मास्टर और मार्गारीटा – 09.3
और तब, जैसा कि बाद में प्रमुख ने स्पष्ट किया, एक आश्चर्यजनक घटना घटी. नोटों का यह बण्डल अपने आप ही उसके ब्रीफकेस में घुस गया. तत्पश्चात् प्रमुख कुछ कमज़ोर, कुछ टूटा हुआ-सा सीढ़ियों पर आ गया. उसके मस्तिष्क में विचारों का बवण्डर छाया था. वहाँ नीत्से वाला बँगला घूम रहा था, और प्रशिक्षित बिल्ला, और यह ख़याल कि वास्तव में कोई गवाह नहीं थे, और यह कि पेलागेया अंतोनोव्ना टिकटें पाकर बड़ी ख़ुश होगी. ये सब बेतरतीब मगर ख़ुशगवार ख़याल थे. मगर फिर भी उसके मन में बहुत गहरे, कहीं कोई एक सुई भी चुभ रही थी. यह बेचैनी की चुभन थी. साथ ही, वहीं सीढ़ियों पर प्रमुख को इस ख़याल ने दबोच लिया कि आख़िर यह अनुवादक अध्ययन-कक्ष में पहुँच कैसे गया, जबकि दरवाज़ा सीलबन्द था! और उसने, निकानोर इवानोविच ने, इस बारे में उससे क्यों कुछ नहीं पूछा? कुछ देर तक प्रमुख साँड की तरह सीढ़ियों की ओर देखता रहा, मगर फिर उसने इस बात को दिमाग से झटकने की ठानी और तय किया कि इन बेसिर-पैर के विचारों से अपने आपको विचलित नहीं होने देगा...
जैसे ही प्रमुख फ्लैट में से बाहर निकला, शयनगृह से एक भारी आवाज़ आई, “मुझे यह निकानोर इवानोविच पसन्द नहीं आया. वह लालची और बेईमान है. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि वह फिर यहाँ न आए?”
“महोदय, आपके हुक्म की देर है!” कहीं से कोरोव्येव ने जवाब दिया, मगर काँपती, बेसुरी आवाज़ में नहीं, बल्कि स्पष्ट और खनखनाती आवाज़ में.
और तुरंत ही उस पापी अनुवादक ने बाहरी कमरे में आकर टेलिफोन के कुछ नम्बर घुमाकर न जाने क्यों भेदभरी आवाज़ में कहा, “हैलो! मैं यह बताना अपना कर्त्तव्य समझता हूँ कि सादोवाया रास्ते के 302 बी नम्बर की बिल्डिंग की हाउसिंग सोसाइटी के प्रमुख निकानोर इवानोविच बासोय रिश्वत लेते हैं. इस क्षण उनके 35 नम्बर के फ्लैट के शौचालय के वातायन में अख़बारी कागज़ में लिपटे चार सौ डालर्स मौजूद हैं. मैं इसी बिल्डिंग में ग्यारह नम्बर के फ्लैट में रहने वाला तिमोफेई क्वास्त्सोव बोल रहा हूँ. मगर यह विनती है कि मेरा नाम गुप्त ही रखा जाए. मुझे डर है कि प्रमुख मुझसे बदला लेगा.
और उस नीच ने टेलिफोन का चोंगा लटका दिया.
फ्लैट नं. 50 में आगे क्या हुआ यह तो पता नहीं, हाँ यह मालूम है कि निकानोर इवानोविच के घर क्या गुज़रा. घर पहुँचने पर उसने अपने आपको शौचालय में बन्द कर लिया और ब्रीफकेस से नोटों का वह बण्डल निकाला जो अनुवादक ने उसे थमाया था. उसने उन्हें गिनकर एक बार फिर इत्मीनान कर लिया कि उस बण्डल में चार सौ रुबल्स ही थे. इस बण्डल को निकानोर इवानोविच ने अख़बार में लपेटा और उसे वेंटीलेटर पर रख दिया.
पाँच मिनट पश्चात् प्रमुख अपने छोटे-से भोजनगृह की मेज़ पर बैठा था. पत्नी रसोई से सही ढंग से काटी हुई हेरिंग लाई जिस पर हरी प्याज़ काटकर सजाई गई थी. निकानोर इवानोविच ने एक छोटा पैग बनाकर पी लिया, दूसरा बनाया, पी लिया. काँटे पर हेरिंग के तीन टुकड़े लगाए...इसी समय घण्टी बजी और पेलागेया अन्तोनोव्ना ने भाप निकलता हुआ भगौना मेज़ पर रख दिया, जिसे देखकर एक ही नज़र में यह अनुमान लगाया जा सकता था कि इस गाढ़े शोरवे वाले बर्तन में वह है, जिससे अधिक स्वादिष्ट पूरे संसार में और कुछ नहीं है – मस्तिष्क की हड्डी!
लार निगलते हुए निकानोर इवानोविच कुत्ते की तरह बोला, “भाड़ में जाएँ! खाने भी नहीं देते...किसी को भी अन्दर मत आने देना...मैं घर पर नहीं हूँ, बिल्कुल नहीं हूँ! फ्लैट के बारे में पूछे तो कहना, परेशान न हो, एक हफ़्ते बाद मीटिंग होगी...”
बीबी सामने के कमरे की ओर भागी और निकानोर इवानोविच ने भाप निकालते डोंगे से चम्मच की सहायता से उसे निकाल लिया, लम्बाई में चटखी हुई हड्डी को. इसी क्षण भोजनगृह में दो नागरिक घुसे, और उनके साथ न जाने क्यों पीली पड़ गई पेलागेया अन्तोनोव्ना. उन नागरिकों पर नज़र पड़ते ही निकानोर इवानोविच भी सफ़ेद पड़ गया और वह उठ खड़ा हुआ.
“शौचालय कहाँ है?” पहले ने पूछा जो सफ़ेद रंग का जैकेट पहने था.
खाने की मेज़ पर कुछ बजा(यह निकानोर इवानोविच के हाथ से छूटकर गिर पड़े चम्मच की आवाज़ थी).
“यहाँ, यहाँ,” पेलागेया अन्तोनोव्ना जल्दी से बोली.
आगंतुक तुरंत गलियारे की ओर बढ़े.
“बात क्या है?” निकानोर इवानोविच ने आगंतुकों के पीछे आते हुए पूछा, “हमारे फ्लैट में कोई भी आपत्तिजनक बात नहीं है...आपके परिचय पत्र? माफ़ी चाहता हूँ...”
पहले आगंतुक ने चलते-चलते निकानोर इवानोविच को अपना परिचय-पत्र दिखाया और दूसरा उसी क्षण शौचालय में कमोड पर खड़ा होकर अपना हाथ वातायन में डालता नज़र आया. निकानोर इवानोविच की आँखों के आगे अँधेरा छा गया. अख़बार दूर हटाया गया मगर बण्डल में रुबल्स नहीं थे बल्कि कुछ अनजाने नोट थे, नीले-से, हरे-से, जिन पर किसी बूढ़े की तस्वीर थी. मगर निकानोर इवानोविच ने स्पष्ट रूप से नहीं देखा, उसकी आँखों के आगे कुछ धब्बे से तैर रहे थे.
“रोशनदान में डॉलर्स हैं”, पहले ने सोचने के अन्दाज़ में कहा और बड़ी ही नरमाई और प्यार से निकानोर इवानोविच से पूछा, “यह आपका पैकेट है?”
“नहीं!” निकानोर इवानोविच दर गया, “दुश्मनों ने फेंका होगा!”
“होता है,” पहले ने सहमत होते हुए कहा, और फिर नरमाई से ही आगे बोला, “मगर फिर भी बाकी के तो देने ही पड़ेंगे.”
“मेरे पास नहीं हैं! भगवान की कसम नहीं हैं, कभी भी मैंने उन्हें हाथ में भी नहीं पकड़ा!” प्रमुख परेशान होते हुए चिल्लाया.
वह मेज़ पर झुका, खड़खड़ाकर उसकी दराज़ निकाली, और उसमें से ब्रीफकेस निकालकर कुछ असम्बद्ध बातें बड़बड़ाता रहा, “यह देखिए अनुबन्ध...वह सँपोला, अनुवादक फेंक गया है...कोरोव्येव...चश्मा पहने है!”
उसने ब्रीफकेस खोला, उसमें झाँका, उसमें हाथ डाला और...उसका चेहरा काला पड़ गया और उसने ब्रीफकेस शोरवे में गिरा दिया. ब्रीफकेस में कुछ भी नहीं था : न तो स्तेपान का पत्र, न ही अनुबन्ध, न ही विदेशी का पासपोर्ट, न पैसे, न थियेटर के टिकट...कुछ भी नहीं, सिवा उस कपड़े के जो ब्रीफकेस के भीतरी हिस्से पर जड़ा था.
“साथियों!” प्रमुख अप्राकृतिक आवाज़ में चिल्लाया, “उन्हें पकड़िए! हमारी बिल्डिंग में शैतानी ताकत घुस गई है!”
मगर तभी पेलागेया अन्तोनोव्ना को न जाने क्या हुआ, क्योंकि वह हाथ हिला-हिलाकर चिल्ला पड़ी, “कबूल कर लो इवानोविच! तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा!”
निकानोर इवानोविच की आँखों में खून उतर आया. वह बीबी के सिर पर मुक्का तानते हुए भर्राई हुई आवाज़ में चिल्लाया, “ओफ बेवकूफ, पापिन!”
अब वह निढ़ाल होकर कुर्सी पर लुढ़क गया. ज़ाहिर है उसने होनी के सामने हार मान ली थी.
इसी समय प्रमुख के फ्लैट के दरवाज़े में जड़े चाभी लगाने वाले सुराख से कभी आँख और कभी कान लगाए तिमोफेइ कन्द्रात्येविच क्वास्त्सोव उत्सुकता से चिपका खड़ा था.
पाँच ही मिनट बाद आँगन में खड़े उस बिल्डिंग के निवासियों ने देखा कि हाउसिंग सोसाइटी प्रमुख दो व्यक्तियों के साथ निकलकर बिल्डिंग के मुख्य प्रवेशद्वार की ओर बढ़ा. सबने देखा कि निकानोर इवानोविच के पास छिपाने के लिए मुँह ही नहीं था; वह घिसटकर चल रहा था, शराबी की तरह, और कुछ बड़बड़ाता जा रहा था.
इसके एक घण्टॆ बाद वह अनजान परदेसी क्वार्टर नम्बर ग्यारह में प्रकट हुआ, ठीक उसी समय, जब तिमोफेइ कन्द्रात्येविच दूसरे निवासियों को नमक-मिर्च लगाकर कह रहा था कि कैसे प्रमुख को दबोचा गया. अजनबी ने उँगली के इशारे से तिमोफेइ कन्द्रात्येविच को रसोई घर से बाहरी हॉल में बुलाया. उससे कुछ कहा और उसके साथ कहीं गायब हो गया.
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