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रविवार, 22 जनवरी 2012

Master aur Margarita-14.1


मास्टर और मार्गारीटा -14.1
मुर्गे की बदौलत

मानसिक तनाव सहन न कर सका रीम्स्की और शो समाप्त होने के बाद की औपचारिकताओं का इंतज़ार न करके अपने ऑफिस की ओर भागा. वह मेज़ पर बैठकर सूजी-सूजी आँखों से अपने सामने पड़े जादुई नोटों की ओर देखने लगा. वित्तीय-डाइरेक्टर की बुद्धि निर्बुद्धि तक पहुँच चुकी थी. बाहर से लगातार शोर सुनाई दे रहा था. लोगों के झुँड वेराइटी थियेटर से बाहर निकल रहे थे. वित्तीय-डाइरेक्टर के तीक्ष्ण कानों में अचानक पुलिस की सीटी की आवाज़ सुनाई दी. यह सीटी कभी भी किसी सुखद घटना की सूचक नहीं होती. मगर जब यह आवाज़ फिर से सुनाई पड़ी और उसकी मदद के लिए एक और ज़ोरदार, ज़्यादा ताकतवर, लम्बी सीटी आ गई, फिर सड़क से अजीब-सा शोर, ताने कसती , छेड़ती हुई आवाज़ें सुनाई पड़ीं तो वित्तीय डाइरेक्टर समझ गया कि फिर से कोई लफ़ड़ा हो गया है. न चाहते हुए भी रीम्स्की के दिमाग में ख़याल कौंध गया कि यह काले जादू के जादूगर और उसके साथियों द्वारा दिखाए गए घृणित कारनामों से ही सम्बन्धित है. तीखे कानों वाला वित्तीय डाइरेक्टर बिल्कुल भी गलत नहीं था.
जैसे ही उसने सादोवाया की ओर खुलती हुई खिड़की से बाहर देखा उसका चेहरा आड़ा-तिरछा हो गया और वह फुसफुसाहट के बदले फुफकार पड़ा, मुझे मालूम था!
सड़क की जगमगाती रोशनी में अपने ठीक नीचे फुटपाथ पर उसने एक महिला को देखा. वह केवल बैंगनी रंग के अंतर्वस्त्र पहने थी. बेशक, उसके सिर पर टोप और हाथों में छाता था.
इस महिला को चारों ओर से ठहाके लगाती, ताने कसती भीड़ ने घेर रखा था. महिला अपनी शर्मिन्दगी छुपाने के लिए या तो बैठ जाती, या भागने की कोशिश करती. ठहाके जारी रहे. इन ठहाकों से वित्तीय डाइरेक्टर ने रीढ़ की हड्डी में ठण्डी सिहरन महसूस की. महिला के निकट ही एक और आदमी डोल रहा था जो अपना कोट उतारने की कोशिश कर रहा था, मगर बदहवासी के कारण वह अपना आस्तीन में फँसा हाथ बाहर नहीं निकाल पा रहा था.
कहकहों और चीखों की आवाज़ें एक और जगह से भी आ रही थीं बाईं ओर के प्रवेश-द्वार से. उधर मुँह घुमाकर देखने पर ग्रिगोरी दानिलोविच ने एक अन्य महिला को देखा गुलाबी अंतर्वस्त्रों में. वह सड़क से उछलकर फुटपाथ पर आना चाह रही थी ताकि प्रवेशद्वार में शरण ले सके, मगर भीड़ उसका रास्ता रोक रही थी और लालच और फैशन की मारी, गरीब बेचारी...फ़ागोत की फर्म द्वारा ठगी गई महिला के दिल में इस समय सिर्फ एक ही ख़याल था कि धरती फट जाए तो उसमें समा जाऊँ. पुलिस वाला उस अभागी स्त्री के निकट जाने की कोशिश कर रहा था. सीटी बजाते हुए वह आगे बढ़ रहा था और उसके पीछे-पीछे थे कुछ मनचले. यही लोग तो ठहाके लगा रहे थे, सीटियाँ बजा रहे थे.
एक दुबला-पतला मूँछों वाला कोचवान पहली निर्वस्त्र महिला के पास लपकता हुआ आया. उसने झटके से अपने मरियल घोड़े को उसके निकट रोक लिया. मुच्छड़ का चेहरा खुशी से खिल उठा.
रीम्स्की ने अपने सिर पर हाथ मार लिया, घृणा से थूककर वह खिड़की से परे हट गया.
थोड़ी देर टेबुल के पास बैठकर वह सड़क से आती हुई आवाज़ें सुनता रहा. अब अनेक स्थानों से सीटियों की चीखें सुनाई पड़ रही थीं. फिर धीरे-धीरे उनका ज़ोर कम होता गया. रीम्स्की को ताज्जुब हुआ कि यह सब लफ़ड़ा अपेक्षाकृत काफ़ी कम समय में ख़त्म हो गया.
हाथ-पैर हिलाने की, ज़िम्मेदारी का कड़वा घूँट पीने की घड़ी आ पहुँची. तीसरे अंक के दौरान टेलिफोन ठीक कर दिए गए थे; टेलिफोन करना था, इस सारे झँझट की सूचना देनी थी, मदद माँगनी थी, इस झमेले से बाहर निकलना था, लिखादेयेव के सिर पर सारा दोष मढ़कर अपने आपको बचाना था वगैरह, वगैरह...थू...थू...शैतान! बदहवास डाइरेक्टर ने दो बार टेलिफोन के चोंगे की ओर हाथ बढ़ाकर पीछे खींच लिया. तभी ऑफ़िस की इस मृतप्राय ख़ामोशी में वित्तीय डाइरेक्टर के ठीक सामने टेलिफोन ख़ुद ही बजने लगा; वह काँपने लगा और मानो बर्फ हो गया. मेरा दिमाग काफ़ी उलझ गया है, उसने सोचा और चोंगा उठा लिया. उठाते ही मानो उसे बिजली का झटका लगा और उसका चेहरा कागज़ से भी सफ़ेद हो गया. चोंगे से किसी महिला की शांत, मगर रहस्यमय, कामासक्त आवाज़ फुसफुसाई:
 कहीं भी फोन न करना, रीम्स्की! अंजाम बुरा होगा!
चोंगा ख़ामोश हो गया. रीम्स्की ने महसूस किया की रीढ़ की हड्डी में चींटियाँ रेंग रही हैं; चोंगा रखकर न जाने क्यों उसने अपनी पीछे की खिड़की से बाहर देखा. नन्ही-नन्ही कोपलों से अधढँकी मैपिल वृक्ष की टहनियों की ओट से, बादल के पारदर्शी घूँघट से झाँकता चाँद नज़र आया. न जाने क्यों रीम्स्की इन टहनियों से नज़र न हटा सका और जैसे-जैसे वह उन्हें देखता रहा, एक अनजान भय उसे जकड़ने लगा.
कोशिश करके उसने चाँद की रोशनी से प्रकाशित खिड़की से अपना चेहरा हटाया और कुर्सी पर से उठने लगा. फोन करने का अब सवाल ही नहीं था. इस समय वित्तीय डाइरेक्टर के दिमाग में बस एक ही ख़याल था, जल्दी से जल्दी इस थियेटर से बाहर जाना.
वह बाहर की आहट लेने लगा : थियेटर ख़ामोश था. रीम्स्की समझ गया कि काफ़ी देर से वह दूसरी मंज़िल पर एकदम अकेला है. इस ख़याल से उसे फिर से एक बचकाना, अदम्य भय महसूस हुआ. वह यह सोचकर काँपने लगा कि अब उसे खाली गलियारों से और सीढ़ियों पर से अकेले गुज़रना पड़ेगा. उसने उत्तेजना में टेबुल पर सामने पड़े जादुई नोट उठाकर अपने ब्रीफकेस में ठूँस लिए, खाँसकर अपना गला साफ़ किया, जिससे अपने आपको कुछ तो सँभाल सके, मगर खाँसी भी कमज़ोर-सी, भर्राई-सी निकली.
उसे महसूस हुआ कि ऑफिस के दरवाज़े के नीचे से एक सड़ी हुई, गीली-सी ठण्डक उसकी ओर बढ़ती चली आ रही है. वित्तीय डाइरेक्टर की पीठ पर सिहरन दौड़ गई. तभी अकस्मात् घड़ी ने बारह घण्टे बजाना शुरू कर दिया. घण्टॆ की आवाज़ ने भी वित्तीय डाइरेक्टर को कँपकँपा दिया. जब उसे बन्द दरवाज़े के चाबी के सुराख में विलायती चाबी घूमने की आवाज़ सुनाई दी, तब तो मानो उसके दिल ने भी धड़कना बन्द कर दिया. अपने गीले, ठण्डे हाथों से ब्रीफकेस को थामे रीम्स्की ने महसूस किया कि अगर यह सरसराहट कुछ देर और जारी रही तो वह अपने आप को रोक न पाएगा और चीख़ पड़ेगा.
आखिर दरवाज़ा खुल ही गया और धीमे क़दमों से अन्दर आया वारेनूखा. रीस्म्की जिस तरह खड़ा था, वैसे ही बैठ गया, क्योंकि उसके पैरों ने जवाब दे दिया. एक लम्बी साँस खींचकर वह चापलूसी के अन्दाज़ में मुस्कुराया और हौले से बोला, हे भगवान, तुमने मुझे कितना डरा दिया!
                                                 क्रमशः

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