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गुरुवार, 5 जनवरी 2012

Master aur Margarita-08.3



मास्टर और मार्गारीटा 08.3
उसे प्रोफेसर का सुझाव बहुत पसन्द आया, मगर उत्तर देने से पहले काफी देर सोचा और फिर माथे को सिकोड़कर काफी विश्वास के साथ कहा, मैं, स्वस्थ्य हूँ.   
 सुन्दर! स्त्राविन्स्की के सिर से मानो बोझ हट गया, अगर ये बात है तो आइए सब बातों पर तार्किक दृष्टि से गौर करें. आपका कल का दिन ही लीजिए, वह मुड़ा और उसे तुरंत इवान से सम्बन्धित केस-पेपर दे दिया गया. उस अजनबी की तलाश में, जो अपने आपको पोन्ती पिलात का परिचित कहता है, आपने क्या नहीं कर डाला! स्त्राविन्स्की ने अपनी लम्बी उँगलियों को चटखाते हुए, कभी इवान की ओर तथा कभी कागज़ पर नज़र दौड़ाई, अपने सीने पर सलीब और मूर्ति लटका ली. ठीक है?
 ठीक है, इवान ने बेरुखी से कहा.
 मुंडेर से भागते हुए अपने चेहरे को ज़ख़्मी कर लिया. ठीक है? बुझी हुई मोमबत्ती लेकर रेस्तराँ में घुस गए, सिर्फ कच्छा पहन कर और किसी को मार बैठे. आपको हाथ-पैर बँधी हुई अवस्था में यहाँ लाया गया. यहाँ आकर आपने पुलिस को टेलिफोन करके गोला-बारूद भेजने को कहा. फिर खिड़की से बाहर कूदने की कोशिश की, ठीक है? अब सवाल यह है कि ऐसी हरकतें करके क्या किसी को पकड़ना सम्भव है? और अगर आप मानसिक रूप से स्वस्थ हैं तो आप खुद ही कहेंगे : किसी भी तरह सम्भव नहीं. आप यहाँ से जाना चाहते हैं? शौक से जाइए. मगर सिर्फ यह पूछने की इजाज़त दीजिए कि आप यहाँ से जाएँगे कहाँ?
 बेशक पुलिस में, इवान ने इस बार कुछ नरम पड़ते हुए कहा. वह प्रोफेसर की नज़रों के सामने कमज़ोर महसूस कर रहा था.
 सीधे यहाँ से?
 हूँ.
 और अपने फ्लैट में नहीं जाएँगे? स्त्राविन्स्की ने फौरन पूछा.
 वहाँ जाने का समय नहीं है. जब तक मैं फ्लैट में जाऊँगा, वह हाथ से निकल जाएगा.
 यह बात है! और आप पुलिस में कहेंगे क्या?
 पोंती पिलात के बारे में, इवान निकोलायेविच ने कहा और उसकी आँखों के आगे धुंध छाने लगी.
 हूँ, अति सुन्दर! स्त्राविन्स्की नम्रतापूर्वक चहका और दाढ़ी वाले की ओर मुड़कर बोला, फ्योदर वासिल्येविच, नागरिक बेज़्दोम्नी को शहर जाने के लिए छुट्टी दे दीजिए. मगर इस कमरे को यूँ ही रहने दीजिए. चादरें भी न बदलिए, दो घण्टॆ बाद नागरिक बेज़्दोम्नी फिर यहाँ आ जाएँगे. अच्छा तो... फिर वह कवि की ओर मुड़कर बोला, आपके लिए सफ़लता की कामना मैं नहीं करूँगा, क्योंकि मुझे आपकी सफ़लता में रत्ती भर भी विश्वास नहीं है. हम शीघ्र ही फिर मिलेंगे! और वह खड़ा हो गया. उसके साथ आया जमघट भी सरका.
 मैं यहाँ फिर आऊँगा ही क्यों? उत्तेजित होकर इवान ने पूछा.
स्त्राविन्स्की को जैसे इसी प्रश्न का इंतज़ार था, वह फौरन फिर से बैठ गया और बोला, इसलिए कि जैसे ही आप कच्छा पहने पुलिस थाने जाकर यह कहेंगे कि आप पोंती पिलात को व्यक्तिगत रूप से जानने वाले व्यक्ति से मिले हैं तुरंत आपको यहाँ लाया जाएगा, और आप फिर से इसी कमरे में दिखाई देंगे.
 यहाँ कच्छे का क्या सवाल है? परेशान होते हुए इवान ने इधर-उधर देखते हुए पूछा.
 खास कारण तो होगा पोंती पिलात, मगर साथ ही कच्छा भी, क्योंकि यह सरकारी कपड़े तो हम आप से उतरवा लेंगे और आपको अपने कपड़े दे देंगे. आप यहाँ सिर्फ कच्छे में लाए गए थे. और फिर आप अपने फ्लैट में भी तो जाना नहीं चाहते हैं न, हालाँकि मैंने इस ओर इशारा भी किया था. फिर आता है पिलात का ज़िक्र...और आपके खिलाफ़ बन जाता है एक ठोस कारण!
अब इवान निकोलायेविच के साथ एक आश्चर्यजनक घटना घटी. उसकी इच्छा-शक्ति मानो चूर-चूर हो गई. उसने महसूस किया कि काफी क्षीण हो गया है. उसे किसी की सलाह की ज़रूरत है.
 तो फिर किया क्या जाए? अब उसने नम्रता से पूछा.
 ये हुई न बात! स्त्राविन्स्की बोला, यह कुछ अकलमन्दी की बात की है आपने! अब मैं आपको बताऊँगा कि वास्तव में आपके साथ हुआ क्या था. कल आपको किसी ने पोंती पिलात की कहानी सुनाकर बुरी तरह डराकर परेशान कर दिया और आप उस परेशानी और डर की हालत में शहर में घूमते रहे तथा पोंती पिलात के बारे में कहते रहे. ज़ाहिर है कि आपको पागल समझ लिया गया. अब आपकी ख़ैरियत इसी में है कि आप पूरी तरह शांत रहें. इसलिए आपका यहाँ रहना ज़रूरी है.
 मगर उसे पकड़ना ज़रूरी है! इवान विनती करते हुए रिरियाया.
 ठीक है, मगर उसके लिए आप ही क्यों दौड़-धूप करें? आप एक कागज़ पर इस व्यक्ति से सम्बन्धित सभी आरोपों तथा सन्देहों को लिख दीजिए. इससे आसान तरीका और क्या हो सकता है कि आपकी इस दरख़्वास्त को सही जगह पर भेज दिया जाए. यदि जैसा आप कह रहे हैं, वह एक मुजरिम है, तो यह मामला बड़ी शीघ्रता से सुलझ जाएगा. मगर सिर्फ एक शर्त है : अपने दिमाग पर ज़ोर मत डालिए और पोंती पिलात के बारे में कम से कम सोचिए. कहने के लिए क्या कम बातें हैं! सभी पर तो विश्वास नहीं करना चाहिए.
 समझ गया! इवान ने दृढ़तापूर्वक कहा, कृपया मुझे कागज़ और कलम दे दीजिए.
 कागज़ और छोटी पेंसिल दीजिए... स्त्राविन्स्की ने मोटी औरत से कहा, फिर इवान से बोला, मगर मैं आपको यह सलाह दूँगा कि आज न लिखिए.
 नहीं, नहीं, आज ही, किसी भी हालत में आज ही, इवान ने उत्तेजित होकर कहा.
  अच्छा ठीक है. सिर्फ अपने दिमाग पर ज़ोर मत डालिए. आज सम्भव नहीं है, कल ही हो पाएगा.
 वह भाग जाएगा!
 ओह नहीं, स्त्राविन्स्की ने दृढ़ प्रतिवाद करते हुए कहा, वह कहीं नहीं भागेगा, यह मेरा वादा है. और फिर याद रखिए, यहाँ आपकी हर तरह से मदद की जाएगी, जिसके बिना आपका कोई काम नहीं होने वाला. आप सुन रहे हैं न? अचानक भेदभरी आवाज़ में स्त्राविन्स्की ने पूछा और इवान निकोलायेविच के दोनों हाथ पकड़ लिए. उन्हें अपने हाथों में लेकर वह एकटक इवान की आँखों में अपनी आँखें गड़ाए रहा और दुहराता रहा, यहाँ आपकी मदद की जाएगी...आप मेरी आवाज़ सुन रहे हैं? यहाँ आपकी मदद की जाएगी...यहाँ आपकी मदद की जाएगी...आपको आराम मिलेगा. यहाँ ख़ामोशी है, शांति है...यहाँ आपकी मदद की जाएगी...
इवान निकोलायेविच ने अप्रत्याशित रूप से उबासी ली, उसके चेहरे के भाव सौम्य होते गए.
 हाँ, हाँ... वह हौले से बोला.
 हाँ, यह ठीक है, सुन्दर! अपनी आदत के मुताबिक स्त्राविन्स्की ने बातचीत ख़त्म करते हुए कहा और उठ गया, अलविदा! उसने इवान से हाथ मिलाया और बाहर निकलते हुए दाढ़ी वाले की ओर मुड़कर बोला, हाँ और ऑक्सीजन देकर देखिए...और स्नान.
कुछ क्षणों बाद इवान के सामने न तो स्त्राविन्स्की था, न उसके चेले. खिड़की की जाली के बाहर, खुशगवार बसंत की दोपहर की धूप में मैपल का वन नदी के दूसरे किनारे पर अपनी खूबसूरती बिखेर रहा था, और निकट ही नदी चमचमा रही थी.


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