मास्टर और मार्गारीटा – 25.3
इस पर मेहमान का चेहरा लाल हो गया. वह उठकर न्यायाधीश का झुककर अभिवादन कर कहने लगा, “मैं तो सिर्फ सम्राट के प्रति अपने कर्त्तव्य का पालन करता हूँ.
“मगर मैं आपसे विनती करने वाला था,” महाबली ने आगे कहा, “यदि आपको तरक्की देकर किसी दूसरी जगह भेजा जाए तो मना कर दीजिए और यहीं रहिए. मैं आपसे अलग होना नहीं चाहता. बेशक, आपको किसी और तरह से पुरस्कृत किया जाए.”
“मुझे आपके अधीन सेवा करने में बड़ी प्रसन्नता होगी, महाबली.”
“मैं खुश हुआ, तो, अब, दूसरा सवाल. इसका सम्बन्ध उससे है, क्या नाम...हाँ, किरियाफ के जूडा से.”
अब मेहमान ने अपने विशिष्ट अन्दाज़ में न्यायाधीश की ओर देखा और, जैसाकि स्वाभाविक था, फौरन नज़र झुका ली.
“कहते हैं कि,” आवाज़ नीची करते हुए न्यायाधीश ने कहा, “उसने इस सिरफिरे दार्शनिक को अपने यहाँ रखने के लिए पैसे लिए थे?”
“पैसे मिलेंगे,” गुप्तचर सेवा के प्रमुख ने धीमे स्वर में जवाब दिया.
“क्या बहुत बड़ी रकम है?”
“यह किसी को पता नहीं, महाबली.”
“आपको भी नहीं?” महाबली ने आश्चर्य से पूछा.
“हाँ, मुझे भी नहीं,” मेहमान ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया, “मगर मुझे इतना मालूम है कि उसे ये पैसे आज मिलने वाले हैं. उसे आज कैफ के महल में बुलाया जाने वाला है.”
“ओह, किरियाफ का लालची बूढ़ा,” मुस्कुराते हुए महाबली ने फब्ती कसी, “वह बूढ़ा है न?”
“न्यायाधीश कभी गलती नहीं करते, मगर इस बार आपका अनुमान सही नहीं है,” मेहमान ने प्यार से जवाब दिया, “किरियाफ का वह आदमी नौजवान है.”
“ऐसा न कहिए! आप उसका विवरण मुझे दे सकते हैं? वह सिरफिरा है?”
“ओफ, नहीं, न्यायाधीश!”
“अच्छा. और कुछ?”
“बहुत खूबसूरत है.”
“और? शायद कोई शौक रखता है? कोई कमज़ोरी?”
“इतने बड़े शहर में सबको अच्छी तरह जानना बहुत मुश्किल है, न्यायाधीश...”
“ओह नहीं, नहीं, अफ्रानी! अपनी योग्यता को इतना कम मत आँको!”
“उसकी एक कमज़ोरी है, न्यायाधीश,” मेहमान ने कुछ देर रुककर कहा, “पैसों का लोभ.”
“और वह करता क्या है?”
अफ्रानी ने आँखें ऊपर उठाईं, कुछ देर सोचकर बोला, “वह अपने एक रिश्तेदार की दुकान पर काम करता है, जहाँ सूद पर पैसे दिए जाते हैं.”
“ओह, अच्छा, अच्छा, अच्छा, अच्छा!” अब न्यायाधीश चुप हो गया, उसने नज़रें घुमाकर देखा कि बाल्कनी में कोई है तो नहीं, तत्पश्चात् हौले से बोला, “अब सुनिए खास बात...मुझे आज खबर मिली है कि उसे आज रात को मार डाला जाएगा.”
अब मेहमान ने न केवल अपनी खास नज़र न्यायाधीश पर डाली, बल्कि कुछ देर तक उसे वैसे ही देखता रहा और फिर बोला, “आपने न्यायाधीश, दिल खोलकर मेरी तारीफ कर दी. मेरे ख़याल से मैं उसके योग्य नहीं हूँ, मेरे पास ऐसी कोई खबर नहीं है.”
“आपको तो सर्वोच्च पुरस्कार मिलना चाहिए,” न्यायाधीश ने जवाब दिया, “मगर ऐसी सूचना अवश्य मिली है.”
“क्या मैं पूछने का साहस कर सकता हूँ कि यह खबर आपको किससे मिली?”
“अभी आज यह बताने के लिए मुझे मजबूर न कीजिए, खास तौर से तब, जब वह अकस्मात् मिली है और उसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है. मगर मुझे सभी सम्भावनाओं पर नज़र रखनी है. यही मेरा कर्त्तव्य है और मैं भविष्य में घटने वाली घटनाओं के पूर्वाभास को अनदेखा नहीं कर सकता, क्योंकि उसने आज तक मुझे कभी धोखा नहीं दिया है. सूचना यह मिली है, कि हा-नोस्त्री के गुप्त मित्रों में से एक, इस सूदखोर की कृतघ्नता से क्रोधित होकर, उसे आज रात को ख़त्म कर देने के बारे में अपने साथियों के साथ योजना बना रहा है, और वह इस बेईमानी के पुरस्कार स्वरूप मिली धनराशि को धर्मगुरू के सामने इस मज़मून के साथ फेंकने वाला है: ‘पाप के पैसे वापस लौटा रहा हूँ’!”
इसके बाद गुप्तचर सेवाओं के प्रमुख ने महाबली पर एक भी बार अपनी विशेष नज़र नहीं डाली और आँखें सिकोड़े उसकी बात सुनता रहा. पिलात कहता रहा, “सोचिए, क्या धर्मगुरू को उत्सव की रात में ऐसी भेंट पाकर प्रसन्नता होगी?”
मुस्कुराते हुए मेहमान ने जवाब दिया, “न केवल अप्रसन्नता होगी, बल्कि मेरे ख़याल में तो इसके फलस्वरूप एक बड़ा विवाद उठ खड़ा होगा.”
“मैं खुद भी ऐसा ही सोचता हूँ. इसीलिए मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि इस ओर ध्यान दीजिए, मतलब किरियाफ के जूडा की सुरक्षा का प्रबन्ध कीजिए.”
“महाबली की आज्ञा का पालन होगा,” अफ्रानी ने कहा, “मगर मैं महाबली को सांत्वना देना चाहूँगा: इन दुष्टों का षड्यंत्र सफल होना मुश्किल है!” कहते-कहते मेहमान पीछे मुड़ गया और बोलता रहा, “सिर्फ सोचिए, एक आदमी का पीछा करना, उसे मार डालना, यह मालूम करना कि उसे कितना धन मिला है, यह धन कैफ को वापस भेजने का दुःसाहस करना, और यह सब एक रात में? आज?”
“हाँ, खास बात यही है कि वह आज ही मार डाला जाएगा,” ज़िद्दीपन से पिलात ने दुहराया, “मुझे पूर्वाभास हुआ है, मैं आपसे कह रहा हूँ! कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि उसने मुझे धोखा दिया हो,” अब न्यायाधीश के चेहरे पर सिहरन दौड़ गई, और उसने फौरन अपने हाथ मले.
“सुन रहा हूँ,” मेहमान ने नम्रता से कहा, वह उठकर सीधी खड़ा हो गया और अचानक गम्भीरता से पूछने लगा, “तो मार डालेंगे, महाबली?”
“हाँ,” पिलात ने जवाब दिया और मुझे केवल आपकी आश्चर्यजनक कार्यदक्षता पर भरोसा है.”
मेहमान ने कोट के नीचे अपना भारी पट्टा ठीक किया और बोला, “मैं सम्मानित हुआ, आपके स्वास्थ्य और खुशी की कामना करता हूँ.”
“ओह, हाँ,” पिलात धीरे से चहका, “मैं तो बिल्कुल भूल ही गया! मुझे आपको कुछ लौटाना है!...”
मेहमान परेशान हो गया.
“नहीं, न्यायाधीश आपको मुझे कुछ नहीं देना है.”
“ऐसे कैसे नहीं देना है! जब मैं येरूशलम में आया, याद कीजिए, भिखारियों की भीड़...मैं उन्हें पैसे देना चाहता था, मगर मेरे पास नहीं थे, तब मैंने आपसे लिए थे.”
“ओह, न्यायाधीश, आप कहाँ की फालतू बात ले बैठे!”
“फालतू बातों को भी याद रखना ही पड़ता है.”
पिलात मुड़ा, उसने अपने पीछे की कुर्सी पर पड़ा अपना कोट उठाया, उसमें से चमड़े का बैग निकाला और उसे मेहमान की ओर बढ़ा दिया. वह झुका, और उसे लेकर अपने कोट के अन्दर छिपा लिया.
“मुझे दफनाने के विवरण का इंतज़ार रहेगा, साथ ही किरियाफ के जूडा के मामले के बारे में भी मुझे आज ही रात को बताओ. सुन रहे हो, अफ्रानी, आज ही. पहरेदार को मुझे जगाने की आज्ञा दे दी जाएगी...जैसे ही आप आएँगे. मुझे आपका इंतज़ार रहेगा.
“मैं सम्मानित हुआ!” गुप्तचर सेवाओं के प्रमुख ने कहा और वह मुड़कर बाल्कनी से चला गया. गीली रेत पर उसके जूतों की चरमराने की आवाज़ आती रही; फिर संगमरमरी सिंहों के बीचे के फर्श पर उनकी खट्-खट् सुनाई दी; फिर उसके पैर, धड़ और अंत में टोप भी आँखों से ओझल हो गए. अब जाकर न्यायाधीश ने देखा कि सूर्य कब का डूब चुका है और अँधेरा छा रहा है.
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