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शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

Master aur Margarita-12.1


मास्टर और मार्गारीटा -12.1
काला जादू एवं उसका भण्डाफोड़

सुराखों वाली पीली टोपी पहने, नाशपाती जैसी लाल नाकवाला, चौखाने वाली पतलून और पॉलिश किए हुए जूते पहने एक नाटा आदमी वेराइटी थियेटर के रंगमंच पर दो पहिए वाली साधारण साइकिल पर प्रविष्ट हुआ.फॉकस्ट्रॉट की धुन के साथ उसने एक चक्कर लगाया. तत्पश्चात् वह विजयी मुद्रा में चीखा, जिससे साइकिल पिछले पहिए पर सीधी खड़ी हो गई. पिछले पहिए को चलाते हुए वह नाटा व्यक्ति सिर के बल खड़ा हो गया. बड़ी निपुणता से उसने सामने वाले पहिए के पेंच खोलकर उसे साइकिल से अलग कर दिया और अकेले पिछले पहिए पर दोनों हाथों से पैडल घुमाते हुए साइकिल चलाता रहा.
एक ऊँचे, धातु के बने डंडे पर, जिस पर एक सीट लगी हुई थी और एक पहिया फिट था, भरे-भरे बदन की भूरे बालों वाली लड़की जालीदार ब्लाउज़ और चाँदी के सितारे जड़ा स्कर्ट पहनकर दाखिल हुई. वह स्टेज पर गोल-गोल चक्कर लगाने लगी. उसके निकट आने पर नाटे आदमी ने अपने पैर से सिर की टोपी निकालकर उसका अभिवादन किया और स्वागतार्थ आवाज़ें निकालने लगा.
अंत में आठ साल का बूढ़े-बूढ़े से चेहरे वाला एक बच्चा स्टेज पर आया और दोनों बड़े कलाकारों के बीच अपनी नन्ही-सी साइकिल के साथ समा गया, जिस पर मोटर का भोंपू लगा था.
इस तिकड़ी ने कुछ देर तक चक्कर लगाए और बैण्ड के शोर के बीच स्टेज के बिल्कुल किनारे तक आ गए. सामने की पंक्ति में बैठे दर्शक धक्क से रह गए और पीछे की ओर झुके, क्योंकि दर्शकों को यह प्रतीत हो रहा था, मानो यह तिकड़ी अपनी साइकिलों समेत स्टेज के सामने स्थित गहरी जगह में बैठे ऑर्केस्ट्रा वालों से जा भिड़ेगी.
मगर सभी साइकिलें ठीक उसी क्षण रुक गईं जब अगला पहिया वादकों के सिरों पर गिरने ही वाला था. साइकिल सवार आप्प चिल्लाते हुए नीचे उतर पड़े और दर्शकों का अभिवादन करने लगे. भूरे बालों वाली लड़की जनता की ओर हवाई चुम्बन फेंकती रही और नन्हा बच्चा अपने भोंपू पर हास्यास्पद आवाज़ें निकालता रहा.
तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूँज उठा, नीले परदे ने दोनों ओर से आगे बढ़कर साइकिल सवारों को ढँक लिया; दरवाज़ों पर हरी रोशनी में चमकते निर्गम शब्द बुझ गए और ट्रेपेज़ी के जाल में गुम्बद के ऊपर, सूरज की तरह सफ़ेद गोले जल उठे. अंतिम शो से पूर्व मध्यांतर हो गया था.
केवल एक आदमी ऐसा था जिसे जूली के परिवार द्वारा दिखाए गए साइकिल के करतब ज़रा भी पसन्द नहीं आए, वह था ग्रिगोरी दानिलोविच रीम्स्की. वह अपने ऑफिस के कमरे में नितांत अकेला बैठा था और अपने पतले होंठ काट रहा था. उसके चेहरे पर बार-बार सिहरन दौड़ जाती थी. लिखादेयेव के अप्रत्याशित रूप से गायब होने की घटना से वारेनूखा के अचानक गायब होने की घटना भी जुड़ गई थी.
रीम्स्की को मालूम था कि वह कहाँ जा रहा है, मगर वह गया तो सही...परंतु वापस नहीं आया! रीम्स्की ने कन्धे उचकाकर अपने आप से कहा, मगर क्यों?
और अचरज की बात तो यह थी कि उस जैसे वित्तीय डाइरेक्टर के लिए सबसे आसान था उस जगह फोन करना जहाँ वारेनूखा गया था और यह पता करना कि उसके साथ हुआ क्या था, मगर रात के दस बजे तक वह इस बारे में कोई भी फैसला नहीं कर पाया.
आख़िरकार रात के दस बजे उसने निश्चय किया कि वह फोन करेगा. उसने टेलिफोन का रिसीवर उठाया और पाया कि उसका टेलिफोन बन्द पड़ा है. चौकीदार ने बताया कि थियेटर के अन्य सभी फोन बन्द हैं. इस अप्रिय घटना ने, जो निश्चय ही अलौकिक नहीं थी, वित्तीय डाइरेक्टर को झकझोर दिया. साथ ही वह ख़ुश भी था, टेलिफोन करने से बच गया!
जब वित्तीय डाइरेक्टर के सिर के ठीक ऊपर लाल रंग का बल्ब जल उठा और आँखमिचौली खेलने लगा, जो मध्यांतर की सूचना देता था, तभी चौकीदार ने आकर बताया कि विदेशी कलाकार आया है. वित्तीय डाइरेक्टर का दिल एकदम बैठ गया, घोर निराशा के साथ वह पर्यटक मेहमान का स्वागत करने आगे बढ़ा, क्योंकि उससे मिलने के लिए और कोई बचा ही नहीं था.
बड़े-से मेकअप रूम में, जहाँ सिग्नल देती हुई घंटियाँ बज रही थीं, कई लोग उत्सुकता से झाँक रहे थे. वहाँ चमकीली पोशाकों में और सिर पर पगड़ी बाँधे जादूगर थे; जालीदार कमीज़ पहने स्केटर था; पाउडर लगाने से पीतवर्ण जान पड़ता सूत्रधार और मेकअप मैन दिखाई दे रहे थे.
आगंतुक ने सबको अपने अभूतपूर्व लम्बे कोट और काली नक़ाब से प्रभावित कर दिया था. इससे भी बढ़कर गज़ब की चीज़ थी इस काले जादूगर के दो साथी : टूटा चश्मा पहने चौख़ाने वाला लम्बू और काला मोटा बिल्ला. बिल्ला पिछले पंजों पर चलकर मेकअप रूम में आया और सोफ़े पर बैठकर आँखें सिकोड़ कर आँखमिचौली खेलते बिजली के बल्बों को देखने लगा.
रीम्स्की ने चेहरे पर मुस्कुराहट लाने की कोशिश की, जिससे उसके चेहरे पर कड़वाहट और दुष्टता आ गई. उसने झुककर जादूगर का अभिवादन किया जो बिल्ले की बगल में सोफ़े पर बैठा था. हस्तान्दोलन नहीं हुआ. चौख़ाने वाले ने स्वयँ ही अपना परिचय इनके सहायक कहकर दिया. इस बात से भी वित्तीय डाइरेक्टर को आश्चर्य हुआ और बुरा भी लगा : अनुबन्ध में किसी भी सहायक की बात नहीं थी.
बड़ी कड़वाहट और मजबूरी से ग्रिगोरी दानिलोविच ने अपने सिर पर गिरे जा रहे चौख़ाने वाले लम्बू से पूछ कि कलाकार का सामान कहाँ है.
 हमारे जन्नत के हीरे, बहुमूल्य डाइरेक्टर महोदय, फटे बाँस-सी आवाज़ में जादूगर के सहायक ने कहा, हमारा सामान सदा हमारे साथ ही रहता है. यह देखिए! एक, दो, तीन! और अपनी नुकीली उँगलियाँ रीम्स्की की आँखों के सामने नचाकर उसने अचानक बिल्ले के कान के पीछे से रीम्स्की की सुनहरी घड़ी पट्टे सहित निकाली. यह घड़ी अब तक वित्तीय डाइरेक्टर के कोट के अन्दर जैकेट की जेब में जंज़ीर की सहायता से लटकाकर रखी हुई थी.
रीम्स्की ने न चाहते हुए भी अपना पेट पकड़ लिया. सभी उपस्थित व्यक्ति आश्चर्य से चीख उठे और दरवाज़े में झाँकता हुआ मेकअप मैन वाह-वाह कर उठा.
                                                  क्रमशः

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