मास्टर और मार्गारीटा -2.5
इसके पश्चात् न्यायाधीश के सम्मुख एक सुदृढ़, भूरी दाढ़ी वाला सुदर्शन पुरुष उपस्थित हुआ, जिसके सीने पर सिंह की मुंडमाला चमक रही थी, उसके शिरस्त्राण पर गरुड़ के पंख थे, तलवार की मूठ सोने की थी, घुटनों तक तिहरी एड़ियों वाले जूते थे और दाएँ कन्धे पर एक लाल रंग का अंगवस्त्र था. यह रोमन सेना की टुकड़ी का प्रमुख था. न्यायाधीश ने उससे पूछा कि सेबेस्तियन टुकड़ी इस समय कहाँ है. प्रमुख ने उत्तर दिया कि यह टुकड़ी घुड़दौड़ के मैदान के सामने वाले चौक को घेरे हुए खड़ी है, जहाँ कैदियों को आज सज़ा सुनाई जाने वाली है.
तब न्यायाधीश ने आदेश दिया कि रोम की इस सैन्य टुकड़ी के दो भाग किए जाएँ. पहला क्रिसोबोय के नेतृत्व में अपराधियों की रक्षा करता रहे, फाँसी के तख़्तों की और जल्लादों की गंजे पहाड़ पर जाते समय रक्षा करे और वहाँ पहुँचने पर उनके चारों ओर घेरा बनाकर खड़ा हो जाए. दूसरा भाग अभी, इसी समय गंजे पहाड़ पर भेजा जाए जो तुरंत उसकी घेराबन्दी प्रारंभ कर दे. इसी उद्देश्य से यानी कि पहाड़ की रक्षा के लिए, एक अतिरिक्त घुड़सवार टुकड़ी, सीरियन टुकड़ी, वहाँ भेजी जाए.
जब सेना टुकड़ी का प्रमुख दालान से चला गया तो न्यायाधीश ने सचिव को सिनेद्रिओन के अध्यक्ष, उसके दो सदस्यों और येरुशलम की मन्दिर की सुरक्षा टुकड़ी के प्रमुख को महल में बुलाने के लिए कहा. साथ ही यह भी कहा कि इन सभी लोगों से मिलने से पहले वह अध्यक्ष से अलग और अकेले में बात करना चाहता है.
न्यायाधीश की आज्ञा का तुरंत और सही-सही पालन किया गया. सूर्य, जो कि मानो दाँत-होठ पीसकर इन दिनों येरुशलम को जला रहा था, अपनी चरम ऊँचाई तक पहुँचने भी न पाया था कि बाग की ऊपरी छत पर सीढ़ियों की रक्षा कर रहे संगमरमर के दो सिंहों के पास न्यायाधीश ने सिनेद्रिओन के अध्यक्षपद पर कार्य कर रहे जूड़िया के धर्मगुरु यूसुफ कैफ़ से मुलाक़ात की.
उद्यान में शांति थी. मगर स्तम्भों के बीच से, सूरज की रोशनी में नहाए हाथी के अजस्त्र पैरों पर स्थित लिन्डन के वृक्षों के उद्यान की ऊपरी छत पर आते हुए, जहाँ से न्यायाधीश के सामने उसे घृणास्पद लगने वाला येरुशलम शहर दिखाई देता था - अपने हवा में लटकते पुलों, बुर्जों और सबसे अवर्णनीय, संगमरमर से बने, छत के स्थान पर एक विशालकाय सोने के सर्प के जबड़े से ढँके येरुशलम के मन्दिर के साथ - न्यायाधीश के पैने तीक्ष्ण कानों ने दूर, नीचे, जहाँ पत्थर की एक दीवार शहर कि इस उद्यान से अलग करती थी, क्षीण आवाज़ें सुनीं, जिन्हें बीच-बीच में कुछ कराहने की, कुछ चिल्लाने की आवाज़ें दबा देती थीं.
न्यायाधीश ने अनुमान लगाया कि चौक में अभी से येरुशलम में हाल ही में घटित आतंकवादी घटनाओं से परेशान लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई है. यह भीड़ बड़ी बेचैनी से अपराधियों को सुनाई जाने वाली सज़ा का इंतज़ार कर रही है. इस भीड़ में पानी बेचने वाले चिल्ला रहे हैं
न्यायाधीश ने प्रारंभ में धर्म-गुरु को दालान में बुलाया जिससे कि बेरहम धूप से अपने को बचा सके, मगर कैफ़ ने नम्रतापूर्वक कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकता. तब पिलात ने अपने गंजे हो रहे सिर के ऊपर टोपी पहन ली और बातचीत शुरू की. यह वार्तालाप ग्रीक भाषा में चलता रहा.
पिलात ने कहा कि उसने येशू हा-नोस्त्री के मामले की जाँच-पड़ताल कर ली है और मृत्युदण्ड की पुष्टि कर दी है.
इस प्रकार, जो आज ही सम्पन्न किया जाएगा, तीन डाकुओं को दिया गया है : दिसमास, गेस्तास, वाररव्वान – साथ ही इस येशू हा-नोस्त्री को भी. पहले दो ने सम्राट के विरुद्ध क्रांति करने के लिए लोगों को तैयार किया था. इन्हें रोम के साम्राज्य ने युद्ध करके बन्दी बनाया था, जिसका श्रेय न्यायाधीश को जाता है और इस कारण उनके बारे में कोई विचार नहीं किया जाएगा. शेष दो, वाररव्वान और येशू हा-नोस्त्री को स्थानीय शासन ने बन्दी बनाया है और सिनेद्रिओन ने उन पर अभियोग चलाया है. नियम और प्रथा के अनुसार, इन दोनों में से एक को शीघ्र ही निकट आते हुए त्यौहार ईस्टर (यहूदियों के लिए यह ‘पासोवर’ कहलाता है – चारुमति) के सम्मान में मुक्त करना होगा.
और इसलिए न्यायाधीश यह जानना चाहते हैं कि सिनेद्रिओन इन दो अभियुक्तों में से किसे स्वतंत्र करना चाहते हैं : वाररव्वान को अथवा हा-नोस्त्री को?
कैफ़ ने सिर झुकाया यह दर्शाने के लिए कि वह प्रश्न को समझ गया है और फिर बोला, “सिनेद्रिओन यह निवेदन करता है कि वाररव्वान को मुक्त कर दिया जाए.”
न्यायाधीश अच्छी तरह जानता था कि धर्म-गुरु उसे यही उत्तर देगा, मगर उसका काम था धर्म-गुरु के इस उत्तर पर विस्मय प्रकट करना. पिलात ने निपुणता से यही किया. उसके उद्दण्ड चेहरे की दोनों भौंहें ऊपर उठीं, न्यायाधीश ने विस्मय से सीधे धर्म-गुरु की आँखों में झाँका.
“स्वीकार करता हूँ कि इस उत्तर ने मुझे विस्मित कर दिया,” हौले से न्यायाधीश ने कहा, “मुझे डर है कि यहाँ कोई गलतफ़हमी तो नहीं हुई?”
पिलात ने स्पष्ट किया कि रोमन साम्राज्य स्थानीय धार्मिक साम्राज्य के अधिकारों का हनन करना नहीं चाहता, धर्मपुजारी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं, मगर इस स्थिति में निश्चय ही स्पष्ट रूप से गलती हुई है. इस गलती को सुधारने में रोमन साम्राज्य की दिलचस्पी है.”
बात यह है कि : जहाँ तक अपराधों की गंभीरता का प्रश्न है, वाररव्वान और हा-नोस्त्री के अपराधों की कोई तुलना नहीं की जा सकती. प्रकट रूप से सिरफिरे दूसरे को अगर कुछ ऊलजलूल बातें कहते हुए पाया गया, जिन्होंने येरुशलम और आसपास के लोगों को बहकाया है तो पहले का अपराध कहीं अधिक गंभीर है.
उसने न केवल लगों को खुल्लमखुल्ला बगावत के लिए भड़काया बल्कि चौकीदार को भी पकड़ने की कोशिश में मार डाला. हा-नोस्त्री की तुलना में वाररव्वान कहीं अधिक ख़तरनाक है.
इन सब बातों को देखते हुए न्यायाधीश यह आशा करते हैं कि सिनेद्रिओन द्वारा सुनाए गय निर्णय पर एक बार फिर विचार किया जाए और इन दोनों अभियुक्तों में से जो कम ख़तरनाक है, उसे स्वतंत्र कर दिया जाए. और कम ख़तरनाक निश्चित ही हा-नोस्त्री है. ठीक है?
कैफ़ ने सीधे पिलात की आँखों में देखते हुए धीमी किंतु दृढ़ आवाज़ में कहा कि सिनेद्रिओन ने ध्यान से इस मामले पर विचार किया है और वह यह दुहराता है कि सिनेद्रिओन वाररव्वान को क्षमा प्रदान करने के पक्ष में है.
“क्या? मेरे प्रार्थना करने के बावजूद? उसके प्रार्थना के, जिसके रूप में रोमन साम्राज्य आपसे मुख़ातिब है? धर्म-गुरु, तीसरी बार कहो.”
“तीसरी बार भी हम यही सूचित करते हैं कि हम वाररव्वान को मुक्त करते हैं,” धीमे से कैफ़ ने कहा.
सब ख़त्म हो गया, बोलने के लिए कुछ शेष न रहा. हा-नोस्त्री सदा के लिए चला जाएगा और न्यायाधीश की भयंकर और दुष्ट पीड़ा का इलाज करने वाला कोई न रहेगा; इन पीड़ाओं का मृत्यु के अलावा और कोई इलाज नहीं है. मगर पिलात को इस समय इस विचार ने आश्चर्यचकित नहीं किया था. उसी अनबूझ विषाद ने, जिसने बरामदे में खड़े होते समय उसे घेर लिया था, उसके सम्पूर्ण अस्तित्व को भोंक दिया. उसने इस उदासी का कारण जानने की कोशिश की और पाया कि कारण विचित्र था : न्यायाधीश को लगा मानो वह कैदी से कुछ पूछना भूल गया है, शायद उसकी कोई बात उसने नहीं सुनी है.
पिलात ने प्रयत्नपूर्वक इस विचार को दिमाग से निकाल दिया और वह जिस प्रकार उसके मस्तिष्क में आया था, उसी प्रकार उड़ गया. मगर उदासी फिर भी दूर नहीं हुई. इस उदासी को अचानक बिजली की तरह कौंधकर लुप्त हो जाने एक दूसरा छोटा-सा विचार भी नहीं समझा सका : ‘अमरत्व...मृत्युहीनता आ गई है...’ किसकी मृत्युहीनता आ गई है? न्यायाधीश समझ नहीं पाए, मगर इस रहस्यमय मृत्युहीनता के विचार ने न्यायाधीश के बदन में प्रखर धूप के बावजूद कँपकँपी भर दी.
“अच्छा,” पिलात ने कहा, “ऐसा ही होगा.”
उसने अपने चारों ओर की सृष्टि पर नज़र दौड़ाई और इस सृष्टि में हुए परिवर्तन को देखकर वह बौखला गया. गुलाबों से भरपूर डाली टूट चुकी थी.बरामदे की ऊपरी छत के किनारे लगे सरू के पेड़ भी टूट चुके थे. अंजीर का पेड़, छाया में खड़ा सफ़ेद बुत और हरियाली भी गायब थे. इन सबके स्थान पर कोई गुलाबी से झुरमुट आ गए, जिनमें काई तैर रही थी और न जाने कहाँ बहती जा रही थी, उनके साथ पिलात भी बहता जा रहा था. अब उसे अपने साथ बहा ले जा रहा था, दम घोंटता हुआ और जलाता हुआ दुनिया का सबसे भयंकर भय – शक्तिहीनता का भय.
“मेरा दम घुट रहा है,” पिलात कराहा, “दम घुट रहा है!” उसने ठण्डे गीले हाथ से अंगरखे का बटन तोड़ डाला, जो नीचे रेत पर गिर गया.
“आज उमस है, कहीं से तूफ़ान आ रहा है...” न्यायाधीश के लाल चेहरे से निगाहें हटाए बिना और सभी सम्भाव्य विपदाओं की कल्पना करते हुए कैफ़ बोला, “ओह, इस वर्ष निसान का महीना कितना भयंकर है.”
“नहीं,” पिलात बोला, “यह उमस के कारण नहीं है, कैफ़, मेरा दम तुम्हारे कारण घुट रहा है,” और अपनी आँखों को बारीक करते हुए पिलात मुस्कुराकर बोला, “अपनी हिफ़ाज़त करना, धर्म-गुरु.”
धर्म-गुरु की आँखें चमक उठीं. उसने बिल्कुल उसी प्रकार विस्मय का प्रदर्शन किया जैसा कि कुछ देर पहले न्यायाधीश कर चुका था.
“यह मैं क्या सुन रहा हूँ, न्यायाधीश?” स्वाभिमानपूर्वक और शांति से कैफ़ ने पूछा, “तुम मुझे उस दण्ड के निर्णय के लिए धमकी दे रहे हो, जिसका अनुमोदन स्वयँ तुमने भी किया है? क्या यह संभव है? हम तो इस बात के आदी हैं कि रोमन न्यायाधीश बात कहने से पहले शब्दों का भली प्रकार चयन करते हैं. महाबली, हमारी बातें किसी ने सुनी तो नहीं/”
पिलात ने बुझी हुई आँखों से धर्म-गुरु की ओर देखा और फिरा दाँत पीसते हुए मुस्कुराया.
“क्या कहते हो, धर्म-गुरु! हमारी बातें भला यहाँ कौन सुन सकता है? क्या मैं उस नौजवान सिरफिरे आवारा की तरह हूँ जिसे आज मृत्युदण्ड दिया जाने वाला है? क्या मैं बच्चा हूँ, कैफ़? मुझे मालूम है कि मैं क्या कह रहा हूँ. उद्यान के चारों ओर घेराबन्दी है, महल भी चारों ओर से रक्षकों द्वारा घिरा हुआ है, इस प्रकार कि किसी छोटे से छेद से एक चूहा भी अन्दर नहीं आ सकता! न केवल चूहा, वह भी अन्दर नहीं आ सकता, क्या कहते हैं उसे...किरियेफ शहर वाला. ख़ैर, धर्म-गुरु! क्या तुम उसे जानते हो? हाँ...अगर वैसा आदमी अन्दर आ जाए तो उसे अफ़सोस ही होगा, मेरी यह बात तो तुम भी मानोगे? तो तुम जान लो, धर्म-गुरु कि आज से तुम्हें चैन नहीं मिलेगा! न तुम्हें, न तुम्हारी जनता को,” और पिलात ने दाहिनी ओर इशारा किया जहाँ दूर, ऊँचाई पर मन्दिर दहक रहा था, “यह तुम्हें मैं बता रहा हूँ, मैं, पोंती वाला पिलात, सुनहरे भाले वाला अश्वारोही!”
“मालूम है, मालूम है!” काली दाढ़ी वाले कैफ ने निर्भयता से कहा और उसकी आँखें चमक उठीं. उसने आकाश की तरफ हाथ उठाया और आगे बोल, “जूडिया की जनता जानती है कि तुम उससे घृणा करते हो और उसे बड़े कष्ट देने वाले हो, मगर फिर भी तुम उसे ख़त्म नहीं कर पाओगे! ईश्वर उसकी रक्षा करेगा! महामहिम सम्राट हमारी पुकार भी सुनेंगे, हमें खूनी पिलात से बचाएँगे!”
“ओह, नहीं!...” पिलात विस्मय से चिल्लाया. हर शब्द के साथ उस पर से बोझ उतरता गया. वह अपने आपको बहुत हल्का महसूस करने लगा. और ज़्यादा दिखावा करने की, शब्दों को चुनने-तौलने की ज़रूरत नहीं है, “तुम सम्राट से मेरी काफी शिकायत कर चुके हो, और अब मेरी बारी है, कैफ़! अब मेरी तरफ़ से ख़बर जाएगी, न अंतिखिया, न रोम, सीधे सम्राट के पास काप्रे, सीधे सम्राट को, कि तुम किस तरह बगावत करने वालों को मौत के मुँह से बचाकर येरुशलम में छुपाते हो. और तब मैं येरुशलम को सोलौमन तालाब का पानी नहीं पिलाऊँगा, जैसा कि मैं पहले करना चाहता था. नहीं, पानी नहीं! याद करो, तुम्हारे कारण मुझे सम्राट की मुद्रा वाली ढाल दीवार से उतारनी पड़ी, सेनाओं को मिलाना पड़ा, मुझे स्वयँ, देखते हो, स्वयँ यहाँ आना पड़ा, यह देखने के लिए कि यहाँ क्या हो रहा है! मेरे शब्द याद रखना, धर्म-गुरु, येरुशलम में तुम न केवल एक सैनिक टुकड़ी देखोगे. फुलमिनात की पूरी टुकड़ी दीवार के नीचे आ जाएगी, अरबी घुड़सवार धावा बोल देंगे और तब तुम सुनोगे करुण रुदन और कराहें...तब तुम मुक्त किए गए वाररव्वान को याद करोगे और तुम्हें अफसोस होगा कि तुमने दार्शनिक को उसके शांतिपूर्ण उपदेशों सहित मृत्यु के मुख में क्यों भेज दिया.”
क्रमश:
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