मास्टर और मार्गारीटा -12.4
उसी क्षण स्टेज पर फारसी कालीन बिछ गए, बड़े-बड़े शीशे दिखाई देने लगे, उन पर हरी-हरी रोशनी पड़ रही थी; शीशों के दरम्यान थे शो-केस, जिनमें अलग-अलग रंगों और डिज़ाइनों की ख़ूबसूरत फारसी पोशाकें लटक रही थीं. दूसरे शो-केस में सैकड़ों टोपियाँ थीं – महिलाओं के लिए – परों वाली, बेपर की, घुँघरू जड़ी, बिना घुँघरुओं की. सैंकड़ों जूते थे – काले, सफ़ेद, पीले, चमड़े के, ऊँची एड़ी वाले, लेस लगे, पत्थर जड़े. जूतों के बीच दिखाई दिए सेंट के शो-केस जिनमें रखी क्रिस्टल की कुप्पियों में प्रकाश की किरणें आँख मिचौली खेल रही थीं. लेडीज़ पर्सों का तो जैसे पहाड़ खड़ा हो गया – चीते की खाल वाले, रेशमी, मखमली. उनके बीच लम्बे-सुनहरे लिपस्टिक वाले केसेस के ढेर लग गए.
शैतान जाने कहाँ से लाल बालों वाली सुन्दर लड़की, ख़ूबसूरत काली ड्रेस पहने मुस्कुराती हुई, सेल्सगर्ल के अंदाज़ में शो-केसों के पास टपक पड़ी. लड़की बेहद ख़ूबसूरत थी...सिर्फ गर्दन पर घाव के एक निशान को छोड़कर उसमें कोई भी तो नुख्स नहीं था.
फ़ागोत ने बहुत ही मीठी मुस्कान बिखेरते हुए कहा कि यह दुकान पुरानी पोषाकों और पुराने जूतों के बदले नई पोषाकें और जूते देगी, पैरिस वाले फैशन के. यही बात उसने प्रसाधन सामग्री, पर्सेस इत्यादि के बारे में भी कही.
बिल्ला पिछले पंजों से चलने लगा, साथ ही अगले पंजों से उसने द्वार खोलने की-सी मुद्रा में अभिनय किया.
लड़की भर्राई-सी, मगर मीठी आवाज़ में कुछ गाने लगी, जो समझ में नहीं आ रहा था. हाँ, हॉल में बैठी महिलाओं के हाव-भाव से समझ में आ रहा था कि यह काफी दिलचस्प चीज़ थी.
“गेर्लेन, शानेल पाँच नम्बर वाला, मित्सुको, नार्सिस, नुआर, पार्टियों वाली ड्रेस, कॉकटेल पार्टी वाली ड्रेस...”
फ़ागोत दूर सरका, बिल्ले ने अभिवादन किया और लड़की ने काँच के शो-केस खोले.
“आइए!” फ़ागोत दहाड़ा, “हिचकिचाइए मत, शर्माइए मत!”
जनता परेशान हो गई, मगर अभी तक किसी ने भी स्टेज पर जाने का साहस नहीं किया था. आख़िर दसवीं पंक्ति से एक साँवली लड़की मुस्कुराती हुई उठी, मानो उसे इस सबकी कोई फिकर नहीं है, वह तो बस यूँ ही देखना चाह रही है; लड़की चलते हुए स्टेज पर चढ़ी.
“शाबाश!” फ़ागोत चिल्लाया, “पहले मेहमान का स्वागत है! बेगेमोत, कुर्सी! जूतों से शुरू करें मैडम!”
साँवली लड़की कुर्सी पर बैठ गई, और फ़ागोत ने तुरंत उसके सामने जूतों का ढेर लगा दिया.
उस श्यामला ने अपने सीधे पैर का जूता निकाला, दूधिया जूते को पहनकर देखा, कालीन पर एक-दो बार पैर बजाए, एड़ी देखी.
“ये काटेंगे तो नहीं?” उसने खोए-खोए अन्दाज़ में पूछा.
फ़ागोत बुरा मान गया, “क्या कह रही हैं!” बिल्ले को भी बुरा लगा, उसने भी गुस्से से म्याऊँ-म्याऊँ किया.
“मैं यह जोड़ी लेती हूँ, महाशय,” साँवली लड़की ने गरिमा के साथ दूसरा भी जूता पहनते हुए कहा.
उसके पुराने जूते परदे के पीछे फेंक दिए गए, और वह भी लाल बालों वाली लड़की और फागोत के साथ परदे के पीछे गई, जिसके हाथों में हैंगर पर लटकी कई फ़ैशनेबल पोषाकें थीं. बिल्ला कुछ सकुचाया, मदद करने लगा और भाव खाने के लिए उसने गर्दन से टेप लटका लिया.
एक मिनट के बाद वह ऐसी पोषाक पहन कर आई कि लोगों ने अपने-अपने दिल थाम लिए. यह बहादुर लड़की आश्चर्यजनक रूप से सुन्दर हो गई थी. वह शीशे के सामने रुकी, उसने अपने खुले कन्धे देखे, बालों को हाथ से ठीक किया और मुड़कर अपनी पीठ देखने लगी.
“हमारी फर्म याददाश्त के तौर पर आपको यह भेंट देती है,” फ़ागोत ने उसे सेंट की एक कुप्पी देते हुए कहा.
“धन्यवाद!” साँवली लड़की ने कहा और वह अपनी सीट की ओर जाने लगी. जब तक वह चलती रही, दर्शक उचक-उचक कर उस कुप्पी की ओर देखकर उसे छूने की कोशिश करते रहे.
अब तो सभी कोनों से स्टेज पर महिलाएँ आने लगीं. इस रेल-पेल में, उत्तेजना के वातावरण में, हँसी में खिलखिलाहट में और आहों में एक पुरुष की आवाज़ सुनाई दी : “मैं तुम्हें नहीं जाने दूँगा!” इसके बाद स्त्री का स्वर सुनाई दिया, “ तानाशाह, दुष्ट! ओह, मेरा हाथ तो न मरोड़ों!” महिलाएँ परदे के पीछे गायब होती रहीं, वहाँ अपनी पहनी हुई पोषाकें छोड़कर नई पोषाकों में बाहर आती रहीं. सुनहरे पैरों वाली तिपाहियों पर महिलाओं की पूरी क़तार बैठी थी, जो नए जूते पहन-पहनकर बड़ी ताकत से कालीन पर पैर पटक रही थीं. फ़ागोत घुटनों के बल खड़ा होकर सींगों वाले जूते चढ़ाने के चप्पे से मदद कर रहा था और बिल्ला पर्सों और जूतों के बोझ से हाँफ़ता शो-केस से जूते निकाल-निकालकर तिपाहियों तक ला रहा था और वापस शो-केसों तक जा रहा था. गर्दन पर ज़ख़्म के निशान वाली लड़की कभी दिखाई देती थी, कभी गायब हो जाती थी और आख़िर में थककर वह पूरी तरह फ्रांसीसी भाषा में ही बड़बड़ाती रही. अचरज की बात यह थी कि उसके आधा शब्द कहते ही सभी औरतें, वे भी, जिन्हें फ्रांसीसी बिल्कुल नहीं आती थी, उसकी पूरी बात समझ रही थीं.
इसी समय सबको चौंका दिया एक आदमी ने. वह दौड़कर स्टेज पर पहुँचा और कहने लगा कि उसकी पत्नी फ्लू से बीमार है इसलिए वह विनती करता है कि उसके लिए भी कुछ भेजा जाए. यह साबित करने के लिए कि वह वास्तव में शादी-शुदा है, वह अपना पासपोर्ट भी दिखाने के लिए तैयार था. इस पत्नी-प्रेमी पुरुष की अपील का ज़ोरदार ठहाकों से स्वागत किया गया, फ़ागोत ने दहाड़कर कहा कि वह बिना पासपोर्ट देखे इस पति की बात पर विश्वास करता है और उसने उसे दो रेशमी पैजामे दिए. बिल्ले ने अपनी ओर से लिपस्टिक की ट्यूब दी.
वे महिलाएँ जिन्हें देर हो चुकी थी, स्टेज की ओर भाग रही थीं. स्टेज से मुस्कुराती सौभाग्यशाली महिलाएँ बॉल-डांस की वेश-भूषा में, डिज़ाइनों वाले पैजामों में, मुलाकातों के लिए पहनी जाने वाली ड्रेस में, एक भौंह पर झुकी हुई टोपियों में नीचे आ रही थीं.
तभी फ़ागोत ने घोषणा की कि देर हो जाने के कारण ठीक एक मिनट बाद दुकान को कल शाम तक के लिए बन्द किया जाता है. इससे भगदड़ अपनी चरम सीमा तक पहुँच गई. महिलाएँ सब लाज-शरम, झिझक छोड़कर जो हाथ लग रहा था वही खींचे ले जा रही थीं. एक महिला तूफ़ान की तरह परदे के पीछे घुसी और वहाँ अपनी पहनी हुई पोषाक फेंककर जो उसके हाथ लगी, उसी ड्रेस को बदन पर डालकर बाहर आई. यह था बड़-बड़े फूलों वाला रेशमी गाउन. साथ ही उसने सेंट की दो बोतलें भी लपक लीं.
क्रमशः
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