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बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

Master aur Margarita-23.2


मास्टर और मार्गारीटा 23.2
मार्गारीटा ऊँचाई पर थी, उसके पैरों के नीचे एक बहुत शानदार सीढ़ी नीचे को जा रही थी. सीढ़ी कालीन से ढँकी थी. नीचे, बहुत दूर, मानो मार्गारीटा दूरबीन के उल्टे सिरे से देख रही हो, एक बहुत बड़ा हॉल था. हॉल में एक भव्य अंगीठी थी, जिसके अँधेरे ठण्डे जबड़े में लगभग पाँच टन लकड़ी समा सकती थी. यह खाली हॉल और सीढ़ी आँखों में चुभने वाले प्रखर प्रकाश से आलोकित थी. अब काफ़ी दूर से तुरही की आवाज़ मार्गरीटा तक पहुँच रही थी. इस तरह स्तब्ध वे सब एक मिनट तक खड़े रहे.
 मेहमान कहाँ हैं? मार्गारीटा ने कोरोव्येव से पूछा.
 आएँगे, महारानी, आएँगे, अभी आएँगे. उनकी कोई कमी नहीं होगी. और उनका यहाँ स्वागत करने के बदले मैं लकड़ियाँ काटना ज़्यादा पसन्द करता.
 लकड़ियाँ तोड़ने की बात क्या करते हो, बातूनी बिल्ले ने कहा, मैं तो ट्रामगाड़ी में कण्डक्टर की नौकरी भी कर लेता, मगर इस काम से ज़्यादा बुरा दुनिया में और कोई काम नहीं है!
 सब कुछ पहले ही तैयार हो जाना चाहिए, महारानी, कोरोव्येव ने बिगड़ी हुई दूरबीन में एक आँख से देखते हुए समझाया.
 इससे बुरी और कोई बात नहीं होती कि सबसे पहला मेहमान यह सोचने लगे कि उसे क्या करना चाहिए, और उसकी कानूनी पत्नी उसे उलाहना देने लगे कि वे सबसे पहले क्यों आ गए. ऐसे नृत्योत्सवों को तो गन्दी नाली में फेंक देना चाहिए, महारानी!
 बिल्कुल नाली में, बिल्ले ने समर्थन किया.
 आधी रात होने में दस सेकण्ड से भी कम हैं, कोरोव्येव ने कहा, बस अभी शुरू हो जाएगा.
ये दस सेकण्ड मार्गारीटा को बहुत लम्बे लगे. वे, शायद, ख़त्म भी हो गए और कुछ भी नहीं हुआ. मगर तभी नीचे विशाल भट्ठी से किसी चीज़ की आवाज़ आई. उसमें से एक वध-स्तम्भ उछलकर निकला, जिस पर आधा सड़ा एक कंकाल बेतहाशा झूल रहा था. वह कंकाल रस्सी से छूटकर नीचे गिर गया, ज़मीन से टकराया और उसमें से फ्रॉक-कोट पहने, काले बालों वाला सुन्दर युवक चमकीले जूते पहने उछलकर बाहर आया. भट्ठी में से आधा सड़ा ताबूत बाहर आया. उसका ढक्कन खुल गया और उसमें से एक और मानव अवशेष निकला. सुन्दर नौजवान बड़ी मर्दानगी से उसकी ओर उछला और उसकी ओर अपनी बाँह मोड़कर बढ़ा दी. दूसरा अवशेष एक निर्वस्त्र चुलबुली महिला में बदल गया. उसने काले जूते पहन रखे थे. उसके सिर पर काले पर खोंसे हुए थे. तब दोनों, पुरुष और स्त्री, ऊपर सीढ़ी की ओर लपके.
 सर्वप्रथम! कोरोव्येव चहका, श्रीमान जैक अपनी अर्धांगिनी के साथ! आपसे मुख़ातिब हैं, महारानी, दुनिया के एक सर्वाधिक दिलचस्प इंसान. एक पक्के झूठे नोट छापने वाले; सरकार से विश्वासघात करने वाले, मगर एक अच्छे-भले कीमियाई. इनको प्रसिद्धी मिली इस बात से, कोरोव्येव मार्गारीटा के कान में फुसफुसाया, कि इन्होंने महाराज की प्रियतमा को ज़हर दे दिया. यह हरेक के बस की बात तो नहीं है! देखिए, कितने सुदर्शन हैं!
पीली पड़ गई मार्गारीटा विस्मय से मुँह खोले नीचे देखने लगी कि वह वध-स्तम्भ और ताबूत कैसे एक तरफ़ हटकर हॉल के छोटे-से गलियारे में गायब हो गए.
 मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ! बिल्ला ऊपर चढ़ते महाशय जैक के चेहरे के एकदम सामने मुँह करके दहाड़ा.
 इसे बीच नीचे अँगीठी से बिना सिर का, कटे हाथ वाला एक पिंजर निकला, धरती से टकराया और एक फ्रॉक पहने पुरुष में परिवर्तित हो गया.
श्रीमान जैक की पत्नी अब तक मार्गारीटा के सामने आ चुकी थी और एक घुटना टेककर मार्गारीटा का घुटना चूम रही थी.
 महारानी... श्रीमान जैक की पत्नी बुदबुदाई.
 महारानी अत्यंत प्रसन्न हैं! कोरोव्येव चिल्लाया.
 महारानी... हौले से सुन्दर नौजवान श्रीमान जैक बोला.
 हम सब भावविभोर हैं! बिल्ला चिल्लाया.
अज़ाज़ेलो के साथी, वे नौजवान, बेजान मगर स्वागतपूर्ण मुस्कुराहट के साथ अब तक श्रीमान जैक और उसकी पत्नी को घेरकर शैम्पेन के जामों तक ले गए थे, जिन्हें नीग्रो हाथों में लिए खड़े थे. सीढ़ी पर एक अकेला फ्रॉक वाला दौड़ा आ रहा था.
 ग्राफ रॉबर्ट, मार्गारीटा से कोरोव्येव ने फुसफुसाकर कहा, पहले ही की तरह दिलचस्प है. गौर कीजिए, महारानी, कितनी हास्यास्पद बात है, बिल्कुल उल्टी: यह सम्राज्ञी का प्रियतम था और इसने अपनी बीवी को ज़हर दे दिया.
 हम बहुत ख़ुश हैं, ग्राफ, बेगेमोत ने चिल्लाकर कहा.
अँगीठी से गिरते-पड़ते टूटते-बिखरते एक के बाद एक तीन ताबूत निकले, उसके बाद निकला काले कोट में एक आदमी, जिसे काले जबड़े से निकलकर उसके पीछे-पीछे आने वाले ने, पीठ पर छुरा मारा. नीचे एक दबी-दबी चीख सुनाई दी. अँगीठी से लगभग पूरी तरह क्षत-विक्षत लाश निकली. मार्गारीटा ने आँखें बन्द कर लीं और फौरन किसी हाथ ने उसकी नाक के पास सफ़ेद नमक की नन्ही-सी कुप्पी सरका दी. मार्गारीटा को लगा, कि वह नताशा का हाथ था. सीढ़ी धीरे-धीरे भरने लगी. अब करीब-करीब हर सीढ़ी पर, दूर से एक-से दिखने वाले, फ्रॉक पहने व्यक्ति और उनके साथ वस्त्रहीन औरतें थीं, जो एक दूसरे से केवल अपने बालों में खोंसे पंखों के और जूतों के रंग के कारण अलग प्रतीत होती थीं.
मार्गारीटा के पास आई, लँगड़ाती हुई, दाहिने पैर में अजीब-सा लकड़ी का जूता पहने, नन जैसी आँखों वाली, दुबली-पतली, नम्र और न जाने क्यों गर्दन में हरी पट्टी बाँधे एक महिला.
 कितनी हरी है? मार्गारीटा ने यंत्रवत् पूछा.
 सबसे मोहक और हृष्ट-पुष्ट महिला, कोरोव्येव फुसफुसाया, आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ: मैडम तोफाना, जो नैपल्स और पालेर्मो के नौजवानों में बहुत लोकप्रिय थीं, ख़ासकर उन महिलाओं के बीच, जो अपने पति से तंग आ चुकी थीं. क्या महारानी, ऐसा होता है कि कोई अपने पति से उकता जाए?
 हाँ, मार्गारीटा ने डूबी हुई आवाज़ में जवाब दिया, साथ ही वह दो फ्रॉक वालों का मुस्कुराकर स्वागत भी करती रही, जो एक के बाद झुककर उसका घुटना और हाथ चूम रहे थे.
 तो यह, कोरोव्येव मार्गारीटा के कान में फुसफुसाया और साथ ही किसी से चिल्लाकर बोला, गेर्त्सोग, शैम्पेन का जाम! मैं भाव विभोर हूँ! तो, यह मैडम तोफाना इन अभागी स्त्रियों से निकटता स्थापित कर, उन्हें नन्ही-नन्ही कुप्पियों में कोई द्रव बेचती. पत्नी यह द्रव पति के सूप में उँडेल देती. वह उसे खाता. प्यार दिखाने के लिए पत्नी का धन्यवाद करता और अपने आपको बहुत ताज़ा एवम् बेहतर महसूस करता. यह बात और है, कि कुछ घण्टों बाद उसे बड़ी तेज़ प्यास लगती, उसके बाद वह बिस्तर पर लेट जाता और एक दिन बाद वह नैपल्स निवासिनी सुन्दरी, जिसने पति को सूप पिलाया था, आज़ाद हो जाती, जैसे बसंती हवा.
 और उसके पैर में यह क्या है? मार्गारीटा ने पूछा. साथ ही वह उन मेहमानों की ओर अपना हाथ भी बढ़ाती रही, जो मैडम तोफाना को पीछे छोड़ते हुए आ रहे थे, और उसकी गर्दन पर यह हरियाली क्यों है? क्या गर्दन टूटी हुई है?
 मैं अति प्रसन्न हूँ, सामन्त! कोरोव्येव चीखा और तभी मार्गारीटा से बोला, ख़ूबसूरत गर्दन है, मगर जेल में उसके साथ दुर्घटना हुई. उसके पैर पर, महारानी स्पेनिश जूता है, और यह पट्टी इसलिए कि जब जेल वालों को पता चला कि लगभग पाँच सौ पतियों ने नैपल्स और पालेर्मो को हमेशा के लिए छोड़ दिया है, तो उन्होंने गुस्से में आकर मैडम तोफाना का गला दबा दिया.
 मैं कितनी भाग्यवान हूँ, साँवली महारानी, जो मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ. तोफाना ने नन के-से अन्दाज़ में घुटने पर झुकने की कोशिश करते हुए कहा. स्पेनिश जूता उसके इस काम में बाधा डाल रहा था. कोरोव्येव और बेगेमोत ने उसकी उठने में मदद की.
 मैं बहुत प्रसन्न हूँ, मार्गारीटा ने औरों की ओर हाथ बढ़ाते हुए उससे कहा.
अब तो सीढ़ी पर नीचे की ओर से आने वालों का ताँता लग गया. मार्गारीटा हाथ उठाती और गिराती रही, और दाँत दिखाकर मेहमानों का मुस्कुराहट से स्वागत करती रही. हवा में शोर भर गया था; मार्गारीटा जिन नृत्य हॉलों को छोड़कर आई थी, वहाँ से समुद्र की लहरों जैसा संगीत का स्वर सुनाई दे रहा था.
 और यह...उकताने वाली औरत, अब कोरोव्येव फुसफुसाने के बदले ज़ोर से बोला, क्योंकि वह जानता था कि इस शोर में उसकी आवाज़ लोगों को सुनाई नहीं देगी, नृत्योत्सवों की दीवानी है, मगर हमेशा अपने रूमाल के बारे में शिकायत करने की बात सोचती रहती है.
मार्गारीटा ने नज़र से उस औरत को ढूँढ़ लिया, जिसकी ओर कोरोव्येव ने इशारा किया था.यह एक बीस वर्षीय अद्वितीय सुन्दरी थी. उसकी आँखें काफी बेचैन और परेशान लग रही थीं
 कैसा रूमाल? मार्गारीटा ने पूछा.
 उसके लिए एक नौकरानी रखी गई है, कोरोव्येव ने स्पष्ट किया, और वह पिछले तीस साल से उसकी नन्ही-सी मेज़ पर रात को छोटा-सा रूमाल रख देती है. जैसे ही सुबह वह उठती है, रूमाल वहाँ देखती है. उसने उसे चूल्हे में डाला, नदी में फेंक दिया, मगर उससे कुछ भी फायदा नहीं हुआ.
                                                क्रमशः

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