मास्टर
और मार्गारीटा – 28.1
अध्याय
– 28
कोरोव्येव और बेगेमोत के अंतिम कारनामे
ये साए थे , या सादोवाया वाली बिल्डिंग के
भय से अधमरे लोगों को सिर्फ अहसास हुआ था, यह कहना मुश्किल है. यदि वे सचमुच साए
थे, तो वे कहाँ गए, यह कोई भी नहीं जानता. वे कहाँ अलग-अलग हुए, हम नहीं कह सकते,
मगर हम यह जानते हैं, कि सादोवाया में आग लगने के लगभग पन्द्रह मिनट बाद,
स्मोलेन्स्क मार्केट की तोर्गसीन नामक दुकान के शीशे के दरवाज़े के सम्मुख एक
चौखाने वाला लम्बू प्रकट हुआ, जिसके साथ एक काला मोटा बिल्ला था.
आने-जाने वालों की भीड़ में सहजता से मिलकर
उस नागरिक ने दुकान का बाहरी दरवाज़ा बड़ी सफ़ाई से खोला. मगर वहाँ उपस्थित छोटे,
हड़ीले और बेहद सड़े दिमाग वाले दरबान ने उसका रास्ता रोककर तैश में आते हुए कहा, “बिल्लियों
के साथ अन्दर जाना मना है.”
“
मैं माफी चाहता हूँ," लम्बू खड़बड़ाया और उसने टेढ़ी-मेढ़ी उँगलियों वाला हाथ कान
पर इस तरह लगाया मानो ऊँचा सुनता हो, “बिल्लियों के साथ, यही कहा न आपने? मगर
बिल्ली है कहाँ?”
दरबान की आँखें फटी रह गईं, यह स्वाभाविक ही
था : क्योंकि नागरिक के पैरों के पास कोई बिल्ली नहीं थी, बल्कि उसके पीछे से फटी टोपी पहने एक मोटा निकलकर
दुकान में घुस गया, जिसका थोबड़ा बिल्ली जैसा था. मोटॆ के हाथ में एक स्टोव था. यह जोड़ी
न जाने क्यों मानव-द्वेषी दरबान को अच्छी नहीं लगी.
“हमारे
पास सिर्फ विदेशी मुद्रा चलती है,” वह कटी-फटी, दीमक-सी लगी भौंहों के नीचे से
आँखें फाड़े देखता हुआ बोला.
“मेरे
प्यारे,” लम्बू ने टूटे हुए चश्मे के नीचे से अपनी आँखें मिचकाते हुए गड़गड़ाती आवाज़
में कहा, “आपको कैसे मालूम कि मेरे पास विदेशी मुद्रा नहीं है? आप कपड़ों को देखकर
कह रहे हैं? ऐसा कभी मत कीजिए, मेरे प्यारे चौकीदार! आप गलती करेंगे, बहुत बड़ी
गलती! ज़रा ख़लीफा हारून-अल-रशीद की कहानी फिर से पढ़िए. मगर इस समय, उस कहानी को एक
तरफ रखकर, मैं आपसे कहना चाहता हूँ, कि मैं आपकी शिकायत करूँगा और आपके बारे में
ऐसी-ऐसी बातें बताऊँगा, कि आपको इन चमकीले दरवाज़ों के बीच वाली अपनी नौकरी छोड़नी
पड़ेगी.”
“मेरे
पास, हो सकता है, पूरा स्टोव भरके विदेशी मुद्रा हो,” जोश से बिल्ले जैसा मोटा भी
बातचीत में शामिल हो गया. पीछे से जनता अन्दर घुसने के लिए खड़ी थी और देर होते
देखकर शोर मचा रही थी. घृणा एवम् सन्देह से इस जंगली जोड़ी की ओर देखते हुए दरबान
एक ओर को हट गया और हमारे परिचित, कोरोव्येव और बेगेमोत, दुकान में घुस गए.
सबसे पहले उन्होंने चारों ओर देखा और फिर
खनखनाती आवाज़ में, जो पूरी दुकान में गूँज उठी, कोरोव्येव बोला, “बहुत अच्छी दुकान
है! बहुत, बहुत अच्छी दुकान!”
जनता काउंटरों से मुड़कर न जाने क्यों विस्मय
से उस बोलने वाले की ओर देखने लगी, हालाँकि उसके पास दुकान की प्रशंसा करने के लिए
कई कारण थे.
बन्द शेल्फों में रंग-बिरंगे फूलों वाले,
महँगी किस्म के, सैकड़ों थान रखे हुए थे. उनके पीछे शिफॉन, जॉर्जेट झाँक रहे थे;
कोट बनाने का कपड़ा भी था. पिछले हिस्से में जूतों के डिब्बे सजे हुए थे, और कई
महिलाएँ नन्ही-नन्ही कुर्सियों पर बैठकर दाहिने पैर में पुराना, फटा जूता पहने और
बाएँ में नया, चमचमाता पहनकर कालीन पर खट्-खट् कर रही थीं. दूर, कहीं अन्दर,
हार्मोनियम बजाने की, गाने की आवाज़ें आ रही थीं.
मगर इन सब आकर्षक विभागों को पार करते हुए
कोरोव्येव और बेगेमोत कंफेक्शनरी और किराना वाले विभाग की सीमा रेखा पर पहुँचे. यह
बहुत खुली जगह थी. यहाँ रूमाल बाँधे, एप्रन पहने महिलाएँ बन्द कटघरों में नहीं
थीं, जैसी कि वे कपड़ों वाले विभाग में थीं.
नाटा, एकदम चौकोर आदमी, चिकनी दाढ़ी वाला,
सींगों की फ्रेम वाले चश्मे में, नई हैट जो बिल्कुल मुड़ी-तुड़ी नहीं थी और जिस पर
पसीने के धब्बे नहीं थे, हल्के गुलाबी जामुनी रंग का सूट और लाल दस्ताने पहने
शेल्फ के पास खड़ा था और कुछ हुक्म-सा दे रहा था. सफ़ेद एप्रन और नीली टोपी पहने
सेल्स मैन इस हल्के गुलाबी जामुनी सूट वाले की ख़िदमत में लगा था. एक तेज़ चाकू से,
जो लेवी मैथ्यू द्वारा चुराए गए चाकू के समान था, वह रोती हुई गुलाबी सोलोमन मछली
की साँप के समान झिलमिलाती चमड़ी उतार रहा था.
“यह
विभाग भी शानदार है,” कोरोव्येव ने शानदार अन्दाज़ में कहा, “और यह विदेशी भी
सुन्दर है,” उसने सहृदयता से गुलाबी जामुनी पीठ की ओर उँगली से इशारा करते हुए
कहा.
“नहीं,
फ़ागोत, नहीं,” बेगेमोत ने सोचने के-से अन्दाज़ में कहा, “तुम, मेरे दोस्त, गलत
हो...मेरे विचार से इस गुलाबी जामुनी भलेमानस के चेहरे पर किसी चीज़ की कमी है!”
गुलाबी जामुनी पीठ कँपकँपाई, मगर, शायद, संयोगवश,
वर्ना विदेशी तो कोरोव्येव और बेगेमोत के बीच रूसी में हो रही बातचीत समझ नहीं
सकता था.
“अच्छी
है?” गुलाबी जामुनी ग्राहक ने सख़्ती से पूछा.
“विश्व
प्रसिद्ध,” विक्रेता ने मछली के चमड़े में चाकू चुभोते हुए कहा.
“अच्छी
– पसन्द है; बुरी – नहीं –“ विदेशी ने गम्भीरता से कहा.
“क्या
बात है!” उत्तेजना से सेल्स मैन चहका.
अब हमारे परिचित विदेशी और उसकी सोलोमन मछली
से कुछ दूर, कंफेक्शनरी विभाग की मेज़ के किनारे की ओर हट गए.
“बहुत
गर्मी है आज,” कोरोव्येव ने लाल गालों वाली जवान सेल्स गर्ल से कहा और उसे कोई भी
जवाब नहीं मिला. “ये नारंगियाँ कैसी हैं?” तब उससे कोरोव्येव ने पूछा.
“तीस
कोपेक की एक किलो,” सेल्स गर्ल ने जवाब दिया.
“हर
चीज़ इतनी महँगी है,” आह भरते हुए कोरोव्येव ने फ़ब्ती कसी, “आह, ओह, एख़,” उसने कुछ देर
सोचा और अपने साथी से कहा, “बेगेमोत, खाओ!”
मोटे ने अपना स्टोव बगल में दबाया, ऊपर वाली
नारंगी मुँह में डाली और खा गया, फिर उसने दूसरी की तरफ हाथ बढ़ाया.
सेल्स गर्ल के चेहरे पर भय की लहर दौड़ गई.
“आप
पागल हो गए हैं?” वह चीखी, उसके चेहरे की लाली समाप्त हो रही थी, “रसीद दिखाओ!
रसीद!” और उसने कंफेक्शनरी वाला चिमटा गिरा दिया.
“जानेमन,
प्यारी, सुन्दरी,” कोरोव्येव सिसकारियाँ लेते हुए काउण्टर पर से नीचे झुककर
विक्रेता लड़की को आँख मारते हुए बोला, “आज हमारे पास विदेशी मुद्रा नहीं है...मगर
कर क्या सकते हैं? मगर मैं वादा करता हूँ कि अगली बार सोमवार से पहले ही पूरा नगद
चुका दूँगा. हम यहीं, नज़दीक ही रहते हैं, सादोवाया पर, जहाँ आग लगी है.”
बेगेमोत ने तीसरी नारंगी ख़त्म कर ली थी, और
अब वह चॉकलेटों वाले शेल्फ में अपना पंजा घुसा रहा था; उसने एक सबसे नीचे रखा
चॉकलेट बार बाहर निकाला जिससे सारे चॉकलेट बार्स नीचे गिर पड़े ; उसने अपने वाले
चॉकलेट बार को सुनहरे कवर समेत गटक लिया.
मछली वाले काउण्टर के सेल्स मैन अपने-अपने
हाथों में पकड़े चाकुओं के साथ मानो पत्थर बन गए; गुलाबी जामुनी इन लुटेरों की ओर
मुड़ा, तभी सबने देखा कि बेगेमोत गलत कह रहा था : गुलाबी जामुनी के चेहरे पर किसी चीज़
की कमी होने के स्थान पर एक फालतू चीज़ थी – लटकते गाल और गोल-गोल घूमती आँख़ें.
पूरी तरह पीली पड़ चुकी सेल्स गर्ल डर के
मारे ज़ोर से चीखी, “पालोसिच! पालोसिच!”
कपड़ों वाले विभाग के ग्राहक इस चीख को सुनकर
दौड़े आए, और बेगेमोत कंफेक्शनरी विभाग से हटकर अपना पंजा उस ड्रम में घुसा रहा था
जिस पर लिखा था, ‘बेहतरीन केर्च हैरिंग’. उसने नमक लगी हुई दो मछलियाँ खींचकर
निकालीं और उन्हें निगल गया. पूँछ बाहर थूक दी.
“पालोसिच!”
यह घबराहट भरी चीख दुबारा सुनाई दी, कंफेक्शनरी वाले विभाग से, और मछलियों वाले
काउण्टर का बकरे जैसी दाढ़ी वाला सेल्स मैन गुर्राया, “तुम कर क्या रहे हो, दुष्ट!”
पावेल योसिफोविच फौरन तीर की तरह घटनास्थल
की ओर लपका. यह प्रमुख था उस दुकान का – सफ़ेद, बेदाग एप्रन पहने, जैसा सर्जन लोग
पहनते हैं, साथ में थी पेंसिल, जो उसकी जेब से दिखाई पड़ रही थी. पावेल योसिफोविच,
ज़ाहिर है, एक अनुभवी व्यक्ति था. बेगेमोत के मुँह में तीसरी मछली की पूँछ देखकर
उसने फ़ौरन ही परिस्थिति को भाँप लिया, सब समझ लिया, और उन बदमाशों पर चीखने और
उन्हें गालियाँ देने के बदले दूर कहीं देखकर उसने हाथ से इशारा किया और आज्ञा दी:
“सीटी
बजाओ!”
स्मोलेन्स्क के नुक्कड़ पर शीशे के दरवाज़ों
से दरबान बाहर भागा और भयानक सीटी बजाने लगा.
लोगों ने इन बदमाशों को घेरना शुरू
कर दिया, और तब कोरोव्येव ने मामले को हाथ में लिया.
“नागरिकों!”
कँपकँपाती , महीन आवाज़ में वह चीखा, “यह क्या हो रहा है? हाँ, मैं आपसे पूछता हूँ! गरीब बिचारा आदमी,” कोरोव्येव ने अपनी आवाज़ को और अधिक कम्पित करते हुए कहा और
बेगेमोत की ओर इशारा किया, जिसने अपने शरीर को फौरन सिकोड़ लिया था, “गरीब आदमी,
सारे दिन स्टॉव सुधारता रहता है; वह भूखा था...उसके पास विदेशी मुद्रा कहाँ से आए?”
इस पर आमतौर से शांत और सहनशील रहने वाले
पावेल योसिफोविच ने गम्भीरतापूर्वक चिल्लाते हुए कहा, “तुम यह सब बन्द करो!” और
उसने दूर फिर से इशारा किया जल्दी-जल्दी. तब दरवाज़े के निकट सीटियाँ और ज़ोर से
बजने लगीं.
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