लोकप्रिय पोस्ट

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

Master aur Margarita-19.4



मास्टर और मार्गारीटा 19.4
 ठीक है, मेरा नाम है अज़ाज़ेलो, मगर इससे आपको कुछ भी पता नहीं चलेगा.
 आप मुझे नहीं बताएँगे कि आपको उपन्यास के बारे में कैसे पता चला?
 नहीं बताऊँगा, रुखाई से जवाब दिया अज़ाज़ेलो ने.
 मगर आप उसके बारे में कुछ तो जानते हैं? उसकी चिरौरी-सी करती हुई मार्गारीटा बुदबुदाई.
 हाँ, चलिए मान लेते हैं, जानता हूँ.
 मैं विनती करती हूँ, सिर्फ इतना बता दीजिए कि क्या वह ज़िन्दा है? मुझे परेशान न कीजिए!
 हाँ, ज़िन्दा है, ज़िन्दा है, बड़ी बेदिली से अज़ाज़ेलो बोला.
 हे भगवान!
 कृपया परेशानियों और चीखों के बिना बात करें, नाक सिकोड़कर अज़ाज़ेलो ने कहा.
 ओह, माफ़ कीजिए, माफ कीजिए, अब आज्ञाकारी और नम्र पड-अ गई मार्गारीटा ने कहा, मैं आप पर यूँ ही गुस्सा हो गई. मगर यह तो आप भी मानेंगे, कि जब यूँ ही रास्ते पर किसी औरत को निमंत्रित किया जाए तो...मैं पूर्वाग्रह से ग्रसित तो नहीं हूँ, मगर यक़ीन मानिए... मार्गारीटा अप्रसन्नता से हँस पड़ी, मैं कभी किसी विदेशी से मिलती नहीं हूँ और न ही उनसे बात करने की मुझे कोई इच्छा है...और फिर मेरा पति...मेरी कहानी यह है कि मैं रहती उसके साथ हूँ, जिसे प्यार नहीं करती; मगर फिर भी उसकी ज़िन्दगी ख़राब करना उचित नहीं है. मैंने उससे कुछ नहीं पाया, सिवा भलाई और सहृदयता के...
अज़ाज़ेलो उकताहट से यह असम्बद्ध भाषण सुनकर गम्भीरता से बोला, कृपया एक मिनट को चुप रहिए!
मार्गारीटा छोटे बालक की भाँति चुप हो गई.
 मैं आपको ऐसे विदेशी के पास ले जा रहा हूँ, जो आपका ज़रा भी नुकसान नहीं करेगा. और इस बारे में चिड़िया तक को ख़बर नहीं होगी. इस बात का मैं आपसे वादा करता हूँ.
 उसे मेरी ज़रूरत क्यों पड़ गई? कनखियों से देखते हुए मार्गारीटा ने पूछ लिया.
 यह आपको बाद में पता चलेगा.
  समझ गई...मुझे अपने आपको उसके हवाले करना होगा, मार्गारीटा ने सोच में डूबकर कहा.
इस पर अज़ाज़ेलो धृष्ठता से हँस पड़ा और बोला, दुनिया की कोई भी औरत, मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ, इस बात के ख़्वाब देखेगी, अज़ाज़ेलो का चेहरा मुस्कुराहट से टेढ़ा हो गया, मगर मैं आपको निराश करते हुए कहूँगा कि ऐसा नहीं होगा.
कैसा है यह विदेशी! परेशानी में मार्गारीटा इतनी ज़ोर से बोल पड़ी कि आते-जाते लोग उसे मुड़कर देखने लगे, और मुझे उसके पास जाने में क्या दिलचस्पी हो सकती है?
अज़ाज़ेलो उसकी ओर झुककर अर्थपूर्ण स्वर में बोला, दिलचस्पी तो बहुत ज़्यादा है...आप मौके का फ़ायदा उठाएँगी...
 क्या? चीख पड़ी मार्गारीटा और उसकी आँखें गोल-गोल हो गईं, अगर मैं आपको सही समझ रही हूँ, तो आप इस ओर इशारा कर रहे हैं, कि वहाँ मैं उसके बारे में जान सकूँगी?
अज़ाज़ेलो ने चुपचाप सिर हिलाया.
 चलूँगी! मार्गारीटा पूरी ताकत से चहकी और अज़ाज़ेलो का हाथ पकड़कर बोली, चलूँगी, जहाँ चाहे ले चलो!
अज़ाज़ेलो राहत की साँस लेकर बेंच की पीठ से टिक गया, उसने पीठ से बेंच पर लिखे गए नाम न्यूरा को छिपा दिया और व्यंग्यपूर्वक बोला, ये औरतें भी मुसीबत होती हैं! उसने जेबों में हाथ डालकर पैर फैला लिए, मुझे ही, मिसाल के तौर पर, इस काम के लिए क्यों भेजा गया! बेगेमोत भी आ सकता था, वह हर जगह फिट हो जाता है...
मार्गारीटा दयनीयता से मुस्कुराती हुई बोली, आप मुझे सम्मोहित करना और अपनी पहेलियों से दुःखी करना बन्द कीजिए...मैं एक दुःखी व्यक्ति हूँ, और आप इसका फ़ायदा उठा रहे हैं...मैं किसी लफ़ड़े में पड़ने जा रही हूँ, मगर कसम से कहती हूँ, सिर्फ उसी की ख़ातिर; क्योंकि आपने उसके बारे में बताकर मुझे कुछ आशा दी है! मेरा तो इन बेसिर-पैर की बातों से सिर चकराने लगा है...
 नाटक नहीं, नाटक नहीं, मुँह बनाते हुए अज़ाज़ेलो बोला, मेरी भी हालत पर गौर कीजिए. व्यवस्थापक को तमाचा मारना, या मामा को घर से बाहर भगा देना, या किसी पर गोली चलाना या इसी तरह की कोई और हल्की-फुल्की हरकत करना यह मेरी विशेषता है; मगर प्यार करने वाली औरतों से बातें करना, माफ़ कीजिए! मैं आपको आधे घण्टे से मना रहा हूँ...तो, आप चलेंगी?
 चलूँगी, मार्गारीटा निकोलायेव्ना ने सीधा-सा जवाब दिया.
 तब मेहरबानी करके यह लीजिए, अज़ाज़ेलो ने जेब से सोने की एक गोल डिबिया मार्गारीटा की ओर बढ़ाते हुए कहा, हाँ, इसे छिपा लीजिए, वर्ना आने-जाने वाले देख लेंगे. आपको इसकी ज़रूरत पड़ेगी, मार्गारीटा निकोलायेव्ना आप पिछले छह महीनों में दुःख के कारण काफ़ी बुढ़ा गई हैं.
 मार्गारीटा लाल हो गई, मगर कुछ न बोली और अज़ाज़ेलो कहता रहा, आज रात को, ठीक साढ़े नौ बजे, पूरी तरह निर्वस्त्र होकर इस क्रीम को चेहरे पर और पूरे शरीर पर मलिए. उसके बाद, जो चाहे कीजिए, मगर टेलिफोन से दूर न हटिए. दस बजे मैं आपको फोन करके बताऊँगा कि आगे क्या करना है. आपको कुछ भी नहीं करना पड़ेगा, आपको इच्छित जगह ले जाया जाएगा और आपको कोई तकलीफ़ भी नहीं होगी. समझ गईं?
मार्ग़ारीटा कुछ देर चुप रही, फिर बोली, समझ गई. यह चीज़ खरे सोने से बनी है, वज़न से ही पता चल रहा है. मैं अच्छी तरह समझ रही हूँ कि मुझे ख़रीदा जा रहा है और बाद में किसी काले धन्धे में डाला जाएगा जिसकी मुझे बड़ी भारी कीमत चुकानी पडेगी.
 यह क्या हो गया? अज़ाज़ेलो ने फुफकारते हुए कहा, आप फिर से?
 नहीं, रुकिए!
 क्रीम वापस दे दीजिए.
मार्गारीटा ने उस डिबिया को कसकर पकड़ लिया और आगे बोली, नहीं, रुकिए!...मुझे मालूम है कि मैं क्या करने जा रही हूँ. मगर यह सब सिर्फ उसी के लिए है. मुझे दुनिया में किसी और चीज़ की कोई उम्मीद नहीं है. मगर मैं आपसे कहना चाहूँगी कि यदि आपने मुझे मार डाला तो आपको शर्मिन्दगी उठानी पडेगी! हाँ, शर्मिन्दगी! मैं प्यार के लिए मरने जा रही हूँ! और मार्गारीटा ने दिल पर हाथ मारते हुए सूरज की ओर देखा.
 वापस दे दीजिए, अज़ाज़ेलो गुस्से से फुफकारा, वापस दे दीजिए, भाड़ में जाए यह सब! बेगेमोत को ही भेजें तुम्हारे पास.
 ओह, नहीं! मार्गारीटा आने-जाने वालों को चौंकाते हुए बोली, मैं सब कुछ करने के लिए तैयार हूँ, क्रीम लगाने वाली कॉमेडी करने के लिए भी तैयार हूँ, शैतान के पास भी जाने के लिए तैयार हूँ. नहीं दूँगी!
ब्बा! एकदम अज़ाज़ेलो दहाड़ा और बगीचे की दीवार की ओर आँखें फाड़कर देखते हुए उसने किसी ओर इशारा किया.
मार्गारीटा ने उधर मुड़कर देखा, जिधर अज़ाज़ेलो ने इशारा किया था और वहाँ कोई ख़ास चीज़ न देखकर वापस उसकी ओर मुड़ी, ताकि उससे इस अचानक फूट पड़े ब्बा! का मतलब पूछ सके, मगर मतलब समझाने वाला वहाँ कोई था ही नहीं: मार्गारीटा निकोलायेव्ना का रहस्यमय साथी गायब हो चुका था. मार्गारीटा निकोलायेव्ना ने जल्दी से पर्स में हाथ डालकर देखा, जहाँ उसने इस चीख से पहले वह डिबिया छिपाई थी. उसे विश्वास हो गया कि डिबिया वहीं थी. तब बिना कुछ और सोचे मार्गारीटा जल्दी-जल्दी अलेक्साण्डर गार्डन से बाहर की ओर भागी.
**********

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.