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बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

Master aur Margarita-20.2


मास्टर और मार्गारीटा 20.2
 फेंको! फेंको! मार्गारीटा चिल्लाई, भाड़ में जाए, फेंको! नहीं, ठहरो, उसे तुम मेरी याद की ख़ातिर रख लो. कहती हूँ रख लो, मेरी याद दिलाएगी. कमरे में जो कुछ है, सब ले लो.
नताशा पगला गई. स्तब्ध होकर उसने मार्गारीटा की ओर देखा, फिर उसे चूमते हुए उसकी गर्दन से लटक गई.
 शानदार! चमक रही है! शानदार! भँवें, ओह, भँवें!
 सारे चीथड़े उठा लो, सेंट-इत्र ले लो और अपने बक्से में रख लो, छिपा लो, मार्गारीटा चिल्लाई, मगर कीमती चीज़ें मत लेना, वर्ना तुम पर चोरी का इल्ज़ाम लगेगा.
नताशा ने जो हाथ लगा सब उठा लिया पोशाकें, जूते, स्टॉकिंग्ज़, अंतर्वस्त्र...और वह शयन- कक्ष से बाहर भागी.
तभी सड़क की दूसरी ओर से संगीतमय वाल्ट्ज़ सुनाई दिया, खिड़की के उस ओर से, और फाटक की ओर आती हुए कार की आवाज़ सुनाई दी.
 अब अज़ाज़ेलो फोन करेगा! मार्गारीटा ने उस संगीत को सुनते हुए कहा, वह ज़रूर फोन करेगा! और वह विदेशी बिल्कुल ख़तरनाक नहीं है, हाँ, अब मैं समझ रही हूँ कि वह ज़रा भी ख़तरनाक नहीं है!
कार दूर जाने की आवाज़ सुनाई दी. फाटक बजा और पगडण्डी पर पैरों की आहट सुनाई दी.
 यह निकोलाय इवानोविच है, आहट से ही पहचान गई मैं, मार्गारीटा ने सोचा, जाते-जाते      
कोई दिलचस्प और मज़ाकिया हरकत करना चाहिए.
मार्गारीटा ने परदा हटाया और खिड़की की सिल पर तिरछी होकर बैठ गई, घुटनों पर हाथ रखे. चाँद की रोशनी उसे दाहिनी ओर से आलोकित कर रही थी. मार्गारीटा ने चाँद की ओर चेहरा उठाया और सोच में डूबी, कवियों जैसी मुद्रा से उस ओर देखने लगी. पैरों की आहट कुछ देर बाद रुक गई. चाँद की ओर कुछ देर देखने के बाद, एक गहरी साँस लेकर मार्गारीटा निकोलायेव्ना ने बगीचे की ओर मुँह घुमाया और वहाँ सचमुच उसे दिखाई दिया निकोलाय इवानोविच, जो इसी बिल्डिंग की निचली मंज़िल पर रहता था. चाँद की रोशनी में नहाया हुआ, वह बेंच पर बैठा था, और यह अन्दाज़ लगाना मुश्किल नहीं था कि वह अचानक ही उस पर बैठ गया था. उसकी आँखों का चश्मा कुछ खिसक गया था. उसने अपनी ब्रीफकेस दोनों हाथों में पकड़ रखी थी.
 ओह, नमस्ते, निकोलाय इवानोविच, दुःख भरी आवाज़ में मार्गारीटा ने कहा, आप क्या मीटिंग से लौट रहे हैं?
निकोलाय इवानोविच ने कोई जवाब नहीं दिया, और मैं... मार्गारीटा ने और अधिक खिड़की से झुकते हुए कहा, अकेली बैठी हूँ, देख रहे हैं न? उकता रही हूँ, चाँद की ओर देख रही हूँ और संगीत सुन रही हूँ.
बाएँ हाथ से मार्गारीटा ने अपने बालों की लट को ठीक किया और फिर कुछ खीझकर बोली, यह असभ्यता है, निकोलाय इवानोविच! आख़िर मैं एक महिला हूँ! मेरी बात का जवाब न देना अशिष्टता है!
निकोलाय इवानोविच जिसके भूरे जैकेट की एक-एक बटन तक चाँद की रोशनी में नज़र आ रहा थी, और जिसकी दाढ़ी का एक-एक बाल चमक रहा था, अचानक जंगलीपन से हँस पड़ा. वह बेंच से उठा और घबराहट के मारे, टोपी उतारने के बदले ब्रीफकेस हिलाकर मार्गारीटा का अभिवादन करने लगा. उसके पैर मुड़ गए, और ऐसा लगा मानो वह नृत्य करना चाहता हो.
 ओह, निकोलाय इवानोविच, आप कितने बोर हैं, मार्गारीटा कहती रही, आप सबसे मैं इतनी उकता गई हूँ कि बता नहीं सकती, और मैं इतनी खुश हूँ कि आप सबसे जुदा हो रही हूँ! जहन्नुम में जाएँ आप!
इसी समय मार्गारीटा के शयन-कक्ष में टेलिफोन बज उठा. मार्गारीटा खिड़की की सिल से कूदी और निकोलाय इवानोविच के बारे में भूलकर उसने झट् से टेलिफोन का रिसीवर उठा लिया.
 अज़ाज़ेलो बोल रहा हूँ, रिसीवर से आवाज़ आई.
 प्यारे, प्यारे अज़ाज़ेलो! मार्गारीटा चिल्लाई.
 वक़्त हो गया है! उड़कर बाहर आ जाइए, अज़ाज़ेलो रिसीवर में बोला और उसके लहजे से साफ़ था कि उसे मार्गारीटा की प्रसन्नता भरी चीख अच्छी लगी थी, जब फाटक के ऊपर से उड़ने लगें तो चिल्लाइए: अदृश्य! फिर शहर के ऊपर उड़िए, जिससे कुछ आदत हो जाए, फिर दक्षिण की तरफ़, शहर से बाहर, सीधे नदी पर. आपका इंतज़ार हो रहा है!
मार्गारीटा ने रिसीवर रख दिया, तभी बगल के कमरे में लकड़ी की कोई चीज़ गिरी, फिर दरवाज़े पर दस्तक होने लगी. मार्गारीटा ने दरवाज़ा खोल दिया और फर्श साफ़ करने का ब्रश नाचते-नाचते शयन-कक्ष में उड़कर आया. उसके बाल ऊपर और डण्डा नीचे था. अपने डण्डे से
फर्श पर खटखट करते हुए, वह लेटी अवस्था में खिड़की की ओर बढ़ा. मार्गारीटा प्रसन्नता से चीखी और उछल कर इस ब्रश पर चढ़कर बैठ गई. तभी इस ब्रश-सवार महिला को ख़याल आया कि इस गड़बड़ में वह कपड़े पहनना तो भूल ही गई. वह उछलकर पलंग पर आई और जो हाथ लगा वही उठा लिया. यह आसमानी रंग की कमीज़ थी. उसे बदन पर डालकर वह खिड़की से बाहर उड़ी. बगीचे के ऊपर वाल्ट्ज़ के संगीत की आवाज़ अब और तेज़ हो गई थी.
खिड़की से मार्गारीटा नीचे फिसली और उसने निकोलाय इवानोविच को बेंच पर बैठे देखा. वह मानो उसमें जम गया था, उन चीखों और गड़बड़ को सुनते हुए जो ऊपर वालों के शयन-कक्ष से आ रही थीं.
 अलबिदा, निकोलाय इवानोविच! मार्गारीटा निकोलाय इवानोविच के सामने नाचते हुए बोली.
वह सकते में आ गया और बेंच पर रेंगने लगा, उसे अपने पंजों से पकड़े और ब्रीफकेस को ज़मीन पर मारते हुए.
 अलबिदा सदा के लिए! मैं उड़कर जा रही हूँ, मार्गारीटा ने वाल्ट्ज़ से भी ज़्यादा ज़ोर से चिल्लाकर कहा. तभी उसने महसूस किया कि उसे कमीज़ की कोई ज़रूरत नहीं है और उसने दुष्टता से हँसते हुए उसे निकोलाय इवानोविच के सिर पर डाल दिया. निकोलाय इवानोविच चुँधाते हुए बेंच से ईंटों की पगडण्डी पर गिर पड़ा.
मार्गारीटा ने पीछे मुड़कर आख़िरी बार उस घर को देखा जहाँ वह इतने दिन तड़पी थी और उसने भड़कती हुई आग में विस्मय से विवर्ण होती नताशा का चेहरा देखा.
 अलबिदा, नताशा! मार्गारीटा चिल्लाई और उसने ब्रश खींच लिया, अदृश्य, अदृश्य! उसने और भी ऊँची आवाज़ में कहा और चेहरे को छूती मैपल वृक्ष की शाखों के बीच से फाटक पार कर वह गली में पहुँची. उसके पीछे-पीछे उड़ रहा था पागल कर देने वाला वाल्ट्ज़ का संगीत.
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