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बुधवार, 16 नवंबर 2011

Master aur Margarita-02.1


मास्टर और मार्गारीटा 2.1
दो
पोंती पिलात

सफ़ेद अंगरखे में, जिसकी किनारी रक्तवर्णीय थी, महान हिरोद के महल के दोनों अंगों के बीच अनेक स्तंभों वाले विशाल दालान में, अश्वारोहियों जैसे कदमों की आवाज़ करते हुए, बसंत ऋतु के निसान माह की चौदहवीं तिथि को जूड़िया के न्यायाधीश पोंती पिलात ने प्रवेश किया.
न्यायाधीश को अगर दुनिया में किसी वस्तु से घृणा थी तो वह थी गुलाब के इत्र की सुगन्ध और अब उन्हें यह अनुमान हो चला था कि आज का दिन बुरा गुज़रने वाला है, क्योंकि प्रात:काल से ही यह सुगन्ध न्यायाधीश का पीछा कर रही थी. न्यायाधीश को ऐसा आभास हो रहा था, मानो उद्यान में खड़े अशोक और लिंडन के वृक्ष गुलाब की गन्ध फेंक रहे हैं, मानो अंगरक्षकों की त्वचा की गन्ध में भी यह दुष्ट गुलाब की गन्ध घुल-मिल गई हो. महल के पार्श्व भाग में स्थित, न्यायाधीश के साथ येरुशलम से आई हुई बिजली की गति से आक्रमण करने वाली बारहवीं सैन्य टुकड़ी की चंदौवल से धुआँ उठ रहा था, जो इस बात का संकेत दे रहा था कि रसोइए भोजन बनाना प्रारंभ कर चुके हैं. यह धुआँ उद्यान से होता हुआ स्तम्भों वाले दालान तक पहुँच रहा था. इस कड़वे धुएँ में भी वह नम गुलाब के इत्र की गन्ध सन गई प्रतीत होती थी. हे भगवान, भगवान हमें किस बात का दण्ड दे रहे हो?
 हाँ, सन्देह की सम्भावना ही नहीं है! यह वही है, फिर वही, अविजित भयंकर व्याधि अर्धशीश, जिसमें केवल आधे मस्तिष्क में ही शूल उठता है. इस व्याधि की कोई दवा नहीं, इससे कोई छुटकारा नहीं. हम मस्तक को इधर-उधर नहीं घुमाएँगे.
संगमरमरी फर्श पर फव्वारे के पास आसन की व्यवस्था कर दी गई थी. न्यायाधीश ने बिना किसी पर दृष्टिक्षेप किए एक ओर हाथ बढ़ा दिया.
पीड़ा के कारण मुख को टेढ़ा होने से न रोक पाए न्यायाधीश और उन्होंने कनखियों से ही चर्मपत्र पर लिखे लेख को पढ़कर उसे सचिव को लौटा दिया और बड़ी कठिनाईपूर्वक कहा, गेलिलियो से आया अभियुक्त? निचले न्यायखण्ड को मुकदमा भेजा गया?
 जी हाँ, महाबली! न्यायाधीश के सचिव ने उत्तर दिया.
 फिर?
 वहाँ उन्होंने अभियोग पर निर्णय सुनाने से इनकार कर दिया और अभियुक्त को मृत्युदण्ड की सिफ़ारिश करते हुए आपके पास भेज दिया, सचिव ने खुलासा करते हुए कहा.
न्यायाधीश ने गाल खुजाते हुए धीरे से कहा, अभियुक्त को प्रस्तुत किया जाए.
और तभी दो शस्त्रधारी स्तम्भों वाले हाल के नीचे स्थित उद्यान से लगभग सत्तीस वर्षीय युवक को न्यायाधीश के सामने पकड़ कर लाये.इस युवक ने फटा-पुराना नीले रंग का चोगा पहन रखा था. सिर पर एक सफ़ेद रुमाल था जिसे माथे पर चमड़े के पट्टे से बाँधकर रखा गया था. हाथ पीछे की ओर बँधे हुए, मुँह के किनारे पर घाव का निशान, जिसमें से बहता हुआ खून सूख चुका था.
अभियुक्त ने गहरी उत्सुकता से न्यायाधीश की ओर देखा.
वह कुछ देर चुप रहा, फिर धीरे से अरबी में पूछा, तो तुमने लोगों को येरुशलम का मन्दिर नष्ट करने के लिए उकसाया था?
यह कह कर न्यायाधीश पाषाण-मूर्ति की भाँति बैठा रहा, सिर्फ उसके होठ कुछ-कुछ हिल रहे थे. न्यायाधीश के पाषाणवत् बैठे रहने का कारण यह था कि वह नारकीय पीड़ा से सुलगते हुए अपने मस्तक को हिलाना नहीं चाहते थे.
बंधे हुए हाथों वाला युवक कुछ आगे बढ़कर बोला, भले आदमी! मेरा विश्वास करें...

मगर न्यायाधीश पूर्ववत् बिना हिले-डुले और बिना आवाज़ ऊँची किए तुरंत उसे रोकते हुए बोला, यह तुमने मुझे भले आदमी कहकर पुकारा? तुम ग़लती कर रहे हो. येरुशलम में सब दबी ज़बान में मेरे बारे में कहते हैं कि मैं क्रूर दानव हूँ, और यह बिलकुल सच है, और उसी तरह एक सुर में आगे बोला, सेनाध्यक्ष क्रिसोबोय को पेश करो.

सेनाध्यक्ष मार्क क्रिसोबोय, जो बिजली की गति से आक्रमण करने वाली सेना की एक अति विशेष टुकड़ी का नेतृत्व करते थे, जैसे ही दालान में आए, ऐसा लगा, मानो अँधेरा छा गया हो.

अपनी सैन्य टुकड़ी के सबसे ऊँचे सैनिक से भी क्रिसोबोय लगभग एक सिर के बराबर ऊँचे थे. उनके कन्धे इतने अधिक चौड़े थे कि अभी-अभी उदित हुए सूर्य को उन्होंने सम्पूर्ण ढँक लिया था.

न्यायाधीश ने लैटिन में सेनाध्यक्ष से कहा, अभियुक्त मुझे भला आदमी कह रहा है. उसे एक मिनट के लिए यहाँ से ले जाइए और समझाइए कि मुझ से किस प्रकार बात करना चाहिए. मगर उसका अंग-भंग मत करना.

और पाषाणमूर्ति के समान बैठे न्यायाधीश को छोड़ सब मार्क क्रिसोबोय को देखने लगे, जो कैदी को हाथ के इशारे से अपने पीछे आने के लिए कह रहा था.

सब लोग हमेशा क्रिसोबोय को उसके ऊँचे कद के कारण देखते ही रहते थे, चाहे वह कहीं भी हो. जो लोग उसे पहली बार देखते थे, वे एक और कारण से देखते रहते. उसका चेहरा बहुत कुरूप था, उसकी नाक एक युद्ध में किसी जर्मन की तलवार से कट चुकी थी.

संगमरमर पर मार्क के भारी कदमों की आहट सुनाई दे रही थी. कैदी उसके पीछे-पीछे चुपचाप चला जा रहा था. स्तम्भों वाले दालान में सम्पूर्ण शांति छा गई. सिर्फ उद्यान में कबूतरों की गुटरगूँ सुनाई पड़ रही थी और फ़व्वारे का पानी मानो एक मीठा-सा सार्थक गीत गा रहा था.

न्यायाधीश का मन हुआ कि उठे, जलधारा के नीचे माथा रखे और वैसे ही शांत हो जाए, मगर वे ये भी जानते थे कि इससे कुछ नहीं होने वाला.

कैदी को स्तम्भों के नीचे से उद्यान में लाकर क्रिसोबोय ने कांस्य प्रतिमा के पास खड़े शस्त्रधारी के हाथ से चाबुक लिया और धीरे से उसे हिलाते हुए कैदी के कन्धों पर मारा. सेनाध्यक्ष की हलचल सहज और लापरवाह थी, मगर कैदी एकदम आगे की ओर झुककर धरती पर ऐसे गिर पड़ा मानो उसके पैर काट दिये गए हों, मुँह खोलकर गहरी साँस लेते हुए उसके चेहरी का रंग उड़ गया, आँखों के आगे अँधेरा छा गया. मार्क ने बाएँ हाथ से उसे खाली बोरे की तरह पकड़कर गिरने से रोका. उसे पैरों पर खड़ा किया और अनुनासिक स्वर में टूटी-फूटी अरबी में बोला, रोम के न्यायाधीश को सम्बोधित करते हुए कहो महाबली! अन्य किसी शब्द का प्रयोग मत करो. शांति से खड़े रहो. तुम समझ गए या मारूँ?
                                                                                                                                                      क्रमश: 

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