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सोमवार, 23 जनवरी 2012

Master aur Margarita-14.2


मास्टर और मार्गारीटा 14.2
हाँ, उसके इस अचानक आ धमकने से कोई भी भयभीत हो सकता था, मगर साथ ही रीम्स्की को इससे बड़ी खुशी हुई. इस उलझन की कम से कम एक गुत्थी तो सुलझती दिखाई दी.
 बोलो, बोलो, जल्दी बोलो! रीम्स्की ने इस गुत्थी का सिरा पकड़ते हुए भर्राई आवाज़ में कहा, इस सबका क्या मतलब है?
 माफ़ करना... आगंतुक ने दरवाज़ा बन्द करते हुए गहरी आवाज़ में कहा, मैं समझा कि तुम जा चुके हो, और वारेनूखा टोपी उतारे बिना आकर रीम्स्की के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया.
वारेनूखा के जवाब में कुछ ऐसी लापरवाह विचित्रता थी जो रीम्स्की के संवेदनशील मन में, जो दुनिया के बेहतरीन सेस्मोग्राफ से भी टक्कर ले सकता था, चुभ गई. ऐसा क्यों? जब वारेनूखा यह समझ रहा था कि वित्तीय डाइरेक्टर जा चुका है, तब वह उसके ऑफिस में क्यों आया? उसका अपना कमरा भी तो है? यह हुई पहली बात. दूसरी यह कि चाहे वह किसी भी प्रवेश-द्वार से अन्दर घुसता, किसी न किसी चौकीदार से उसका सामना हो ही जाता, उन्हें तो आदेश दिया गया थी कि ग्रिगोरी दानिलोविच कुछ और देर अपने ऑफ़िस में रुकेंगे.
मगर वह और अधिक देर इस विचित्रता के बारे में विचार नहीं कर सका. असल बात यह नहीं थी.
 तुमने फोन क्यों नहीं किया? यह याल्टा वाली गड़बड़ क्या है?
 वही, जो मैं कह रहा था, हलकी-सी कराह के साथ वारेनूखा ने कहा, मानो उसके दाँत में दर्द हो रहा हो, उसे पूश्किनो के शराबखाने में पाया गया.
 पूश्किनो में? यानी मॉस्को के पास? और टेलिग्राम तो यालटा से आया था!
कहाँ का याल्टा? कैसा याल्टा? पूश्किनो के तार मास्टर को शराब पिला दी और दोनों मस्ती करने लगे, याल्टा के नाम से तार भेजना भी ऐसी ही हरकत थी.
 ओ हो...ओ हो...ठीक है, ठीक है... रीम्स्की बोल नहीं रहा था गा रहा था. उसकी आँखें पीली रोशनी में चमक उठीं. आँखों के सामने बेशर्म स्त्योपा को नौकरी से अलग करने की रंगीन तस्वीर नाच उठी. मुक्ति! लिखादेयेव नाम की इस मुसीबत से छुटकारा पाने का सपना न जाने कब से वित्तीय डाइरेक्टर देख रहा था! शायद स्तेपान बोग्दानोविच बर्खास्तगी से भी ज़्यादा सज़ा पाए...
 खुलकर कहो! रीम्स्की पेपरवेट से खटखट करते हुए आगे बोला.
वारेनूखा ने खुलकर कहना आरम्भ किया. जैसे ही वह वहाँ पहुँचा, जहाँ उसे वित्तीय डाइरेक्टर ने भेजा था, उसे फ़ौरन बिठाकर उन्होंने ध्यान से उसकी बात सुनना आरम्भ किया. कोई भी, बेशक, यह मानने को तैयार नहीं था कि स्त्योपा याल्टा में हो सकता है. सभी ने वारेनूखा की इस बात को मान लिया कि वह पूश्किनो स्थित याल्टा में हो सकता है.
 मगर अभी वह कहाँ है? परेशान वित्तीय डाइरेक्तर ने बीच में ही उसे टोकते हुए पूछा.
  और कहाँ हो सकता है... व्यवस्थापक ने तिरछा मुँह करके मुस्कुराते हुए कहा, ज़ाहिर है, जेल में!
 अच्छा, अच्छा! ओह, धन्यवाद!
वारेनूखा कहता रहा. जैसे-जैसे वह कहता गया, रीम्स्की की आँखों के सामने लिखादेयेव की बेतरतीब बेहूदगियों की लड़ी खुलती गई. हर कड़ी पिछली कड़ी से ज़्यादा बदतर. शराब पीकर पूश्किनो के टेलिग्राफ-ऑफिस के लॉन में तार बाबू के साथ डांस करना- फ़ालतू - से हार्मोनियम की धुन पर! और हँगामा भी कैसा किया! भय से काँपती महिलाओं के पीछे भागना! याल्टा के वेटर से हाथापाई! याल्टा के फर्श पर हरी प्याज़ बिख्र दी! सफ़ेद सूखी आय दानिला शराब की आठ बोतलें तोड़ दीं! टैक्सी वाले का मीटर तोड़ दिया, क्योंकि उसने स्त्योपा को अपनी गाड़ी देने से इनकार कर दिया था. जिन नागरिकों ने बीच-बचाव करना चाहा, उन्हें पुलिस के हवाले करने की धमकी दी! सिर्फ शैतानी नाच!
स्त्योपा को मॉस्को में थियेटर से जुड़े सभी लोग जानते थे, और सभी को मालूम था कि वह अच्छा आदमी नहीं था. मगर वह, जो व्यवस्थापक उसके बारे में बता रहा था, वह तो स्त्योपा के लिए भी भयानक था. हाँ, भयानक! बहुत ही भयानक...!
रीम्स्की की चुभती हुई आँखें व्यवस्थापक के चेहरे में चुभने लगीं और जैसे-जैसे वह आगे बोलता गया, ये आँखें और उदास होने लगीं. जैसे-जैसे व्यवस्थापक की कहानी जवान और रंगीन होती गई...वित्तीय डाइरेक्टर का उस पर से विश्वास कम होता गया. जब वारेनूखा ने बताया कि बेहूदगी करते हुए स्त्योपा ने उन लोगों का भी मुकाबला किया जो उसे मॉस्को वापस ले जाने आए थे, तो वित्तीय डाइरेक्टर को पूरा विश्वास हो गया कि आधी रात को वापस आया व्यवस्थापक सरासर झूठ बोल रहा है! सफ़ेद झूठ! शुरू से आख़िर तक सिर्फ झूठ!
न तो वारेनूखा पूश्किनो गया था और न ही स्त्योपा वहाँ था. शराब में बहका तार भेजने वाला क्लर्क भी नहीं था; न तो शराबख़ाने में थीं टूटी बोतलें और न ही स्त्योपा को बाँधा गया रस्सियों से...ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था.
जैसे ही वित्तीय डाइरेक्टर इस नतीजे पर पहुँचा कि व्यवस्थापक झूठ बोल रहा है, उसके शरीर में सिर से पैर तक भय की लहर दौड़ गई. उसे दुबारा महसूस हुआ कि दुर्गन्धयुक्त सीलन कमरे में फैलती जा रही है. उसने व्यवस्थापक के चेहरे से एक पल को भी नज़र नहीं हटाई, जो अपनी ही कुर्सी में टेढ़ा-मेढ़ा हुआ जा रहा था, और लगातार कोशिश कर रहा था कि नीली रोशनी वाले लैम्प की छाया से बाहर न आए. एक अख़बार की सहायता से वह अपने आपको इस रोशनी से बचा रहा था, मानो वह उसे बहुत तंग कर रही हो. वित्तीय डाइरेक्टर सिर्फ यह सोच रहा था कि इस सबका मतलब क्या हो सकता है? सुनसान इमारत में इतनी देर से आकर वह सरासर झूठ क्यों बोल रहा है? एक अनजान दहशत ने वित्तीय डाइरेक्टर को धीरे-धीरे जकड़ लिया. रीम्स्की ने ऐसे दिखाया जैस वारेनूखा की हरकतों पर उसका बिल्कुल ध्यान नहीं है, मगर वह उसकी कहानी का एक भी शब्द सुने बिना सिर्फ उसके चेहरे पर नज़र गड़ाए रहा. कुछ ऐसी अजीब-सी बात थी, जो पूश्किनो वाली झूठी कहानी से भी अधिक अविश्वसनीय थी और यह बात थी व्यवस्थापक के चेहरे और तौर-तरीकों में परिवर्तन.
चाहे कितना ही वह अपनी टोपी का बत्तख जैसा किनारा अपने चेहरे पर खींचता रहे, जिससे चेहरे पर छाया पड़ती रहे, या लैम्प की रोशनी से अपने आप को बचाने की कोशिश करता रहे मगर वित्तीय डाइरेक्टर को उसके चेहरे के दाहिने हिस्से में नाक के पास बड़ा-सा नीला दाग दिख ही गया. इसके अलावा हमेशा लाल दिखाई देने वाला व्यवस्थापक एकदम सफ़ेद पड़ गया था और न जाने क्यों इस उमस भरी रात में उसकी गर्दन पर एक पुराना धारियों वाला स्कार्फ लिपटा था. साथ ही सिसकारियाँ भरने और चटखारे लेने जैसी घृणित आदतें भी वह अपनी अनुपस्थिति के दौरान सीख गया था; उसकी आवाज़ भी बदल गई थी, पहले से भारी और भर्राई हुई, आँखों में चोरी और भय का अजीब मिश्रण मौजूद था निश्चय ही इवान सावेल्येविच वारेनूखा बदल गया था.
कुछ और भी बात थी, जो वित्तीय डाइरेक्टर को परेशान कर रही थी. वह क्या बात थी यह अपना सुलगता दिमाग लड़ाने और लगातार वारेनूखा की ओर देखने के बाद भी वह नहीं समझ सका. वह सिर्फ यही समझ सका कि यह कुछ ऐसी अनदेखी, अप्राकृतिक बात थी, जो व्यवस्थापक को जानी-पहचानी जादुई कुर्सी से जोड़ती थी.

                                             क्रमशः

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