लोकप्रिय पोस्ट

शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

Master aur Margarita-09.1


मास्टर और मार्गारीटा 09.1

कोरोव्येव की करतूतें

निकोनोर इवानोविच बासोय, 302 बी नम्बर की बिल्डिंग की हाउसिंग सोसाइटी के प्रमुख, बुधवार तथा गुरुवार के बीच की रात से काफी परेशान थे तथा अनेक बखेड़ों में उलझे थे. यह वही बिल्डिंग थी, जहाँ स्वर्गीय बेर्लिओज़ रहता था.
जैसा कि आपको याद होगा, आधी रात के समय एक समिति, जिसमें झेल्दीबिन था, उस इमारत में आई. निकानोर इवानोविच को बुलाकर बेर्लिओज़ की मृत्यु की सूचना दी गई एवँ एसके साथ वे 50 नम्बर के फ्लैट में गए.
वहाँ मृतक की वस्तुओं और उसकी पाण्डुलिपियों को सील कर दिया गया था. इस समय उस क्वार्टर में न तो काम वाली लड़की ग्रून्या थी, न ही छिछोरा स्तेपान बोगदानोविच. समिति ने निकानोर इवानोविच को बताया कि मृतक की पाण्डुलिपियाँ वे परीक्षण के लिए ले जा रहे हैं; उसका घर यानी कि तीन कमरे (जौहरी की बीबी का अध्ययन कक्ष, बैठक और डाइनिंग रूम) हाउसिंग सोसाइटी के कब्जे में रहेंगे, और मृतक की वस्तुएँ इसी इमारत में हिफ़ाज़त से तब तक रखी रहेंगी, जब तक उसके निकट सम्बन्धियों का पता नहीं चल जाता.
बेर्लिओज़ की मृत्यु का समाचार पूरी इमारत में अद्भुत तेज़ी से फैल गया. गुरुवार सुबह सात बजे से ही बासोय के टेलिफोन की घण्टी बार-बार बजने लगी. लोग स्वयँ दरख़्वास्त लेकर आने लगे, यह साबित करने के लिए कि मृतक के रिहायशी मकान पर उन्हीं का हक है. दो घण्टॉं के भीतर निकानोर इवानोविच के पास ऐसी 32 अर्ज़ियाँ आ गईं.
इन अर्ज़ियों में क्या कुछ नहीं लिखा था : प्रार्थना थी, धमकी थी, शर्तें थीं, लालच था, अपने खर्चे से मरम्मत कराने की बात थी, जगह की कमी का शिकवा था और लुटेरों के बीच एक ही घर में रहने की लाचारी तथा उससे जुड़ी असमर्थता थी. इन अर्ज़ियों में आँखों में आँसू लाने वाला वर्णन था : कोट की जेबों से पैसे चोरी होने का फ्लैट नं. 31 में, फ्लैट न मिलने की सूरत में दो व्यक्तियों द्वारा आत्महत्या कर लेने का वादा और एक नाजायज़ रूप से गर्भ ठहरने की स्वीकृति भी थी.
निकानोर इवानोविच को उसके फ्लैट के बाहरी कमरे में बुलाया गया, उसकी बाँह पकड़कर फुसफुसाहट के स्वर में, आँख मारकर यह वादा किया गया कि वह अपने विभिन्न कर्ज़ों से मुक्त हो जाएगा.
यह मानसिक यातना दिन के लगभग एक बजे तक चलती रही, जब निकानोर इवानोविच अपना फ्लैट छोड़कर हाउसिंग सोसाइटी के दफ़्तर भाग गया. मगर जब उसने देखा कि वहाँ भी उसकी ताक में लोग खड़े हैं, तो वह वहाँ से भी भाग गया; किसी तरह पीछा करने वालों से जान बचाकर, जो सीमेंट के आँगन में उसका पीछा कर रहे थे, वह छठे प्रवेश द्वार में छिप गया और लिफ्ट से पाँचवीं मंज़िल पर पहुँचा, जहाँ यह अभिशप्त फ्लैट नं. 302 स्थित था.
थोड़ी साँस लेकर, पसीने से सराबोर निकानोर इवानोविच ने फ्लैट की घण्टी बजाई, मगर किसी ने भी दरवाज़ा नहीं खोला. उसने बार-बार घण्टी बजाई और फिर गुस्से में बड़बड़ाना शुरू किया. मगर फिर भी किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला. निकानोर इवानोविच का धैर्य छूटता जा रहा था. वह अपनी जेब से डुप्लिकेट चाबियों का गुच्छा निकालकर आधिकारिक भाव से दरवाज़ा खोलकर अन्दर गया.
 ऐ, नौकरानी! अँधेरे गलियारे में निकानोर इवानोविच चिल्लाया, क्या नाम है? ग्रून्या? क्या तुम नहीं हो?
किसी ने भी जवाब नहीं दिया.
तब निकानोर इवानोविच ने दरवाज़े पर लगी सील को तोड़ा, अपनी ब्रीफकेस में से एक छोटा डण्डा निकाला और अध्ययन कक्ष में घुसा.
घुसने को तो वह घुस गया मगर दरवाज़े पर ही विस्फारित नेत्रों से ठहर गया, और तो और, काँपने भी लगा.
मृतक की लिखने की मेज़ पर एक अनजान व्यक्ति बैठा था, चौख़ाने वाला कोट पहने एक लम्बू, जिसने जॉकियों जैसी टोपी पहन रखी थी और डोरी वाला चश्मा लगा रखा था...हाँ, एक शब्द में, वही.
 आप कौन हैं, श्रीमान? घबराते हुए निकानोर इवानोविच ने पूछा.
 ब्बा! निकानोर इवानोविच... पतली-सी आवाज़ में अकस्मात् प्रकट हुआ नागरिक चिल्लाया और उसने बड़े जोश में अचानक प्रमुख से हाथ मिलाया. इस स्वागत से निकानोर इवानोविच ज़रा भी खुश नहीं हुआ.
 मैं माफ़ी चाहता हूँ, वह सन्देह भरी आवाज़ में बोला, आप कौन? आप क्या कोई शासकीय अधिकारी हैं?
 ओफ, निकानोर इवानोविच! अजनबी ने हृदयपूर्वक मुस्कुराकर फिकरा कसा, शासकीय और अशासकीय क्या होता है? यह तो इस बात पर निर्भर है क आप किसी वस्तु को किस नज़र से देखते हैं; यह परिस्थितिजन्य और काफी सारी शर्तों पर निर्भर है. आज मैं एक अशासकीय अधिकारी हूँ, और कल, शासकीय! इससे विपरीत भी हो सकता है, निकानोर इवानोविच. और क्या कुछ नहीं हो सकता!
इस तर्क ने हाउसिंग सोसाइटी के प्रमुख को ज़रा भी संतुष्ट नहीं किया. मूल रूप से ही शक्की होने के कारण उसने अन्दाज़ लगाया कि उसके सामने खड़ा बड़बड़ाता हुआ यह व्यक्ति अवश्य ही अशासकीय है, और साथ ही निकम्मा, डींग मारने वाला भी है.
 आप हैं कौन? आपका उपनाम क्या है? प्रमुख ने संजीदा होते हुए पूछा और वह अजनबी की दिशा में बढ़ने लगा.
 मेरा उपनाम... प्रमुख की संजीदगी से ज़रा भी विचलित हुए बिना उस नागरिक ने कहा, समझ लीजिए, कोरोव्येव. क्या आप कुछ खाना चाहेंगे, निकानोर इवानोविच? बिना किसी तकल्लुफ के! हाँ?
 माफ़ी चाहूँगा, कुछ अभद्रता के साथ निकानोर इवानोविच ने कहा, खाना क्या चीज़ है! (मानना पड़ेगा, हालाँकि यह अच्छा नहीं लग रहा, कि निकानोर इवानोविच स्वभाव से ही कुछ असभ्य थे.) मृतक के आधे हिस्से को दबोच लेने की इजाज़त नहीं है! आप यहाँ क्या कर रहे हैं?
 आप बैठ तो जाइए, निकानोर इवानोविच, ज़रा भी डरे बिना... वह नागरिक दहाड़ा और उसने प्रमुख की ओर कुर्सी खिसका दी. 
निकानोर इवानोविच आपे से बाहर हो गया, उसने कुर्सी एक ओर धकेल दी और ऊँचे स्वर में पूछा, आप हैं कौन?
 मैं, जैसा कि आप देख रहे हैं, इस फ्लैट में रहने आए विशिष्ठ विदेशी अतिथि का अनुवादक हूँ, अपने आप को कोरोव्येव कहने वाले उस व्यक्ति ने अपना परिचय दिया और गन्दे जूते की एड़ियों से टकटक करने लगा.
निकानोर इवानोविच ने मुँह खोला. इस फ्लैट में किसी विदेशी उपस्थिति, वह भी अनुवादक के साथ, उसके लिए चौंकाने वाली बात थी, इसलिए उसने और अधिक स्पष्टीकरण माँगा.
अनुवादक ने सहर्ष स्पष्ट किया कि विदेशी कलाकार मिस्टर वोलान्द को वेराइटी थियेटर के डाइरेक्टर स्तेपान बिग्दानोविच लिखोदेयेव ने उनके इस विदेशी दौरे के दौरान, जो कि लगभग एक हफ़्ते का है, इसी फ्लैट में रहने की दावत दी थी. इसके बारे में उसने कल ही निकानोर इवानोविच को पत्र लिखकर विदेशी के लिए एक हफ़्ते के निवास की अनुमति देने की विनती की थी क्योंकि लिखोदेयेव स्वयँ याल्टा जाने वाले थे.
 उसने मुझे कुछ भी नहीं लिखा है, विस्मित होते हुए प्रमुख ने कहा.
 आप अपने ब्रीफकेस में देखिए तो सही, निकानोर इवानोविच, कोरोव्येव ने बड़ी मिठास से कहा.
निकानोर इवानोविच ने कंधे उचकाए, ब्रीफकेस खोला और उसे लिखोदेयेव का लिखा पत्र मिल गया.
 इस बारे में मैं भूल कैसे गया? फटी-फटी आँखों से उस लिफाफे की ओर देखते हुए निकानोर इवानोविच बड़बड़ाया.

                                                                क्रमश:

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.