मास्टर और मार्गारीटा – 22.3
“हाँ, तो अगर आप इतनी सम्मोहक और सहृदय हैं,” वह बोला, “और मैंने यही उम्मीद भी की थी, तो चलिए, बिना किसी प्रस्तावना और तामझाम के...” वह फिर झुका और पलंग के नीचे देखते हुए चिल्लाया, “यह सर्कस कितनी देर पलंग के नीचे चलती रहेगी? बाहर निकलो, सिरफिरे हैन्स!”
“घोड़ा नहीं मिल रहा,” दबी और बनावटी आवाज़ में पलंग के नीचे से बिल्ला बोला, “न जाने छलाँग मारकर कहाँ भाग गया और उसकी जगह पर मेंढ़क बोल रहा है.”
“तुम यह तो नहीं सोच रहे न, कि मेले में हो?” गुस्से का अभिनय करते हुए वोलान्द ने पूछा, “पलंग के नीचे कोई मेंढ़क-वेंढ़क नहीं है! इन सस्ती हरकतों को वेराइटी के लिए ही रहने दो. अगर तुम एकदम बाहर नहीं निकले, तो हम समझ लेंगे कि तुमने हार मान ली, बेशरम भगोड़ा!”
“किसी हालत में नहीं, मालिक!” बिल्ला दहाड़ा और फौरन पलंग के नीचे से निकल आया, उसके पंजे में घोड़ा था.
“इनसे मिलिए...” वोलान्द कहने ही वाला था. मगर उसने अपनी ही बात काटते हुए कहा, “नहीं, मैं इस जोकर को नहीं देख सकता. देखिए, इसने पलंग के नीचे अपनी क्या हालत बना ली है?”
इस दौरान धूल से सने बिल्ले ने पिछले पैरों पर खड़े होकर मार्गारीटा का अभिवादन कर दिया था. अब बिल्ले की गर्दन में सफ़ेद बो-टाई लटक रही थी, और सीने पर डोरी से औरतों की दूरबीन लटक रही थी. बिल्ले की मूँछें भी सुनहरी हो गई थीं.
“यह क्या हरकत है!” वोलान्द विस्मय से बोला, “तुमने मूँछें सुनहरी क्यों कर लीं? और तुम्हें टाई की ज़रूरत क्यों पड़ गई, अगर तुमने पैंट ही नहीं पहनी है?”
“बिल्ले को पैंट की ज़रूरत नहीं है, मालिक,” बिल्ले ने बड़ी शालीनता से उत्तर दिया, “आप कहीं मुझे जूते भी पहनने के लिए तो नहीं कहेंगे? जूतों वाली बिल्ली तो सिर्फ परीकथाओं में होती है मालिक! मगर कभी आपने नृत्य उत्सव में किसी को बिना टाई के देखा है? मैं जोकर नहीं बनना चाहता और यह भी नहीं चाहूँगा कि कोई मुझे गर्दन पकड़कर बाहर निकाल दे! हर आदमी अपने आपको सजाता ही है, जो भी मिले उसी से. यही बात दूरबीन के बारे में भी है, महाशय!”
“मगर मूँछें?...”
“मैं समझ नहीं पा रहा,” बड़ी रुखाई से बिल्ले ने विरोध किया, “आज दाढ़ी बनाते समय अज़ाज़ेलो और कोरोव्येव ने सफ़ेद पाउडर क्यों लगाया, वह सुनहरे से बेहतर कैसे हो गया? मैंने भी अपनी मूँछों पर पाउडर लगाया, बस! हाँ, अगर मैं दाढ़ी बनाता होता, तो और बात थी! दाढ़ी वाला बिल्ला – यह सचमुच बेहूदगी होती, मैं यह बात हज़ार बार मानने के लिए तैयार हूँ. मगर आमतौर से,” बिल्ले ने अपमानित महसूस करते हुए कहा, “मैं देख रहा हूँ कि मेरे बारे में कुछ पूर्वाग्रह हैं, और अब मेरे सामने एक गंभीर समस्या है कि मैं नृत्योत्सव में जाऊँ या न जाऊँ? आपका क्या ख़याल है, मालिक?”
और बिल्ला आहत होकर ऐसे बिसूरने लगा, मानो बस एक ही क्षण में ज़ोर से रो पड़ेगा.
“ओह, बदमाश, बदमाश!” सिर हिलाते हुए वोलान्द ने कहा, “हर बार जब वह हारने की स्थिति में होता है, तो वह इस तरह बात करता है, मानो कोई सड़क छाप गुण्डा हो. जल्दी से बैठ जाओ, और यह बकवास बन्द करो.”
“मैं बैठ जाता हूँ,” बैठते हुए बिल्ला बोला, “मगर अंतिम बात का विरोध करता हूँ. मेरी बातें बिल्कुल बकवास नहीं हैं, जैसा कि आपने एक महिला की उपस्थिति में कहा, बल्कि यह तो ख़ूबसूरती से जमाए शब्दों में प्रस्तुत तर्क है, जिनकी प्रशंसा तो सेक्स्त एम्पिरिक जैसे भाषाविद् ही कर सकते हैं, मार्त्सिआन कापेल्ला और ख़ुद अरस्तू भी उनका सही-सही मूल्यांकन करते हैं.”
“राजा को शह,” वोलान्द बोला.
“शौक से, शौक से,” बिल्ले ने कहा और वह दूरबीन से शतरंज के बोर्ड को देखने लगा.
“तो अब,” वोलान्द मार्गारीटा की ओर मुखातिब हुआ, “आपका अपनी पलटन से परिचय करवाऊँ. यह बेवकूफ का ढोंग कर रहा बिल्ला – बेगेमोत है. अज़ाज़ेलो और कोरोव्येव से आप पहले ही मिल चुकी हैं. यह है मेरी सेविका, हैला! चुस्त, समझदार और ऐसा कोई काम नहीं है, जो यह न कर सके.”
सुन्दरी हैला, मार्गारीटा को अपनी हरी आँखों से देखते हुए मुस्कुराई और इस बीच उसने मालिक के घुटने पर उबटन मलना भी जारी रखा.
“बस, इतने ही हैं,” वोलान्द बोला. उसने भँवें सिकोड़ लीं, जब हैला ने काफ़ी ज़ोर से उसका घुटना दबाया, “आप देख रही हैं, पलटन छोटी-सी है, मिली-जुली है और चालाक नहीं है.” वह चुप होकर अपने सामने पड़े गोल को घुमाने लगा, जो इतनी ख़ूबसूरती से बनाया गया था, कि उसमें दिखाए गए नीले सागर हिलोरें ले रहे थे, और गोल के ध्रुव की टोपी बिल्कुल सचमुच की, हिम की प्रतीत होती थी.
इस बीच शतरंज के बोर्ड पर भगदड़ मच गई. पूरी तरह हैरान, परेशान सफ़ेद राजा अपने खाने पर धमाचौकड़ी मचा रहा था, निराशा में हाथ ऊपर उठा-उठाकर कूद रहा था. तीन सफ़ेद पैदल प्यादे परेशानी से उस बिशप की ओर देख रहे थे, जो तलवार घुमाते हुए उस ओर इशारा कर रहा था, जहाँ बगल के काले और सफ़ेद खानों में वोलान्द के काले सवार दिखाई दे रहे थे, जो दो फुर्तीले, खानों को खुरों से खुरचते घोड़ों पर सवार थे.
मार्गारीटा को काफ़ी दिलचस्पी महसूस हो रही थी. उसे यह देखकर एक झटका-सा लगा कि ये सभी मोहरें जीवित थे.
बिल्ले ने दूरबीन आँखों से हटा ली और हौले से अपने राजा की पीठ पर एक हाथ जमा दिया. उसने लज्जावश अपना मुँह हाथों में छिपा लिया.
“हाल बुरा है, प्यारे बेगेमोत,” कोरोव्येव ने हौले से मगर ज़हरीली आवाज़ में कहा.
“हालत शोचनीय है, मगर एकदम निराशाजनक भी नहीं,” बेगेमोत ने जवाब दिया, “फिर मुझे पूरा विश्वास है कि आख़िर में जीत मेरी ही होगी. बस, स्थिति का ध्यान से जायज़ा लेना पड़ेगा.”
स्थिति का अध्ययन उसने बड़े अजीब तरीके से करना शुरू कर दिया. अजीब-अजीब ढंग से मुँह बनाते हुए वह राजा को आँख मारता रहा.
“कोई फ़ायदा नहीं होगा,” कोरोव्येव ने फ़ब्ती कसी.
“आँय!” बेगेमोत चिल्लाया, “तोते उड़ गए, जैसा मैंने पहले ही कहा था.
सचमुच, दूर, कहीं दूर, हज़ारों पंखों के फड़फड़ाने की आवाज़ सुनाई दी. कोरोव्येव और अज़ाज़ेलो बाहर की ओर भागे.
“और, तुम अपनी नृत्य उत्सव की सनकों के साथ भाड़ में जाओ!” वोलान्द अपने गोल से आँखें हटाए बिना बरसा.
जैसी ही कोरोव्येव और अज़ाज़ेलो आँखों से ओझल हुए, बेगेमोत अपने राजा को और ज़ोर से आँख मारने लगा. सफ़ेद राजा आख़िरकार समझ ही गया कि उससे किस बात की उम्मीद की जा रही है. उसने अपना चोगा उतारकर उसे चौखाने पर फेंक दिया और बोर्ड छोड़कर भाग गया. बिशप ने राजा का फेंका हुआ चोगा पहन लिया और स्वयँ राजा के स्थान पर खड़ा हो गया. कोरोव्येव और अज़ाज़ेलो वापस लौटे.
“झूठ, हमेशा की तरह,” अज़ाज़ेलो ने बेगेमोत को छूते हुए शिकायत के स्वर में कहा.
“मुझे सुनाई दिया था,” बिल्ले ने जवाब दिया.
“तो, यह बहुत देर चलेगा?” वोलान्द ने पूछा, “शह, राजा को.”
“शायद, मैंने गलत सुना, मेरे मालिक,” बिल्ले ने जवाब दिया, “शह राजा को नहीं मिली है, और मिल भी नहीं सकती.”
“मैं फिर से कहता हूँ, राजा को शह है!”
“मालिक,” झूठमूठ उत्तेजित होते हुए बिल्ले ने कहा, “आप शायद बहुत थक गए हैं. राजा को शह नहीं है!”
“राजा G2 नंबर के खाने पर है,” वोलान्द ने बोर्ड की ओर देखे बिना कहा.
“मालिक, मुझे डर है,” बिल्ला बिसूरा; उसने डर का अभिनय करते हुए आगे कहा, “इस खाने पर राजा नहीं है.”
“यह क्या बात हुई?” वोलान्द ने अविश्वास से पूछा और बोर्ड की ओर देखने लगा, जहाँ राजा के स्थान पर खड़े बिशप ने मुँह फेरकर हाथों में छिपा लिया था.
“ओह, तुम, कमीने,” वोलान्द ने सोच में डूबकर कहा.
“मालिक! मैं फिर तर्क का सहारा लेता हूँ,” बिल्ला सीने पर हाथ रखकर बोलने लगा, “अगर खिलाड़ी कहे कि राजा को शह मिली है और इस बीच राजा बोर्ड पर ही न दिखाई दे, तो शह नहीं मानी जाएगी!”
“तुम हार मानते हो या नहीं?” वोलान्द ख़ौफ़नाक आवाज़ में चिल्लाया.
“कृपया, सोचने दीजिए,” शांति से बिल्ले ने जवाब दिया, और मेज़ पर कोहनियाँ टिका दीं, कान हाथों से बन्द कर लिए और सोचने लगा. वह बड़ी देर तक सोचता रहा और आख़िर में बोला, “हार मानता हूँ.”
“इस ज़िद्दी कचरे को मार डालो,” अज़ाज़ेलो फुसफुसाया.
“हाँ, हार मानता हूँ,” बिल्ला बोला, “मगर हार सिर्फ इसलिए मान रहा हूँ कि जलने वालों की जली-कटी सुनते हुए खेल नहीं सकता!” वह उठा और शतरंज के मोहरे अपने आप बक्से में चले गए.
“हैला, वक़्त हो गया,” वोलान्द ने कहा और हैला कमरे से गायब हो गई.
“पैर में दर्द है और यह नृत्योत्सव आ रहा है,” वोलान्द ने आगे कहा.
“मुझे इजाज़त दीजिए,” हौले से मार्गारीटा ने विनती की.
वोलान्द ने एकटक उसकी ओर देखा और अपना घुटना उसकी ओर बढ़ा दिया. लावे की तरह गरम लेप हाथ जला रहा था, मगर मार्गारीटा ने चेहरे पर शिकन लाये बिना, हल्के से, उसे घुटने पर मलना शुरू किया.
क्रमशः
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