िलिप फ़िलीपविच ने फ़ुसलाते हुए पूछा.
शारिकव
ने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया:
“मैं
कल्चाक वाले मोर्चे पर घायल हो गया था,” वह भौंका.
महिला
उठी और ज़ोर से रोते हुए बाहर निकल गई.
“ठहरिये!”
फ़िलिप फ़िलीपविच पीछे से चिल्लाया, “थोड़ा रुकिये, अँगूठी प्लीज़,” उसने शारिकव से मुख़ातिब होते हुए
कहा.
उसने
आज्ञाकारिता से अपनी उँगली से पन्ना जड़ी नकली अंगूठी उतार दी.
“ख़ैर, ठीक है,” अचानक वह कड़वाहट से बोला, “तुम भी मुझे याद रखोगी. कल ही तुम्हारी पोस्ट ख़त्म करवाता हूँ.”
“उससे
घबराने की ज़रूरत नहीं है,” बर्मेन्ताल पीछे से चिल्लाया,
“मैं उसे कुछ भी करने नहीं दूँगा.” वह मुड़ा और शारिकव पर इस तरह नज़र
डाली कि वह पीछे हटा और सिर के बल अलमारी से टकराया.
“उसका
कुलनाम क्या है?” बर्मेन्ताल ने उससे पूछा. “कुलनाम!” वह गरजा
और अचानक उसका चेहरा जंगली जैसा और डरावना हो गया.
“वस्नित्सोवा,” शारिकव ने आँखों से खिसकने लायक कोई जगह ढूँढ़ते हुए जवाब दिया.
“हर रोज़,” शारिकव की जैकेट का पल्ला पकड़कर बर्मेन्ताल ने कहा, “मैं ख़ुद सफ़ाई विभाग में जाकर पूछताछ करूँगा कि कहीं नागरिक वस्नित्सोवा को
नौकरी से तो नहीं निकाल दिया. और अगर, सिर्फ आप...जैसे ही
पता चला कि निकाल दिया है, तो मैं आपको...ख़ुद, अपने हाथों से, यहीं पर गोली मार दूँगा. ख़याल रहे,
शारिकव – रूसी में कह रहा हूँ!”
शारिकव
लगातार बर्मेन्ताल की नाक की ओर देखे जा रहा था.
“हमारे
पास भी रिवॉल्वर निकल आयेंगे...” पलिग्राफ़ बड़बड़ाया, मगर बेहद
अलसाये सुर में और अचानक छिटककर, दरवाज़े की ओर उछल गया.
“सावधान
रहना!” पीछे से बर्मेन्ताल की चीख़ ने उसका पीछा किया.
रात में
और अगले आधे दिन तूफ़ान से पहले छाये काले बादल जैसी ख़ामोशी व्याप्त रही. सब ख़ामोश
थे. मगर अगले दिन, जब पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच, जिसे अजीब सी बेचैनी ने दबोच लिया था, उदास मन से लॉरी
में अपने काम पर चला गया, तो प्रोफ़ेसर प्रिअब्राझेन्स्की के पास बेवक्त एक मोटा और ऊँचा, मिलिट्री की युनिफॉर्म पहने, पुराना पेशन्ट आया. वह
बड़े आग्रह से मुलाकात की मांग कर रहा था, जो मंज़ूर हो गई.
अध्ययन-कक्ष में आकर उसने नम्रता से एड़ियाँ खटखटाते हुए प्रोफ़ेसर का अभिवादन किया.
“क्या
आपका दर्द फ़िर से उभर आया है, प्यारे?” थके-हारे फ़िलिप फ़िलीपविच ने पूछा, “कृपया बैठिये.”
“थैन्क्स.
नहीं,
प्रोफ़ेसर,” मेहमान ने अपनी हेल्मेट मेज़ के
कोने पर रखते हुए कहा, मैं आपका बहुत आभारी हूँ...हुम्...मैं
आपके पास किसी और काम से आया हूँ, फ़िलिप फ़िलीपविच...आपके
प्रति मेरे दिल में बहुत सम्मान है...हुम्...आगाह करने. ये सरासर बेवकूफ़ी है. वह
सिर्फ बदमाश है...” पेशन्ट ने अपनी ब्रीफ़केस से एक कागज़ निकाला, “अच्छा हुआ कि मुझे सीधे सूचना दी गई... ”
फ़िलिप
फ़िलीपविच ने चश्मे पर नाक-पकड़ चश्मा लगाया और पढ़ने लगा. वह बड़ी देर तक अपने आप से
बुदबुदाता रहा, हर पल उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे. “...और
साथ ही हाऊसिंग कमिटी के प्रोफ़ेसर कॉम्रेड श्वोन्देर को जान से मारने की धमकी देते
हुए, जिससे पता चलता है कि उसके पास पिस्तौल है. और
क्रांति-विरोधी बातें करता है, अपनी समाजवादी-सेविका ज़िनाइदा प्रकोफ़्येव्ना बूनिना को
हुक्म दिया कि एंजेल्स को भट्टी में जला दे, असली मेन्शेविक
की तरह, उसका असिस्टेंट बर्मेन्ताल इवान अर्नाल्दोविच भी वैसा
ही है, जो गुप्त रूप से, बिना नाम
रजिस्टर करवाए उसके क्वार्टर में रहता है.
हस्ताक्षर, सफ़ाई-उपविभाग के प्रमुख - प. प. शारिकव
सत्यापन
करता हूँ. चेयरमैन हाऊसिंग कमिटी - श्वोन्देर, सेक्रेटरी -
पिस्त्रूखिन”.
“क्या आप
इस कागज़ को मेरे पास रखने की इजाज़त देंगे?” फ़िलिप फ़िलीपविच
ने, जिसका चेहरा धब्बों से ढँक गया था,
पूछा “ या, माफ़ी चाहता हूँ, हो सकता है,
आपको इसकी ज़रूरत हो, इस पर कानूनी कार्रवाई
करने के लिये?”
“माफ़ कीजिये, प्रोफ़ेसर,” पेशन्ट
बेहद बुरा मान गया, और उसके नथुने फूल गये, “आप वाकई में हमारी ओर बेहद नफ़रत से देखते हैं. मैं...” और अब वह मुर्गे की
तरह अपने आपको फुलाने लगा.
“अरे, माफ़ करना, माफ़ करना, प्यारे!”
फ़िलिप फ़िलीपविच बुदबुदाया, “माफ़ कीजिये, मैं सच में, आपको ठेस पहुँचाना नहीं चाहता था.
प्यारे, गुस्सा मत करो, उसने मुझे इतना
सताया है...”
“मैं समझ
रहा हूँ,”
पेशन्ट पूरी तरह शांत हो गया, “मगर कैसा
घिनौना है! उसे देखने की उत्सुकता हो रही है. मॉस्को में तो आपके बारे में न जाने
कैसी-कैसी कहानियाँ सुनाई जा रही हैं...”
फ़िलिप
फ़िलीपविच ने सिर्फ हताशा से हाथ हिला दिया. पेशन्ट ने ग़ौर से देखा कि प्रोफ़ेसर की
पीठ झुक गई है और पिछले कुछ समय में वह बूढ़ा हो गया है.
*********
अपराध का
षड़यंत्र पूरी तरह तैयार हुआ और वह धड़ाम् से गिर भी पड़ा, पत्थर की तरह, जैसा कि अक्सर होता है. दिल को कचोटती
हुई अप्रिय भावना के साथ पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच लॉरी में वापस लौटा. फ़िलिप फ़िलीपविच
की आवाज़ ने उसे जाँच-कक्ष में निमंत्रित किया. शारिकव अचरज से आया और एक अस्पष्ट
भय से उसने बर्मेन्ताल के चेहरे पर दुनाली को देखा, और फिर
फ़िलिप फ़िलीपविच पर नज़र डाली. असिस्टेन्ट के चारों ओर एक बादल तैर रहा था और उसका
सिगरेट वाला बायां हाथ सहायक की कुर्सी के चमचमाते हत्थे पर कुछ थरथरा रहा था.
फ़िलिप फ़िलीपविच
ने बेहद ठण्डी कड़वाहट से कहा:
“फ़ौरन
अपनी चीज़ें उठाईये: पतलूनें, ओवरकोट, सब कुछ, जिसकी आपको ज़रूरत हो, और
फ़ौरन क्वार्टर से दफ़ा हो जाईये!”
“ऐसा
कैसे?”
शारिकव वाकई में चौंक गया.
“क्वार्टर
से दफ़ा हो जाओ – आज – अपने नाख़ूनों की ओर तिरछी आँखों से देखते हुए एकसुर में
फ़िलिप फ़िलीपविच ने दुहराया.
कोई बुरी
आत्मा पलिग्राफ़ पलिग्राफ़विच के भीतर प्रवेश कर गई; ज़ाहिर है
कि मौत उसके चारों ओर मंडरा रही थी और उसका समय निकट ही था. उसने ख़ुद को अपरिहार्य
की बाँहों में झोंक दिया और कड़वाहट से, रुक-रुक कर भौंकने
लगा:
“आख़िर हो
क्या रहा है! मुझे क्या, आपके ख़िलाफ़ कोई इन्साफ़ नहीं मिलेगा?
मैं यहाँ 16 गज पर बैठा हूँ और बैठा रहूँगा.”
“क्वार्टर
से निकल जाईये,” घुटी हुई आवाज़ में फ़िलिप फ़िलीपविच फ़ुसफ़ुसाया.
शारिकव
ने ख़ुद ही अपनी मौत को निमंत्रण दे दिया. उसने बिल्लियों की असहनीय गंध वाला अपना बायाँ
हाथ उठाया और फ़िलिप फ़िलीपविच को धमकाया. और इसके बाद दाएँ हाथ से जेब से पिस्तौल
निकालकर बर्मेन्ताल की ओर रुख किया. बर्मेन्ताल की सिगरेट टूटते हुए सितारे की तरह
गिर गई,
और कुछ ही पलों में काँच के टूटे हुए टुकड़ों के ऊपर से उछलते हुए
भयभीत फ़िलिप फ़िलीपविच अलमारी से सोफ़े की ओर भाग रहा था. सोफ़े के ऊपर हाथ-पैर
फ़ैलाये, भर्राता हुआ सफ़ाई-उपविभाग का प्रमुख पड़ा था, और उसके सीने पर सर्जन बर्मेन्ताल सवार था और एक छोटे-से सफ़ेद तकिये से
उसका मुँह दबा रहा था.
कुछ
मिनटों के बाद डॉक्टर बर्मेन्ताल बदहवास चेहरे से प्रवेश द्वार की ओर गया और घंटी
के बटन की बगल में नोटिस चिपकाया:
“प्रोफ़ेसर
की बीमारी के कारण आज मरीज़ नहीं देखे जायेंगे. कृपया घंटियाँ बजाकर परेशान न
करें”.
चमचमाते
हुए जेबी चाकू से उसने घंटी का तार काट दिया, आईने में ग़ौर से
देखा अपने चेहरे को, जिस पर खूनी खरोंचें थीं, और नोंचे गये हाथों को, जो हल्के-से थरथरा रहे थे.
इसके बाद वह किचन के दरवाज़े पर आया और सतर्क आवाज़ में ज़ीना और
दार्या पित्रोव्ना से बोला:
“प्रोफ़ेसर
ने आपसे क्वार्टर से बाहर न जाने के लिये कहा है.”
“ठीक है,” ज़ीना और दार्या पित्रोव्ना ने नम्रता से उत्तर दिया.
“मुझे चोर-दरवाज़े
को बंद करने और अपने साथ चाभी ले जाने की इजाज़त दीजिये,” बर्मेन्ताल दीवार में बने दरवाज़े के पीछे छुपते हुए और हथेली से अपना
चेहरा छुपाते हुए कहने लगा, “ ये कुछ ही समय के लिये है,
आपके प्रति अविश्वास के कारण नहीं. मगर कोई आयेगा, और आप अपने आप को रोक नहीं पायेंगी और दरवाज़ा खोल देंगी, और हमारे काम में बाधा न डालें. हम व्यस्त हैं.”
“ठीक है,” औरतों ने जवाब दिया और उनके चेहरे पीले पड़ गये. बर्मेन्ताल ने चोर-दरवाज़ा
बंद किया, मुख्य द्वार बंद किया, कॉरीडोर
से प्रवेश कक्ष को जाने वाला दरवाज़ा बंद किया और उसके कदमों की आहट जाँच-कक्ष के
पास गुम हो गई.
ख़ामोशी
ने क्वार्टर को ढाँक दिया, वह सभी ओनों-कोनों में रेंग गई.
संध्या-छायाएँ रेंग आईं, ख़तरनाक-सी, सतर्क, एक लब्ज़ में – उदास. ये सच है, कि बाद में पड़ोसियों
ने कम्पाऊण्ड से बताया कि जैसे प्रिअब्राझेन्स्की के क्वार्टर की कम्पाऊण्ड में खुलती हुई
जाँच-कक्ष की खिड़कियों में सभी लाईट्स जल रहे थे, और
उन्होंने ख़ुद प्रोफ़ेसर का सफ़ेद टोप भी देखा...यकीन करना मुश्किल है. ये सच है कि,
जब सब कुछ ख़त्म हो गया तो, ज़ीना ने भी बोल
दिया कि जब बर्मेन्ताल और प्रोफ़ेसर जाँच-कक्ष से बाहर आये तो अध्ययन-कक्ष में फ़ायर
प्लेस के पास, इवान अर्नोल्दविच ने उसे ख़ौफ़नाक हद तक डरा
दिया, कि वह अध्ययन-कक्ष में उकडूँ बैठा था और प्रोफ़ेसर के
मरीज़ों के रेकॉर्ड वाले गट्ठे से नीली फ़ाईल लेकर उसे अपने हाथों से भट्टी में जला
रहा था, कि डॉक्टर का चेहरा पूरी तरह हरा था और पूरा,
हाँ, पूरा...गहरी खरोंचों से भरा था. और फ़िलिप
फ़िलीपविच भी उस शाम कुछ अलग ही नज़र आ रहा था. और क्या...वैसे, हो सकता है, कि प्रिचिस्तेन्का के क्वार्टर वाली मासूम लड़की झूठ भी बोल रही
हो...
एक बात
तो यकीन के साथ कह सकते हैं: इस शाम क्वार्टर में पूरी तरह से, भयानक ख़ामोशी छाई थी.
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