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बुधवार, 25 जनवरी 2012

Master aur Margarita-15.2



मास्टर और मार्गारीटा 15.2
उसकी आँखें स्टेज के सामने और नीचे से आती हुई रोशनी से चौंधिया गईं; जिससे सामने बैठे दर्शक अंधकार में डूब गए.
 तो निकानोर इवानोविच, एक उदाहरण प्रस्तुत कीजिए, बड़े प्यार से युवा कलाकार ने कहा, और डॉलर्स निकालिए.
एकदम ख़ामोशी छा गई. निकानोर इवानोविच ने गहरी साँस लेकर धीमी आवाज़ में कहा, भगवान की कसम...
मगर उसके आगे कुछ कहने से पहले ही हॉल में हाय...हाय... के नारे लगने लगे. निकानोर इवानोविच परेशान होकर चुप हो गया.
 जहाँ तक मैं समझ सका हूँ... सूत्रधार ने कहा, आप भगवान की कसम खाकर यह कहना चाहते थे कि आपके पास डॉलर्स नहीं हैं? और उसने सहानुभूति से निकानोर इवानोविच की ओर देखा.
 बिल्कुल ठीक, मेरे पास नहीं हैं... निकानोर इवानोविच ने जवाब दिया.
 तो फिर... कलाकार ने पूछा, माफ़ करना, उस फ्लैट के शौचालय में 400 डॉलर्स कहाँ से आए, जिसमें सिर्फ आप अपनी पत्नी के साथ रहते हैं?
 जादुई होंगे! अँधेरे हॉल में किसी ने व्यंग्यपूर्ण फिकरा कसा.
 बिल्कुल ठीक...जादुई ही थे, बड़ी नम्रता से निकानोर इवानोविच ने शायद अँधेरे हॉल या पब्लिक को सम्बोधित करते हुए कहा, शैतानी ताकत, चौख़ाने वाली कमीज़ पहने अनुवादक ने उन्हें फेंका है.
हॉल में फिर अप्रसन्न चीखें गूँज उठीं. जब आवाज़ें कुछ ख़ामोश हुईं तो कलाकार ने कहा, देखिए कैसी-कैसी लाफोन्तेन की कहानियाँ मुझे सुननी पड़ती हैं. 400 डॉलर्स फेंक कर गया! लीजिए साब: आप सब यहाँ डॉलर वाले हैं! मैं आपसे पूछता हूँ क्या इस बात पर यक़ीन किया जा सकता है?
 हमारे पास कोई डॉलर-वॉलर नहीं हैं, हॉल में से कुछ आहत स्वर सुनाई दिए, मगर इस बात पर कोई विश्वास नहीं करेगा.
 मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ, कलाकार ने ज़ोर देकर कहा, और मैं आपसे पूछता हूँ; कौन-सी चीज़ फेंकी जा सकती है?
 बच्चा! हॉल में कोई चिल्लाया.
 बिल्कुल ठीक, सूत्रधार ने कहा, बच्चा, गुमनाम ख़त, इश्तेहार, वगैरह...वगैरह, मगर चार सौ डॉलर्स कोई नहीं फेंकेगा, क्योंकि दुनिया में ऐसा बेवकूफ कोई नहीं है, निकानोर इवानोविच की ओर देखकर सूत्रधार ने मायूसी और उलाहने के साथ कहा, आपने मुझे दुःख पहुँचाया है निकानोर इवानोविच! मुझे आप पर काफ़ी भरोसा था. तो यह बात कुछ जमी नहीं.
हॉल में निकानोर इवानोविच की ओर देखकर सीटियाँ बजने लगीं.
 डॉलर्स हैं उसके पास, हॉल में कई आवाज़ें गूँजीं, ऐसे ही लोगों के कारण ईमानदार भी मारे जाते हैं.
 उस पर गुस्सा मत उतारिए, सूत्रधार ने नर्मी से कहा, वह मान जाएगा, और निकानोर इवानोविच की ओर अपनी नीली, आँसू भरी आँखों से देखते हुए आगे बोला, तो, निकानोर इवानोविच, जाइए अपनी जगह.
इसके बाद सूत्रधार ने घण्टी बजाकर कहा, मध्यांतर, बदमाशों!
परेशान निकानोर इवानोविच, जो अप्रत्याशित रूप से इस कार्यक्रम का हिस्सा बन गया था, न जाने कैसे वापस अपनी जगह फर्श पर पहुँच गया. उसने देखा कि हॉल में पूरी तरह अँधेरा छा गया है, दीवारों पर अछल-उछलकर लाल चमकीले अक्षर आने लगे : डॉलर्स दो!
इसके बाद फिर परदा खुल गया और सूत्रधार ने कहा, सेर्गेइ गेरार्दोविच दुंचिल से निवेदन है कि वे स्टेज पर आएँ.
दुंचिल एक सहृदय, मगर कुछ बीमार-सा, लगभग पचास वर्ष का व्यक्ति था.
सेर्गेइ गेरार्दोविच, सूत्रधार उससे मुख़ातिब हुआ, आप यहाँ डेढ़ महीने से हैं, मगर बचे हुए डॉलर्स देने से फिर भी इनकार किए जा रहे हैं, जबकि देश को विदेशी मुद्रा की इतनी ज़रूरत है और वह आपके किसी काम की नहीं है. फिर भी आप अपनी ज़िद पर अड़े हुए हैं. आप तो समझदार हैं. सब कुछ जानते हैं. फिर भी मेरे पास नहीं आ रहे.
 मुझे अफसोस है कि मैं इस बारे में कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि मेरे पास अब डॉलर्स हैं ही नहीं, दुंचिल ने इतमीनान से कहा.
 कम से कम जवाहरात तो होंगे? कलाकार ने पूछा.
 जवाहरात भी नहीं हैं.
कलाकार ने सिर झुकाया और कुछ सोचने के बाद उसने ताली बजाई. पार्श्व से एक अधेड़ उम्र की औरत फ़ैशनेबल कपड़े पहने आई. उसके कोट में कॉलर नहीं थी और टोपी सुन्दर, बुनी हुई थी. औरत कुछ उत्तेजित लग रही थी, मगर दुंचिल ने निर्विकार भाव से उसकी ओर देखा.
 यह महिला कौन है? सूत्रधार ने दुंचिल से पूछा.
 यह मेरी बावी है, दुंचिल ने गरिमापूर्वक कहा और कुछ हिकारत से बीवी की लम्बी गर्दन की ओर देखा.
 माफ़ कीजिए मैडम दुंचिल, हमने आपको तकलीफ़ दी, सूत्रधार ने महिला से कहा, बात यह है कि हम आपसे पूछना चाहते थे कि क्या आपके पति के पास और भी डॉलर्स हैं?
 उसने तभी सब कुछ दे दिया था, कुछ परेशान होते हुए मैडम दुंचिल ने कहा.
 अगर ऐसी बात है, सूत्रधार ने कहा, तो ऐसा ही सही. अगर सब कुछ दे दिया था तो हमें फौरन सेर्गेइ गेरार्दोविच सि बिदा लेनी होगी, क्या करें! सेर्गेइ गेरार्दोविच, आप चाहें तो थियेटर से बाहर जा सकते हैं... सूत्रधार ने शानदार अभिवादन किया.
 दुंचिल बड़ी शान से मुड़ा और पार्श्व की ओर जाने लगा.
 एक मिनट! सूत्रधार ने उसे रोकते हुए कहा, जाते-जाते हमारे कार्यक्रम का एक और आइटम दिखाने की इजाज़त दीजिए, और उसने दुबारा ताली बजाई.
पिछला काला पर्दा हठा और स्टेज पर एक जवान सुन्दर लड़की नृत्य की पोशाक पहने, हाथों में सुनहरी ट्रे पकड़े बाहर निकली. ट्रे में एक मोटी गड्डी रिबन से बँधी हुई तथा हीरों का नेकलेस था, जिसमें से चारों दिशाओं में नीली, पीली और लाल लपटें निकल रही थीं.
दुंचिल एक कदम पीछे हटा और उसका चेहरा पीला पड़ गया. हॉल में स्तब्धता छा गई.
 अठारह हज़ार डॉलर्स और चालीस हज़ार स्वर्ण मुद्राओं का नेकलेस, कलाकार ने विजयी मुद्रा में कहा, छुपा रखे थे सेर्गेइ गेरार्दोविच ने खारकोव शहर में अपनी मेहबूबा इडा हरक्युलानोव्ना बोर्स के क्वार्टर में, जिसे देखने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ और जो बड़ी ख़ुशी से इस बेशकीमती, मगर एक व्यक्ति के लिए निरर्थक ख़ज़ाने को यहाँ ले आई. बहुत-बहुत धन्यवाद, इडा हरक्युलानोव्ना!
सुन्दरी ने मुस्कुराते हुए अपने चमकीले दाँत दिखा दिए. उसकी मखमली पलकें थरथरा उठीं.
सूत्रधार ने दुंचिल से कहा, और आपके गरिमायुक्त नक़ाब के पीछे छिपी है एक लालची मकड़ी, एक ख़तरनाक धोखेबाज़ और झूठा. आप अपनी ज़िद से सबको डेढ़ महीने तक परेशान करते रहे. अब आप सीधे घर जाइए और वहाँ जो नरक आपकी पत्नी आपके लिए बनाएगी, वही आपकी सज़ा है.
दुंचिल लड़खड़ाकर गिरने ही वाला था कि किसी के मज़बूत हाथों ने उसे थाम लिया. तभी सामने के परदे की घरघराहट सुनाई दी और सभी उसके पीछे छिप गए.
उन्मत्त तालियों ने हॉल को इस कदर हिला दिया कि निकानोर इवानोविच को झुंबरों में लौ उछलती प्रतीत हुई, और जब सामने का काला परदा हटा तो स्टेज पर सिवाय सूत्रधार के और कोई नहीं था. उसने तालियों के दूसरे दौर को रोकते हुए अभिवादन किया और बोलना शुरू किया, दुंचिल की शक्ल में आपके सामने एक ख़ास तरह के गधे ने अभिनय किया था. मैंने आपसे कल ही कह दिया था कि विदेशी मुद्रा को छिपाने से कोई फ़ायदा नहीं है. उसका उपयोग कोई भी कभी नहीं कर सकता, मैं दावे के साथ कहता हूँ. अब इस दुंचिल को ही लीजिए. उसे मोटी तनख़्वाह मिलती है, किसी चीज़ की ज़रूरत भी नहीं है. उसके पास बढ़िया फ्लैट है, बीबी है, सुन्दर-सी महबूबा भी है. तो फिर, बजाय चैन से रहने के इस शैतान ने हीरे-जवाहरात और डॉलर्स छुपाए. नतीजा क्या हुआ? सबके सामने पोल खुल गई. और साथ ही पारिवारिक कड़वाहट भी मोल ली. तो, और कौन देना चाहता है? कोई है? तो अब प्रोग्राम का अगला आइटम है पूश्किन के कंजूस ज़मींदार के कुछ अंशों का मंचन. पेश कर रहे हैं प्रसिद्ध ड्रामा आर्टिस्ट कुरोलेसोव साव्वा पोतापोविच, जिन्हें हमने ख़ास तौर से यहाँ बुलाया है.
                                       क्रमश:

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