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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

Master aur Margarita-24.5


मास्टर और मार्गारीटा 24.5
अब खुले दरवाज़े से भागती हुए नताशा अन्दर आई, वैसी ही वस्त्रहीन, हाथ नचाती; मार्गारीटा से चिल्लाकर बोली, खुश रहिए, मार्गारीटा निकोलायेव्ना! उसने सिर झुकाकर मास्टर का अभिवादन किया और फिर से मार्गारीटा की ओर देखकर बोली, मुझे तो मालूम था कि आप कहाँ जाती हैं!
 नौकरानियाँ सब जानती हैं बिल्ले ने फ़ब्ती कसी और अर्थपूर्ण ढंग से पंजा हिलाते हुए बोला, यह सोचना गलत है वे अन्धी होती हैं.
 तुम क्या चाहती हो, नताशा? मार्गारीटा ने पूछा, उस आलीशान घर में वापस लौट जाओ.
 मेरी जान, मार्गारीटा निकोलायेव्ना, नताशा ने विनती करते हुए कहा और वह घुटनों पर खड़ी हो गई, उनसे कहिए, उसने वोलान्द की ओर कनखियों से देखा, कि मुझे चुडैल ही रहने दें. मैं वापस वह आलीशान भवन नहीं चाहती. न तो मैं इंजीनियर से, न ही मेकैनिक से ब्याह करूँगी! कल श्रीमान जैक ने नृत्योत्सव में मेरे सामने शादी का प्रस्ताव रखा. नताशा ने अपनी मुट्ठी खोलकर कुछ सोने के सिक्के दिखाए.
मार्गारीटा ने प्रश्नार्थक दृष्टि से वोलान्द की ओर देखा. उसने सिर हिलाया. तब नताशा मार्गारीटा के कन्धे पर झुकी, और ज़ोर से उसे चूमकर खुशी से चिल्लाते हुए खिड़की से बाहर उड़ गई.
नताशा के स्थान पर अब निकोलाय इवानोविच दिखाई दिया. वह अपने मानव रूप में वापस आ चुका था, मगर काफी दुःखी और निराश दिखाई देता था.
 इन्हें तो मैं काफी खुशी से यहाँ से बिदा करूँगा, वोलान्द ने घृणा से निकोलाय इवानोविच की ओर देखते हुए कहा, बहुत ही खुशी से, क्योंकि इनकी यहाँ कोई ज़रूरत नहीं है.
 मैं आपसे विनती करता हूँ, कृपया मुझे एक सर्टिफिकेट दें, गुस्से से इधर-उधर देखते हुए और उलाहने से निकोलाय इवानोविच बोला, यह बताते हुए कि मैंने कल का दिन कहाँ गुज़ारा.
 किस उद्देश्य से? बिल्ले ने गंभीरता से पूछा.
 पुलिस वालों को और बीवी को दिखाने के लिए, दृढ़तापूर्वक निकोलाय इवानोविच ने कहा.
 आमतौर से हम सर्टिफिकेट देते नहीं हैं, बिल्ला नाक-भौं चढ़ाते हुए बोला, मगर आप के लिए दे देंगे.
और इससे पहले कि निकोलाय इवानोविच सँभले, निर्वस्त्र हैला टाइपराइटर पर बैठ गई, और बिल्ला उसे इमला लिखवाने लगा, प्रमाणित किया जाता है कि इस प्रमाण-पत्र के धारक निकोलाय इवानोविच ने उक्त रात शैतान के नृत्योत्सव में गुज़ारी, जहाँ उसे एक वाहन के रूप में ले जाया गया...हैला, ब्रेकेट लगाओ! ब्रेकेट में लिखो सूअर. हस्ताक्षर बेगेमोत.
 और तारीख? निकोलाय इवानोविच फिसफिसाया.
 तारीख नहीं डालेंगे, तारीख डालने से प्रमाण-पत्र बेकार हो जाएगा, बिला बोला. उसने कागज़ हिलाया, कहीं से सील लाया, उस पर कायदे से फूँक मारी, उसे कागज़ पर लगाया और कागज़ निकोलाय इवानोविच की ओर बढ़ा दिया. इसके बाद निकोलाय इवानोविच ऐसे गायब हुआ, जैसे गधे के सिर से सींग. उसकी जगह प्रकट हुआ एक नया, अप्रत्याशित व्यक्ति.
 यह और कौन आया? वोलान्द ने हाथ से मोमबत्ती की रोशनी से बचते हुए झटके से पूछा.
वारेनूखा ने सिर लटकाया, गहरी साँस लेकर धीरे से बोला, मुझे वापस भेज दीजिए. मैं पिशाच नहीं बन सका. उस समय मैंने हैला के साथ मिलकर रीम्स्की को मौत के मुँह में करीब-करीब भेज ही दिया था! मगर मैं खून का प्यासा नहीं हूँ. मुझे छोड़ दीजिए.
 यह क्या बकवास है? वोलान्द ने माथे पर बल डालते हुए पूछा, यह रीम्स्की कौन है? क्या गड़बड़ है?
 आप परेशान न हों, मालिक, अज़ाज़ेलो बोला और वारेनूखा से मुख़ातिब हुआ, टेलिफोन पर गुण्डागर्दी मत करना. टेलिफोन पर झूठ मत बोलना. समझ में आया? फिर कभी ऐसा तो नहीं करोगे?
खुशी के मारे वारेनूखा पगला गया. उसका चेहरा चमक उठा. बिना यह समझे कि क्या बोल रहा है, वह बड़बड़ाने लगा, सच्ची में...मैं, यानी कि कहना चाहता हूँ, महा...अभी खाने के बाद... वारेनूखा ने सीने पर हाथ रखकर याचना के भाव से अज़ाज़ेलो की ओर देखा.
 ठीक है, घर जाओ! उसने जवाब दिया और वारेनूखा हवा में पिघल गया.
 अब मुझे इनके साथ अकेला छोड़ दो, वोलान्द ने मास्टर और मार्गारीटा की ओर इशारा करते हुए आज्ञा दी.
वोलान्द की आज्ञा का तुरंत पालन किया गया. कुछ देर की खामोशी के बाद वोलान्द मास्टर से मुख़ातिब हुआ.
 तो, अर्बात के तहखाने वाले कमरे में? और लिखेगा कौन? और सपने? प्रेरणा?
 मेरे पास अब कोई सपना नहीं है, प्रेरणा भी नहीं है. मास्टर ने जवाब दिया, मुझे अब किसी चीज़ में कोई दिलचस्पी नहीं है, सिर्फ इसे छोड़कर, उसने फिर मार्गारीटा के सिर पर हाथ रखा, मुझे उन्होंने तोड़ दिया है, मैं उकता गया हूँ और मैं वापस तहख़ाने में जाना चाहता हूँ.
 और आपका उपन्यास, पिलात?
 मुझे नफरत है उस उपन्यास से, मास्टर ने जवाब दिया, उसके कारण मुझे बहुत दुख झेलना पड़ा है.
 मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ, मार्गारीटा ने दुखी होकर कहा, ऐसा मत कहो. तुम मुझे क्यों सता रहे हो? तुम्हें अच्छी तरह मालूम है कि तुम्हारे इस काम में मैंने अपनी सारी ज़िन्दगी दाँव पर लगा दी है. मार्गारीटा ने अब वोलान्द की ओर मुड़कर कहा, आप इसकी बात न सुनिए, महाशय! यह बहुत दुखी है.
 मगर कुछ तो लिखना ही होगा न? वोलान्द ने कहा, अगर आप न्यायाधीश के बारे में लिख चुके हैं, तो कम से कम इस अलोइज़ी के बारे में ही लिख डालिए...
मास्टर मुस्कुराया.
 उसे तो लाप्शोन्निकोवा छापेगी नहीं और फिर वह दिलचस्प भी नहीं है.
 मगर आप ज़िन्दा कैसे रहेंगे? भीख माँगनी पड़ सकती है.
 खुशी से, खुशी से, मास्टर ने कहा और मार्गारीटा को खींचकर अपने आलिंगन में ले लिता, वह समझ जाएगी, मुझसे दूर चली जाएगी...
 मैं ऐसा नहीं सोचता, वोलान्द मुँह ही मुँह में बुदबुदाया और आगे बोला, पोंती पिलात का इतिहास लिखने वाला आदमी तहखाने में जाएगा, इस उद्देश्य से कि वह लैम्प के पास बैठा रहे और भूखा मरे.
मास्टर से दूर हटकर मार्गारीटा गुस्से से बोली, मैंने वह सब किया, जो कर सकती थी. और मैंने उसके कानों में सबसे अधिक आकर्षक चीज़ के बारे में भी कहा. मगर इसने इनकार कर दिया.
 जो आपने उसके कान में फुसफुसाकर कहा, वह मैं जानता हूँ, वोलान्द ने प्रतिवाद करते हुए कहा, मगर वह आपसे ज़्यादा आकर्षक तो नहीं है. मैं आपसे कहता हूँ... मुस्कुराते हुए उसने मास्टर से कहा, कि आपका यह उपन्यास आपके लिए अनेक आश्चर्य लायेगा.
 यह तो बहुत दुःख की बात है, मास्टर ने जवाब दिया.
 नहीं, नहीं यह दुःख की बात नहीं है, वोलान्द बोला, अब कोई भी दुःखद घटना नहीं घटॆगी. तो...मार्गारीटा निकोलायेव्ना, सब कुछ किया जा चुका है. आपको मुझसे कोई शिकायत है?
 आप कैसी बात कर रहे हैं, महाशय!
 तो, यह लीजिए, मेरी ओर से यादगार के तौर पर... वोलान्द ने कहा और तकिए के नीचे से एक छोटी-सी हीरे जड़ी सोने की नाल निकाली.
 नहीं, नहीं, नहीं, यह किसलिए!
 आप मुझसे बहस करना चाहती हैं? मुस्कुराते हुए वोलान्द ने पूछा.
मार्गारीटा ने इस भेंट को रूमाल में रखकर उसकी गाँठ बाँध ली, क्योंकि उसके कोट में कोई जेब नहीं थी. तब उसे एक बात का आश्चर्य हुआ. उसने खिड़की से बाहर चाँद की ओर देखा और कहा, एक बात मुझे समझ में नहीं आ रही...रात वही आधी की आधी ही है. शायद काफी पहले सुबह हो जानी चाहिए थी?
 त्यौहार की रात को कुछ देर तक खींचे रखना अच्छा लगता है! वोलान्द ने जवाब दिया, तो, अब मैं आपको शुभकामनाएँ देता हूँ!
मार्गारीटा ने दोनों हाथ प्रार्थना की मुद्रा में वोलान्द की ओर बढ़ा दिए, मगर उसके निकट जाने का साहस न कर पाई और हौले से बोली, अलबिदा! अलबिदा!
 फिर मिलेंगे, वोलान्द ने जवाब दिया.
और काला कोट पहने मार्गारीटा तथा अस्पताल के कपड़ों में मास्टर जौहरी की बीवी के फ्लैट के प्रवेश-कक्ष से निकले, जहाँ मोमबत्ती जल रही थी, और जहाँ वोलान्द की मण्डली उनका इंतज़ार कर रही थी. जब प्रवेश-कक्ष से बाहर निकलने लगे, तो हैला ने सूटकेस उठाया जिसमें उपन्यास था और मार्गारीटा निकोलायेव्ना की छोटी-सी दौलत थी. बिल्ला हैला की मदद कर रहा था. फ्लैट के दरवाज़े पर कोरोव्येव ने झुककर अभिवादन किया और वह गायब हो गया. बाकी लोग सीढ़ियों तक छोड़ने आए. सीढ़ियाँ खाली थीं. जब वे तीसरी मंज़िल का मोड़ पार कर रहे थे, तो हल्की-सी खट् की आवाज़ के साथ कुछ गिरा. मगर इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. छठे नंबर के प्रवेश द्वार के पास आकर अज़ाज़ेलो ने फूँक मारी. जैसे ही वे बाहर आँगन में निकले, जहाँ चाँद की रोशनी नहीं आ रही थी, उन्होंने पोर्च में एक व्यक्ति को देखा. वह जूते और टोपी पहने घोड़े बेचकर सो रहा था. पास ही एक बड़ी काली कार खड़ी थी, जिसकी बत्तियाँ बुझी हुई थीं. सामने के शीशे में एक कौए की आकृति दिखाई दे रही थी.
वे कार में बैठने ही वाले थे, तभी मार्गारीटा ने घबराकर हौले से कहा, हे भगवान, मैंने नाल खो दी!
 गाड़ी में बैठिए, अज़ाज़ेलो ने कहा, और मेरा इंतज़ार कीजिए. मैं अभी वापस आता हूँ. ज़रा देखूँ कि माजरा क्या है. और वह प्रवेश-द्वार से अन्दर गया.
                                              क्रमशः

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