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मंगलवार, 31 जनवरी 2012

Master aur Margarita-18.1



मास्टर और मार्गारीटा 18.1

अभागे मेहमान

ठीक उसी समय जब मेहनती रोकड़िया टैक्सी में बैठकर लिखने वाले सूट से टकराने वाला था, कीएव से मॉस्को आने वाली रेल के आरामदेह, स्लीपर कोच नम्बर 9 से अन्य यात्रियों के साथ हाथ में एक छोटी-सी फाइबर की सूटकेस लिए मॉस्को स्टेशन पर एक शरीफ़ मुसाफिर उतरा. यह मुसाफिर कोई और नहीं स्वर्गवासी बेर्लिओज़ का मामा, कीएव की भूतपूर्व इंस्टिट्यूट रोड़ पर रहने वाला अर्थशास्त्री संयोजक, मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच पोप्लाव्स्की था. मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच के मॉस्को आगमन का कारण वह टेलिग्राम था जो उसे परसों शाम को मिला था और जिसमें लिखा था:
 मुझे अभी-अभी ट्रामगाड़ी ने कुचल दिया है पत्रियार्शी तालाब के पास. अंतिम संस्कार शुक्रवार को तीन बजे दोपहर आ जाओ बेर्लिओज़.
मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच कीएव के बुद्धिमान लोगों में गिना जाता था, और वह वाक़ई था भी. मगर अत्यंत बुद्धिमान व्यक्ति भी इस टेलिग्राम को पढ़कर बौखला ही उठेगा. यदि कोई व्यक्ति स्वयँ तार भेजता है कि उसे ट्रामगाड़ी ने कुचल दिया है, इसका मतलब यह हुआ कि वह जीवित है. मगर फिर अंतिम संस्कार क्यों? या फिर उसकी हालत इतनी खराब है कि उसे अपनी मृत्यु की पूर्वसूचना मिल चुकी है? यह सम्भव है, मगर यह समय निर्धारण बड़ा अजीब है: उसे कैसे मालूम कि उसका अंतिम संस्कार शुक्रवार को दिन में तीन बजे किया जाएगा? बड़ा अजीब टेलिग्राम है!
मगर बुद्धिमान आदमी इसीलिए बुद्धिमान कहे जाते हैं कि वे उलझी हुई परिस्थिति को भी सुलझा लेते हैं. बिल्कुल आसान है. गलती हो गई है और मतलब बदल गया है. यह शब्द मुझे बेर्लिओज़ के बदले, किसी दूसरे टेलिग्राम से यहाँ आ गया है, जो इबारत के अंत में बेर्लिओज़ बन गया है. इस तरह पढ़ने से टेलिग्राम का सन्देश साफ हो जाता था, मगर वह दर्दनाक था.
जब बीबी को हैरत में डालने वाले दुःख की तीव्रता कुछ कम हुई तो मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच फौरन मॉस्को जाने की तैयारी करने लगा.
मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच का एक भेद खोलना ही पड़ेगा. इस बारे में कोई शक नहीं कि उसे अपनी बीवी के इस भतीजे के असमय मरने पर बहुत अफ़सोस हुआ था. मगर एक व्यावहारिक व्यक्ति होने के कारण वह समझ रहा था कि अंतिम संस्कार में उसकी उपस्थिति अनिवार्य नहीं है. मगर फिर भी मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच शीघ्र ही मॉस्को पहुँचना चाहता था. कारण क्या था? कारण फ्लैट! मॉस्को में फ्लैट? यह बड़ी महत्वपूर्ण बात थी. न जाने क्यों मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच को कीएव पसन्द नहीं था, और मॉस्को जाकर रहने के विचार ने पिछले कुछ समय से उसे इस बुरी तरह कुरेदना शुरू कर दिया था कि उसकी रातों की नींद उड़ गई थी. अब उसे बसंत में द्नेप्र की बाढ़ उल्हासित नहीं करती थी, जब निचले टापुओं को डुबोते हुए वह क्षितिज से मिल जाती थी. अब उसे सामन्त व्लादीमिर के स्मारक के निकट से आरम्भ होने वाला सुन्दर प्राकृतिक दृश्य आनन्द नहीं देता था. व्लादीमिर पहाड़ के ईंटों वाले रास्ते पर बसंत ऋतु में नाचते सूरज के धब्बे देखकर अब वह खुश नहीं होता था. वह इस सबसे उकता गया था, वह मॉस्को जाना चाहता था.
उसने अख़बारों में इश्तेहार दिए इंस्टिट्यूट रोड पर स्थित अपने फ्लैट से मॉस्को के किसी छोटे फ्लैट को बदलने के लिए, मगर कोई नतीजा नहीं निकला. कोई भी इच्छुक नहीं था ऐसे प्रस्ताव के लिए और यदि भूला-भटका कोई मिल भी जाता, तो उसकी माँग बड़ी ऊलजलूल होती थी.
इस टेलिग्राम से मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच हक्का-बक्का रह गया. यह वह घड़ी थी, जिसे खोना अक्षम्य होता. व्यावहारिक आदमी जानते हैं कि ऐसे मौके बार-बार नहीं आते.
संक्षेप में, बिना किसी मुसीबत में पड़े मॉस्को वाले भतीजे के सादोवाया वाले फ्लैट पर कब्ज़ा किया जा सकता था. हाँ, यह मुश्किल था, बहुत मुश्किल, मगर इन मुश्किलों को किसी भी कीमत पर दूर करना ही था. अनुभवी मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच जानता था कि इस दिशा में पहला और अनिवार्य कदम था: शीघ्र ही, किसी भी तरह, मृत भतीजे के तीन कमरों में जाकर रुकना और वहाँ अपना नाम लिखवाना, चाहे थोड़े समय के लिए ही सही.
शुक्रवार की दोपहर को मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच सादोवाया की बिल्डिंग नं. 302 के उस कमरे में दाखिल हुआ जहाँ हाउसिंग कमिटी का दफ़्तर था.
उस तंग कमरे में, जिसकी दीवार पर एक पुराना चार्ट लटक रहा था, कुछ चित्रों के माध्यम से यह दिखाता हुआ कि नदी में डूबे हुओं को पुनर्जीवित कैसे किया जाता है लकड़ी की मेज़ के पीछे, उत्तेजित आँखों से इधर-उधर देखता, दाढ़ी बढ़ाए अधेड़ उम्र का एक आदमी निपट अकेला बैठा था.
 क्या मैं कमिटी के प्रमुख से मिल सकता हूँ? अर्थशास्त्री संयोजक ने अपनी सूटकेस निकट की कुर्सी पर रखकर, हैट उतारते हुए बड़ी शालीनता से पूछा.
ऐसा लगा कि इस सीधे-साधे सवाल ने उस आदमी को बहुत परेशान कर दिया. उसका चेहरा विवर्ण हो गया. उत्तेजना में कनखियों से इधर-उधर देखते हुए वह बुदबुदाया कि प्रमुख नहीं है.
 क्या वह अपने फ्लैट में है? पोप्लाव्स्की ने पूछा, मुझे ज़रूरी काम है.
बैठे हुए आदमी ने फिर बेतुका-सा जवाब दिया. मगर फिर भी यह समझ में आ रहा था कि प्रमुख अपने घर पर नहीं है.
 कब आएँगे?
इस सवाल का बैठे हुए आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया और आँखों में पीड़ा का भाव लिए खिड़की से बाहर देखने लगा.
 ओ हो! तेज़ तर्रार पोप्लाव्स्की ने अपने आप से कहा और वह सेक्रेटरी के बारे में पूछने लगा.
मानसिक तनाव के कारण उस आदमी का चेहरा लाल हो गया. फिर उसने और मरी हुई आवाज़ में बताया कि सेक्रेटरी भी नहीं...सेक्रेटरी बीमार है...
 ओहो! पोप्लाव्स्की ने फिर अपने आप से कहा और पूछा, मगर कमिटी में कोई तो होगा?
 मैं हूँ, कमज़ोर आवाज़ में उस आदमी ने कहा.
 देखिए, ज़ोर देते हुए पोप्लाव्स्की ने कहा, मैं अपने भतीजे, मृत बेर्लिओज़ का इकलौता वारिस हूँ, जो जैसा कि आपको मालूम है, पत्रियार्शी के निकट मर गया, और नियमानुसार मुझे उसका फ्लैट जो आपकी इस बिल्डिंग में 50नं. पर है, विरासत में मिलना चाहिए...
 मुझे पता नहीं है, दोस्त, पीड़ा से उसे बीचे में ही टोकते हुए वह बोला.
 मगर, माफ कीजिए, खनखनाती आवाज़ में पोप्लाव्स्की बोला, आप हाउसिंग कमिटी के सदस्य हैं और आपका फर्ज़...
तभी कमरे में एक आदमी घुसा. उसे देखते ही टेबुल के पीछे बैठे हुए आदमी का चेहरा पीला पड़ गया.
 आप कमिटी के सदस्य पित्नाझ्का हैं? उसने आते ही पूछा.
 हाँ, मुश्किल से सुनाई दिया.
आने वाले ने बैठे हुए आदमी के कान में कुछ कहा, जिससे वह घबरा कर कुर्सी से उठा और कुछ ही क्षणों बाद उस खाली कमरे में पोप्लाव्स्की अकेला बचा था.
 ओह, क्या मुसीबत है! क्या ज़रूरी था कि वे सभी एक साथ... निराशा से पोप्लाव्स्की ने सोचा और वह सिमेंट का आँगन पार करके फ्लैट नं. 50 की ओर लपका.
जैसे ही अर्थशास्त्री संयोजक ने घण्टी बजाई, दरवाज़ा खुला और मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच अंधेरे-से प्रवेश-कक्ष में घुसा. उसे इस बात पर अचरज हुआ कि दरवाज़ा आख़िर खोला किसने? प्रवेश-कक्ष में कोई नहीं था, केवल एक भारी-भरकम बिल्ले को छोड़कर, जो कुर्सी पर बैठा था.
 मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच खाँसा. उसने पैरों से आवाज़ की तब कहीं जाकर अध्ययन-कक्ष का दरवाज़ा खुला और कोरोव्येव बाहर आया. मैक्समिलियन अन्द्रेयेविच ने अपनी गरिमा बनाए रखते हुए, झुककर उसका अभिवादन किया, और बोला, मेरा नाम पोप्लाव्स्की है. मैं मामा... 

                                                             क्रमशः

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