मास्टर और मार्गारीटा – 1.3
अनुवाद: ए. चारुमति रामदास
अनुवाद: ए. चारुमति रामदास
इस महत्त्वपूर्ण सूचना ने पर्यटक पर निश्चय ही बड़ा गहरा प्रभाव डाला था, क्योंकि वह लगातार भयभीत आँखें घुमा-घुमाकर सभी घरों को देखता जा रहा था, मानो हर खिड़की में उसे एक एक नास्तिक के दर्शन हो रहे हों.
'नहीं, यह अंग्रेज़ नहीं है...’ बेर्लिओज़ ने फिर सोचा, जबकि बेज़्दोम्नी को आश्चर्य हो रहा था कि – ‘यह रूसी कैसे बोल रहा है, अद्भुत!’ उसने अपने नाक-भौं फिर सिकोड़ लिये.
“मगर, मुझे पूछने की इजाज़त दीजिए...” तनावपूर्ण उत्सुकता से विदेशी ने पूछा, “ईश्वर के अस्तित्व के बारे में विद्यमान पाँच प्रमाणों के बारे में आपका क्या विचार है?”
“ओफ!” सहानुभूति के स्वर में बेर्लिओज़ ने कहा, “इनमें से एक भी किसी लायक नहीं है. मानवता ने बहुत पहले इन्हें नकार कर पुरातत्व संग्रहालय में फेंक दिया है. यक़ीन मानिए तार्किक बुद्धि ईश्वर के अस्तित्व के बारे में किसी भी प्रमाण को नहीं मानती.”
“शाबाश!” विदेशी चिल्लाया, “शाबाश! आपने बिल्कुल इमानुएल के विचार ही दोहराए हैं. मगर आश्चर्य की बात यह है कि उसने पाँचों प्रमाणों को झुठलाकर स्वयँ अपना ही उपहास करते हुए छठे प्रमाण की रचना कर डाली!”
“काण्ट का प्रमाण,” हल्की-सी हँसी के साथ पढ़े-लिखे सम्पादक ने कहा, “वह भी सही नहीं है. शिलेर ने ठीक ही कहा था कि काण्ट के इस संदर्भ में विचार सिर्फ गुलामों को ही अच्छे लग सकते हैं. श्त्राउस ने तो इस प्रमाण का साफ-साफ़ मख़ौल उड़ाया है.”
बेर्लिओज़ बोल रहा था, मगर साथ ही साथ सोच रहा था, ‘मगर, यह है कौन? और यह इतनी अच्छी रूसी कैसे बोल रहा है?’
“इस काण्ट को तो ऐसे प्रमाणों के लिए तीन साल के लिए सालीव्की में सज़ा मिलनी चाहिए!” इवान निकोलायेविच बीच में ही टपक पड़ा.
“इवान!...” परेशान होकर बेर्लिओज़ फुसफुसाया. मगर काण्ट को तीन साल के लिए सालीव्की भेजने के विचार ने अजनबी पर मानो जादू कर दिया.
“बिल्कुल, बिल्कुल...” वह चिल्लाया और उसकी हरी आँख, जो बेर्लिओज़ को देख रही थी, चमकने लगी, “उसे वहीं भेजना चाहिए! मैंने उससे नाश्ता करते हुए कहा था, -“आपने, प्रोफेसर, ख़ैर यह आपका विचार है, मगर बहुत ही भौंडी-सी बात सोची है! शायद आपका विचार बहुत बुद्धिमत्तापूर्ण हो, मगर वह समझ से परे है. आप पर लोग हँसेंगे.”
बेर्लिओज़ की आँखें फटी रह गईं, ‘नाश्ता करते हुए...काण्ट से?...यह क्या बकवास कर रहा है?’ उसने सोचा.
मगर विदेशी बोलता रहा. बेर्लिओज़ की परेशानी का उस पर कुछ भी असर नहीं पड़ा था. वह कवि की ओर मुड़ चुका था, “उसे सालीव्की भेजना इसलिए असम्भव है कि वह लगभग सौ सालों से दूरदराज की जगहों में रह रहा है, सालीव्की तो उसके मुकाबले बहुत नज़दीक है, और उसे उन जगहों से यहाँ घसीट लाना असम्भव है, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ.”
“ओह, कितने दु:ख की बात है!” कवि उसे छेड़ते हुए बोला.
“मुझे भी अफसोस है!” अजनबी अपनी आँख चमकाते हुए आगे बोला, “मगर मुझे एक और ही बात परेशान कर रही है: अगर ईश्वर नहीं है, तब बताइए कि मानव जीवन का संचालन कौन करता है और पृथ्वी पर चल रही सभी क्रियाओं का सूत्र कौन सँभाले हुए है?”
“मानव, और कौन?” बेज़्दोम्नी ने चिढ़कर कहा. मगर स्पष्ट था कि उसे यह प्रश्न समझ में नहीं आया था.
“माफ़ी चाहता हूँ,” धीमे से अजनबी ने पूछा, “मगर, संचालन करने के लिए कोई समयबद्ध योजना तो बनानी पड़ती ही होगी, चाहे वह कितने ही थोड़े समय के लिए क्यों न हो? क्या मैं पूछ सकता हूँ कि मानव सूत्रधार कैसे हो सकता है, जबकि वह थोड़े समय के लिए भी, उदाहरण के लिए एक हज़ार साल के लिए भी, कोई भी योजना बनाने में न केवल असफ़ल है, बल्कि उसका अपने कल पर भी कोई नियंत्रण नहीं है, और, सचमुच,” अजनबी बेर्लिओज़ की तरफ़ मुड़कर बोला, “मान लीजिए, आप ये संचालन करना आरंभ करते हैं, अपना भी और दूसरों का भी और अचानक आपको...खे...खे...खे पसलियों में ट्यूमर हो जाता है...” अजनबी मीठी हँसी हँसते हुए बोला, मानो इस ट्यूमर की कल्पना से उसे बहुत खुशी हुई हो, - “हाँ, ट्यूमर...” बिल्ली की तरह सिकुड़कर उसने दोहराया, “बस, आपका काम ख़तम! तब आप किसी और के नहीं सिर्फ़ अपने भाग्य की चिंता करेंगे. रिश्तेदार आपको दिलासा देंगे और आप, दुर्भाग्य की कल्पना से भयभीत होकर डॉक्टरों के पास, वैद्यों के पास और नीमहकीमों के पास भी जाएँगे. पहले, दूसरे और तीसरे भी कोई मदद नहीं कर पाएँगे – यह आप जानते होंगे. और इस सबका दुर्भाग्यपूर्ण अंत होगा. वह, जो कुछ ही समय पहले राज कर रहा था, एकदम बेजान पड़ा होगा. लकड़ी की पेटी में, और उसे देखने वाले, यह समझकर कि अब इस निर्जीव शरीर से कोई लाभ नहीं होने वाला, उसे भट्टी में जला देंगे. इससे भी बुरा हो सकता है : मनुष्य किस्लोवोद्स्क जाने की तैयारी कर रहा हो...” अजनबी ने आँखें सिकोड़कर बेर्लिओज़ की ओर देखा, “मामूली–सी ही बात है, मगर वह भी पूरी नहीं कर सकता, क्योंकि हो सकता है, अचानक उसका पैर फिसल जाए और वह ट्राम के नीचे आ जाए! क्या आप तब भी कहेंगे कि आपने स्वयँ ही ऐसे घटनाक्रम की रचना की थी? क्या यह सोचना, ज़्यादा तर्कसंगत नहीं है कि कोई और ही संचालन कर रहा है?” और अजनबी विचित्र हँसी हँसा.
बेर्लिओज़ बड़े ध्यान से ट्यूमर और ट्राम के बारे में अप्रिय कहानी सुन रहा था. वह किन्हीं अज्ञात विचारों से भयभीत हो उठा. ‘यह विदेशी नहीं है! यह विदेशी नहीं हो सकता!’...उसने सोचा – ‘यह महज आश्चर्यजनक वस्तु है...मगर यह है कौन?’
“शायद आप सिगरेट पीना चाहते हैं?” अकस्मात अजनबी ने बेज़्दोम्नी से पूछा, “कौन-सा ब्राण्ड चाहिए?”
“आपके पास, जैसे बहुत सारे ब्राण्ड हैं?” डूबे हुए स्वर में कवि ने पूछा, जिसकी सिगरेटें सचमुच ख़त्म हो चुकी थीं.
“कौन-सा ब्राण्ड?” अजनबी ने दोहराया.
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